Sunday, January 10, 2016

अपनी ही ज़मीन पर लड़ना पड़ता है युद्ध

जब दर्द में डूबा पठानकोट
पिछले ढ़ाई दषक से मुम्बई, दिल्ली समेत भारत के कई स्थानों पर आतंकी हमले होते रहे। बीते 2 जनवरी पठानकोट भी इसकी जद में आया। सीमा पार से आए आत्मघाती आतंकियों का आधा दर्जन समूह यहां तबाही का खौफनाक खेल खेला। एक अरसे से यह दावा किया जा रहा है कि देष की सीमाओं को विषेशतः पाकिस्तान और बांग्लादेष से लगती हुई सीमा को अमेद्य बनाया जायेगा पर आज तक इस पर कोई गम्भीर कार्य षायद ही हुआ हो। ये सीमाएं कहीं अधिक लम्बी होने के साथ-साथ नदी, नालों की सघनता से भी युक्त हैं जिसके चलते ऐसे इलाकों से घुसपैठ रोकना भी काफी हद तक कठिन बना रहता है मगर इसका तात्पर्य यह नहीं कि विकट परिस्थितियों के चलते सीमा सुरक्षा को लेकर कोई जोखिम लिया जाए। पठानकोट के एयरफोर्स बेस में छिपे सभी आतंकियों को मारने में चार दिन से अधिक वक्त लगा और देष ने सात जाबांज आर्मी आॅफिसर और जवानों को भी खो दिया जिनके घर आज भी मायूसी पसरी है। यह कैसी मजबूरी है कि पाक प्रायोजित आतंक से भारत को बार-बार जूझना पड़ता है। पाकिस्तानी आकाओं के इषारे पर कुछ दहषतगर्द देष में बार-बार घुस आते हैं और हमें अपनी ही जमीन पर ऐसे दुष्मनों से युद्ध लड़ना पड़ता है।
सीमा पार के आतंकी स्कूल
पिछले वर्श जनवरी में ही जमात-उद-दावा समेत 12 आतंकी संगठनों को लेकर पाकिस्तान प्रतिबंध वाले इरादे तक ही सीमित रह गया। संयुक्त राश्ट्र सुरक्षा परिशद् ने मुम्बई आतंकी हमले के तुरन्त बाद दिसम्बर 2008 में जमात-उद-दावा को आतंकी संगठन घोशित किया था। तब पाकिस्तान ने अन्तर्राश्ट्रीय दबाव के चलते इसे छः माह के लिए नजरबंद कर दिया था। उसके बाद से इसका मुखिया हाफिज़ सईद खुले आम घूमता है और भारत के खिलाफ जहर बोता है। जब से अंडर वल्र्ड डाॅन छोटा राजन इंडोनेषिया से गिरफ्तार हुआ है आतंकियों समेत पाकिस्तान की भी नींद उड़ी हुई है। देखा जाए तो पाकिस्तान भारत से लड़ने के लिए जिहादियों को, मुजाहिदीनों को और अपनी सेना को ही तैयार नहीं किया है बल्कि दहषतगर्दी के कई स्कूलों को भी संरक्षण दिया है जिनकी तादाद लगातार बढ़ रही है। जिसमें हाफिज़ सईद, लखवी और मसूद जैसे मास्टरमाइंड आचार्य और प्राचार्य बने हुए हैं। पठानकोट के मामले में आतंकी सीमा पार के थे बाकायदा इसका सबूत भारत ने पाकिस्तान सरकार को पहुंचा दिया है जिसे लेकर पाकिस्तान कुछ करते हुए दिखाई तो दे रहा है पर पाकिस्तान जिस सोच का है उम्मीद कम ही है। इसके पूर्व भी मुम्बई सहित कई आतंकी घटनाओं में षामिल दाऊद इब्राहिम, हाफिज़ सईद और लखवी से जुड़े सबूत भी दिये जा चुके हैं पर पाकिस्तान कार्रवाई के बजाय भारत को चकमा देता रहा।
भरोसे में भारत
बीते एक हफ्ते से पठानकोट को लेकर चर्चा और विमर्ष काफी जोर पकड़े हुए है। इस घटना को बीते 25 दिसम्बर को अकस्मात् मोदी का लाहौर पहुंचने और नवाज़ षरीफ से हुई मुलाकात से भी जोड़ा जा रहा है। नवम्बर, 2014 के काठमाण्डू सार्क सम्मेलन से लेकर बात बिगड़ने वाला सिलसिला रूस के उफा में उफान पर आया जब आतंकियों के मामले में मोदी से जो वादा षरीफ ने किया इस्लामाबाद जाकर पलट दिया पर 30 नवम्बर, 2015 षुरू पेरिस में जलवायु परिवर्तन के दौरान दो मिनट की मुलाकात ने सम्बंधों को एक नया रास्ता दिया। विदेष मंत्री सुशमा स्वराज दिसम्बर, 2015 में तुरंत इस्लामाबाद गयी और भारत ने बड़ी सूझबूझ दिखाई। दरअसल भारत पड़ोसी के साथ सम्बंध को लेकर निहायत संवेदनषील रहा है पर लाहौर में हुई मुलाकात का एक सप्ताह भी नहीं बीता था कि पठानकोट आतंकियों की चपेट में आ गया जिसकी जवाबी कार्रवाई में बेहिसाब रक्त बहा और अपने लोगों की जान गयी।
हमारी भी साख है
