Tuesday, June 22, 2021

एक ऐसा इम्तिहान जिसमें उत्तीर्ण होना ही विकल्प

 गौरतलब है कि बीते अप्रैल-मई में लगातार तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते देश की स्वास्थ्य प्रणाली चरमरा गई। अस्पतालों में वेंटिलेटर, जीवन रक्षक दवाएं और ऑक्सीजन की भारी किल्लत इन दिनों बाकायदा देखी गई। हलांकि मामले घट रहे हैं पर समस्या ठीक-ठाक पैमाने अभी भी है। भारत में महामारी के अब तक दो बड़ी लहर देखी गई। लेकिन सर्वाधिक संक्रमित और मौत के आंकडे वाले अमेरिका में शुरुआती तीन लहरों ने काफी कहर बरपाया था और चौथी लहर के बाद मामले में तेजी से गिरावट आई। इतना ही नहीं पर्याप्त टीकाकरण के चलते अमेरिका को मास्क की पाबंदी से भी मुक्ति मिलने लगी है। जबकि भारत में अभी इस महामारी की दूसरी लहर का खौफ भरा चित्र बरकरार है साथ ही तीसरी लहर में नौनिहालों को बचाने की कवायद के पशोपेश में सरकार फंसी है। तीसरी लहर कब आएगी ठीक अंदाजा लगाना शायद मुश्किल है। लेकिन अनुमान है कि यह लहर बच्चों के लिए एक बड़ी मुसीबत हो सकती है। गौरतलब है कि जब देश में कोरोना का आगाज हुआ तब किसी को कोई अंदाजा नहीं था कि इससे निपटने के लिए सबसे उचित तरीका क्या है। देश महीनों तक लॉकडाउन में था और सब कुछ बंदी के रास्ते पर चला गया। धीरे-धीरे करोना का विस्तार पूरे देश में और एक लाख के आसपास संक्रमितो की संख्या प्रतिदिन भी हुई और तुलनात्मक मौत का आंकड़ा भी धीरे-धीरे बढा। समय के साथ इस स्थिति से देश शनै:-शनै: बाहर निकलने लगा लेकिन दूसरी लहर में ऐसा कैद हुआ कि देश मौत के सुनामी चला गया। अब तीसरी लहर का अंदेशा है और बाकायदा इसका खुलासा भी किया गया है। ध्यानतव्य हो कि देश के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के.विजय राघवन ने लोगों को महामारी की तीसरी लहर से चेताया है और ऐसा होना निश्चित रूप से कहा गया है। इतना ही नहीं अन्य विशेषज्ञों व स्वास्थ्य अधिकारी भी अब नियमित रूप से लोगों को कोरोनावायरस की तीसरी लहर की संभावना के बारे में आए दिन चेतावनी देते रहते हैं। आशंका को देखते हुए  केंद्र व राज्य सरकारे संक्रमण के कहर से लोगों को बचाने के लिए तैयारियां तो शुरू कर दी मगर तीसरी लहर की स्थिति कहां और कितनी होगी यह तो वक्त आने पर ही पता चलेगा। मगर इस बार यह एक ऐसा इम्तिहान होगा जिसमें सरकार, सिस्टम और समाज के पास उत्तीर्ण होने के अलावा कोई विकल्प नहीं  होगा क्योंकि इस बार कोरोनावायरस की जद् में देश का नौनिहाल बताया जा रहा है।


