Tuesday, December 27, 2022

सावधान फिर यात्रा पर निकल चुका है कोरोना

इन दिनों चीन कोरोना की चपेट में बुरी तरह फंस चुका है और कई देषों में कोरोना संक्रमण एक बार फिर पैर पसारने लगा है। जाहिर है यह चिंता का विशय है और इस बात का चिंतन भी इसमें समाहित है कि इस बार इससे कैसे निपटा जायेगा। भारत एवं राज्य सरकार स्वयं को अलर्ट पर रख लिया है और नये वैरिएंट को समय रहते रोकने के प्रयास में भी जुट गयी है। गौरतलब है कि भारत के कुछ हिस्सों में ओमिक्रान के बीएफ.7 और बीएफ.12 का संक्रमण प्रवेष कर चुका है। यह इस बात का दस्तक है कि चीन में उठा कोरोना का कोहराम भारत की दहलीज में कदम रख चुका है। ध्यान होगा कि 30 जनवरी 2020 को केरल में पहली बार कोरोना ने इसी तरह दस्तक दी थी जो बाद में लहर दर लहर देष संकट में जाता रहा और महामारी जैसी स्थिति पैदा कर दी थी। मिल रही जानकारी को यदि सच माने तो चीन में करोड़ों की तादाद में कोरोना संक्रमण के षिकार रोजाना हो रहे हैं। मरने वालों की तादाद इस कदर बढ़ गयी है कि अंत्येश्टि के लिए लाइन लगी है और वहां स्वास्थ व्यवस्था बिलकुल चरमरा गयी है। मरने वालों की संख्या भी पांच हजार प्रतिदिन के औसत से बतायी जा रही है। चीन कह रहा है कोई नहीं मरा कोविड पर चीन फिर सूचनाएं छिपा रहा है और अनुमान है कि हाल बेहाल रहा तो 13 लाख से अधिक मौतें होगी। वैसे देखा जाये तो चीन में घटित कोई भी घटना से षेश दुनिया काफी हद तक अनभिज्ञ ही रहती है उसकी बड़ी वजह चीन द्वारा जानकारी का छुपाना रहा है। फिलहाल चीन की हालत खराब तो है। साथ ही पड़ोसी देषों में भी हालात कब किस पैमाने पर बिगड़ जाये इसका अंदाजा लगाना भी कोई बड़ी बात नहीं है। पड़ताल बताती है कि पिछले आठ हफ्तों में जापान में कोरोना संक्रमितों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है। यहां भी मामला 70 हजार से एक लाख के ऊपर है। जापान में अब तक लगभग 3 करोड़ से अधिक संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं और 50 हजार से ज्यादा मौत बतायी जा रही है और लाखों का इलाज चल रहा है। दक्षिण कोरिया, फ्रांस, अमेरिका, जर्मनी, ताइवान, हांगकांग आदि समेत दुनिया के कई देष कमोबेष कोरोना के इस नई वापसी से चपेट में हैं।
चीन में जैसे ही कोरोना का कोहराम मचा वैसे ही भारत में बूस्टर डोज की याद सभी को आने लगी। इसके अलावा कोविड टीका लगाने के रजिस्ट्रेषन में भी वृद्धि देखी जा सकती है। भारत के प्रधानमंत्री इसे लेकर बैठक कर चुके है और राज्यों के मुख्यमंत्री मीटिंग में जुट गये हैं। जो मास्क लगभग बरस भर से नदारद थे अब वह फिर चेहरे पर दिखने लगे हैं। हालिया समाप्त षीत सत्र के दौरान संसद दीर्घा में भी कुछ ऐसा ही आलम था और चिंता यह सता रही है कि कहीं कोरोना की नई लहर भारत में कोहराम न मचाये। इसमें कोई दुविधा नहीं कि आम लोगों का जीवन अभी पटरी पर आ भी नहीं पाया है कि धड़कनें फिर बढ़ गयी हैं। कोरोना का यह नया वेरिएंट भारतीयों पर कितना असर डालेगा इस पर विषेशज्ञों की राय भी अलग-अलग है। मगर भारत में जो कोरोना का टीकाकरण हुआ है वह काफी विष्वसनीय और इम्यूनिटी की दृश्टि से अधिक प्रभावषाली मानी जाती है। ऐसे में अधिकतर का यही विचार है कि संक्रमण से चपेट में तो आ सकते हैं मगर समस्या उतनी बड़ी रहेगी नहीं। हालांकि चीन में कोरोना के तेजी से बढ़ते नये मामलों में इसलिए चिंता बढ़ा दी है क्योंकि वहां टीकाकरण के बावजूद भी कोरोना हो रहा है। देखा जाये तो चीन के कोरोना टीका को लेकर विष्वसनीयता बहुत कमजोर थी ऐसे में वह सबसे पहले टीका खोजने का दावा करके चीनी नागरिकों को प्रभावित तो किया मगर बेअसर टीका इस वैरिएंट से लड़ने में नाकाम सिद्ध हो रहा है। विषेशज्ञ मानते हैं कि