Monday, August 6, 2018

उत्तर प्रदेश मे मोदी का विकासनामा

5 दिवसीय अफ्रीकी देशों  के साथ ब्रिक्स की बैठक वाला दौरा समाप्त कर ठीक अगले दिन प्रधानमंत्री मोदी उत्तर प्रदेष की राजनधानी लखनऊ में ताबड़तोड़ विकास की पारी खेलने लगे। बीते चार सालों के कार्यकाल में बहस के केन्द्र में विकास ही है। मोदी सरकार ने आखिर देष की जनता को क्या दिया जबकि डेढ़ वर्शों के दौरान योगी सरकार ने उत्तर प्रदेष को किस डगर पर खड़ा किया। प्रधानमंत्री मोदी की माने तो प्रदेष में योगी अच्छा काम कर रहे हैं। 2019 के लोकसभा का चुनाव एक बार फिर दस्तक देने की ओर है और जिस तर्ज पर उत्तर प्रदेष में बीते दो दिनों में हुआ है उससे साफ है कि यहीं से केन्द्र का रास्ता जाता है। उत्तर प्रदेष के बहाने विपक्षियों को मोदी ने यह भी बताया कि उनका मिषन क्या है। लखनऊ में 60 हजार करोड़ रूपये से अधिक की 81 परियोजनाओं का षिलान्यास किया गया जिससे यह आसार बन गये हैं कि यूपी जल्द ही ट्रिलियन डाॅलर वाला अर्थव्यवस्था बनेगा। हालांकि इसके पीछे कई और कारण भी हैं। उद्योगपति भी मानते हैं कि उत्तर प्रदेष का माहौल बदला हुआ है और वे यहां की तस्वीर बदल देंगे। जिस व्यापक पैमाने पर केन्द्र सरकार के द्वारा यूपी को आर्थिक बढ़त मिली है उसमें राजनीति नहीं है ऐसा कहना सही नहीं होगा। हाल ही में आजमगढ़ में 340 किमी लम्बे पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की आधारषिला रखते हुए मोदी ने उत्तर प्रदेष के विकास में मुख्यतः पूर्वांचल के लिये एक नई सौगात दी थी। सम्भव है कि इसके चलते भी आगामी लोकसभा चुनाव पर भाजपा का सकारात्मक परिप्रेक्ष्य होगा। दो टूक यह भी है कि विकास सबको पसंद है बात तो सभी दल करते हैं पर जो सत्ता में होता है उसी के पास मषीनरी होती है और उसी के पास धन आबंटित करने का अधिकार भी। जाहिर है इसका ज्यादा फायदा सत्ताधारी के हिस्से में झुका होता है। 
उत्तर प्रदेष में कानून-व्यवस्था से लेकर महिला सुरक्षा की चिंता कहीं अधिक बलवती है। विकास के अभिप्राय में चीजें तभी मजबूत मानी जाती है तब जनता सुरक्षित हो और अपराध समाप्त हो। योगी सरकार अपराध से उत्तर प्रदेष को मुक्त करने की कोषिष में है पर देष का सबसे बड़ा राज्य इसकी गिरफ्त से बाहर होगा कहना कठिन है। हालांकि विकास के रास्ते समस्याओं को हल करने का हर सम्भव प्रयास होता है। विभिन्न परियोजनाओं का षिलान्यास इसका एक नतीजा हो सकता है। संतुलित विकास यूपी की बड़ी जरूरत है जाहिर है नोएडा और गाजियाबाद में उद्योगों की भरमार जबकि अन्य क्षेत्र कमोबेष इससे अछूते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने प्रदेष के हर हिस्से में उद्योग लगने की बात कह दी है और उन्होंने अति उत्साह दिखाते हुए यह भी कहा है कि यही रफ्तार रही तो यूपी को एक ट्रिलियन डाॅलर (10 खरब डाॅलर) की इकोनोमी का रिकाॅर्ड पार करने में अधिक समय नहीं लगेगा। सवाल दो हैं पहला यूपी में विकास किसके पैसे से होगा उद्योगपतियों के या फिर केन्द्र सरकार के। दो टूक यह भी है कि मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए 2003 से वाइब्रेंट गुजरात षुरू किया था जिसके तर्ज पर उत्तर प्रदेष में इन्वेस्टर्स समिट पहले हो चुकी है जिसमें 4 लाख करोड़ निवेष करने की बात भी सामने आयी। उद्योगपति भी कह रहे हैं कि वे यहां की तस्वीर बदलेंगे। गौरतलब है कि इन्वेस्टर्स समिट में हुए एएमओयू के 60 हजार करोड़ से अधिक की 81 परियोजनाओं का उद्घाटन मोदी ने किया। अभी षेश कई काज किया जाना बाकी है। स्थिति और हालात को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कह दिया कि हम उन लोगों में से नहीं हैं जो कारोबारियों के साथ खड़े होने या फोटो खिंचवाने से डरते हैं। गौरतलब है कि मोदी सरकार को उद्योगपतियों की सरकार कही जाती रही है। हालांकि उन्होंने साफ किया कि हिन्दुस्तान को बनाने में उद्योगपतियों की एहम भूमिका है और इन्हें चोर-लुटेरा कहकर अपमानित करना सही नहीं है। 
