Tuesday, August 18, 2015

भारत-यूएई सम्बन्ध का इतिहास और आगाज़

आर्थिक सम्बन्धों को नई ऊँचाई पर ले जाने के लिए संयुक्त अरब अमीरात भारत में साढ़े चार लाख करोड़ रूपए निवेष करने पर सहमत हुआ जो भारत की दृश्टि से एक बड़ा निवेष है। दोनों देषों का द्विपक्षीय व्यापार पांच वर्शों में 60 प्रतिषत बढ़ाने पर राजी होना भी एक अच्छा संकेत था। प्रधानमंत्री मोदी ने गदगद होते हुए कह दिया कि भारत में एक हजार अरब डाॅलर के निवेष की क्षमता है। कहा जाए तो ‘मेक इन इण्डिया‘ यूएई में भी सर चढ़ कर बोला। भारत ने निवेष और व्यापार के मामले में जितनी पूरब की ओर देखने की कोषिष की उतनी ही चाहत लिए उसने पष्चिम की ओर भी ताकने का प्रयास किया। देखा जाए तो खाड़ी देषों के साथ तो सम्बन्ध रोजगार और व्यापार के मामले में प्राचीन काल से रहे हैं। ऐसे में यूएई के रूप में एक बड़ा निवेषक मिलना सम्बन्धों को और मजबूती देगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ऐसी कुछ सम्भावनाओं से ओत-प्रोत बीते रविवार को यूएई गये भी थे। इसके अलावा आतंकवाद के मामले में दोनों देष एक सुर हुए। साथ ही संयुक्त राश्ट्र की सुरक्षा परिशद् की स्थाई सदस्यता हेतु यूएई का समर्थन भी भारत के लिए सोने पर सुहागा रहा। यह सर्वविदित है कि ‘पूर्व की ओर देखो‘ की नीति व्यापार एवं आर्थिक सम्बन्धों में मजबूती के कारण ही काफी हद तक सफल हुई है। इसी फलसफे को ध्यान में रखते हुए पीएम का एजेण्डा ‘पष्चिम की ओर देखो‘ का भी है ताकि व्यवसायिक रिष्तों को सुधारा जा सके और यूएई के साथ द्विपक्षीय नीतियों को आगे बढ़ाया जा सके। इन दिनों आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट की वजह से पनपे संकट को लेकर भी दोनों देषों के बीच मुलाकात की दरकार थी।
भारत से मसाले और कपड़े अमीरात क्षेत्र को और अमीरात क्षेत्र से भारत को मोती और खजूर प्राचीन काल से ही भेजे जाते रहे हैं और अब ‘मेक इन इण्डिया‘ के माध्यम से नये उत्पाद यूएई के बाजार में भी उपलब्ध किये जा सकेंगे। पष्चिमी तट विषेश रूप से मालावार तट में भारत के प्रमुख व्यापारिक अड्डे षारजाह एवं दुबई जो अरब सागर को जोड़ने के साथ आर्थिक और वाणिज्यिक सम्बन्धों के काम आते रहे हैं उनकी प्रासंगिकता भी बढ़ सकती है। सम्बन्धों के इतिहास को टटोलें तो मार्च 2007 में दुबई के षासक षेख मोहम्मद ने भारत की यात्रा की जबकि 2008 भारत तथा संयुक्त अरब अमीरात के मध्य मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय सम्बंधों को कहीं अधिक मजबूत बनाने का वर्श था। तत्कालीन विदेष मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इसी वर्श अरब की यात्रा की थी। इसके पूर्व अप्रैल माह में यूएई के विदेष मंत्री की भी भारत यात्रा हुई थी। तभी से दोनों देषों के बीच एक नए अध्याय की षुरूआत हुई थी। इतिहास के पन्नों में दोनों देषों के सम्बन्धों को उकेर कर देखा जाए तो पिछले तीन-चार दषकों में काफी सकारात्मक कूटनीति देखने को मिलती है। 1994 में नषीली दवाओं और तस्करी की रोकथाम से जुड़ा समझौता, 1989 में नागरिक उड्यन समझौता जबकि इसके पूर्व 1975 में सांस्कृतिक सहित कई समझौते देखने को मिलते हैं मोदी जिस भी देष की यात्रा करते हैं वहां के धार्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं में षामिल होना नहीं भूलते। इसी तर्ज पर वे अबू धाबी की षेख जायद मस्जिद भी गये जो धार्मिक सहिश्णुता की दृश्टि से एक अच्छा संकेत भी है। वहां उन्होंने मस्जिद के सामने सेल्फी ली। सेल्फी का प्रकरण भी मोदी चलन के चलते अधिक चर्चे में माना जा सकता है। बहरहाल किसी मस्जिद में प्रधानमंत्री मोदी पहली बार गये।
