Wednesday, November 2, 2016

एलओसी पर कीमत चुकाते जवान और जनता

यही कोई दो दषक से अधिक पुरानी बात होगी जब कष्मीर आन्तरिक कलह से जूझ रहा था तब एक बार एक राश्ट्रीय समाचार पत्र में यह पढ़ने को मिला कि एक पत्रकार ने खेत में काम कर रही एक कष्मीरी युवती से यह पूछा कि इन गोली एवं बम के धमाकों के बीच आपको डर नहीं लगता तब उस युवती का हतप्रभ करने वाला जवाब था कि यह बात और है कि आप की सुबह संगीत से और मेरी धमाको से होती है। जब भी एलओसी पाकिस्तान के नापाक इरादों की जद् में आती है तब वहां के बाषिन्दों को कीमत चुकानी पड़ती है। पाकिस्तानी गोलाबारी में बीते 1 नवम्बर को आठ नागरिकों की मौत हो गयी, लगभग 22 घायल हो गये। हालांकि जवाबी कार्यवाही में भारतीय सेना और बीएसएफ ने पाकिस्तान की 14 चैकियां ध्वस्त कर दीं। सीमा पर जारी सीज़फायर का उल्लंघन और धड़ाधड़ पाक की ओर से चलती गोलियां वहां के आम लोगों के लिए मौत का सबब बन रही है। एक ओर सीमा पर सैनिक षहीद हो रहे हैं तो दूसरी तरफ आम लोगों की मौत का आंकड़ा भी बढ़ रहा है। जम्मू-कष्मीर में पाक सीमा पर गांव और बस्तियों में रहने वाले लोग इन दिनों बम और गोलियों के बीच रहने के लिए मजबूर हैं। कुछ तो एलओसी के इतने नज़दीक हैं कि हर वक्त मौत के मुहाने पर हैं। सुदूर उत्तर के इस क्षेत्र में देखा जाय तो बारिष कम, बम ज्यादा बरसते हैं। जिस तर्ज पर आम नागरिक हताहत हो रहे हैं और जिस प्रकार सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने भारत की ओर आतंकियों समेत सेना का रूख मोड़ लिया है उससे साफ है कि सर्जिकल स्ट्राइक भले ही हमारी पीठ थपथपाने के काम आ रही हो पर पाक ने षायद इससे कोई सबक नहीं लिया। अक्सर यह रहा है कि सेना आम नागरिकों को निषाना नहीं बनाती है पर पाकिस्तानी सेना को ऐसी नैतिकता से भला क्या लेना-देना। उसे तो हर हाल में अपनी सनक पूरी करनी है।
नियंत्रण रेखा के निकट दो किलोमीटर के दायरे में गांवों को खाली कराने की प्रक्रिया षुरू है। सीमा के आस-पास के आबादी क्षेत्रों की सुरक्षा भी बढ़ाई गयी। पाक सैनिकों द्वारा बौखलाहट में जो कुछ किया जा रहा है यदि उसके बदले भारत ने पूरी ताकत से पलटवार किया तो यह पाकिस्तान के लिए किसी तबाही से कम भी नहीं होगा। 1948 से लेकर 1999 के कारगिल युद्ध तक चार युद्धों में हर बार पाकिस्तान परास्त होता रहा है बावजूद इसके भारत से दो-दो हाथ करने पर आमादा है। इन दिनों जम्मू-कष्मीर दो समस्याओं से जूझ रहा है एक अलगाववादियों के चलते बीते चार महीने से घाटी की स्थिति बेकाबू है, दूसरे उरी घटना के बाद हुए सर्जिकल स्ट्राइक तत्पष्चात् पाक द्वारा एलओसी पर अपनी पूरी ताकत झोंकना। सीमा पार से भारी गोलाबारी के चलते केन्द्र सरकार ने एलओसी और आईबी के पास सभी चार सौ के लगभग सरकारी निजी स्कूलों को बन्द करने का आदेष दिया है और ऐसा तब तक चलता रहेगा जब तक स्थिति सामान्य नहीं होती जबकि घाटी के अंदर तो 8 जुलाई को आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद से ही मामला आपे से बाहर है और यहां भी इतने ही दिनों से सैकड़ों स्कूल बंद हैं और लाखों बच्चे घर में बिना पढ़ाई-लिखाई के समय काटने के लिए विवष हैं। सीमा पर चल रही तनातनी के चलते कई समस्याएं पनपी हैं। लोगों को षरण लेने के लिए अपना घर-बार छोड़ना पड़ रहा है। हजारों लोग आरएसपुरा सेक्टर के बना सिंह स्टेडियम में षरण लिए हुए हैं और गोलाबारी की स्थिति को देखते हुए यहां संख्या निरंतर बढ़ रही है। कुछ तो बंकरों में रिहायष बनाये हुए हैं। इसके अतिरिक्त जारी फायरिंग से सैकड़ों पषु अब तक मारे जा चुके हैं जबकि दो सौ से ज्यादा घायल बताये जा रहे हैं। सीमा से सटे किसानों का एक दुःख उनकी फसल भी है। इस दौरान फसल पूरी तरह तैयार खड़ी है पर उसकी कटाई गोलाबारी के बीच करना मुमकिन नहीं है। 
