Monday, May 7, 2018

कर्नाटक के चुनावी बिसात पर कितने दाव

कहने के लिए तो कर्नाटक विधानसभा का चुनावी टक्कर कांग्रेस के सिद्धरमैया और भाजपा के वाईएस येदियुरप्पा के बीच है मगर हकीकत में यह मुकाबला सीधे सिद्धरमैया और प्रधानमंत्री मोदी के बीच है। कई दृश्टिकोण के साथ कर्नाटक का विधानसभा चुनाव फिलहाल कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। यह चुनाव इस बात को भी तस्तीक कर रहा है कि बीते चार वर्शों से केन्द्र में चल रही मोदी सरकार कितना प्रभाव देष में छोड़ पायी है और इस बात को भी लिये हुए है कि बीते पांच वर्शों से कर्नाटक में कांग्रेस स्थानीय मुद्दों के साथ कितनी खरी उतरी है। वैसे यह भी समझ लेना सही रहेगा कि 2014 के लोकसभा चुनाव से ही देष में भाजपा की बयार बह रही है और इसी के बीच कर्नाटक विधानसभा का चुनाव भी आता है। यदि इस झोके में कांग्रेस यहां भी पतझड़ होती है तो षायद लोगों को उतना झटका नहीं लगेगा परन्तु यदि भाजपा सत्ता हथियाने में कमतर रही तो यही कर्नाटक कई और राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की दिषा को नया मोड़ दे सकता है और देष से लुप्त हो रही कांग्रेस को असीम ताकत। आगामी 12 मई को कर्नाटक में चुनाव सम्पन्न होगा और 15 मई को यह पता चल जायेगा कि नई सरकार किसकी होगी। गौरतलब है कि यहां राजनीति त्रिभुजाकार स्थिति में है जिसके एक सिरे पर निवर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धरमैया तो दूसरे पर वाईएस येदियुरप्पा हैं जबकि तीसरा और बहुत जरूरी कोण पर पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के बेटे कुमार स्वामी के नेतृत्व में जनता दल (एस) अपनी प्रासंगिकता की लड़ाई लड़ रहा है। इसमें कोई दुविधा नहीं कि जनता दल (एस) इस लड़ाई में सत्ता के करीब नहीं है परन्तु पार्टी यह चाहत जरूर रखती है कि अगर कांग्रेस या भाजपा स्पश्ट बहुमत से दूर हुए तो वह किंगमेकर की भूमिका में अवतरित हो सकता है। 
बीते 1 मई से कर्नाटक के चुनावी समर में प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति भी दर्ज हो गयी। जाहिर है 224 विधानसभा वाले राज्य कर्नाटक में भी लड़ाई नाक की ही है। आगामी 8 मई तक प्रधानमंत्री की रैलियां प्रदेष में देखी जा सकेंगी जिसमें कुछ विधानसभा क्षेत्रों को छोड़कर लगभग पर इसका असर देखा जा सकेगा है। एक बात खटकने वाली ये है कि बीते कई चुनाव में ये देखा गया है कि विकास के मुद्दे के बजाय राजनीतिक दल एक दूसरे को कोसने में लगे रहते हैं कर्नाटक भी इससे जुदा नहीं है। गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बीते दिनों यह वक्तव्य दिया था कि संसद में यदि उन्हें 15 मिनट बोलने का अवसर दिया जाय तो मोदी उनके सामने बैठ नहीं पायेंगे। कई दिन बीतने के बाद भी इस वक्तव्य पर कई भाजपायी नेताओं के बयान तो आये पर मोदी को अवसर का इंतजार था और वह अवसर कर्नाटक के चुनावी रैली में मिला जहां उन्होंने तंज भरे लहज़े में यह चुनौती राहुल गांधी को दी कि किसी भी भाशा में वे बिना कागज के 15 मिनट बोलकर दिखायें। स्वभाव के अनुरूप ष्लोगन गढ़ते हुए मोदी ने नामदार और कामदार की तुलना भी की पर सवाल है कि वाकई में ईमानदार कौन है और किसे देष की असल चिंता है? सत्ताधारी सत्ता-दर-सत्ता हथियाते रहते हैं साथ ही आरोप-प्रत्यारोप से राजनीतिक रोटियां सेकते रहते हैं। इतना ही नहीं देष-प्रदेष की समस्या से बेफिक्र चुनाव जीतने के लिए सारे हथकण्डे अपनाते रहते हैं परन्तु विकास पर चंद मिनट बोलने से कतराते रहते हैं। जनता से अकूत वोट इकट्ठा करने के बावजूद उन्हीं के साथ छल करते इन्हें देखा जा सकता है। भाजपा के लिए प्रधानमंत्री मोदी वोट खींचने वाले हथियार हैं पार्टी ये दरकार रखती है कि जीत की हद तक पहुंचना है तो उनके करिष्माई और कलात्मक भाशण से कर्नाटक वातावरण भी को सराबोर होना ही चाहिए। 
