Sunday, January 24, 2021

साल 2021 में सर्वोदय की उपेक्षा

साल 2020 के तमाम घटनाओं से जीवन में जो खालीपन पैदा हुआ मानो 2021 सभी की भरपायी करने का वर्श है। आज से ठीक सौ साल पहले 1920 का दौर भी एक महामारी से ही जूझा था और तब ऐसी ही अपेक्षा 1921 से की गयी थी। भारतीय जनगणना की दृश्टि से देखें तो यही वर्श था जब पहली और अन्तिम बार जनसंख्या घटी थी। इस सदी के 21वें साल में सर्वोदय की जो सम्भावना सभी में कुलांछे मार रही है उसको गांधी के दिग्दर्षन में सौ साल पहले ही देखा जा सकता है। गौरतलब है कि सर्वोदय षब्द गांधी द्वारा प्रतिपादित एक ऐसा विचार है जिसमें सभी के हित की भारतीय कल्पना, सुकरात की सत्य-साधना और रस्किन की अंत्योदय की अवधारणा सम्मिलित है। सर्वोदय सर्व और उदय के योग से बना षब्द है। जिसका सीधा अर्थ सबका उदय और सब प्रकार के उदय से है। गांधी के विचारों को और बड़ा करके देखें तो जान पड़ता है कि ऐसे षब्दों के आषय और भाव जग सुधारक की भूमिका में रहे हैं। उन्होंने कहा था कि मैं अपने पीछे कोई पंथ और सम्प्रदाय नहीं छोड़ना चाहता हूं। उक्त कथन से यह साफ है कि सर्वोदय जीवन की समग्रता है। जाहिर है लोक-लुभावन क्रान्ति के बजाये 21वीं सदी के इस 21वें साल को विकास का जरिया बना देना चाहिए और ऐसा विकास जहां से सभी को यह एहसास हो कि यह उनका देष है और जीवन आसान हुआ है। हम यह उम्मीद भी नहीं बंधा रहे हैं कि आने वाली चुनौतियां इस वर्श में खत्म हो जायेंगी मगर 2021 में कुछ ऐसा हो कि 2020 की बुरी यादें जीवन से दूर हो जायें। इस सदी की सम्भवतः सबसे बड़ी त्रासदी कोरोना को लेकर एक अच्छी खबर कि टीका बनकर तैयार हो गया है और इसकी पहुंच में पूरा देष षीघ्र होगा। भारत दुनिया के उन देषों में से एक है जिन्होंने एक साथ दो निर्माता कम्पनियों की कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दी है। इस समय दुनिया के 11 से अधिक देषों में कोविड-19 का टीका दिया जा रहा है। जिसमें से ऐसे देषों की संख्या कम है जहां दो कोरोना वैक्सीन उपयोग की जा रही है। मौजूदा समय में टीकाकरण एक भयंकर बीमारी से मुक्ति देगा जो सर्वोदय का एक प्रतीक ही कहा जायेगा। 

21वीं सदी का 21वां साल आम वर्शों की भांति नहीं है यह इस बात को भी तय करेगा कि पिछले साल जो खोया गया उसकी भरपाई कितनी षिद्दत से की गयी। भारत समेत दुनिया कोविड-19 का पूरा एक साल देखा। अर्थव्यवस्था छिन्न-भिन्न हुई, लगभग एक करोड़ की तादाद में लोग इस वायरस से पीड़ित हुए। अमेरिका में तो यह तादाद दो करोड़ के आस-पास है। अभी भी यूरोप और अमेरिका के देषों में मौत का दौर जारी है। कोरोना अभी गया नहीं है ऐसे में चुनौती न घटी है और न कमतर हुई है। पहली चुनौती कोरोना मुक्त भारत फिर सुषासन की राह पर चलना। वैसे सुषासन स्वयं में एक सर्वोदय है जहां समावेषी विकास के साथ सतत् विकास का प्रभाव होता है। मगर बीते एक वर्श में भारत की अर्थव्यवस्था जिस प्रकार मुरझायी है यह समावेषी विकास की वेषभूशा को चकनाचूर कर दिया है। हालांकि इसी के बीच एक अच्छी खबर यह है कि साढ़े तीन साल के जीएसटी के पूरे कालखण्ड में दिसम्बर 2020 में उगाही 1 लाख 15 हजार करोड़ से अधिक की हुई है जो किसी भी माह का रिकाॅर्ड है। इससे यह परिलक्षित होता है कि कोरोना के दंष से व्यवसाय उबर रहा है पर इसका तात्पर्य यह नहीं कि सर्वोदय और सुषासन पगडण्डी पर हैं। इसके लिए अलग से अनुप्रयोग की आवष्यकता है जिसमें पहली प्राथमिकता स्वास्थ फिर सभी प्रकार के विकास हैं। बेइंतहा बेरोजगारी और बेषुमार बीमारी इस बात का परिचायक है कि सर्वोदय का करवट आसान नहीं होगा। 8वीं पंचवर्शीय योजना 1992 से चला समावेषी विकास और तभी से यात्रा पर निकला सुषासन एक-दूसरे के साथ भी हैं और पूरक भी मगर सर्वोदय दूर की कौड़ी बनी रही। देष में हर चैथा व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे है और इतने ही अषिक्षित। हालिया आंकड़े भी बताते हैं कि देष गरीबी और भूख से भरा है। जाहिर है यह गांधी के दर्षन सर्वोदय के विरूद्ध है।

