Wednesday, November 6, 2019

नये ट्रैफिक नियम से सड़क सुशासन की चाह

 भारत में हर साल लाखों लोागो की मृत्यु रोड़ एक्सीडेंट के कारण होती हैं। जिसकी सबसे बडी वजह टैªफिक नियमों का ज्ञान न होने के साथ-साथ खतरनाक ड्राइविंग को माना जा   सकता हैं। विष्व स्वास्थ्य संगठन की 2018 की रिपोर्ट भी कहती हैं कि दुनिया भर में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाऐं भारत में ही होती हैं। यहाॅ तक कि सर्वाधिक आबादी वाला देष चीन इस माामले में पीछे हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय भी 2017 की रिपोर्ट भी यह पुश्टि करती हैं कि सड़क कानूनों की सही नीयत से लागू कर लाखों की जान बचायी जा सकती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक हर साल लगभग 5 लाख से अधिक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं जिसमें लाखों बेमौत मारे जाते हैं ताजा आंकड़ा इससे भी ज्यादा हैं। लगातार बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं और उनके परिणाम स्वरूप होने वाले मौतों को रोकने के लिए सरकार ने 16 जुलाई को मोटर व्हीकल संषोधन विधेयक लोक सभा में पेष किया। जिसका मुख्य उद्देष्य नियमों को कड़ा बनाना तथा इसके लिए केन्द्र सरकार को अधिक अधिकार देना षामिल रहा हैं। साथ ही इस अधिनियम में उन तमाम पहलुओं को भी समेटा गया हैं जिनकी वजह से सड़क  दुर्घटनाओं की आषंका बढ़ती हैं जैसे कि घटिया सड़क बनाने वाले ठेकदारों एवं निम्न स्तरीय कलपुर्जों का इतेमाल करने वाले वाहन निर्माता। 
नया व्हीकल एक्ट बीते 1 सितम्बर से पूरे देष में लागू हो गया जिसमें जुर्माने की राषि कई मामलों में 10 गुना तक कर दी गई हैं। इस उम्मीद में कि आर्थिक दबाव के चलते वाहन चालक होषोहवास में रहेंगे और दुर्घटनाएं थमेंगी। हालांकि मध्यप्रदेष और पंजाब जैसे राज्य अभी इसे नहीं लागू करने का फैसला किया हैं। इसके पीछे जुर्माने की राषि का अधिक होना भी हो सकता हैं साथ ही ये दोनों राज्य भाजपा षासित नहीं हैं। 10 गुना चालान के पीछे तर्क हैं कि इससे वाहन चालाक सड़क पर अनुषासन में रहेंगे ही साथ ही ट्रैफिक नियमों का पालन करने के लिए भी बाघ्य होंगे परिणाम स्वरूप सड़क दुर्घटनाऐं भी घटेगी। गौरतलब है कि नये नियम में आर्थिक दृश्टि से कहीं अधिक सक्त बनाये गये हैं। चूंकि जुर्माने की राषि भारी पैमाने पर हैं ऐसे में कईयों की गलतियां उनके भौतिक जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर सकती हैं। यह आरोप पूरी तरह समुचित नहीं कि सरकार ने मनमाने ढंग से अपनी वित्तीय षक्ति बढाने के लिए वाहन चालकों से उगाही करने का मन बनाया हैं। मगर भारी भरकम जुर्माना यह सवाल जरूर खडा करता हैं कि बिना सडक और ट्रैफिक जागरूकता फैलाये ऐसे फैसले कईयों के लिए मुसीबत का सबब बन सकते हैं। देष के कई हिस्सों से यह खबर है कि वाहन चालकों को भारी भरकम जुर्माने का सामना करना पड़ रहा हैं जिसके चलते प्रषासन और जनता के बीच समन्वय और संबंध अब आक्रोष का रूप ले रहा हैं। वैसे भी देष में हर चैथा व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे हैं और इतना ही अषिक्षित भी। इतना ही नहीं जहाॅं गरीबों को रसोई गैस के सेलेण्डर करोडों की संख्या में मुफ्त दिये जाते हो और गेंहू चावाल भी सस्ते दरों पर उपलब्ध कराये जाते हो उन्हीं की सड़क पर चलने वाली एक गलती 10 गुने चालान की चपेट में ले सकती हैं और उनके जीवन को तहस-नहस कर सकती हैं। हालंकि अमीर हो या गरीब नियम का पालन सभी के लिए आवष्यक हैं।  
