Monday, June 28, 2021

स्मार्ट व ई-गवर्नेंस के पथ पर आयकर विभाग

कई तकनीकी दक्षता के बावजूद रिटर्न फाइल करने वाले तमाम आम व खास जानकारों के लिए आयकर की वेबसाइट समस्या खड़ी करती रही है। मगर इस बार जारी नई वेबसाइट एक ऐसे संस्करण के तौर पर समझा जा सकेगा जो उपयोगकर्ता के लिए न केवल अनुकूल होगा बल्कि इसे मोबाइल से भी संचालित किया जाना पूरी तरह संभव है। इसके अलावा एक ही जगह से सारे समाधान इसमें निहित जो ई-गवर्नेंस की दिशा में एक जबरदस्त कदम कहा जा सकता है। ई-गवर्नेंस एक ऐसा क्षेत्र है और एक ऐसा साधन भी जिसके चलते किसी भी तंत्र में तकनीक को समुचित प्रयोग करके व्याप्त व्यवस्था की कठिनाइयों को समाप्त करने साथ ही उसे तुलनात्मक सरल बनाने का संदर्भ निहित है और इसी से व्यवस्था अनुकूल, सरल और स्मार्ट बनती है। सरकार इसी ई-गवर्नेंस योजना के तहत आयकर विभाग में एक नई वेबसाइट बीते 7 जून को लांच की। जिसका मकसद करोड़ों करदाताओं को इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के लिए ई-फाइलिंग हेतु दी जाने वाली सुविधा को और सुविधाजनक व स्मार्ट बनाना। यह पूरी तरह से नया पोर्टल है जो कि जनता के लिए की ई-फाइलिंग को आसान बनाता है। इसमें स्पष्ट है कि इस पोर्टल का उद्देश्य करदाताओं और संबद्ध पक्षों के लिए आयकर संबंधी सेवाओं को देखते हुए एकल खिड़की उपलब्ध कराना है। गौरतलब है कि आयकर विभाग के लिए नीतियां बनाने वाले केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने नई ई-फाइलिंग वेबसाइट को जारी किया था। जिस पर ऑनलाइन भुगतान प्रणाली जैसे सुविधाएं बीते 18 जून से शुरू तो हो गई मगर वेबसाइट शुरू होते हैं कई तरह की कठिनाइयां भी सामने देखने को मिल रही हैं। इस पोर्टल में 40 से अधिक समस्याएं बताई जा रही हैं। जाहिर है सुविधा देने वाला यह पोर्टल अभी कई असुविधा से स्वयं जकड़ा भी है। गौरतलब है कि आयकर संबंधी पेशेवर सेवा देने वालों के संगठन डायरेक्ट टैक्स प्रोफेशनल एसोसिएशन अर्थात डीपीटीए ने स्पष्ट किया है कि आयकर पोर्टल में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है जिस बाबत डीपीटीए द्वारा वित्त मंत्री को एक पत्र लिखने की बात सामने आई है। 