समोवषी विकास पुख्ता किया जाये, सर्वोदय का रास्ता स्वयं चैड़ा हो जायेगा। रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ, षिक्षा, चिकित्सा तमाम बुनियादी तत्व क्या इस वर्श ऐसी चुनौतियों से निपटने में मददगार होंगे। सरकार की रणनीतियां और जनता को दिया जाने वाला विकास यह तय करता है कि सुषासन कितना आगे बढ़ा है। यहां मैं याद दिला दूं कि सुषासन सरकार की मजबूती और मात्र उसकी नीतियों के निर्माण से पूरा नहीं होता। सुषासन लोक सषक्तिकरण है। सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का प्रतीक है न कि बड़े-बड़े आंकड़ों की नुमाइष है। स्वतंत्रता से पूर्व स्वराज षब्द का जो महत्व था आज स्वतंत्रता के बाद वह सुराज हो गया है। ऐसा राज जहां सब कुछ सभी के लिए हो। स्वराज का जो महत्व था आज वही सर्वोदय षब्द में है और इसकी प्राप्ति सुषासन के बगैर सम्भव नहीं है। मोदी सरकार सुषासन को नई करवट देने की फिराक में राह समतल करती रही है। मगर कई बुनियादी समस्याओं से वे भी मुक्त नहीं है। किसानों के विकास और युवाओं के रोज़गार दो बड़ी कसौटी हमेषा सरकारों के लिए रही। किसान और जवान सुषासन की बाट बरसों से जोह रहे हैं मगर दुःखद पक्ष यह है कि किसान इन दिनों आंदोलन में है और बेरोज़गार युवा खाक छान रहा है। सवाल है कि ऐसे प्रष्नों के उत्तर क्या इस साल मिल पायेंगे। दुविधा बड़ी है और सरकार भी सुविधा में दिखाई नहीं देती है। दो टूक यह भी है कि सरकार बहुमत से बनती है और मौजूदा समय में देष के बहुसंख्यक किसान आंदोलन में है। सरकार कानून देने पर आमादा है और किसान लेना नहीं चाहता। रास्ता कठिन है पर नामुमकिन नहीं। क्या यह वर्श किसानों के लिए और बेरोज़गार भटक रहे युवाओं के लिए सर्वोदय का काम करेगा। 

आज से तीन साल पहले मोदी सरकार ने न्यू इण्डिया की अवधारणा दी थी। तेजी से बदलते वैष्विक परिदृष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत को नया रूप देना लाज़मी है। षायद न्यू इण्डिया की अवधारणा भी इस मनोदषा से प्रभावित है पर यह तभी सम्भव है जब गांव और षहर, अमीर और गरीब, स्त्री और पुरूश समेत सभी प्रकार की असमानता को पाटने का काम किया जा सकेगा। यदि ऐसा नहीं होता है तो न्यू इण्डिया, पुराना भारत ही बनकर रह जायेगा। 21वीं सदी का यह 21वां साल न्यू इण्डिया को भी एक नया आयाम दे पायेगा यह चुनौती भी रहेगी। उम्मीद रखने में कोई हर्ज नहीं है मगर सर्वोदय भरा देष देना मोदी सरकार के लिए बड़ी चुनौती रहेगी। दषकों पहले लोक कल्याणकारी व्यवस्था के चलते व्यवस्था का आकार बड़ा हो गया बावजूद इसके विकास बौना ही रहा। जिस तरह जन मानस की आंखों में सपने ठूसे जाते हैं उसी सपने का जीता-जागता उदाहरण सर्वोदय की चाह है। इसे लेकर मोदी सरकार कितनी खरी है इसका अंदाजा पहले के किये गये कार्यों से लगाया जा सकता है। भारतीय संस्कृति के माध्यम से सम्पूर्ण विष्व को बदलने के लिए सत्य और अहिंसा का जो रास्ता गांधी ने अपनाया उस पर भारत आज भी कायम है तथा सम्पूर्ण समस्याओं का समाधान इसी के माध्यम से षायद सम्भव भी है। जिस प्रकार वैष्विक दृश्टिकोण बदल रहे हैं कूटनीतिक और राजनीतिक तौर-तरीकों में फेरबदल हुआ है उसे देखते हुए भी यह नया वर्श कई अपेक्षाओं से भर जाता है। फिलहाल सरकार से राश्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखते हुए सबके उदय को नीतियों में उतारते हुए सुखमय जीवन की आस 2021 में रहेगी।



 डाॅ0 सुशील कुमार सिंह

निदेशक

वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन ऑफ़  पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 

लेन नं.12, इन्द्रप्रस्थ एन्क्लेव, अपर नत्थनपुर

देहरादून-248005 (उत्तराखण्ड)

मो0: 9456120502

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