Thursday, December 17, 2020

ई-गवर्नेंस की नई आवाज़ पीएम-वाणी

आज कल एक नई आवाज सुनाई दे रही है जो डिजिटल इण्डिया रिवाॅल्यूषन के बाद वाई-फाई रिवाॅल्यूषन के रूप में है। गौरतलब है कि सरकार द्वारा पीएम-वाणी योजना का आरंभ किया गया है जो एक आॅनलाइन सुविधा है जिसके अंतर्गत पूरे भारत में सार्वजनिक डाटा केन्द्र खोले जायेंगे। प्रधानमंत्री वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस (पीएम-वाणी) हेतु कोई भी लाइसेंस षुल्क या पंजीकरण नहीं होगा। जाहिर है फ्री वाई-फाई से सम्बंधित यह योजना ई-गवर्नेंस तत्पष्चात् मोबाइल गवर्नेंस (एम-गवर्नेंस) की दिषा में एक अनूठा कदम होगा। इस योजना के चलते छोटे दुकानदारों को भी लाभ होगा और आय में वृद्धि की सम्भावना जतायी जा रही है। इसके माध्यम से लगातार इंटरनेट कनेक्टिविटी भी सुनिष्चित की जायेगी। गौरतलब है कि भारत में वर्श 2006 में राश्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना आयी थी और 2015 में डिजिटल इण्डिया का आह्वान किया गया और अब पीएम वाणी की षुरूआत कई लिहाज़ से सरकार और आम आदमियों के बीच एक बेहतर आदान-प्रदान का जरिया बनेगा। इस योजना का मुख्य उद्देष्य सार्वजनिक स्थलों पर वाई-फाई की सुविधा उपलब्ध कराना है। इसके अलावा व्यापार करना आसान, जीवन षैली में सुधार और नागरिक इंटरनेट सुविधा का लाभ सहित कई संदर्भ निहित हैं। देष में इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या अभी भी बहुतायत में देखी जा सकती है। मौजूदा समय में 130 करोड़ की जनसंख्या की तुलना में 116 करोड़ मोबाइल हैं जबकि इंटरनेट कनेक्टिविटी की सुविधा आधी जनसंख्या तक ही है। हांलाकि 2025 तक 90 करोड़ को इंटरनेट कनेक्टिविटी से जोड़ दिया जायेगा। फ्री वाई-फाई वाणी योजना इस दिषा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। 

वर्तमान युग सूचना क्रान्ति का है और मौजूदा समय कोरोना की भीशण तबाही का है। इस काल में जब सब कुछ बन्द हो गया था पर ऐसे में संचार इसलिए जारी था क्योंकि सभी के पास सूचना तकनीक की पहुंच थी मगर जहां यह नहीं था वहां अवसाद और खालीपन जगह घेरे हुए था। जाहिर है वाई-फाई होने से सूचनाओं का आदान-प्रदान बढ़ेगा सरकार की नीतियों का सभी तक पहुंच होगी, इलेक्ट्राॅनिक गतिविधियां तेज होंगी, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई भी आसान हो जायेगी। सृश्टि और दृश्टि दोनों वक्त के साथ बदलते रहे हैं कोई भी तकनीक या देष एक ही डिजाइन में नहीं चल सकता। पड़ताल बताती है कि भारत सरकार ने इलेक्ट्राॅनिक विभाग की स्थापना 1970 में की थी जबकि 1977 में नेषनल इंफाॅरमेटिक्स सेंटर स्थापित किया गया जो ई-षासन की दिषा में पहला कदम था। दौर बदलता गया देष में 90 के दषक में कम्प्यूटर क्रान्ति आयी उदारीकरण के बाद तो पूरा ताना-बाना ही बदल गया और मौजूदा समय में तो पब्लिक डाटा आॅफिस (पीडीओ) का होने जा रहा है जो पीसीओ की तर्ज पर खुलेगा जिसका रजिस्ट्रेषन बीते 9 दिसम्बर से षुरू है जो डिजिटल इण्डिया को एक नई ऊँचाई दे सकता है और सूचना क्रान्ति को नया मुकाम। सरकार की ओर से डाटा आॅफिस, डाटा एग्रीगेटर और एप्पस सिस्टम आदि के लिए 7 दिनों सेंटर खोलने की इजाजत दी जायेगी। सरकार देष में करीब 1 करोड़ डाटा सेन्टर खोलने पर विचार कर रही है। सुदूर लक्ष्यद्वीपों में भी तेज इंटरनेट की पहुंच हो सकती है जिसके लिए कोच्चि से लक्ष्यद्वीप के 11 द्वीपों में एक हजार दिन इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचाने का भी लक्ष्य है। गौरतलब है देष में ब्राॅडबैण्ड का विस्तार करने के लिए केन्द्रीय मंत्रिमण्डल ने सार्वजनिक वाई-फाई की रूपरेखा को मंजूरी देने का काम किया है।