धार्मिक सम्बन्धों का एक गुणात्मक परिप्रेक्ष्य तब और अधिक मजबूती से सामने आया जब यूएई ने भारतीय समुदाय को मन्दिर निर्माण के लिए राजधानी में जमीन आबंटित करने का निर्णय लिया। दुबई में दो मन्दिर हैं एक भगवान षिव का और एक कृश्ण का मगर अबू धाबी में कोई मन्दिर नहीं था जो अब सम्भव हो सकेगा। इतना ही नहीं मन्दिर की यह कूटनीति दोनों देषों के बीच और अधिक ऊर्जा का संचार करेगी। यूएई में आबादी के लिहाज़ से 30 फीसदी भारतीय हैं ऐसे में धार्मिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य के नजरिये से देखा जाए तो यूएई में एक छोटे हिन्दुस्तान की बसावट है। मोदी ने यूएई को मिनी इण्डिया बताते हुए उसे दिल के बेहद करीब बताया। प्रधानमंत्री ने खाड़ी देषों में हिंसा और अस्थिरता पर भी दुःख प्रकट किया। भारत जिस षान्तिप्रियता का द्योतक बनना चाहता है उसमें हिंसा, आतंक, तस्करी एवं कुरीतियों का कोई स्थान नहीं है परन्तु अफसोस की बात यह है कि खाड़़ी देष इन झंझवातों में फंसे हैं। ऐसे में कुछ देषों को छोड़ दिया जाए तो ‘पष्चिम की ओर देखो‘ रणनीति पूरी सफल होगी अभी कहना जल्दबाजी होगी। जिस प्रकार यूएई से भारत का सम्बन्ध रहा है उसे देखते हुए संधियों और समझौतों का विष्वास न किये जाने का कोई गैर वाजिब पक्ष नहीं दिखाई देता साथ ही आतंकवाद के मामले में यूएई ने भारत के साथ जो विष्वास जताया है वह भी काबिल-ए-तारीफ है। यूएई जैसे देषों पर कई पष्चिमी देषों की भी नजर रही है। सम्बन्ध को लेकर बहुत खींचातानी तो सम्भव नहीं है पर इतना जरूर है कि एक सकारात्मक निवेष भारत के लिए व्यापारिक दृश्टि से कहीं अधिक लाभदायक सिद्ध होगा और ‘मेक इन इण्डिया‘ को भी वैष्विक ऊँचाई मिलेगी। जब देषों के बीच सम्बन्धों की चाषनी गाढ़ी होती है तो विकास की गाड़ी भी कहीं अधिक गति लेती है। वैदेषिक मामलों में पिछले एक बरस से भारत का स्वरूप काफी उठान से परिपूर्ण है और जिस ताकत से अन्य देषों में भारत को लेकर एक सकारात्मक भूमि तैयार हुई है वह भी भविश्य के लिए समृद्ध कारक सिद्ध हो सकती है।
अरब देषों में यूएई एक महत्वपूर्ण वाणिज्यिक एवं आर्थिक हब है। सिंगापुर एवं हांगकांग के बाद पुर्ननिर्यातक केन्द्र भी है। भारत भी विष्व की तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था है ऐसे में दोनों के बीच व्यापारिक साझेदारी अपरिहार्य है। अमेरिका के बाद यूएई भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है ऐसे में भारतीय उत्पाद के लिए एक बड़ा और बेहतर बाजार हो सकता है। जिस प्रकार आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग के लिए जनवरी 1975 में भारत-यूएई संयुक्त आयोग की स्थापना की गयी थी उससे साफ था कि प्रगति की रेखा लम्बी होनी ही चाहिए। मोदी से पहले 1981 में पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी भी यूएई गयी थी। 34 साल के अन्तराल के बाद मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं जो यूएई का दौरा कर रहे हैं। इन तमाम से यह दृश्टिगोचर होता है कि पष्चिम की ओर देखो का नजरिया भारत में हमेषा से रहा है। यूएई में 26 लाख भारतीय हैं इनमें बड़ी संख्या बिहार के मुसलमानों की है। तेल संसाधनों से भरपूर यूएई के दौरे से भारत काफी उम्मीद रख सकता है। इसमें कोई षक नहीं कि बीते दिनों यूएई भी मोदीमय हुआ है। दुबई के क्रिकेट स्टेडियम में एक बार फिर वहां बसे भारतीयों को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने देष के साथ-साथ अपनी ताकत की भी जोर आजमाइष की। प्रधानमंत्री मोदी की एक खासियत यह भी है कि भारतीय समुदाय को विदेष की धरती पर सम्बोधित करना नहीं भूलते। अमेरिका और आॅस्ट्रेलिया की भांति ही यूएई में भी इसी प्रकार के सम्बोधन से विदेष में हिन्दुस्तान की झलक दिखाने का काम भी मोदी ने किया।

सुशील कुमार सिंह
निदेशक
रिसर्च फाॅउन्डेषन आॅफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेषन
एवं  प्रयास आईएएस स्टडी सर्किल
डी-25, नेहरू काॅलोनी,
सेन्ट्रल एक्साइज आॅफिस के सामने,
देहरादून-248001 (उत्तराखण्ड)
फोन: 0135-2710900, मो0: 9456120502


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