इसका लक्षण भी बहुत अलग नहीं है बुखार, गले में खरांस और सिर दर्द इसमें षामिल है। कमजोर रोध प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के लिए कोरोना पहले भी घातक था और अब भी घातक ही कहा जायेगा। नीतियां कितनी भी सषक्त क्यों न हों बचाव के कितने भी बड़े उपाय क्यों न खोजे जायें मगर यह पहले भी देखा गया है कि कोरोना ने बहुत बड़ी आबादी को चपेट में लिया है ऐसे में होषियारी और इससे जुड़े नियमों का पालन एक अच्छा उपाय है। मगर टीकाकरण अब भी सबसे अच्छा हथियार है। ब्रिटेन ने हाल ही में मॉडर्ना के टीके वायबलेंट बूस्टर्स को मंजूरी दी है। यह कोरोना के सभी वैरिएंट के लिए कारगर माना जाता है।
कोरोना जैसे-जैसे पैर पसारेगा वैसे-वैसे अर्थव्यवस्था को पीछे धकेलेगा। चीन की हालत इन दिनों कुछ ऐसी ही है। विष्व बैंक की ताजा रिपोर्ट में चीन की विकास दर में बड़ी कटौती का संकेत है। विकास दर के अनुमान को घटाकर 2.7 फीसद कर दिया गया है। जबकि जून 2022 में यह अनुमान था कि विकास दर 4.3 फीसद पर रहेगा। इतना ही नही ंसाल 2023 में जो विकास दर 8.1 फीसद माना जा रहा है उसे भी घटाकर 4.3 किया है। इसमें कोई दुविधा नहीं कि कोरोना की मार आम और खास सभी पर पड़ती है और देष की विकास दर पर इसका सबसे बड़ा प्रहार होता है। भारत में जब कोरोना ने पैर पसारा था तब जो जीएसटी वर्तमान में डेढ़ लाख करोड़ रूपए एक माह में वसूली जाती है वही अप्रैल 2020 में महज 26 हजार करोड़ पर ही सिमट गयी थी और भारत की विकास दर 23 फीसद ऋणात्मक तक चली गयी थी। जो कृशि विकास दर हमेषा हाषिये पर रहता है वह कुछ समय के लिए अव्वल हो गया था। जिस देष में स्वास्थ खतरे में हो वहां अर्थव्यवस्था का बीमार होना स्वाभाविक है। नेविगेटिंग अनसर्टिनिटी चाइना इकोनॉमी 2023 की रिपोर्ट से पता चलता है कि कोरोना महामारी के दौरान चीन की पब्लिक हेल्थ पॉलिसी बहुत कठोर रही है। यदि इस रिपोर्ट को महत्व दिया जाये तो चीन में बेरोज़गारी दर अक्टूबर 2022 में 18 फीसद पर पहुंच गयी थी। अन्तर्राश्ट्रीय मुद्रा कोश ने भी चीन के विकास दर को घटाने का संकेत दिया था। देखा जाये तो कोरोना के चलते चीन विकास दर की गिरावट और बेरोजगारी में चढ़ाव के साथ स्वास्थ्य, चिकित्सा और आम जन को कोरोना से मुक्ति के लिए जूझ रहा है।
कोरोना महामारी की पुरानी लहर तो यही बताती है कि संक्रमण का बढ़ना कई तरह की समस्याओं को परवान चढ़ाने जैसा है। लॉकडाउन और पाबंदियां अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर देती हैं। ईज़ ऑफ लिविंग को खतरे में डाल देती हैं और जानलेवा भी सिद्ध होती है। ऐसे में सतर्क और सावधान होने का वक्त फिर आ गया है। कोरोना कोहराम मचाये इससे पहले उपाय खोजने होंगे, बचाव के रास्ते अपनाने होंगे और कोरोना प्रवेष के स्थानों की घेराबंदी करनी होगी। हालांकि चीन में जो हो रहा है उसका भारत में सीधे असर कितना पड़ेगा इसकी सम्भावना पर भी अलग-अलग मत है और नये वैरिएंट का भारतीय नागरिकों पर क्या प्रभाव होगा इसका भी अभी कोई अंदाजा ठीक से नहीं है। विषेशज्ञ तो यह भी मानते हैं कि भारत के बहुत सारे लोगों को बीते दो वर्शों में जो कोरोना हुआ है उससे भी उनकी इम्यूनिटी बढ़ी है और टीकाकरण और बूस्टर डोज़ ने इसे और बेहतर किया ऐसे में कोरोना वायरस को लेकर डरने की आवष्यकता नहीं है। सबके बावजूद इस बात से अनभिज्ञ रहने की कतई आवष्यकता नहीं है कि कोरोना एक बार फिर अपनी यात्रा पर है।

दिनांक : 26/12/2022


डॉ0 सुशील कुमार सिंह
निदेशक
वाईएस रिसर्च फाउंडेशन ऑफ पॉलिसी एंड एडमिनिस्ट्रेशन
लेन नं.12, इन्द्रप्रस्थ एन्क्लेव, अपर नत्थनपुर
देहरादून-248005 (उत्तराखण्ड)
मो0: 9456120502

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