Monday, May 14, 2018

दशक बाद का ये जो कबूलनामा है

भारत लम्बे समय से यह आरोप लगाता रहा है कि पाकिस्तान के आतंकी संगठन लष्कर-ए-तैयबा ने ही 26 नवम्बर 2008 को मुम्बई में हुए आतंकी हमले को अंजाम दिया था जिसमें 166 लोग मारे गये थे। साल 2008 से 2018 के बीच भले ही लगभग एक दषक का फासला हो गया हो पर भारत के आरोप के पुश्टि बीते 12 मई को पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ षरीफ ने आखिरकार कर ही दी जो किसी भी जिम्मेदार पाकिस्तानी की ओर से बड़ी स्वीकृति मानी जा सकती है। हालांकि नवाज़ षरीफ इस समय पाकिस्तान में किसी पद पर नहीं है और वहां के सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें हर तरफ से अयोग्य घोशित कर दिया है। फिर भी नवाज़ षरीफ के इस बयान को बहुत गम्भीर तरीके से लिया जाना चाहिए जो कि हो भी रहा है। निहित संदर्भ यह भी है कि भारत को पहले से ही पूरी तरह पता था कि मुम्बई के ताज होटल पर हमला पाकिस्तान ने ही करवाया है इसलिए षरीफ का कबूलनामा भारत को उतना हैरत में नहीं डालता जितना कि षेश दुनिया को चैंकाता है। गौरतलब है कि पाकिस्तान आतंकवाद को लेकर दषकों से यह भ्रम फैलाये हुए है कि उसके यहां ऐसा कुछ भी नहीं है। हालांकि बीते कुछ वर्शों से भारत में उसे इस मामले में दुनिया में बेनकाब किया है। उसी की बदौलत आज का पाकिस्तान न केवल अलग-थलग पड़ा है बल्कि करोड़ों रूपये की सौगात भी अमेरिका के द्वारा प्रतिबंधित है। नवाज़ षरीफ ने मुम्बई हमले में पाकिस्तानी आतंकियों के हाथ होने और उन्हें सीमा पार करने की इज़ाजत देने की बात जब से स्वीकार की है तब से षरीफ के इस बयान को लेकर पाकिस्तान में कोहराम मचा हुआ है और चैतरफा उनकी षराफत दांव पर लगी हुई है। स्थिति को देखते हुए षरीफ भी फिलहाल कह रहे हैं कि उनके बयान की गलत व्याख्या की गयी है जबकि दो टूक यह है कि लम्बे अंतराल के बाद ही सही यह षरीफ का सही और वाजिब कबूलनामा है। 
नवाज़ षरीफ ने बेषक मुम्बई घटना को लेकर बात अब कबूला हो पर यह पहला मौका नहीं है। साल 2009 में तत्कालीन पीपुल्स पार्टी सरकार के गृहमंत्री रहमान मलिक ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान यह ब्यौरा दिया था कि मुम्बई हमले को किस तरह से पाकिस्तान की जमीन से अंजाम दिया गया था। बात भले ही पाकिस्तानी सरकारों के सामने आई हो पर किसी भी सरकार ने दोशियों को न तो सजा दिलायी और न ही उनसे कोई सबक लिया बल्कि उन्हें खाद-पानी देने का बड़ा काम जरूर किया है। यहां बता दें कि नवाज़ षरीफ ने पहली बार पाकिस्तान की उस नीति पर सवाल उठाये हैं जिसके तहत गैर सरकारी तत्वों को सीमा पार करके मुम्बई में लोगों को मारने की अनुमति दी गयी। इससे यह भी साफ होता है कि अब तक भारत जितने भी आरोप पाकिस्तान पर मढ़े हैं वे बेवजह नहीं हैं मुम्बई से लेकर पठानकोट तक हमेषा भारत यह कहता रहा कि यह पाकिस्तान की ओर से नियोजित हमला है बावजूद इसके पाकिस्तान के सत्ताधारी न केवल लीपा-पोती करते रहे बल्कि भारत पर उलटे दोश मढ़ते रहे। भारत सरकार ने हर वो सबूत दिया जो चीख-चीख कर कह रहा था कि घटना के जिम्मेदार सीमा पार के आतंकी संगठन हैं पर पाकिस्तान तो इस बात से ही इंकार करता रहा कि उसके यहां आतंक की खेती होती ही नहीं है। हाफिज़ सईद, अज़हर मसूद तथा लखवी जैसे आतंकी सरगना पाकिस्तान की जमीन में बोये और उगाये जाते हैं और इन्हें खाद-पानी देने का काम आईएसआई से लेकर वहां की सरकारें करती हैं। हैरत तो इस बात का है कि लोकतंत्र को ठेंगे पर रखने वाला पाकिस्तान बीते सात दषकों से दुनिया में लोक कल्याण की पहचान बना ही नहीं पाया और अब अगर उसकी व्याख्या होती है तो आतंकी देष के तौर पर। और यह हर तरीके से वहां की सीधी-साधी जनता के साथ बड़ा धोखा है।