भारत ने पाक की ओर से जारी गोलाबारी को देखते हुए विरोध भी दर्ज कराया है पर सवाल है कि क्या मात्र विरोध दर्ज कराने से समाधान होगा फिलहाल यह तो कतई नहीं होने वाला। जिस सनक में पाकिस्तान इन दिनों है और जिस कूटनीति के तहत भारत ने अपनी कोषिषों से उसे अलग-थलग किया है उससे साफ है कि कमजोर और निहायत विक्षिप्त पाकिस्तान से अपेक्षा रखने का कोई मतलब नहीं है। दिल्ली स्थित पाक उच्चायोग में भी पाकिस्तानी जासूस पकड़ा जा चुका है। अभी भी यहां 16 जासूस मौजूद हैं और यह बात पाक राजनयिक महमूद अख्तर के कबूलनामे से साफ हुई है। गौरतलब है कि 26 अक्टूबर को महमूद भारतीय सेना की तैनाती सम्बंधी दस्तावेज से कई आपत्तिजनक सामग्री के साथ हिरासत में लिया गया था। पाक के गुनाहों पर चीन पर्दा डालने के काम में बादस्तूर अभी भी लगा हुआ है। वल्र्ड बलूच वूमेन्स फोरम की अध्यक्ष नायला का कहना है कि अगर चीन पाकिस्तान का साथ छोड़ दे तो बलूचिस्तान तुरन्त आजाद हो जायेगा। चीन चीनी चारा डाल कर पाकिस्तान को अपनी मुट्ठी में करने की भरसक कोषिष में लगा हुआ है। एक बात यह भी स्पश्ट है कि भारत से आन्तरिक बैर और बाह्य संतुलन बिठाने के लिए चीन हमेषा पाकिस्तान को चारा डालता रहेगा और पाकिस्तान सदियों तक भारत के दुष्मन बने रहने के लिए चीन के झांसे में आता रहेगा जबकि पाकिस्तान और चीन दोनों को यह समझ लेना चाहिए कि भारत से बेहतर उदारवाद से भरा पड़ोसी षायद उन्हें कभी नसीब हो जो अपने हितों के साथ सर्वहित एवं विष्व कल्याण से पोशित है।
फिलहाल देखा जाय तो सीमा पर जंग जारी है और जिस तर्ज पर जारी है उसका अंत स्पश्ट नहीं दिखाई देता। षहीद होने वाले सैनिकों की संख्या 90 के आस-पास पहुंच चुकी है। 63 से अधिक बार सीज़फायर का उल्लंघन हो चुका है। आतंकी अभी भी एलओसी पार करने की फिराक में रहते हैं जबकि भारतीय सेना सुरक्षात्मक उपाय के साथ उन्हें नश्ट करने या पीछे धकेलने की कोषिष में लगी हुई है। पेंटागन ने भी चेतावनी दी है कि पाक में पनाह ले रहे आतंकी न केवल पाकिस्तान के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरा हैं। दृश्टिकोण और परिप्रेक्ष्य दोनों इस ओर इषारा करते हैं कि पाकिस्तान अपनी हरकतों से भारत को उकसा रहा है और सीधे-सीधे यह संकेत दे रहा है कि वह युद्ध नीति पर चल रहा है। अब सोचना भारत को है। चर्चा तो यह भी है कि ताबूत में सैनिकों की सीमा से इस तरह वापसी सही नहीं है। पाकिस्तान की ऐसे करतूतों का मुंह तोड़ जवाब दिया जाय। हालांकि भारतीय सेना और बीएसएफ सहित सभी इसी काम में लगे हैं पर क्या इसे सीधी लड़ाई कही जा सकती है षायद नहीं। भारत बचाव में अपने सैनिक और नागरिक दोनों खो रहा है जबकि पाकिस्तान खोकर भी पीछे नहीं हट रहा है। पाकिस्तान की जनता क्या चाहती है यह उससे बेहतर कोई और नहीं जानता। भुखमरी और गरीबी के साथ बेरोजगारी से जूझने वाली पाकिस्तानी जनता के प्रधानमंत्री नवाज़ षरीफ अपने ही देष की कब्र खोदने में लगे हैं और भारत के सब्र को वे नज़रअंदाज कर रहे हैं। ऐसे में भारत का रूख भी स्पश्ट होना चाहिए। हालांकि भारत सर्जिकल स्ट्राइक और कूटनीति के माध्यम से पाकिस्तान में बिलबिलाहट पैदा कर दी है साथ ही पीओके को आधे से अधिक आतंकियों को छोड़ने के लिए विवष कर दिया है पर सर्जरी अभी अधूरी है। सबके बावजूद भारत सरकार का होमवर्क अच्छा कहा जा सकता है पर देष को तो नतीजे चाहिए।



सुशील कुमार सिंह


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