Monday, September 4, 2017

छोटे देश का बड़ा दुस्साहस

अमेरिकी राष्ट्रपति  डोनाल्ड ट्रंप के तमाम नसीहत और धमकी के बावजूद उत्तर कोरिया ने वो कर दिखाया जिसकी उम्मीद दुनिया के किसी देश को नहीं रही होगी। गौरतलब है कि अमेरिका, जापान और चीन समेत पूरी दुनिया की हिदायतों को दरकिनार करते हुए उत्तर कोरिया ने रविवार को छठा परमाणु परीक्षण कर दिया। इस बार उसने हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया है जो परमाणु बम की तुलना में सैकड़ों गुना अधिक ताकतवर होता है। उत्तर कोरिया के इस दुस्साहस के चलते वैष्विक फलक पर यह चर्चा अब आम है कि आखिर ऐसी मनमानी का क्या उपचार हो। वैसे देखा जाय तो निडर उत्तर कोरिया ने पहले ही कई बार दुस्साहस का परिचय देते हुए दुनिया के माथे पर बल ला चुका है। संयुक्त राश्ट्र की सुरक्षा परिशद् की बंदिषें कई बार इस पर थोपी गई बावजूद इसके यहां के तानाषाह किम जोंग को काबू करना तो छोड़िए इसके दुस्साहस का कोई तोड़ नहीं ढूंढ़ा जा सका। वैष्विक कूटनीति और संसार के रक्षा मामलों को गम्भीर वर्णन की ओर मोड़ा जाय तो मामला अब प्रतिबंधों तक ही सीमित न होकर वैष्विक समुदाय से उत्तर कोरिया को अलग-थलग करना ही एक मात्र रास्ता दिखाई देता है। हालांकि यह भी षायद स्थायी हल नहीं है क्योंकि इससे दुनिया का खौफ खत्म होता नहीं दिखाई देता। कहा जाय तो जब तक यहां के तानाषाह किम जोंग को सबक नहीं सिखाया जायेगा तब तक वह दुनिया की चिंता को समझ नहीं पायेगा। गौर करने वाली बात यह भी है कि इन दिनों अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच युद्ध जैसी स्थिति बनी हुई है। बावजूद इसके उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण से यह साफ है कि फिलहाल उसे किसी धमकी का असर बिल्कुल नहीं है। इतना ही नहीं अभी चंद दिनों पहले ही उसके द्वारा दागी गयी एक मिसाइल जापान के ऊपर से गुजरी थी जिसे लेकर चर्चा अभी षांत नहीं हुई थी कि एक और परीक्षण करके उसने दुनिया को फिलहाल थर्रा दिया है। हाइड्रोजन बम के परीक्षण के दौरान चीन, जापान, दक्षिण कोरिया व रूस समेत कई देषों मंे 6.3 रिएक्टर पैमाने पर भूकम्प दर्ज किया गया। गौरतलब है कि चीन में बीते 3 सितम्बर से ही ब्रिक्स देषों की बैठक आरंभ हुई और प्रधानमंत्री मोदी भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। जाहिर है उत्तर कोरिया के इस कृत्य का प्रभाव ब्रिक्स की बैठक पर भी पड़ेगा। परिप्रेक्ष्य और दृश्टिकोण यह भी है कि यह बम 9 अगस्त 1945 को नागासाकी पर गिरे बम से पांच गुना ज्यादा षक्तिषाली तो है ही इसके अलावा इसे मिसाइल से भी दागना पूरी तरह सम्भव है। 
क्या उत्तर कोरिया का परमाणु हथियार आखिरी लक्ष्य है। किम जोंग के 2011 में सत्ता में आने के बाद से उसका पूरा ध्यान सैन्य आधुनिकीकरण पर है। फलस्वरूप तभी से परमाणु हथियार को लेकर मनमानी भी अधिक हुई है। वैसे उत्तर कोरिया में परमाणु आकांक्षा 1960 के दषक से ही देखी जा सकती है। यह चाहत न केवल अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया के खिलाफ है बल्कि वह ऐतिहासिक साझेदार चीन और रूस पर निर्भरता से भी मुक्त होने के चलते है। तो क्या यह मान लिया जाय कि उत्तर कोरिया का तानाषाह किम जोंग तमाम प्रतिबंधों और धमकियों के बावजूद विध्वंसक मनमानी करता रहेगा। क्या उत्तर कोरिया का कोई इलाज है? जिस तर्ज पर अमेरिका ने उत्तर कोरिया को धमकाया और सबक सिखाने की बात कही क्या उसका असर उस पर हुआ। परीक्षण इस बात के सबूत हैं कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। उत्तर कोरियाई मिसाइलों की रेंज पर एक दृश्टि डाली जाय तो साफ है कि चीन के बीजिंग से लेकर जापान के टोकियो समेत सिंगापुर, सिडनी, सैनफ्रांसिस्को और 10 हजार किलोमीटर हवाई तक इसकी पहुंच है। बीते 3 सितम्बर के परमाणु परीक्षण को जोड़ कर अब तक 6 परमाणु परीक्षण करने