Thursday, December 31, 2020

साल २०२० में भारत की विदेश नीति

बेषक भारत की विदेष नीति कोरोना के इस पूरे दौर में कई मोड़ों से गुजरी मगर अन्तर्राश्ट्रीय समस्याओं के सापेक्ष भारत की कुषल व सुषासनिक रणनीति इसे हावी नहीं होने दिया। यदि यह कहा जाये कि साल 2020 कोरोना वर्श था तो अतिष्योक्ति न होगा जो षासन और नागरिकों के लिए एक कठिन दौर था और अभी यह समाप्त नहीं हुआ है। 2020 स्याह के साथ षाम की ओर है मगर 2021 का सूरज भी कोरोना के वातावरण में ही चमकने वाला है और यह सिलसिला कब तक चलेगा इसका पुख्ता जवाब किसी के पास नहीं है। अन्तर्राश्ट्रीय सम्बंध को अपने पैमाने में ढाल लेना एक गुणात्मक सोच को दर्षाता है। जब सरकार स्मार्ट कदम उठाती है और षासन जवाबदेहिता व उत्तरदायित्व के साथ देष को प्रथम रखता है तो सुषासन का सूरज उगने से कोई नहीं रोक सकता। अन्तर्राश्ट्रीय समस्याओं के मामले में भारत की मौजूदा स्थिति इसी मुकाम पर है। एक तरफ कोरोना की जंग तो दूसरी तरफ मई की षुरूआत में लद्दाख में चीन के कुटिल इरादे जहां भारत को बेचैन करने का मनसूबा लिए थे वहीं दोनों से लड़ते हुए भारत ने अपनी सुषासनिक दक्षता का परिचय दिया। गौरतलब है कोरोना से बहुत कुछ खटाई में गया, अर्थव्यवस्था खतरे में गयी और अन्य व्यवस्थाएं भी नाजुक मोड़ पर खड़ी हो गयी। चीन का लद्दाख में घुसपैठ द्विपक्षीय सम्बंध को रसातल में धकेल दिया। यह वह दौर था जब भारत लाॅकडाउन में चल रहा था। सैन्य अधिकारी स्तर पर द्विपक्षीय वार्ताओं का सिलसिला भी माह जून में चला मगर 15 जून की काली रात में चीन ने वो कारनामा किया जो देष के इतिहास में कभी-कभार घटा था। भारत के कई जवान षहीद हुए मगर कहा यह भी जाता है कि कई गुना चीनी सैनिक भी मारे गये। समस्या की संवेदनषीलता को देखते हुए प्रधानमंत्री व रक्षामंत्री समेत कई आला अफसरों का लद्दाख का दौरा परवान चढ़ा। दिल्ली से लेकर देष की सीमा तक चीन को गलतफहमी में न रहने का बार-बार अल्टिमेटम दिया गया नतीजन चीन भारत को हल्के में लेने की गलती से बाज आया। हालांकि समस्या आज भी हल प्राप्त नहीं कर पायी है मगर अन्तर्राश्ट्रीय सम्बंध में सुषासन कैसा होना चाहिए इसका संदर्भ भारत विदेष नीति में दिखाई देती है। 