पिछले सवा साल से एक अदृश्य दुश्मन से लड़ते-लड़ते देश कई समस्याओं में फंसा। करोड़ो इसकी चपेट में आए, लाखों की जान गई,  अर्थव्यवस्था बेपटरी हुई और बेरोजगारी समेत गरीबी में इजाफा हुआ। आंकड़े बताते हैं  कि पहली लहर के दौरान आरटी-पीसीआर टेस्ट में 4 फीसद बच्चे भी पॉजिटिव पाए गए थे। और दूसरी लहर में यह स्थिति 10 फ़ीसदी तक पहुंच गई। कहने का तात्पर्य भले ही तीसरी लहर नौनिहालों के स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बताया जा रहा हो लेकिन पहली और दूसरी लहर में भी देश में 14 फीसद बच्चे इसके चपेट में आ चुके हैं। इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च अर्थात आईसीएमआर कि फरवरी 2021 रिपोर्ट यह बताती है की 25.3 फीसद बच्चों में एंटीबॉडी मौजूद मौजूद थे। एन्टीबाडी इस बात का भी संकेत है कि इतनी मात्रा में बच्चे कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। गौरतलब है कि देश में 30 करोड़ बच्चों की आबादी को तीसरी लहर से कैसे सुरक्षित रखी जाए इसकी कवायद इन दिनों जोरों पर है। जिस प्रकार के अनुमान बताए जा रहे हैं उसके हिसाब से यदि पहली और दूसरी लहर के दौरान कोरोना संक्रमण के आंकड़े और सीरो सर्वे के आंकड़े को मिलाकर देखें तो यह कहा जा सकता है कि 40 फीसद बच्चे कोरोनावायरस के संपर्क में आ चुके हैं जो अपने आप में एक चौकाने वाला आंकड़ा है। आकड़े के लिहाज से देखें तो यह कुल बच्चों का 40 फीसद है। इस हिसाब से 60 फीसद बच्चों पर कोरोना के संक्रमण का ख़तरा हो सकता है। बच्चों को इस महामारी से बचाने के लिए अभी तक कोई वैक्सीन तैयार नहीं की गई है। हालांकि अमेरिका में यह कोशिश जारी होने की बात कही जा रही है। वैसे भारत में टीकाकरण को लेकर हालत काफी खराब है। देश के तमाम राज्यों में 18 से 44 वर्ष उम्र के बीच लगने वाले टीके के लगभग सभी सेंटर बंद हो गए हैं और 45 से अधिक के वैक्सीन की मात्रा पर्याप्त नहीं है। भारत में  टीकाकरण जिस हिसाब चल रहा है  उसमें अभी साल भी लग सकते हैं। ऐसे में बच्चों के टीकाकरण की बात तो दूर की कौड़ी है। जबकि अगली लहर का कहर बच्चों से जुड़ी है ऐसे में वैक्सीनेशन को बढ़ाने और उसके प्रति संजीदगी दिखाने का यही सही वक्त भी है। हालांकि दावा कुछ महीनों का है पर  टीकाकरण हो जाए तो। अब तक की यह तस्वीर भी साफ नहीं है कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कोरोना का टीका कब तक बनेगा। कितने बच्चों को टीका दिया जाएगा अगर यह मान भी लें कि कोरोना की तीसरी लहर इस साल अक्टूबर-नवंबर में आ सकती है जैसा कि कहा जा रहा है तो क्या अगले 4-5 महीने में यह सब कुछ हो जाएगा।

बड़ा सवाल यह है कि तीसरी लहर की चपेट में बच्चे क्यों? असल में मत यह भी है कि की बच्चों के अतिरिक्त 18 साल से अधिक उम्र वालों लोगों को  बड़े पैमाने पर टीका की पहली डोज और अन्य को दूसरी डोज दी जा चुकी होगी। ऐसे में वे तुलनात्मक अधिक सुरक्षित होंगे। गौरतलब है कि कोरोना वैक्सीन केवल 16 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों पर ही टेस्ट किया गया है। इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इससे कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन न देने की सलाह दी है। जाहिर है सावधानी और चिकित्सीय सुविधा ही इससे बचने का अंतिम रास्ता होगा। तीसरी लहर से बच्चों को बचाना  सरकार, सिस्टम व समाज के लिए एक बड़ी चुनौती रहेगी। देश की शीर्ष अदालत ने भी केंद्र सरकार से ऑक्सीजन का बफर स्टॉक बनाकर कोरोना की तीसरी लहर की तैयारी को अभी से शुरू करने की बात कही है। अनुभव यह बताता है कि वायरस से बचने के लिए हमारी इम्यूनिटी मजबूत होना बहुत जरूरी है। यदि शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी अच्छी होती है तो बीमारियां कम होगी। मल्टीविटामिन भी हमें मजबूत करती है ताकि शरीर बीमारियों से लड़ सके। ऐसे में बच्चों को कोरोनावायरस से सुरक्षित रखने हेतु स्वास्थ्यवर्धक भोजन,फल और सब्जियां, जूस व अड्डों आदि का भरपूर मात्रा में सेवन की बात भी है। लेकिन जो कमजोर और कुपोषित हैं और जिनके लिए दो वक्त का भोजन मुश्किल है उनका क्या होगा? करोना एक ऐसी बीमारी है जो सांस भी उखाड़ देता है। ऐसे में ऑक्सीजन की किल्लत दवाई की परेशानी और हॉस्पिटल में भर्ती की गुंजाइश में अगर कोई कोताही हुई जैसा कि दूसरी लहर में देखा गया तो यह सभ्य सरकार और सिस्टम दोनों पर तमाचा है। अनुभव यह सिखाता है कि बच्चों के लिए वेंटीलेटर्स, ऑक्सीजन व दवाई से युक्त हास्पिटल को बढ़ावा देना , डॉक्टर्स व स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या में बढ़ोतरी और समय रहते राज्यों द्वारा बच्चों का डेटाबेस तैयार करना साथ ही क्षेत्रीय स्तर पर व्यापक टेस्टिंग और ट्रीटमेन्ट से सुसज्जित व्यवस्था। स्पष्ट है की नौनिहाल सुरक्षित तो देश का भविष्य सुरक्षित ऐसे में कोर कसर की कोई गुंजाइश नही।                                          (24  मई, 2021)

डॉ. सुशील कुमार सिंह 
(वरिष्ठ स्तम्भकार व प्रशासनिक चिन्तक)

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