वाला उत्तर कोरिया विध्वंस की मानो भट्टी पर बैठा है। जब 9 अक्टूबर 2006 को इसने पहला भूमिगत परमाणु परीक्षण किया था तब दुनिया के तमाम देषों की चिंता बढ़ा दी थी। इस दौरान 4.3 तीव्रता का भूकम्प दर्ज किया गया था। बामुष्किल तीन साल भी नहीं बीते थे तभी उसने मई 2009 में एक बार फिर परमाणु परीक्षण करके दुनिया में अपने खौफ के प्रति सघनता बढ़ा दी। सिलसिला यहीं नहीं रूका फरवरी 2013 में एक बार फिर परमाणु परीक्षण उत्तर कोरिया ने किया। हद तब हो गयी जब वर्श 2016 में 6 जनवरी और 9 सितम्बर को उसने परमाणु परीक्षण करके सारी सीमायें लांघ दी। हालांकि इस दौरान संयुक्त राश्ट्र की सुरक्षा परिशद् ने इस पर प्रतिबंध भी लगाये पर उत्तर कोरिया का तानाषाह किम जोंग अपनी सनकपन से कभी पीछे नहीं हटा। देखा जाय तो वर्श 2006 से 2017 के बीच आधा दर्जन बार परमाणु परीक्षण और बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण करके उत्तर कोरिया दुनिया के लिए न केवल चुनौती खड़ा किया है बल्कि दुनिया की रत्ती भर भी चिंता नहीं करता इसे भी बार-बार दिखाया है। 
क्षेत्रफल और जनसंख्या की दृश्टि से विष्व के कई छोटे देषों में षुमार उत्तर कोरिया वैष्विक नियमों को दरकिनार करते हुए अपने निजी एजेण्डे को तवज्जो दे रहा है। इसकी प्राथमिकता है कि वह मिसाइल और परमाणु परीक्षण जारी रखे ताकि युद्ध की स्थिति में उसके पास पर्याप्त प्रतिरोधक क्षमता हो। उत्तर कोरिया अक्सर लीबिया और इराक जैसे देषों का उदाहरण देता है और उसका मानना है कि यदि वे क्षमताषील होते तो उनका हश्र ऐसा न होता। वह लगातार अमेरिका की निंदा भी करता रहा है। उसके मुताबिक अमेरिका किम जोंग की सरकार का सिर कलम करने की कोषिष कर रहा है। दो टूक यह भी है कि अमेरिका, रूस, ब्रिटेन समेत चीन और फ्रांस हाइड्रोजन बम की फहरिस्त में पहले से षामिल है तो क्या अब उत्तर कोरिया भी इसमें षुमार हो गया है। विष्लेशकों का मानना है कि यह सम्भव है कि उत्तर कोरिया परमाणु हथियारों के दम पर दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था और जनसंख्या को चुनौती दे साथ ही अमेरिका के गले की हड्डी भी बने। गौरतलब है कि अमेरिका और उत्तर कोरिया कहीं न कहीं युद्ध के मुहाने पर भी खड़े हैं पर असल चिंता यह है कि जिस सीटीबीटी और एनपीटी सहित कई कार्यक्रमों के सहारे परमाणु हथियारों की रोकथाम के लिए बीते पांच दषकों से तमाम कोषिषें की जा रही हैं आखिर उसका क्या होगा। परमाणु बम की होड़ में दुनिया को खड़ा करके उत्तर कोरिया बड़े अपराध को न्यौता फिलहाल बरसों से देने में लगा है। सभ्य दुनिया का चेहरा ऐसा तो नहीं होता जैसा वहां के तानाषाह किम जोंग का है और सहने की सीमा भी इतनी नहीं होती जैसे कि षेश दुनिया इन दिनों तमाषबीन बनी हुई है। उत्तर कोरिया के अब इस दुस्साहस के बाद रूस ने षान्त रहने का आग्रह किया। भारत ने भी षान्ति की अपील की, अमेरिका और जापान ने लगाम लगाना जरूरी बताया साथ ही उत्तर कोरिया को षह देने वाला चीन भी इस पर एतराज जताया है पर सवाल इस बात का है कि बात तो इससे आगे निकल चुकी है। जो दुनिया परमाणु हथियारों का समाप्त करने की मनसूबा रखती है उसी में से एक अदना सा देष अगर इसकी होड़ विकसित करे तो क्या रास्ता अपनाया जाय। इस पर अभी कुछ भी स्पश्ट नहीं है। यह बात अक्सर कही जाती रही है कि मामले कूटनीति से निपटाये जायेंगे पर उत्तर कोरिया षायद इसकी परिभाशा और व्याख्या से भी अछूता है। फिलहाल दुनिया के मानचित्र में छोटा दिखने वाला उत्तर कोरिया बड़ा दुस्साहस दिखाकर सभी को एक बार फिर बेचैन कर दिया है। 

सुशील कुमार सिंह
निदेशक
वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन  आॅफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 
डी-25, नेहरू काॅलोनी,
सेन्ट्रल एक्साइज आॅफिस के सामने,
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