           अब यह भी समझना सही रहेगा कि नये मोटर व्हीकल संषोधन एक्ट में जुमाने की राषि कहां कितनी और किसी पैमाने पर तय की गयी हैं। इसकी षुरूआत वहांॅ से करते हैं जहाॅ  वाहन चलाने का अधिकार ही प्राप्त नहीं हैं। गौरतलब हैं कि नाबालिग के गाड़ी चलाने पर जुर्माना 25 हजार हैं जो एक भारी भरकम दण्ड हैं। साथ ही गाड़ी का रजिस्ट्रेषन भी रद्द हो जायेगा और उसका ड्राइविंग लाइसेंस 25 साल तक नहीं बनेगा। जाहिर हैं कि यहाॅं कोई एतराज नहीं होना चाहिए। बिना हेलमेट दुपहिया वाहन चालकों से अब 5 सौ से 15 सौ रूपये के बीच वसूली की जायेगी जो पहले एक सौ से तीन सौ रूपये के बीच था। यदि यही वाहन 3 सवारियों से युक्त होगी और पॅाल्यूषन सर्टिफिकेट नहीं होगा तो 5-5 हजार रूपये का अतिरिक्त जुर्माना वसूला जायेगा। गाड़ी चलाते समय फोन पर बात करना और खतरनाक ड्राइविंग के लिए जुर्माने की राषि भी एक हजार से पाॅच हजार कर दी गई हैं इतना ही नहीं गलत दिषा में ड्राइविंग करने पर अब 11 सौ के बजाय 5 हजार देने होगें । रेड लाइट जम्प करने की स्थिति में जुर्माना पहले एक सौ रूपये था अब वह 10 हजार कर दिया गया हैं। बिना सीट बेल्ट और षराब पीकर गाड़ी चलाने पर जुर्माने की राषि पर भी भारी भरकम वृद्धि कर दी गयी हैं। इमरजेंसी गाडियां मसलन एम्बुलेन्स और दमकल को साइड ना देने पर जुर्माने की राषि 10 हजार निष्चित की गयी हैं। इसके अलावा भी कई ऐसे टैªफिक नियम हैं जिस पर जुर्माने की राषि आसमान छू रही हैं। 
       सरकार का इरादा भले ही  भारी भरकम जुर्माने के चलते वाहन चालाकों को पटरी पर लाने का हो पर बिना सडक और टैªफिक व्यवस्था को दुरूस्त किये केवल उगाही पर जोर देना कई सवाल खडे करता हैं। सवाल यह भी हैं कि क्या पहले लगाये गये जुर्माने की राषि कम थी या फिर वाहन चालकों में जागरूकता का आभाव था जो अब अधिक जुर्माने के कारण समस्या हल हो जायेगी। विन्यास से युक्त अवधरणा यह भी हैं कि अधिक जुर्माना वाहन चालाकों में अधिक डर का प्रवेष करायेगा। फलस्वरूप नियमों का पालन करने के प्रति वे आतुर होंगे मगर इसे जनता पर थोपी गयी मात्र एक तरफा जिम्मेदारी ही कही जायेगी। जब जुर्माना इतना अधिक हैं कि इसकी भरपाई करने वाले की बुनियाद हिल जाएं तो फिर ऐसे में सड़क से लेकर लाल बत्ती और डिवाइडर से लेकर पैदल चलने तक के मार्ग के साथ सड़क पार करने को लेकर दी जाने वाली सुरक्षा के प्रति क्या सरकार की जिम्मेदारी नही हैं। बेषक सरकार सड़क परिवहन से लेकर टैªफिक दुरूस्त करने के लिए जिम्मेदार हैं परन्तु इस नियम को लागू करने से पहले क्या एक से तीन महीने जागरूकता अभियाान नहीं चलाना चाहिए। लोकतंत्र में लोक कल्याण से भरे सरकार का यह दायित्व हैं कि अपने नागरिकों के प्रति संवेदनषील रहे और उनकी आर्थिक प्रगति को लेकर कहीं अधिक उदार रहें। साथ ही इंस्पेक्टर राज को कम करने का प्रयास करें। पर जुर्माने की राषि देखकर थोड़ी आषंका बढ़ जाती हैं। फिलहाल नये ट्रैफिक नियम में दर्जनभर से अधिक प्रकार के जुर्माने की फैहरिस्त है जो 5 सौ से लेकर 25 हजार रूपये तक की देखी जा सकती हैं। देखा जाये तो सरकार और प्रषासन को केवल चालान काटने के लिए ही नहीं आतुर रहना चाहिए बल्कि एक अच्छे नीयत के साथ लोगों को टैªफिक चेतना भी बांटनी चाहिए। व्यापक पैमाने पर वाहन चालक चेतना मूलक बने इसकी जवाबदेही जनता के साथ प्रषासन की भी तय होनी चाहिए। जनता जनाधिकार रखती हैं इस नाते उसका षोशण करने की बजाय नियम संगत विधा को ही रोपित किया जाना चाहिए और आर्थिक भार से इतना ना लादें की उसका जीवन ही दूभर हो जाये।  


सुशील कुमार सिंह
निदेशक
रिसर्च फाॅउन्डेशन ऑफ़  पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 
एवं  प्रयास आईएएस स्टडी सर्किल
डी-25, नेहरू काॅलोनी,
सेन्ट्रल एक्साइज ऑफिस के सामने,
देहरादून-248001 (उत्तराखण्ड)
फोन: 0135-2668933, मो0: 9456120502
ई-मेल: sushilksingh589@gmail.com

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