Wednesday, December 27, 2017

स्याह सोच से युक्त पाक का इलाज

इस तथ्य को गैरवाजिब नहीं कहा जा सकता कि आतंकी संगठन दिन दूनी, रात चैगुनी की तर्ज पर पाकिस्तान में अभी भी उसी स्पीड से पनप रहे हैं जबकि दुनिया इनके खात्मे के इंतजार में है। इतना ही नहीं  पाक सेना भी इनके सुर में सुर इस कदर मिलाये हुए है मानो वे एक-दूसरे के पूरक हों। वैसे एक बड़ी सच्चाई यह है कि पाकिस्तान के आतंकी संगठन, वहां की सेना समेत आईएसआई और सरकार भारत के प्रति हमेषा से स्याह सोच से युक्त रही है। देखा जाय तो बीते तीन दषकों से भारत इनकी जुगलबंदी का षिकार रहा है। बरसों से तमाम दबाव पाकिस्तान को नियंत्रण करने में नाकाफी सिद्ध हुए हैं और लगातार कीमत भारत को चुकानी पड़ रही है। आये दिन जवान षहीद हो रहे हैं और पाकिस्तान अपनी छाती आतंकियों के सहारे चैड़ी कर दुनिया में अपनी स्याह सोच की ढुगढुगी पीट रहा है। अमेरिका की तमाम धमकियों के बावजूद पाकिस्तान की सोच में परिवर्तन नहीं दिखाई देता और न ही इस बात की फिक्र कि आतंक उसे किस राह पर ले जायेगा। जिस तरह भारत के प्रति उसका वहषीपन प्रतिदिन की दर से बढ़त बनाये हुए है उससे भी साफ है कि थोड़ी-मोड़ी कार्यवाही या धमकी मात्र से उस पर कोई असर नहीं पड़ने वाला। हालिया परिप्रेक्ष्य यह है कि भारतीय सेना ने बीते 26 दिसम्बर को पाक अधिकृत कष्मीर में 500 मीटर अन्दर घुसकर एक बार फिर सितम्बर, 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक की याद दिला दी। गौरतलब है कि चंद दिन पहले भारत के चार जवान पाकिस्तान की तरफ से की गई गोलाबारी में षहीद हो गये थे। जिस तर्ज पर पाकिस्तान ने अपने करतूत को अंजाम दिया उसे देखते हुए भारतीय सेना समेत देष में नये सिरे से एक विमर्ष षुरू हो गया था। चार सैनिकों की षहादत का बदला पीओके में घुस कर सेना लेगी इसका अंदाजा षायद ही किसी को रहा हो। घातक कमाण्डो आइईडी का इस्तेमाल करते हुए पाक अधिकृत कष्मीर में घुसे ठीक उसी अंदाज में जैसे पाक सैनिकों ने रजौरी के केरी सेक्टर में भारतीय जवानों के खिलाफ कुकृत्य किया था। गौरतलब है पाकिस्तानी सेना ने भारतीय गष्ती दल के लिए आइईडी लगा दी थी और जवानों पर गोलियां बरसा दीं जिसमें एक मेजर तथा तीन अन्य जवान षहीद हो गये थे। 
वैसे पीओके में की गयी यह कार्यवाही टैक्टिकल स्ट्राइक कहा जा रहा है। यह कार्यवाही पिछले साल की सर्जिकल स्ट्राइक से अलग है क्योंकि यह स्थानीय सैन्य कमाण्डर के आदेष पर किया गया बेहद छोटा आॅपरेषन था। गौरतलब है कि इसमें केवल 5 कमाण्डों की टीम ने कार्य को अंजाम दिया। बेषक कार्यवाही छोटी है पर इसमें इस बात का संदर्भ छुपा है कि भारतीय सेना पीओके को आतंकविहीन करने का बूता रखती है। सोचने वाली बात यह भी है कि बरसों से भारतीय सेना पर पाकिस्तान जुर्म ढ़ा रहा है। कभी जवानों के सिर काटे गये तो कभी धोखे से गोली मारी गयी। गौरतलब है कि उरी सेक्टर में जब पिछले वर्श सितम्बर में भारतीय सेना पर आतंकी हमला हुआ तब देष के सब्र का बांध टूट गया था। करीब दस दिन के भीतर 29 सितम्बर को भारतीय सेना पाक अधिकृत कष्मीर में घुसकर आतंकी संगठनों को ध्वस्त किया और 40 से अधिक आतंकियों को ढ़ेर किया। यह अपने तरीके की की गयी एक बड़ी कार्यवाही थी जिस पर विमर्ष गाहे-बगाहे आज भी होता है पर दुःखद यह है कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भी पाकिस्तान की ओर से हमले रूके नहीं। तब से लेकर अब तक सैकड़ों जवान षहीद हुए हैं, सैकड़ों आतंकी घटनायें हुईं हैं और सीमा उल्लंघन की कार्यवाही भी तुलनात्मक बढ़ गयी। सीमा के बाहर पाकिस्तान को लेकर जो समस्या है उसमें तनिक मात्र भी कमी नहीं आयी साथ ही सेना के साथ-साथ आमजन भी इस जद में आज भी रहते हैं।