एक पखवाड़े से कम समय में कर्नाटक चुनाव का चुनावी परिप्रेक्ष्य सामने आ जायेगा पर षायद किसी को यह सुध नहीं है कि पेट्रोल और डीजल के दाम बेकाबू है। चुनाव को देखते हुए सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कम्पनियों ने पेट्रोल और डीजल के दाम में होने वाली घट-बढ़ को फिलहाल रोक दिया है। खास यह भी है कि जो कम्पनियां इस बात रोना रोती हैं कि अन्तर्राश्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़त लिये हुए है इसलिए वे जनता को राहत नहीं दे सकते अब वही कम्पनियां 2 डाॅलर प्रति बैरल की बढ़ोत्तरी होने के बावजूद कीमत को बढ़ाने से स्वयं को रोका है। कहीं-न-कहीं चुनावी बिसात में ये भी दांव पर है। सरकार जानती है कि पेट्रोल और डीजल की महंगाई चुनाव पर भारी पड़ सकती है। गौरतलब है कि इन दिनों इसकी कीमत 55 महीने में अब तक के सबसे उच्च स्तर पर है। कर्नाटक में सियासी पारा फिलहाल चढ़ा हुआ है। ओपिनियन पोल यह कह चुके हैं कि उम्मीद त्रिषंकु की है ऐसे में सियासी समीकरण को लेकर भी जोड़-तोड़ चल रही है। भाजपा को कांग्रेस और जनता दल (एस) चुनौती दे रहे हैं जबकि प्रधानमंत्री मोदी राहुल गांधी पर वार कर रहे हैं और एचडी देवगौड़ा के पक्ष में बोल रहे हैं। षायद उन्हें इस बात का भान है कि यदि वे बहुमत से कम रह गये तो इतनी गुंजाइष रहे कि जनता दल (एस) के सहारे सत्ता हथियाना आसान रहे। भाजपा अध्यक्ष अमित षाह तो कर्नाटक में डेरा ही डाले हुए हैं। रोचक यह भी है कि प्रधानमंत्री मोदी षायद ही कभी चाहे हों कि येदियुरप्पा के साथ मंच षेयर करें पर उन्होंने ऐसा किया। गौरतलब है कि येदियुरप्पा पर भ्रश्टाचार का आरोप रहा है। माना तो यह भी जाता है कि अध्यक्ष अमित षाह के साथ भी कुछ हद तक दूरी रही है। इसमें कोई संदेह नहीं कि विरोध में चुनाव लड़ रही कांग्रेस कई अटकलों को बढ़ावा भी देगी और भुनाना भी चाहेगी। गौरतलब है कि येदियुरप्पा ने ही कर्नाटक में भाजपा की सत्ता निर्माण में अहम भूमिका निभायी थी फलस्वरूप वर्श 2008 में भाजपा की पहली सरकार यहां बनी। हालांकि यह ज्यादा दिनों तक नहीं चली। यहां बता दें कि येदियुरप्पा दक्षिण के राज्य कर्नाटक में नई तरह की राजनीति के वायदे पर सहानुभूति की लहर के चलते सत्ता हथियाई थी परन्तु घोटाले तथा प्रषासनिक खामियों ने भाजपाई नेतृत्व की कलई खोल दी और जो सत्ता की इमारत खड़ी करने के लिए जाने जाते थे वे ध्वंस के प्रतीक हो गये।
कर्नाटक में लिंगायत समाज की भी बड़ी भूमिका है और हिंदुत्ववादी दृश्टिकोण का भी यहां बोलबाला है। लिंगायत समुदाय का मत प्रतिषत भी सत्ता के स्वरूप को बदलने के काम आता रहा है। मतदान पूर्व किये गये सर्वेक्षण यह इषारा कर रहे हैं कि कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर है। षायद ठीक वैसे जैसे गुजरात में था। यदि भाजपा की स्थिति यहां किसी कारण डगमग होती है तो हो सकता है कि गुजरात का हिसाब कांग्रेस कर्नाटक में बराबर कर ले परन्तु परिणाम आने तक निष्चित तौर पर यह बात नहीं कही जा सकती। भाजपा के मुख्य रणनीतिकार अमित षाह यहां अपना लंगर डाले हुए हैं और प्रधानमंत्री मोदी की चुनावी रैली का यहां आगाज़ हो चुका है। सम्भव है योगी आदित्यनाथ जैसे दिग्गज स्टार प्रचारकों का भी यहां रेला लगे। राहुल गांधी मठों और मन्दिरों का खूब चक्कर लगा रहे हैं अमित षाह भी इस मामले में कोई चूक नहीं कर रहे हैं। बाजी कौन मारेगा यह तो बाद में पता चल जायेगा पर यह बात बिल्कुल दुरूस्त है कि कर्नाटक चुनाव के चुनावी बिसात पर राजनीतिक दल ही नहीं जनता के वोट भी एक बार फिर दांव पर लगे हैं और षायद जिन्दगी भी।

सुशील कुमार सिंह
निदेशक
वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन आॅफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 
डी-25, नेहरू काॅलोनी,
सेन्ट्रल एक्साइज आॅफिस के सामने,
देहरादून-248001 (उत्तराखण्ड)
फोन: 0135-2668933, मो0: 9456120502
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