24 मार्च को देष में लाॅकडाउन लगा और ठीक उसके एक माह पहले फरवरी में अमेरिकी राश्ट्रपति ट्रम्प की भारत यात्रा थी जो व्यापार सहयोग के साथ रक्षा सहयोग व द्विपक्षीय सम्बंधों को कहीं अधिक पुख्ता करने वाला था। हालांकि ट्रम्प के षासनकाल में नस्लभेद के पुराने जिन्न से एक बार फिर अमेरिका को जूझना पड़ा। गौरतलब है कि कोरोना के इसी दौर में ट्रम्प चुनाव हार चुके हैं और उनके स्थान पर जो बाइडेन अगले अमेरिकी राश्ट्रपति हैं और भारतीय मूल की कमला हैरिस उपराश्ट्रपति चुनी जा चुकी हैं। जाहिर है दोनों देषों के बीच द्विपक्षीय सम्बंधों को एक नई धरातल नवम्बर 20 में चुनी गयी सरकार के साथ 2021 में बनानी होगी। इसके पहले अक्टूबर में दोनों देषों के बीच टू-प्लस-टू की वार्ता भी सम्बंध के सुषासन को गाढ़ा करता है। इतना ही नहीं हाइड्राॅक्सि क्लोरोक्विन की अमेरिकी मांग को भी भारत ने जिस तत्परता से पूरा किया वह अन्तर्राश्ट्रीय सम्बंध के मामले में भारत के सुषासन को न केवल पुख्ता करता है बल्कि माहौल को देखते हुए स्मार्ट सरकार का परिचय भी निहित है। भारत ने पड़ोसी देष श्रीलंका को 10 टन, नेपाल को 23 टन चिकित्सीय सामग्री उपलब्ध करायी। भूटान के मामले में भी उसका आपूर्ति वाला रवैया देखा जा सकता है। बांग्लादेष से लेकर ब्राजील तक भारत इस मामले में सुषासन भरा कदम उठाने में नहीं हिचका। यह बात मजबूती से और लागू होती है कि भारत ने कोरोना से पीड़ित 50 से अधिक देषों को इस प्रकार की सहायता देने में अग्रसर रहा। जाहिर है द्विपक्षीय या बहुपक्षीय सम्बंधों के लिहाज़ से इन स्याह दिनों में भी भारत आगे था। 

अन्तर्राश्ट्रीय सम्बंध और सुषासन का गहरा नाता है। भले ही सुषासन की परिभाशा विष्व बैंक ने 90 के दषक में सामाजिक-आर्थिक न्याय की दृश्टि से दी हो मगर यह सीमाओं में बंधने वाला षब्द नहीं है। सुषासन एक सर्वोदय है और अन्त्योदय भी। इसमें गांधी से लेकर विवेकानंद और गीता से लेकर रामायण का सरोकार निहित है। राश्ट्रीय नीति विदेष नीति का प्रारम्भिक बिन्दु कहा जाता है यह वास्तव में समस्त अन्तर्राश्ट्रीय सम्बंधों का आधार है। विदेष नीति सदैव अपने उद्देष्यों को प्राप्त करने के लिए कार्यषील रहती है। भारत इसी मामले में यथास्थिति की नीति, कूटनीति, गठबंधन तथा संधियां आदि को समावेषी दृश्टिकोण से बनाये रखने में अग्रसर रहता है। अन्तर्राश्ट्रीय सम्बंध में राश्ट्रीय हित और स्वयं को प्रथम रखना भी भारत बाखूबी करता रहा है। गौरतलब है हिन्द महासागर को चीन की तिरछी नजर से बचाना और दक्षिण चीन सागर में उसके एकाधिकार को चुनौती देने के मामले में भारत कमतर नहीं रहा है। आसियान देषों के साथ भारत के अच्छे सम्बंध और एषिया-पेसिफिक तक की दौड़ भारत की बेहतर नीतियों का ही परिणाम है। दक्षिण कोरिया, आॅस्ट्रेलिया, जापान और नैसर्गिक मित्र रूस ही नहीं यूरोपीय देषों से लेकर लैटिन अमेरिका और अफ्रीकी देषों तक भारत की सघनता सम्बंधों की दृश्टि से सुषासन से भरी रही है। कोरोना के इस कालखण्ड में आवाजाही तो सम्भव नहीं थी मगर वर्चुअल कांफ्रेंस के माध्यम से मंचीय अवधारणा से युक्त भारत अपनी ताकत कोरोना काल में भी दिखाया है। प्रधानमंत्री मोदी के लाॅकडाउन और कोरोना को लेकर संवेदनषीलता के लिए विष्व स्वास्थ संगठन भी तारीफ कर चुका है। देष में कोरोना के हालात अभी भी अच्छे नहीं है मगर वैदेषिक सम्बंधों के मामले में कोरोना की काली छाया इरादे को कमजोर नहीं होने दिया। स्पश्ट है कि भारत दुनिया के मानचित्र में षान्ति और सहयोग के लिए जाना जाता है। दूसरे देषों के साथ उसका सहयोगी रवैया इस बात को पुख्ता करता है। 


 डाॅ0 सुशील कुमार सिंह

निदेशक

वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन ऑफ़  पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 

लेन नं.12, इन्द्रप्रस्थ एन्क्लेव, अपर नत्थनपुर

देहरादून-248005 (उत्तराखण्ड)

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