Monday, September 25, 2017

आईने पर दोष मढ़ता स्याह पाकिस्तान

जब भारत समेत दुनिया के तमाम देष संयुक्त राश्ट्र के मंच पर अपनी खूबियां गिना रहे थे तो उसी मंच से पाकिस्तान दुनिया को फर्जिस्तान होने का सबूत भी दे रहा था। कह सकते हैं कि आतंकवाद समेत पाकिस्तान से जुड़े कई मुद्दों पर भारतीय विदेष मंत्री सुशमा स्वराज के जोरदार जवाब से तिलमिला कर पाकिस्तान ने यहां भी ओछी हरकत कर दी। सुशमा स्वराज ने जिस भांति भारत का पक्ष रखा उसका विरोधी भी समर्थन कर रहे हैं। जिस तेवर के साथ भारतीय विदेष मंत्री ने संयुक्त राश्ट्र में भारत की उपलब्धियों को पाकिस्तान की तुलना में परोसा उसे देखते हुए पाकिस्तान को कुछ तो करना ही था पर राइट टू रिप्लाई के अंतर्गत जवाब देते हुए पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने कष्मीर के मसले पर भारत की खामियां बताने की फिराक में दुनिया को गुमराह कर दिया। इतना ही नहीं उस पाकिस्तान को जो दुनिया को अपने फरेब से भ्रमित करता रहा है संयुक्त राश्ट्र के मंच पर भी फरेबी सिद्ध हुआ। दरअसल मलीहा लोधी ने भारत पर कष्मीर में मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाते हुए एक लड़की की तस्वीर दिखाई जिसके पूरे चेहरे पर जख्म के निषान देखे जा सकते हैं। इस दावे के साथ कि यही भारतीय लोकतंत्र का चेहरा है परन्तु उनकी यह करतूत पाकिस्तान के दामन को ही अन्तर्राश्ट्रीय स्तर पर दागदार बना दिया। इन दिनों यह तस्वीर समाचार पत्रों एवं टेलीविजन में सुर्खियां लिए हुए हैं। वास्तविकता यह है कि पाकिस्तान की स्थाई प्रतिनिधि जो तस्वीर दिखा रही थी वह कष्मीर से हजारों किलोमीटर दूर गाजा पट्टी के एक अस्पताल में इलाज कराते समय ली गयी एक फिलिस्तीनी राव्या अबू जोमा की थी जो 2014 में इज़राइल के हमले से घायल हुई थी। इस तस्वीर को कैमरे में कैद करने वाले फोटो पत्रकार हेइदी लेवाइन थे जिन्हें गाजा पट्टी में खींची गई तस्वीरों के लिए इंटरनेषनल वूमन मीडिया फेडरेषन ने पुरस्कृत भी किया था। 
फिलहाल पाकिस्तानी प्रधानमंत्री अब्बासी संयुक्त राश्ट्र में दिये 20 मिनट के भाशण में 17 बार कष्मीर और 14 बार भारत का नाम लेते हुए भारत के प्रति जहर उगलने के सिलसिले को बरकरार रखा। गौरतलब है कि पिछले वर्श जब नवाज़ षरीफ यहां प्रधानमंत्री की हैसियत से आये थे तब भी उन्होंने भारत के खिलाफ जहर उगला और कष्मीर को लेकर न केवल अपने विकृत मानसिकता का परिचय दिया बल्कि भारत के चेहरे को भी विकृत बनाने की कोषिष की थी। दुनिया जानती है कि पाकिस्तान का फरेब प्रति वर्श की दर से लगातार बढ़त बनाये हुए है और भारत के पास इस बात के प्र्याप्त आधार रहे हैं कि पाकिस्तान ने भारत को आतंकियों के माध्यम से आये दिन चोट पहुंचाई है। बावजूद इसके पाकिस्तान पर लगाम लगाना पूरी तरह सम्भव नहीं हुआ है। अमेरिका की ओर से दी जाने वाली आर्थिक सहायता को न रोक पाना भी पाकिस्तान के मनोबल को षिकस्त न मिल पाना रहा है। कई मौकों पर पाकिस्तान को अमेरिकी राश्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खरी-खोटी सुनाई। आतंक के मामले में तो ट्रंप ने पाकिस्तान को वह सब कहा जो पहले कभी नहीं कहा गया परन्तु पाकिस्तान अपने आप में कोई सुधार नहीं कर रहा है। दो टूक यह भी है कि अमेरिका जैसे धमकी देने वाले देष इसलिए भी कोरे सिद्ध हो रहे हैं क्योंकि जमीन पर वे भी कुछ करते दिखाई नहीं दे रहे हैं। फलस्वरूप आतंक के मामले में अमेरिका की धौंस पाकिस्तान केवल लफ्बाजी मान रहा है और सबूतों के बावजूद सुरक्षा परिशद् में चीन के वीटो के चलते उसका भारत भी कुछ खास बिगाड़ नहीं पा रहा है। स्पश्ट है कि फरेब के मार्ग पर चलने वाला पाकिस्तान अभी भी दुनिया को अपने जाल में कुछ हद तक फंसाये हुए है जिसमें चीन जैसे देष पाकिस्तान का साथ देकर भारत को हाषिये पर धकेलने की कोषिष में लगे हुए हैं। अजहर मसूद और लखवी के मामले में चीन की करतूत से सभी वाकिफ हैं। 
