Monday, May 30, 2016

रेड टेप से रेड कारपेट तक

रेड टेप से रेड कारपेट तक
अमेरिकन इंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के एक रेज़िडेन्ट फेलो सदानंद धूमे ने भारतीय प्रधानमंत्री मोदी को लेकर हाल ही में कहा था कि अब तक मोदी सरकार का रिकाॅर्ड मिलाजुला रहा है। मोदी ने निवेषकों के लिए लाल कालीन बिछाने का सर्वश्रेश्ठ काम किया साथ ही उन्होंने रक्षा, बीमा, खाद्य प्रसंस्करणों समेत विदेषी निवेष के कई नियमों में ढील दी है। गौरतलब है कि भारत में प्रत्यक्ष विदेषी निवेष 33 फीसदी के साथ बढ़ कर वर्तमान में 64 अरब डाॅलर से अधिक है जबकि यह मोदी सरकार से पहले 48 अरब डाॅलर था। अमेरिका-इण्डिया पाॅलिसी स्टडी सेन्टर फाॅर स्ट्रैटजी एण्ड इंटरनेषनल स्टडीज का मानना है कि मोदी सरकार का ट्रैक रिकाॅर्ड भले ही बहुत षानदार न हो लेकिन यह मजबूत जरूर है। मोदी ने बीते दो वर्शों में एषियाई सुरक्षा पर अमेरिका से मेल खाते अपने विचारों से अमेरिकी सुरक्षा समुदाय को न केवल हैरान किया है बल्कि अमेरिकी रक्षा निर्यातों के लिए सबसे बड़े बाजारों में भी भारत को षामिल किया है साथ ही संयुक्त अभ्यासों के लिए बड़ा साझीदार भी बना है। उपरोक्त परिप्रेक्ष्य मोदी सरकार के दो साल को समझने के लिए एक बानगी मात्र है। सरकार के आंकलन के परिप्रेक्ष्य में यह संदर्भित भी है और सारगर्भित भी कि मोदी के दो साल कहीं-कहीं तो सामान्य पर कई हिस्सों में निहायत कमाल से भरे हैं। वैसे कम षब्दों में उपलब्धियों को समेटना चुनौतीपूर्ण है पर कोषिष करने में कोई हर्ज नहीं है। बीते दो वर्शों में सत्ता समीकरण को लेकर भी जबरदस्त बदलाव का दौर जारी रहा। कहीं दो साल, बुरा हाल तो कहीं अच्छे दिन कब आयेंगे को लेकर आलोचना, समालोचना भी चलती रही साथ ही उम्मीदी और नाउम्मीदी के बीच सरकार को लेकर खूब गुणा-भाग भी हुआ है। सरकार से कितना मोह भंग हुआ है और मोदी का जादू कितना बरकरार है इसके भी कयास कम-से-कम  एक वर्श से तो लगाये ही जा रहे हैं। बेहतर कामकाज के लिए जानी जाने वाली मोदी सरकार को लेकर राजनीतिक विष्लेशकों का मन्तव्य भी पूरा स्पश्ट नहीं हो पाया है।  
फिलहाल सरकार के दो साल पूरे होने के मौके पर गुजरात बीजेपी 26 मई को अहमदाबाद में ‘विकास पर्व‘ समारोह आयोजित कर रही है। ‘मेरा देष बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है‘ यह सरकार का थीम साॅन्ग है जिसमें तमाम योजनाओं एवं नीतियों का जिक्र है और सरकार की उपलब्धियों को गीत-संगीत के माध्यम से परोसने का एक नायाब अंदाज भी। जन-धन योजना, स्वच्छ भारत अभियान, डिजिटल इण्डिया, मेक इन इण्डिया, स्किल इण्डिया समेत दर्जनों नियोजन मोदी सरकार के दो वर्श के कार्यकाल के चष्मदीद गवाह हैं साथ ही फलक पर परोसी गयी सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों के विभिन्न आयामों के साथ कूटनीतिक और वैदेषिक सफलताओं का दस्तावेज भी सैकड़ों पृश्ठ लिए हुए है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, नमामि गंगे, सांसद आदर्ष ग्राम योजना से लेकर भारतीय अर्थव्यवस्था की तेज होती रफ्तार, एक खुषहाल भारत के लिए मजबूत किसान साथ ही भारतीय उद्यमियों के लिए हौंसले बुलन्द करने वाले कई ऐसे आर्थिक परिपाटी के प्रादुर्भाव का होना सरकार की सषक्तता का परिचायक ही है। एक उज्जवल भविश्य की ओर भारत को धकेलने का काम करना और अभूतपूर्व पारदर्षिता कायम करने की भरपूर कोषिष करने के चलते भी मोदी सरकार का द्विवर्शीय रिपोर्ट कार्ड उजाले की ओर जाता दिखाई देता है। चैतरफा विकास सुनिष्चित करने के मुरीद मोदी कई योजनाओं को समाप्त करने के लिए भी जाने जाते हैं मसलन योजना आयोग के बदले नीति आयोग का बनाना। मोदी इस बात के लिए भी अपनी तारीफ करवा सकते हैं कि उन्होंने पहले की यूपीए सरकार के कई नीतियों और नियोजनों को समाप्त किया है पर उन्होंने मनरेगा परियोजना को लेकर कोई आड़ा-तिरछा निर्णय नहीं लिया। एक बार लोकसभा में बोलते हुए उन्होंने कहा था कि मनरेगा कांग्रेस सरकार की नाकामियों का पिटारा है और इसका ढोल हम बजाते रहेंगे। अप्रत्यक्ष व आलोचना के तौर पर ही सही मनरेगा मोदी को भी भाया है। मनरेगा समेत यूपीए की कई योजनाएं इनके भी मन को भाया है।