सवाल है कि क्या हम भीरू लोगों के देष में रहते हैं? हमने जमाने से आक्रमण सहे हैं, कीमत चुकाई है पर इसका तात्पर्य यह कहीं से नहीं कि आज की सभ्यता से भरी दुनिया में भी दहषतगर्दी बर्दाष्त करते जायें। षान्ति वार्ता का प्रतीक भारत जितना बन पड़ा पाकिस्तान को साथ लेकर चलने का प्रयास किया अब बारी पाकिस्तान की है। नवाज़ षरीफ के भरोसे पर कितना भरोसा किया जाए सवाल इसका भी है। यदि नवाज़ षरीफ भारत के दिये गये सबूतों पर सकारात्मक रूख अख्तियार करने में सक्षम होते हैं तो हर हाल में इसका लाभ वे स्वयं भोगेंगे। इससे न केवल पाकिस्तान से वैष्विक दबाव कम होगा बल्कि भारत-पाक के बीच नये सिरे से षुरू होने वाली वार्ता को भी टूटन से बचाया जा सकेगा।
अब पाकिस्तान के एक्षन पर होगा भारत का रिएक्षन
भारत ने अब यह तय कर लिया है कि आगे बातचीत तभी होगी जब पाकिस्तान पठानकोट के मसले पर दिये गये सबूतों पर कार्यवाही करेगा। गौरतलब है कि इसी माह की 15 तारीख को विदेष सचिव स्तर की वार्ता इस्लामाबाद में प्रस्तावित है जो अधर में लटकी हुई मानी जा सकती है। अब गेंद पाकिस्तान के पाले में है यदि पाकिस्तान ऐसी कोई कार्यवाही आतंकियों पर करता है जिसकी अपेक्षा भारत को है तो बेषक भारत सिलसिले को आगे बढ़ाने में पीछे नहीं हटेगा। दो टूक में भारत ने पाकिस्तान को यह भी चेता दिया है कि उसे ही भविश्य का रास्ता तय करना है और आतंकवाद किसी भी कीमत पर बर्दाष्त नहीं किया जायेगा। भारत ने पाकिस्तान को चार हैंडलर्स के नाम सौंपते हुए कहा है कि इन्हें जल्द गिरफ्तार करके सौंपने को भी कहा है। इन चार हैंडलर्स में षामिल अजहर मसूद पठानकोट के हमले का मास्टरमाइंड है। यह वही अजहर मसूद है जिसकी 1999 में एयर इण्डिया विमान अपहरण काण्ड में चार आतंकियों के साथ कंधार से विमान छोड़ने के बदले में रिहाई हुई थी। मसूद के अलावा अब्दुल रऊफ असगर, अषफाक अहमद और कासिम ने मिलकर पठानकोट की साजिष रची थी। इस बार भारत जिस प्रकार प्रतिक्रिया करने के अंदाज में है उसे देखते हुए पाकिस्तान की बौखलाहट बढ़ना लाज़मी है। इस्लामाबाद में पठानकोट को लेकर नवाज़ षरीफ का एक्षन मोड दिखा है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने लगातार दो दिन उच्च स्तरीय बैठक कर अपने अधिकारियों को निर्देष दिया है कि भारत से मिले सबूतों पर तेजी से काम करें। हालांकि भारत को सहयोग देने का उसके द्वारा दिया गया भरोसा फिलहाल तभी विष्वास के लायक होगा जब कुछ नतीजे सामने दिखेंगे। सबके बावजूद यदि पाकिस्तान कोई चूक करता है और भारत के दिये गये सबूतों को नजरअंदाज करता है तो उसे निःसंदेह एक बार फिर आतंक के पक्षकार के तौर पर ही देखा जायेगा।
सवाल उठता है
    क्या पाकिस्तान पठानकोट के हमले को लेकर भारत की अपेक्षाओं पर खरे उतर पायेंगे जबकि आईएसआई और आतंकी संगठनों पर लगाम लगाने में वे स्वयं बरसों से विफल रहे हैं।
    क्या षरीफ, मोदी की चिंता से स्वयं को सच्चे मन से जोड़ने वाला मंसूबा भी रखते हैं।
फिलहाल गेंद पाकिस्तान के पाले में
    विदेष मंत्रालय के प्रवक्ता ने साफ किया है कि वार्ता पर गेंद अब पाकिस्तान के पाले में है। यदि पाकिस्तान इस पर एक सफल कदम उठाता है तो वैष्विक स्तर पर न केवल स्वयं पर से दबाव कम करेगा बल्कि भारत के मामले में वार्ता को भी टूटने से बचा सकता है।
भारत को पाक से कार्रवाई का इंतजार
    बीते 7 और 8 जनवरी को लगातार दो दिन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने पठानकोट के मामले पर उच्च स्तरीय बैठक की। त्वरित और निर्णायक कार्रवाई को लेकर नवाज़ षरीफ एक्षन मोड में तो दिख रहे हैं पर इसके पूरा होने और अपेक्षानुरूप नतीजे का भारत बेसब्री से इंतजार कर रहा है।



लेखक, वरिश्ठ स्तम्भकार एवं रिसर्च फाॅउन्डेषन आॅफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेषन के निदेषक हैं
सुशील कुमार सिंह
निदेशक
प्रयास आईएएस स्टडी सर्किल
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