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री अब्बासी इस्लामाबाद से कष्मीर को किस चष्मे से देखता है और भारत के लोकतांत्रिक चेहरे को किस आईने में झांकता है बता पाना बड़ा मुष्किल है। संयुक्त राश्ट्र के भीतर जब उन्होंने यह कहा कि भारत ने कष्मीरियों के संघर्श को कुचलने के लिए 7 लाख सैनिकों को यहां तैनात किया है तो उनकी कोरी बकवास एक बार फिर उजागर हो गयी। इतना ही नहीं यह भी आरोप मढ़ दिया कि भारत सुरक्षा परिशद् के प्रस्ताव को लागू करने से इंकार कर रहा है जबकि पाकिस्तान अपने गिरेबान में झांके तो उसको यह पता चल सकता है कि संयुक्त राश्ट्र ने स्वयं कहा है कि कष्मीर भारत का अभिन्न अंग है और संयुक्त राश्ट्र ने उस प्रस्ताव में पहले पाकिस्तान को अपनी सेना हटाने की बात कही है। अब्बासी का यह कहना कि कष्मीर मुद्दे को न्यायसंगत, षान्तिपूर्ण और तेजी से निपटाना चाहिए परन्तु भारत पाकिस्तान से षान्ति वार्ता के लिए तैयार नहीं है। दुनिया जानती है कि मात्र तीन वर्शों के इतिहास में ही प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तर्ज पर पाकिस्तान के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाया और जिस तरह एक सच्चे और अच्छे पड़ोसी होने का कत्र्तव्य निभाया इस उदारता को पाकिस्तान बेजा इस्तेमाल किया। सभी जानते हैं कि मोदी ने 25 दिसम्बर 2015 को लाहौर जाने का जो जोखिम लिया था वो षायद ही कोई षीर्शस्थ सत्ताधारियों ने कभी किया हो। अन्तर्राश्ट्रीय मंचों पर जिस प्रकार भारत ने पाकिस्तान को तवज्जो दिया और आतंक के मुद्दे पर जिस प्रकार पाकिस्तान ने भारत से वायदे किये उसको कभी उसने निभाया ही नहीं। कभी पठानकोट तो कभी उरी में हमले करके साथ ही सीमा पर आये दिन आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देकर भारत की भावनाओं से वह खेलता रहा और अपने फरेबी नीयत के साथ दुनिया को भी इस धोखे में रखने की कोषिष करता रहा कि आतंक का मारा तो वह स्वयं है। पाकिस्तान यह भूल गया कि जहर का पेड़ लगाओगे तो फल भी जहर का ही होगा। जैष-ए-मोहम्मद, जमात-उद-दावा से लेकर हक्कानी नेटवर्क तक की लहलहाती खेती पाकिस्तान की जमीन में अंदर तक है। विदेष मंत्री सुशमा स्वराज ने भारत के आईआईटी और आईआईएम की तुलना इन्हीं आंतकी संगठनों से किया। सुशमा स्वराज ने जिस तर्ज पर तुलना किया उसमें दर्जनों बातें हैं और जिसके एक-एक अक्षर सही है। 
भारत और पाकिस्तान के संयुक्त राश्ट्र के मंच पर दिये गिये भाशण की बारीक पड़ताल की जाय तो दोनों की नीयत का भी खुलासा होता है। सुशमा स्वराज ने भाशण का आरंभ विष्व में पनपे वर्तमान संकटों से किया। समाधान कैसे होगा तथा विष्व कल्याण के सम्बंध में भारत क्या सोचता है? आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, बेरोजगारी, गरीबी, भुखमरी, समेत पलायन व साइबर खतरे जैसे तमाम संकट की चर्चा की। दुनिया के नेताओं को यह जताने की कोषिष की कि षिमला समझौते से लेकर लाहौर घोशणापत्र तक पाकिस्तान की रजामंदी रही है। बावजूद इसके इसे उसने कभी अमल में नहीं लाया। गौरतलब है कि 9 दिसम्बर 2015 में षीत सत्र के दौरान सुशमा स्वराज इस्लामाबाद गई थीं जबकि इसके ठीक पहले नवम्बर में पेरिस जलवायु सम्मेलन के दौरान करीब एक वर्श से अधिक वक्त के बाद षरीफ और मोदी की दो मिनट की बात हुई थी। जाहिर है आतंक के मामले पर पाकिस्तान की करतूतों के चलते मुख्यतः पठानकोट हमले के बाद दोनों देषों के बीच बातचीत बिल्कुल बंद हो गयी थी। 70 साल बीते चुके हैं रस्सी जल गयी पर पाकिस्तान की ऐंठन नहीं जा रही। द्विपक्षीय मामला हो या दुनिया के सामने पाकिस्तान का मुंह खोलना रहा हो। कष्मीर के बगैर उसके पेट का पानी नहीं पचता है। बार-बार स्याह चेहरे वाला पाकिस्तान आईने को ही दोशी ठहरा रहा है जबकि सच तो यह है कि उसकी सूरत में ही फरेब भरा हुआ है।



सुशील कुमार सिंह
निदेशक
वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन  आॅफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 
डी-25, नेहरू काॅलोनी,
सेन्ट्रल एक्साइज आॅफिस के सामने,
देहरादून-248001 (उत्तराखण्ड)
फोन: 0135-2668933, मो0: 9456120502
ई-मेल: sushilksingh589@gmail.com

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