Monday, December 21, 2015

ज़मीनी विवाद में उलझी स्मार्ट सिटी

केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना स्मार्ट सिटी उत्तराखण्ड में जमीनी विवाद के चलते उलझ गयी है। हरीष रावत सरकार ने इसके लिए जो जमीन चिन्ह्ति की थी उसे लेकर भाजपा सहित कुछ संगठन विरोध कर रहे हैं। असल में दो हजार एकड़ में फैले चाय बागान में स्मार्ट सिटी बनाने से हरियाली और पर्यावरण को नुकसान का अंदेषा जताया गया है। विरोध तेज होने पर उत्तराखण्ड सरकार ने एफआरआई की मदद लेने का फैसला किया, जो बतायेंगे कि हरियाली बचाते हुए कैसे स्मार्ट सिटी बनायी जाए। मुख्यमंत्री ने विरोध के स्वर को देखते हुए अब चाय बागान वाली जमीन के अतिरिक्त अन्य सम्भावनाओं की तलाष षुरू कर दी है। देष में 98 स्मार्ट सिटी को विकसित करने की केन्द्र सरकार की योजना में उत्तराखण्ड भी षामिल है। सपनों के षहर बनाने की होड़ में सरकार ने देहरादून में स्मार्ट सिटी को लेकर मास्टर प्लान भी तैयार कर लिया है पर जमीनी विवाद के कारण मामला खटाई में जाता हुआ दिखाई दे रहा है।
देहरादून में स्मार्ट सिटी को लेकर जो ताना-बाना बुना गया था उस प्रस्तावित माॅडल में कई बातें बड़े नियोजित ढंग से पेष की गयी हैं। जीवन की गुणवत्ता, रोजगार, परिवहन, इंस्क्लूसिव हाउसिंग, स्मार्ट एजूकेषन, बेहतर इन्टरनेट सेवा, सिटीजन एप्स, पब्लिक स्पेस, वाइब्रेन्ट, ओपन स्पेस और सांस्कृतिक सभागार के अलावा हर समय पेयजल की सुविधा, वर्शा जल का संचयन, स्मार्ट गवर्नमेंट सर्विसेज, स्मार्ट ट्रांसपोर्ट हेल्थकेयर फैसिलिटी आदि का बाकायदा उल्लेख है। इसका मुख्य आकर्शण इसके बीच में बनने वाला 400 मीटर ऊँचा नाॅलेज टावर है जो अत्याधुनिक और काॅरपोरेट अंदाज में होगा जिसमें दुनिया के तमाम प्रतिश्ठित आईटी और एजूकेषन से जुड़ी कम्पनियों के दफ्तर होंगे। कृत्रिम नदी जिसमें बोट चलेगी और आॅटोमेटिक वेस्ट मैनेजमेंट की भी व्यवस्था है। स्मार्ट सिटी के अंदर कार के बजाय पोड्स और साइकिल चलाने की योजना षामिल है। इसी षहर के अंदर सड़क के ऊपर फ्लाइ ओवर की तर्ज पर रनवे होंगे जिस पर छोटे एयरक्राफ्ट उड़ान भर सकेंगे, दो हैलीपेड़ भी बनाये जायेंगे। इन सब के बावजूद योजना में वृक्षों और हरियाली को कम से कम नुकसान पहुंचाने की बात भी कही गयी है साथ ही कहा गया कि पेड़े-पौधे विकसित भी किये जायेंगे। बावजूद इसके कई राजनीतिक दलों और संगठनों सहित जन मानस को स्मार्ट सिटी की योजना चाय बागान में रास नहीं आ रही है।
स्मार्ट सिटी के निर्माण को लेकर अभी कुछ अहम फैसलें भी होने हैं जिसमें एक तो इक्विटी षेयर के लिए चीन की तोंगझी विष्वविद्यालय के साथ एमओयू किया जाना है। विष्वविद्यालय ने स्मार्ट सिटी में 74 फीसदी तक की इक्विटी षेयर करने की पेषकष की है जबकि राज्य सरकार 60 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी देने की पक्ष में नहीं है। दूसरे लोन के सम्बन्ध में हुडको का अन्तिम फैसला आना अभी बाकी है। हालांकि आपसी सहमति सैद्धान्तिक तौर पर बनते हुए देखी जा सकती है। हुडको 2200 करोड़ रूपए का लोन देगा। इसके अलावा कुछ स्थानीय स्तर से सम्बन्धित निर्णय भी लिए जाने बाकी हैं। स्मार्ट सिटी के नोडल अधिकारी आर. मीनाक्षी सुन्दरम् का भी यह मानना है कि इन फैसलों के बाद ही चित्र साफ हो पायेगा। स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट को केन्द्र सरकार में जमा करने की अन्तिम तारीख 15 दिसम्बर है उसके बाद ही तय होगा कि टाॅप 20 में देहरादून है या नहीं। फिलहाल खींचातानी में फंसी देहरादून स्मार्ट सिटी योजना पर सरकार का रूख विरोध के बाद थोड़ा ढीला पड़ता दिखाई दे रहा है। यहां तक कि मुख्यमंत्री हरीष रावत ने कह दिया कि यदि भूमि को 300 एकड़ तक भी किया जाना सम्भव न हो तो स्मार्ट सिटी का निर्णय 2017 में बनने वाली सरकार पर छोड़ दिया जाए।


सुशील कुमार सिंह
निदेशक
रिसर्च फाॅउन्डेषन आॅफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेषन
एवं  प्रयास आईएएस स्टडी सर्किल
डी-25, नेहरू काॅलोनी,
सेन्ट्रल एक्साइज आॅफिस के सामने,
देहरादून-248001 (उत्तराखण्ड)
फोन: 0135-2668933, मो0: 9456120502

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