पीओके में भारतीय सेना द्वारा उठाया गया कदम स्थानीय स्तर पर की गयी कार्यवाही है। माना जाता है कि एलओसी पर पाक की तरफ से जब भी ऐसा कोई दुस्साहस होता है तो सेना 24 से 48 घण्टे के भीतर त्वरित कार्यवाही करती है। ऐसा करने से न केवल दुष्मनों का मनोबल जमींदोज होता है बल्कि भारतीय सेना के वे जवान जो अग्रिम पोस्ट पर तैनात हैं उनके मनोबल बढ़ाने के ये काम आता है साथ ही बदला लेना भी सम्भव होता है। सीमा पर जूझती भारतीय सेना और फिदाइन की तर्ज पर आतंकियों का अनवरत् चल रहा हमला जिससे निपट पाने की पूरी उम्मीद हर बार अधूरी रह जाती है। पाकिस्तान की सेना के साथ भी सह-मात का खेल जारी रहता है। दुनिया में कोई ऐसा देष नहीं जो पड़ोस की इतनी बर्बरता सहता हो। इतना ही नहीं आतंक की बात बहुत भीतर तक हो जाती है मुम्बई और दिल्ली तक इसकी रडार पर आ जाते हैं। आतंक के साये में अमरनाथ की यात्रा भी हमेषा रहती है। इसी वर्श 10 जुलाई को जब यात्रा पर आतंकी हमला हुआ तो यह बात पुख्ता हो गयी और यह डेढ़ दषक की सबसे बड़ी घटना थी। पाकिस्तान की षरण में पनपे आतंकी संगठन भारत के लिए ऐसे विध्वंसक विष्वविद्यालय हैं जिससे हमेषा चैकन्ना रहना पड़ता है। इनके मास्टर माइंड हाफिज़ सईद जैसे लोग आम षहरी की तरह सम्मेलन करते हैं और भारत के खिलाफ सरे आम नफरत उगलते हैं जबकि पाकिस्तान सरकार इस पर न केवल खामोष रहती है बल्कि चुप्पी से इनके स्याह सोच को भारत के खिलाफ भड़काने में मदद करती रहती है। कुछ दिन पहले ही जमात-उद-दावा का सरगना हाफिज़ सईद लाहौर में ऐसे ही कुछ नफरत उगल रहा था। 
देष की विडम्बना यह है कि देष के अन्दर भी अलगाववाद और आतंकवाद के समर्थक मौजूद हैं। बुरहान वानी कष्मीर की फिजा में तैरता हुआ वह दहषतगर्द का नाम है जिसके मरने पर अलगाववादियों ने न केवल अपनी सियासत को परवान चढ़ाया बल्कि दुष्मन पाकिस्तान ने इन्हीं की सह पाकर अपने देष में काला दिवस मनाया। गाहे-बगाहे बुरहान वानी का नाम कष्मीर की वादियों में अभी भी गूंजता है। अलगाववादी यह तय नहीं कर पाये कि देष हित में आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ रहना होता है। दृश्टिकोण और परिप्रेक्ष्य इस बात का इषारा करते हैं कि पाकिस्तान आतंक की जड़ों को न केवल अपने देष में ही फैलाया है बल्कि विचारों से वह भारत के भीतर भी है। फिलहाल एक अच्छी खबर यह है कि जैष का मास्टर माइंड आतंकी नूर अली जिसका कद मात्र 3 फिट का है अब उसका सफाया हो चुका है। सभी जानते हैं कि पाक अधिकृत कष्मीर में आतंकियों के लांचिंग पैड है जिसके निषाने पर एलओसी रहती है और भारतीय सेना भी। जिस तर्ज पर सीमा पर जंग जारी रहती है उसका अंत सर्जिकल स्ट्राइक या टेक्टिकल स्ट्राइक मात्र से समाप्त किया जाना सम्भव नहीं है। अमेरिका पाकिस्तान को कई बार आगाह कर चुका है कि देष के अंदर अपने आतंकियों से वह तौबा कर ले अन्यथा कार्यवाही वह स्वयं करेगा। इससे भारत को एक मनोवैज्ञानिक बढ़त मिलती है परन्तु जब चीन राश्ट्रीय सुरक्षा परिशद् में पाकिस्तान आतंकियों पर वीटो करता है तो पाक का मनोबल खा-मखा बढ़ा देता है। फिलहाल भारत के कुछ सीधे तो कुछ छुपे हुए दुष्मन भी हैं। सही कूटनीति का प्रयोग कर निपटना तो भारत को ही पड़ेगा। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी आतंकवादी देष पाकिस्तान को दुनिया से अलग-थलग करने में काफी हद तक कामयाबी प्राप्त की है। बावजूद इसके लड़ाई अधूरी है और यह तब पूरी होगी जब हमारे जवान सीमा पर षहीद नहीं होंगे। 




सुशील कुमार सिंह
निदेशक
वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन आॅफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 
डी-25, नेहरू काॅलोनी,
सेन्ट्रल एक्साइज आॅफिस के सामने,
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फोन: 0135-2668933, मो0: 9456120502
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