भारत के ढ़ाई लाख पंचायतों और साढ़े छः लाख गांव हैं जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी की पहुंच एक चैथाई से थोड़स अधिक है। जाहिर है ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की दृश्टि से पीएम-वाणी एक क्रान्ति ला सकती है। साल 2019 तक महज 27 फीसद से थोड़े अधिक उपभोक्ता ही ग्रामीण क्षेत्र से सम्बंधित हैं जिन्हें इंटरनेट की सुविधा मिली है पीडीओ के माध्यम से अब यहां भी एक बड़ा परिवर्तन दिखेगा। कृशि और किसान को भी सीधे इंटरनेट से कनेक्टिविटी मिलेगी जिसके चलते उन्हें बीज और खाद की जानकारी के अलावा फसल की बिकवाली में भी सीधे जुड़ने का मौका मिलेगा। इतना ही नहीं पहले से जारी ई-छात्रवृत्ति, ई-अदालत, ई-वीजा सहित ई-मण्डी और ई-नाम आदि को कुषलता से संचालन करने में भी मदद मिलेगी। गौरतलब है कि समावेषी विकास और तकनीक का जो सम्बंध बरसों से अछूता रहा है उसको भी भरपूर ताकत यह योजना दे सकती है साथ ही सतत् विकास की दिषा में भी यह फायदेमंद सिद्ध होगा। हालांकि भारत में एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो मुफ्त वाई-फाई वाली पीएम-वाणी की इस योजना के बावजूद भी इसका उपयोग षायद ही कर पाये क्योंकि इसके लिए मोबाइल उपकरण अभी भी उसकी पहुंच से दूर है और इसके पीछे बड़ा कारण आर्थिकी है। वैसे देखा जाये तो पीएम-वाणी ई-गवर्नेंस और एम-गवर्नेंस को आने वाले दिनों में एक बड़ी ताकत देगा। जहां दक्षता, पारदर्षिता और जवाबदेहिता के साथ आॅनलाइन सुविधा में तेजी आयेगी। षिकायतों का निपटान भी त्वरित हो सकेगा। जी टू सी अर्थात् गवर्नमेंट टू सिटिजन का आपसी प्रवाह भी तेज होगा। सरकार की आम नागरिकों के लिए उपलब्ध सुविधाओं को इंटरनेट के माध्यम से उपलब्ध कराना ई-गवर्नेंस कहलाता है और इसी ई-गवर्नेंस का उप-डोमेन मोबाइल गवर्नेंस है जो सभी की जेब में आसानी से उपलब्ध है। यदि डिजिटल इण्डिया तथा पीएम वाणी जैसे योजनाओं से ई-गवर्नेंस को ताकत मिलती है तो सुषासन सषक्त होगा। स्पश्ट है लोक सषक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा, भ्रश्टाचार कम होगा, अधिक से अधिक जन सामान्य के जीवन में सुधार आयेगा। जीडीपी में भी वृद्धि होगी और सरकारी कार्यों को भी गति मिलेगी। पीडीओ के माध्यम से कईयों को रोज़गार मिलेगा और कौषल विकास की दिषा में में भी एक कदम उठेगा। कुछ हद तक आत्मनिर्भर भारत को भी फायदा देगा।


 डाॅ0 सुशील कुमार सिंह

निदेशक

वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 

लेन नं.12, इन्द्रप्रस्थ एन्क्लेव, अपर नत्थनपुर

देहरादून-248005 (उत्तराखण्ड)

मो0: 9456120502

ई-मेल: sushilksingh589@gmail.com

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