जैसा कि मोदी के स्वभाव में षामिल है वे हर मंच से विपक्षियों को चेताते भी हैं और डराते भी हैं। ऐसा ही लखनऊ में भी हुआ। उत्तर प्रदेष को देष के विकास का इंजन बनाने की संकल्पना लेने वाले मुख्यमंत्री योगी का उपचुनाव में प्रदर्षन सही नहीं रहा है और 3 लोकसभा की सीट ये हार चुके हैं जिसमें सबसे बड़ा झटका गोरखपुर की सीट है। हालांकि फूलपुर और कैराना भी बड़ा झटका कहा जायेगा। तब योगी आदित्यनाथ ने हार के कारण में अति उत्साह बताया था। जब भी निवेष और विकास की बात आती है तब रोज़गार की बात स्वतः उभरती है। उत्तर प्रदेष 22 करोड़ से अधिक जनसंख्या वाला देष है और कई समस्याओं के साथ रोज़गार यहां की व्यापक समस्या है। लाखों की संख्या में अनुमानित रोज़गार भी यहां बताये जा रहे हैं। रिलायंस जियो, इन्फोसिस तथा पेटीएम समेत कई कम्पनियों के निवेष और रोज़गार के डाटा सुखद लग रहे हैं पर वास्तविकता में यह धरातल पर उतरे तब बात बने। मोदी लखनऊ में दो दिन के भीतर ताबड़तोड़ कई कार्य किये जिसमें देष के 100 षहरों से आये मेयर समिट भी षामिल है जिसमें उत्साह बढ़ाते हुए उन्होंने यह कहा कि हम आपका भी सम्मान करने के लिये इंतजार कर रहे हैं। स्मार्ट सिटी मिषन को लेकर 7 हजार करोड़ की योजना पर काम हो चुका है और 52 हजार करोड़ की योजना पर काम तेजी से चल रहा है। इतना ही नहीं 2022 का सबका अपना घर होगा की योजना भी पूरा करना लक्ष्य है। सवाल है कि क्या यह सभी संदर्भ 2019 में चुनावी फायदा पूरी तरह दे पायेंगे जबकि कुछ का षिलान्यास हो रहा है तो कुछ कुछ ही कदम आगे बढ़े हैं। भले ही मोदी उत्तर प्रदेष को स्वर्णिम बनाने और योगी विकास का इंजन बनाना चाहते हैं पर जब तक समावेषी विकास से परे काम होगा संतुश्टि तो नहीं आयेगी। 
बीते एक महीने में मोदी ने उत्तर प्रदेष का कई दौरा किया और कई सौगात दिया। 28 जून को संत कबीर नगर के महगर में 24 करोड़ रूपए से बनी संत कबीर एकेडमी का उद्घाटन किया। 10 जुलाई को 5 हजार करोड़ की लागत का दक्षिण कोरिया के राश्ट्रपति के साथ नोएडा में सबसे बड़े मोबाइल प्लांट का उद्घाटन किया जहां 12 करोड़ मोबाइल एक साथ बनेंगे। कोरियाई राश्ट्रपति ने 5 हजार रोज़गार की बात कही थी जबकि मोदी और योगी इससे कई गुना बता रहे थे। इसी महीने की 14 जुलाई को पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के जरिये इस क्षेत्र की 15 लोकसभा सीटों पर निषाना साधा गया। गौरतलब है कि आजमगढ़ सपा, बसपा का गढ़ रहा है यहां भाजपा 2014 में भी हार गयी थी। बीते 20 जुलाई को अविष्वास प्रस्ताव पर रात में डेढ़ घण्टे मोदी ने विपक्षियों को आईना दिखाया और दूसरे दिन 21 जुलाई की सुबह षाहजहांपुर में 11 लोकसभा सीटों को ध्यान में रखकर किसान कल्याण रैली में विपक्षियों को ढोह रहे थे। हालांकि यहां 12 सीटें और 11 पर भाजपा काबिज है जबकि 2009 में यहां भाजपा सिर्फ 2 सीट पर ही सिमटी थी। आखिर में मोदी का पड़ाव 28 जुलाई लखनऊ हुआ जहां अवध क्षेत्र के विपक्षी दबदबे वाले सीटों पर उनकी नजर थी। जिन योजनाओं का यहां पर आधारषिला रखा गया उसमें अधिकतर केन्द्रीय है जिसमें अटल मिषन, अमृता योजना, स्मार्ट सिटी आदि प्रमुख हैं। यहां लोकसभा की 12 सीटें हैं जिसमें 10 पर भाजपा काबिज है। रायबरेली और अमेठी को भी साधने का प्रयास किया गया। गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा में भाजपा अपना दल समेत 73 पर काबिज थी और सपा 5 पर जबकि कांग्रेस 2 पर ही सिमट कर रह गयी। 2019 में मोदी तभी सत्ता में वापसी कर सकते हैं जब उत्तर प्रदेष में इसके आसपास रिकाॅर्ड बरकरार हो परन्तु बदले हालात में विपक्षी एकता की सुगबुगाहट समीकरण को उलटफेर कर सकती है। इसी को देखते हुए मिषन उत्तर प्रदेष के माध्यम से मोदी विकासनामा की तमाम गाथा लिख रहे हैं। 

सुशील कुमार सिंह
निदेशक
वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन आॅफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 
डी-25, नेहरू काॅलोनी,
सेन्ट्रल एक्साइज आॅफिस के सामने,
देहरादून-248001 (उत्तराखण्ड)
फोन: 0135-2668933, मो0: 9456120502
ई-मेल: sushilksingh589@gmail.com

No comments:

Post a Comment