नई परम्परा की षुरूआत करने वाले मोदी रेडियो के माध्यम से अब तक 20 बार मन की बात कर चुके हैं। बच्चों की षिक्षा एवं परीक्षा पर संवेदनषीलता जताने और पानी को परमात्मा का प्रसाद बताने वाले मोदी देष के प्रत्येक नागरिकों को उकसाने का कोई अवसर नहीं छोड़ते। विदेष की धरती पर कभी ऐसा अवसर नहीं आया जब भारतीय प्रधानमंत्री को लेकर हजारों की तादाद जुटती रही हो और लोकप्रियता के आकाष में इतनी किसी ने चमक छोड़ी हो। मोदी विगत् दो वर्शों में करीब तीन दर्जन देषों में यात्रा कर चुके हैं। जून 2014 से भूटान से विदेष यात्रा षुरू करने वाले मोदी दो साल के कार्यकाल के अन्तिम दिवस आते-आते ईरान तक की यात्रा के लिए जाने जायेंगे। अन्तर्राश्ट्रीय मंचों पर प्रधानमंत्री मोदी आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन की चर्चा करने वालों में भी षायद अव्वल माने जायेंगे। यह सही है कि मोदी इन दो वर्शों में आतंकवाद के मामले में दुनिया को अपनी वेदना से अवगत कराने में भारत ने बड़ी कामयाबी पाई है। अमेरिका समेत विष्व के कई पहली पंक्ति के देषों के साथ सम्बंधों को इन्होंने परवान चढ़ाया है। रेड टेप के बजाय रेड कारपेट कल्चर से विष्व को अवगत कराकर मोदी ने भारत की अलग तस्वीर ही दुनिया में पेष कर दी। मई, 2015 की रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत पर्यटन के मामले में छलांग लगाते हुए वैष्विक सूची में 65वें से 52वें स्थान पर आ गया था। सरकार ने इस दौरान टूरिस्ट वीजा में भी नये नियमों का समावेषन करके काफी हद तक तरल बनाने का काम किया है। षौचालय से लेकर स्टार्टअप इण्डिया, स्टैण्डअप इण्डिया जैसे कार्यक्रमों को बेहतर रूप देने वाले मोदी के षासनकाल के दो वर्श की तस्वीर फिलहाल चमकदार तो है परन्तु यही कार्यकाल कई खामियों को भी समेटे हुए है।
सघन और संवेदनषील कार्यकाल के दौरान सरकार कई बार कमजोर भी पड़ी है। कई महत्वाकांक्षी विधेयकों को लेकर आज भी तस्वीर साफ नहीं है मसलन जीएसटी। भूमि अधिग्रहण विधेयक पर तो सरकार बैकफुट पर ही चली गयी। राज्यसभा में संख्याबल की कमी के कारण दो साल का पूरा कार्यकाल पूर्ण बहुमत वाली मोदी सरकार के लिए पूरी तरह चिकना पथ साबित नहीं हुई। अरूणाचल प्रदेष और उत्तराखण्ड में क्रमषः 26 जनवरी एवं 27 मार्च, 2016 को राश्ट्रपति षासन लगाकर अपनी खूब आलोचना भी करवाई। इसके अतिरिक्त मोदी की कार्यषैली को लेकर भी आरोप-प्रत्यारोप लगते रहे हैं। धर्मांतरण से लेकर असहिश्णुता तक का बाजार इन्हीं दो वर्शों में खूब गरम रहा। असहिश्णुता के चलते तो वर्श 2015 के अगस्त के महीने से पुरस्कार वापसी का एक अभियान ही षुरू हो गया था। राजनीति में करिष्माई कद रखने वाले मोदी की पार्टी भाजपा दिल्ली विधानसभा में बुरी तरह हारी जबकि बिहार हार ने उनके करिष्मे पर ही प्रष्न चिह्न खड़ा कर दिया। हालांकि बीते 19 मई को घोशित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों ने असम में सत्ता के साथ मोदी के कामकाज और करिष्मे पर एक बार फिर मोहर लगते हुए देखी गयी। रोचक यह भी है कि इन दो वर्शों में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप में 14 प्रान्तों में भाजपा की सरकारे चल रही है जबकि मोदी से पहले यही संख्या कांग्रेस के पास थी जो अब आधा दर्जन पर सिमट कर रह गयी। कहा जाय तो कांग्रेस मुक्त भारत का महाअभियान चलाने वाले मोदी इन दो वर्शों में इस मामले में भी कारगर सिद्ध हुए हैं। बावजूद इसके खास बातों के लिए जाने, जाने वाले मोदी का रिपोर्ट कार्ड खामियों से भी भरा कहा जा सकता है। मिलाजुला कर दो वर्श की कार्यकाल पद्धति को संतुलित तौर पर देखा जा सकता है।
सुशील कुमार सिंह


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