तकनीक हो या सामान्य संदर्भ एक क्रमिक रूप लेने समय तो लेता ही है। आयकर विभाग का यह नया पोर्टल भी इसी तरह की एक व्यवस्था के रूप में समझा जा सकता है। आधारभूत मापदंडों में देखें तो पहली बार आयकर विभाग ने करदाताओं को कुछ बेहतरीन सुविधा देने का प्रयास किया है। नई वेबसाइट में कई ऐसे बिंदु हैं जो करदाताओं को रिटर्न दाखिल करने तक ही नहीं बल्कि रिटर्न और रिफंड का पता लगाने के लिए आयकर अधिकारियों से संपर्क साधने जैसे एकल खिड़की की व्यवस्था है। वैसे ई-गवर्नेंस एक ऐसा ढांचागत स्वरूप है जहां सिंगल विंडो संस्कृति का परिपक्व होना अपरिहार्य होता है। इस पोर्टल में आयकर रिटर्न के तत्काल प्रोसेसिंग की सुविधा है ताकि आयकरदाता को शीघ्र रिफंड जारी किया जा सके। सभी लेन-देन और अपलोड्स या पेंडिंग काम एक ही विंडो पर दिखाई देंगे जिसके चलते सभी चीजें एक ही पेज पर मिल जाएंगे। ताकि वह आगे की कार्रवाई आगे कर सके। नि:शुल्क आईटीआर सॉफ्टवेयर मिलेगा और भी सवाल पूछने
 पर उसका जवाब भी मिलेगा। बिना किसी टैक्स जानकारी के कोई भी टैक्सपेयर कम से कम डाटा दर्ज कर आराम से फाइलिंग कर सकेगा। यह मुफ्त में मिलने वाला आइटीआर प्रिपरेशन सॉफ्टवेयर होगा जिसे ऑनलाइन और ऑफलाइन एक साथ काम किया जा सकेगा। इतना ही नहीं फाइलिंग से जुड़ी कोई दिक्कत है उसकी जानकारी चाहिए तो फोन पर मदद ले सकते हैं। इससे टैक्सपेयर को अपना आईटीआर खुद भरने में आसानी होगी। करदाता को किसी भी प्रकार के सवाल जवाब देने के लिए नया कॉल सेंटर होगा। आयकर फॉर्म भरने वाले भरने टैक्स प्रोफेशनल को जोड़ने, स्कूटनी व अपील में नोटिस के जवाब प्रस्तुत करने की सुविधाएं उपलब्ध होंगे। टीडीएस या एसएफटी विवरण के अपलोड होने के बाद वेतन, आय, ब्याज, लाभांश और पूंजीगत लाभ को पहले से ही भरने की विस्तृत क्षमता उपलब्ध रहेगी। जिसकी अंतिम तारीख फिलहाल 30 जून तय है लेकिन इसे सरकार परिस्थितियों के साथ घटा-बढ़ा सकती है। उक्त विवरण इस बात का इशारा करते हैं के अनेकों आयकर दाताओं चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, टैक्स के एडवोकेट्स और तकनीकी तौर पर इससे जुड़े व्यक्तियों के लिए यह नई संशोधित वेबसाइट कहीं अधिक कारगर रहेगी और शायद उनका लंबे समय से एक बेहतर पोर्टल का इंतजार भी खत्म होगा। खास यह भी है कि आयकर की इस नए पोर्टल में एक नया संस्करण का उदय दिखाई देता है।  यह कर नियमों,  कर विवादों, उसके समाधान और कर रिफंड से संबंधित हर चीज के लिए एक सुविधाजनक मार्ग के रूप में समझा जा सकता है। खास यह भी है कि यह वेबसाइट मोबाइल के अनुकूल है जाहिर है मोबाइल गवर्नेंस को भी इससे बढ़ावा मिलेगा। 

हलाकि कई तकनीकी खामियों से यह नई वेबसाइट जूझ रही है मगर इसके सुधार को लेकर भी एड़ी चोटी का जोर इन दिनों लगाते हुए देखा जा सकता है। जब वेबसाइट  बीते 7 जून को लॉन्च हुई थी तभी से इसकी तकनीकी समस्या को दूर करने के लिए इंफोसिस अपना काम कर रहा है। गौरतलब है कि इंफोसिस से 2019 में अगली पीढ़ी के आयकर फाइलिंग प्रणाली तैयार करने का अनुबंध किया गया था। जिसका मकसद रिटर्न की प्रसंस्करण प्रक्रिया में लगने वाले 63 दिन के समय को कम करके एक दिन करने और रिफंड प्रक्रिया को तेज करना था। वित्त मंत्री ने भी इंफोसिस और उसके चेयरमैन नंदन नीलेकणि से आयकर विभाग की नई ई-फाइलिंग वेबसाइट में आ रही तकनीकी गड़बड़ियों को दूर करने के लिए कहा है।  नीलेकणि की ओर से भी यह ट्वीट है कि नई ई-फाइलिंग पोर्टल पर रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया को सुगम बनाया जाएगा और उपयोगकर्ताओं को बेहतर अनुभव मिलेगा। फिलहाल आयकर विभाग की इस नई प्रणाली से नई पीढ़ी की जरूरतों को उड़ान मिलेगी। कार्य का तरीका स्मार्ट होगा और बेहतर अनुकूलन की उम्मीद की जानी चाहिए। पिछले कई वर्षों की तुलना में देखा जाए तोर टैक्स रिटर्न फॉर्म भी निरंतर सरल बनाए जाते रहे हैं और अब तकनीकी सरलता से इसकी सुगमता और बढ़ जाती है। कई तकनीकी और कागज परिप्रेक्ष्य को एक साथ करना भी कई कठिनाइयों को कम करने की तरह ही है मसलन बैंक खाते, पैन कार्ड और आधार को आपस में जोड़ा जाना। कई प्रकार के रिफंड में तेजी, सिंगल डैशबोर्ड, फ्री आईटीआर सॉफ्टवेयर, नया कॉल सेंटर व मोबाइल ऐप पर हर सुविधा समेत सरल टैक्स पेमेंट सिस्टम इत्यादि यह दर्शाता है कि नई वेबसाइट सुविधाओं का अंबार है। बशर्ते इसमें कुछ तकनीकी खामियां मौजूदा समय में है परंतु इसका यह तात्पर्य नहीं इसकी सुगमता को नकारा जाए।
(21 जून, 2021)


 डॉ सुशील कुमार सिंह 
निदेशक, वाईएस रिसर्च फाउंडेशन आफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 

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