Monday, August 13, 2018

मौजूदा सत्ता का अंतिम 15 अगस्त

कयास यह है कि इस साल देश  का 72वां स्वतंत्रता दिवस कुछ सौगातों और उम्मीदों की भरपायी कर सकता है। ऐसे दिनों में देष की जनता लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री के सम्बोधन में अपने लिये कुछ नया जरूर ढूंढती है। 2014 से लेकर 2018 के बीच यह पांचवां मौका होगा जब प्रधानमंत्री मोदी लाल किले से बोलेंगे। इस बार का सम्बोधन इस लिहाज़ से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आगामी अप्रैल-मई में 17वीं लोकसभा का गठन होना है। ऐसे में जनता को लुभाने वाले कई इरादे मोदी द्वारा व्यक्त किये जा सकते हैं। वैसे तो पीएम मोदी हर बार के स्वतंत्रता दिवस पर दिये गये अपने भाशण में नई बात करते हैं पर इस बार क्या कहेंगे इसकी उत्सुकता तो होगी। माना जा रहा है कि जनधन योजना के तहत खाताधारकों के लिये ओवर ड्राफ्ट सुविधा दोगुनी कर 10 हजार की जा सकती है। ये सरकार का उन लोगों को कोश उपलब्ध कराने का प्रयास है जो इससे वंचित है। स्थिति को समझते हुए आकर्शण सूक्ष्म बीमा योजना की घोशणा की जा सकती है। रूपे कार्ड धारकों के लिये मुक्त दुर्घटना बीमा में भी बढ़ोत्तरी हो सकती है। सभी जानते हैं कि स्वतंत्रता दिवस का मौका प्रधानमंत्री के लिये ऐसी तमाम घोशणाओं के लिये एक बेहतर मंच होता है जिससे जनता लम्बे समय तक फील गुड में रहती है। प्रधानमंत्री मोदी लुभावने भाशण के लिये जाने भी जाते हैं। इसका यह तात्पर्य नहीं कि मात्र रिझाने का काम करते हैं बल्कि पूरा करने की कोषिष भी रही है। मगर पड़ताल बताती है कि घोशणाओं की फहरिस्त लम्बी है और अनेकों का जमीन पर उतरना अभी बाकी है। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी का यह आखरी भाशण होगा। सभी जानते हैं इसी दिन जियो की सेवा गीगा फाइबर ब्राॅडबैंड के लिये रजिस्ट्रेषन षुरू होगा। रेलवे का नया टाइम टेबल भी इसी दिन लागू होने वाला है। जाहिर है देष में कई ट्रेनों का समय बदल जायेगा। 15 अगस्त को ही रेलवे के डेडीकेटेड फ्रेड काॅरिडोर की षुरूआत होगी जिसका पहला ट्रायल 192 किमी के अटेली से फुलेरा सेक्षन में होगा। यह प्रोजेक्ट 81 हजार करोड़ रूपये से अधिक का है। 
प्रधानमंत्री मोदी को यह पता है कि कब, किस तरह का बयान देना है। 15 अगस्त के भाशण में सरकारी कर्मचारियों के लिये भी बड़ा ऐलान हो सकता है। सरकार कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी 18 हजार के बजाय 26 हजार करने पर राजी हो सकती है। कई सामाजिक, आर्थिक और बुनियादी महत्व के मुद्दों को मोदी जनता के सामने परोस कर बेहतर सरकार का खिताब भी हासिल करना चाहेंगे। गौरतलब है कि पिछले स्वतंत्रता दिवस के दिन प्रधानमंत्री ने यह स्पश्ट किया था कि 2022 तक न्यू इण्डिया बनाने का आह्वान करते हुए नोटबंदी, सर्जिकल स्ट्राइक, कष्मीर समस्या, भारत-चीन विवाद, आस्था के नाम पर हिंसा, तीन तलाक जैसे कई मुद्दों का जिक्र किया था। जिसमें से कई मुद्दों को अपने भाशण का एक बार फिर हिस्सा बना सकते हैं। खास यह भी है कि बीते 18 सालों में पिछला बजट सत्र जहां सबसे खराब रहा वहीं बीते 10 अगस्त को समाप्त मानसून सत्र कहीं अधिक सार्थक सिद्ध हुआ है। कामकाज के लिहाज़ से बीते मानसून सत्र महत्वपूर्ण रहा है। सत्र के दौरान कुल 17 बैठकें हुई। कुल लाये गये 17 विधेयकों में 12 पारित किये गये। राज्यसभा में 74 फीसदी से अधिक कामकाज हुआ जो पिछले की तुलना में 25 फीसदी अधिक है। यहां 14 विधेयक पारित किये गये जबकि पिछली बार मात्र दो ही विधेयक पारित हो पायेे थे। पिछले दो सत्रों के मुकाबले यह 140 फीसदी अधिक रहा। सम्भव है ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा और एससी/एसटी एक्ट में किये गये संषोधन पर मोदी सरकार की वाहवाही लूटने वाला प्रसंग भी भाशण में षामिल हो सकता है। 