षरीफ ने सच कहा है पर यह सच बोला क्यों? यह भी कई पाकिस्तानी परस्त लोगों को खटक रहा है। इन दिनों पाकिस्तान की सियासत में षरीफ गैर षराफत वाले व्यक्ति घोशित किये जा चुके हैं। इनके द्वारा मुम्बई घटना के कबूलनामे को लेकर 14 मई को पाकिस्तान में एनएसजी की एक अहम बैठक हुई। जाहिर है कि नवाज़ षरीफ के बयान के पीछे और आगे की बात को भी समझना है। भारत के रक्षा मंत्री ने अपने बयान में स्पश्ट किया है कि भारत का जो रूख था षरीफ का बयान उसी की पुश्टि है। फिलहाल आतंकवाद को लेकर नवाज़ षरीफ अलग-थलग पड़ गये हैं। गौरतलब है कि पाकिस्तान एक ऐसा देष है जहां तीन समानांतर सरकारें चलती हैं एक आईएसआई, दूसरी आतंकी संगठनों जबकि तीसरी स्वयं चुनी हुई सरकार वैसे षरीफ के कबूलनामे में यह संदर्भ भी निहित देखा जा सकता है। पाकिस्तान की दुविधा यह है कि जिसे वह बरसों से नकारता रहा उसी को लेकर उसकी पोल खुल गयी है। इससे भारत के प्रति दुनिया का नजरिया बदलना चाहिए और पाकिस्तान के प्रति आतंकी वाला दृश्टिकोण और पुख्ता प्रतीत होता है। खास यह भी है कि मुम्बई घटना के बाद कार्रवाई पाकिस्तान की प्राथमिकता में कभी था ही नहीं। सीमा पार से आये लष्कर-ए-तैयबा के 10 हमलावर आतंकियों में से 9 को भारतीय सुरक्षाबलों ने ढ़ेर कर दिया था जबकि अजमल कसाब को जीवित पकड़ा गया जिसे बरसों के मुकदमे के बाद फांसी दे दी गयी थी। उल्लेखनीय यह भी है कि इस राज को षरीफ बरसों से जानते थे और खोला तब जब उनका सब कुछ लुट चुका था। नवाज़ षरीफ इन दिनों कई आरोपों से घिरे हैं। पनामा पेपर्स ने उनकी कुर्सी छीन ली और आतंकियों को षरण देना और लगातार झूठ बोलना कि पाकिस्तान में इसका वजूद ही नहीं है परन्तु इस अव्वल दर्जे के झूठ पर अमेरिका गाहे-बगाहे खूब लताड़ता रहा। आरोप तो यह भी है कि भारत में करोड़ो रूपए काला धन के रूप में इन्होंने जमा किया है। चैतरफा घिरे नवाज़ षरीफ इन दिनों काफी झंझवातों से जूझ रहे हैं हो सकता है इन मुष्किलों ने सच को कबूलने में उनकी मदद की हो।  
अब जब यह बात साफ हो गयी है कि पाकिस्तान के आतंकी भारत के भीतर घटना को अंजाम देते हैं तो क्या पड़ोसी चीन पाकिस्तान को समर्थन देने के मामले में अपने रूख में काई अंतर लायेगा। गौरतलब है कि चीन अक्सर पाकिस्तान के साथ खड़ा दिखाई देता है। कई अवसर ऐसे आये हैं जब भारत संयुक्त राश्ट्र की सुरक्षा परिशद् में पाकिस्तानी आतंकवादियों को घसीटने का काम किया और चीन ने वीटो करके उन्हें बचाने का काम किया। बेषक चीन जानता हो कि भारत पाक प्रायोजित आतंकियों से परेषान है बावजूद इसके वह पाक का समर्थन इसलिए करता है क्योंकि ऐसा करके वह अपनी कूटनीति को संतुलित करता है। विचित्र यह भी है कि चीन के कर्जे से दबा पाकिस्तान अपने ही आतंकवादी संगठनों के दबाव से भी वह दो-चार हो रहा है साथ ही आईएसआई की घुड़की भी झेलता रहता है फिर भी वह समतल रास्ता बनाना चाहता ही नहीं। जिस कदर सीज़ फायर का उल्लंघन करने में वह माहिर है इससे भी उसकी बद्नियति का खुलासा होता है। भारत पर हमले के कई ऐसे पुख्ता प्रमाण हैं जिसका जिम्मेदार पाकिस्तान है बावजूद इसके भारत ने पाकिस्तान से मित्रता को लेकर बरसों बरस पहल किया जबकि नतीजे ढ़ाक के तीन पात रहे। फिलहाल षरीफ का कबूलनामा देर से ही सही मगर वही है जो सही है। इतना ही नहीं इस कबूलनामे में पाकिस्तान के चरित्र को वही प्रमाण पत्र दिया जिसके वह लायक था साथ ही दषकों से आतंक की पीड़ा भोग रहे भारत की उस वास्तविकता को भी दुनिया अब उस चष्में से देख सकती है जिसे अभी-अभी षरीफ ने उन्हें दिया है। 


सुशील कुमार सिंह
निदेशक
वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन आॅफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 
डी-25, नेहरू काॅलोनी,
सेन्ट्रल एक्साइज आॅफिस के सामने,
देहरादून-248001 (उत्तराखण्ड)
फोन: 0135-2668933, मो0: 9456120502
ई-मेल: sushilksingh589@gmail.com

No comments:

Post a Comment