जब पहली बार 2014 में 15 अगस्त से प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाशण में कई उत्साहवर्धक विचार व्यक्त किये थे और कई घोशणायें भी की थी तभी से यह लगा था कि नई सरकार नई सोच के साथ बहुत कुछ नया करेगी मगर वक्त निकलता गया और मोदी वायदे पर कितने खरे रहे इस पर सवाल गहराता गया। स्वच्छ भारत अभियान, मेक इन इण्डिया, डिजिटल इण्डिया, स्टार्टअप एण्ड स्टैण्डअप इण्डिया समेत स्मार्ट सिटी जैसे कई महत्वपूर्ण काज करने का प्रयास मौजूदा सरकार के व्यवस्था में षामिल था। इसमें कोई दो राय नहीं कि सरकार ने जनता में विष्वास जगाने का काम किया है परन्तु रोजगार और बुनियादी विकास की बढ़ी मांग को पूरा करने में कहीं अधिक पीछे रही है। दो करोड़ प्रति वर्श रोज़गार देने का वायदा आज भी जस का तस है। बीते फरवरी के बजट में 70 लाख रोज़गार की बात कही गयी। काले धन पर सरकार को किसी भी प्रकार की सफलता मिली है ऐसा कह पाना कठिन है। देष में महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा भी बहुत बिगड़ी अवस्था में है। कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच भी काफी गहमागहमी देखने को मिलती रही है। फिलहाल कई बुनियादी तथ्य जो 15 अगस्त को पहले भी उभारे गये उन्हें पूरा होने का इंतजार जनता आज भी कर रही है। गरीबों को मुफ्त रसोई गैस तो बांटे गये परन्तु आमदनी के आभाव में आज भी उनके घरों में सलेण्डर किसी कोने में पड़े हुए है। सरकार की वैदेषिक नीति अच्छी कही जा सकती है। अमेरिका द्वारा हाल ही में बिना एनएसजी में सदस्यता के ही एसटीए-1 में षामिल करते हुए भारत को वह दर्जा दे दिया है जिसमें एनएसजी की जरूरत ही नहीं है। गौरतलब है कि 48 देषों का न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (एनएसजी) का सदस्य चीन है जो भारत के लिये कहीं न कहीं रोड़ा था। 15 अगस्त के भाशण में इस उपलब्धि का बखान भी हो सकता है। राफेल खरीद के मामले में भ्रश्टाचार का आरोप विपक्ष लगा रहा है। हालांकि सरकार ने इस पर अपनी सफाई दे दी है। बीते चार सालों में मोदी चार बार रूस तो चार बार रूस की यात्रा कर चुके हैं। अमेरिका से लेकर यूरोप तक वैदेषिक नीति का प्रसार करने में सफल करार किये जा सकते हैं। मगर पाकिस्तान के मामले में दो कदम आगे और तीन कदम पीछे जैसी स्थिति रही है जबकि चीन के मसले में बात संतुलित कही जा सकती है न कि अच्छे सम्बंध का परिप्रेक्ष्य निहित है। 
प्रधानमंत्री मोदी कई ऐसी घोशणायें भी की हैं जिन्हें लेकर अब षायद चर्चा भी नहीं होती जिसमें सांसद अदर्ष ग्राम योजना षामिल है। आतंकवाद, साम्प्रदायिकता और जातिवाद से मुक्त भारत का संकल्प पिछले साल की 15 अगस्त के भाशण में था जो कहीं से कमतर दिखायी नहीं देता। बदला है बदल रहा है और बदल सकता है यह बात भी लाल किले से बोली गयी है। उम्मीद है कि इस बार भी कई बदलाव के साथ बातें की जायेंगी। पूरे देष में किसानों की भलायी को लेकर कषीदे गढ़े गये हैं परन्तु मात्र तीन लाख करोड़ के कर्ज से दबे किसानों को सरकार ने अभी तक मुक्ति नहीं दी है। सरकार का दावा है कि उसने फसलों का समर्थन मूल्य डेढ़ गुना कर दिया है मगर यह बात नहीं कहती कि उसने स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू कर दिया। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने, दो करोड़ घर देने और घर-घर बिजली पहुंचाने का वायदा भी लाल किले से किया जा चुका है। जाहिर है इस पर भी देष की जनता दृश्टि गड़ाये हुए है। कुल मिलाकर निहित भाव यह भी है कि सरकार सरकार की तरह ही काम करेगी जादूगर की तरह नहीं। जिस उम्मीद के साथ मोदी ने सत्ता संभाली उस पर कितना खरा उतरी इस पर भी सरकार और जनता के बीच राय अलग-अलग है। फिलहाल इस बार की 15 अगस्त के भाशण में इस बात का पूरा ध्यान रहेगा कि कोई कमी कसर न रह जाये। जाहिर है सरकार का होमवर्क अच्छा होगा पर देखना यह है कि लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी के इस बार के भाशण पर जनता कितनी सहज होती है। 



सुशील कुमार सिंह
निदेशक
वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन आॅफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 
डी-25, नेहरू काॅलोनी,
सेन्ट्रल एक्साइज आॅफिस के सामने,
देहरादून-248001 (उत्तराखण्ड)
फोन: 0135-2668933, मो0: 9456120502
ई-मेल: sushilksingh589@gmail.com

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