Friday, November 11, 2016

व्हाइट हाउस में ट्रम्प का गृह प्रवेश

अमेरिकी राश्ट्रपति के चुनावी नतीजे ने उन्हें जरूर निराष किया होगा जो व्हाइट हाऊस में किसी महिला का प्रवेष चाहते रहे होंगे। करोड़ों की संख्या में अमेरिकी नागरिकों ने देष की प्रथम महिला राश्ट्रपति या व्हाइट हाऊस के लिए एक कारोबारी को चुनने हेतु बीते 8 नवम्बर को मतदान किया था और 9 नवम्बर को दोपहर तक आये नतीजे से स्पश्ट हो गया कि व्हाइट हाऊस अब ट्रंप के हवाले है। चुनाव जीतने के बाद राश्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रंप ने साफ किया कि अब दुष्मनी नहीं। औपचारिकता निभाते हुए हिलेरी क्लिंटन ने भी ट्रंप को जीत की बधाई दी। जीत की घोशणा के बाद ट्रंप ने दुष्मनों को भी दोस्त बनाने की बात कही और मिल-जुलकर काम करेंगे इसका भी आह्वान किया। जो ट्रंप तीखे चुनाव प्रचार के लिए जाने जाते थे आज उनके सुर काफी बदले हुए थे। षायद वे भी राश्ट्रपति होने का तात्पर्य समझ रहे थे। ट्रंप के लिए यह चुनाव जीतना इतिहास बनने जैसा ही है पर अमेरिका के 240 वर्श के लोकतांत्रिक इतिहास में किसी महिला ने कभी किसी को इस तरह टक्कर भी नहीं दी होगी। नतीजों से साफ है कि चुनावी रणनीति में हिलेरी भले ही पीछे रह गयी हो पर जिस प्रकार आखिरी क्षण तक चुनौती दोनों प्रतिद्वन्दियों में विद्यमान थी उसे देखते हुए साफ था कि टक्कर कांटे की थी। एक-एक वोट के लिए दोनों उम्मीदवार अमेरिकी जनता के समक्ष जोरदार बहस करते हुए देखे गये। यह भी स्पश्ट है कि इस बार के अमेरिकी राश्ट्रपति चुनाव पर दुनिया भर की नजरें टिकीं थी। फिलहाल नतीजे से कौन निराष हुआ, कौन उल्लास से भर गया यह भी पड़ताल का विशय हो सकता है। 
डेमोक्रेटिक पार्टी की हिलेरी क्लिंटन और रिपब्लिकन से उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को लेकर वैष्विक फलक पर बीते कई महीनों से चर्चा-परिचर्चा का बाजार भी गर्म रहा। आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चुनावी प्रचार के दिनों में खूब चला। 70 वर्शीय ट्रंप अमेरिका के पहले ऐसे राश्ट्रपति होंगे जो अब तक के राश्ट्रपतियों में सर्वाधिक उम्रदराज हैें। इसके पहले रोनाल्ड रीगन बुजुर्ग राश्ट्रपति के लिए जाने जाते थे। गौरतलब है कि जीत के लिए 270 का आंकड़ा छूना इतना आसान नहीं था पर इस जादुई आंकड़े को न केवल उन्होंने छुआ बल्कि इसे पार करते हुए हिलेरी क्लिंटन को कहीं पीछे छोड़ दिया। देखा जाय तो डोनाल्ड ट्रंप की चुनाव के आखिरी दिनों में विदेष नीति भी मोदीमय हो गयी थी तब उन्होंने कहा था कि यदि मैं राश्ट्रपति बना तो मोदी की नीतियों को लागू करूंगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि यह एक चुनावी जुमला था या ट्रंप इसके प्रति वाकई में संवेदनषील थे। वैसे ट्रंप की विदेष नीति में भारत अहम होगा यह अंदाजा भी लगाया जा रहा है। पाकिस्तान को लेकर भारत का साथ भी ट्रंप दे सकते हैं क्योंकि ट्रंप ने सम्भवतः पाकिस्तान को दुनिया का सबसे खतरनाक देष की संज्ञा दी थी। ट्रंप ने यह भी संकेत दिये हैं कि परमाणु षक्ति सम्पन्न पाकिस्तान को काबू में रखने के लिए वे भारत के साथ काम कर सकते हैं। इसके साथ ही यह भी कयास रहा है कि अमेरिकी नतीजे से उत्पादन की मुष्किलें बढ़ेंगी। भारत के उत्पादन क्षेत्र के लिए षीघ्र कोई सुखद खबर आयेगी इसकी कम ही सम्भावना है। 
ट्रंप के 45वें राश्ट्रपति चुने जाने के बाद यह भी तय हो गया कि अभी भी अमेरिका में उच्च पदों पर महिलाओं को पहुंचाने के लिए इंतजार करना होगा। आठ साल अमेरिका में राश्ट्रपति रहे बिल क्लिंटन की पत्नी और मौजूदा राश्ट्रपति बराक ओबामा के पहले कार्यकाल में विदेष मंत्री रहीं हिलेरी क्लिंटन की ताबड़तोड़ प्रचार षैली को देखते हुए यह कहीं से नहीं लग रहा था कि नतीजे उनके पक्ष में नहीं होंगे पर सच्चाई यह है कि मजबूत नेतृत्व देने की बात कहने वाली हिलेरी चुनाव हार गयी हैं। ओबामा ने देष का नेतृत्व करने को लेकर ट्रंप को जहां अयोग्य करार दिया था वहीं हिलेरी क्लिंटन को अपने से भी योग्य बताया था पर अब इन बातों का क्या। गौरतलब है कि अमेरिका के इतिहास में एक और इतिहास इस चुनावी नतीजे के बाद जुड़ गया है। हमारे पास एक मजबूत आर्थिक योजना है, मिलकर अमेरिका का पुर्ननिर्माण करेंगे। अमेरिका के सभी नागरिकों का एक होने का समय है आदि तमाम बातें ट्रंप ने नतीजे अपने पक्ष में आने के बाद कही। बेषक डोनाल्ड ट्रंप दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका के राश्ट्रपति बन चुके हैं पर दुनिया में फैले आतंकवाद समेत कई घातक समस्याओं से कैसे निपटेंगे इस पर अभी उनका कोई रोडमैप सामने नहीं आया है। हालांकि उन्होंने आतंकवाद के मामले में जो रूख दिखाया है यदि उस पर कायम रहते हैं तो आतंकियों को कुचलना काफी हद तक आसान होगा। 
खास यह भी है कि डोनाल्ड ट्रंप यह मानते हैं कि अमेरिका विष्व इतिहास में नौकरियों की सबसे बड़ी चोरी से जूझ रहा है। भारत, चीन, मैक्सिको और सिंगापुर में अमेरिकी कम्पनियां नौकरियां ले जा रही हैं। उन्होंने यह भी कहा चीन के विष्व व्यापार संगठन में प्रवेष से अमेरिका 70 हजार फैक्ट्रियां गंवा चुका है। उनका यह वक्तव्य कि सबसे बड़ी नौकरी चोरी की वजह भारत और चीन हैं खलने वाली है। उक्त से यह संकेत मिलता है कि ट्रंप कुछ मामलों में चीन और भारत में कोई फर्क नहीं देखना चाहते जबकि मोदी नीतियों के चहेते होने की बात करते हैं। हालांकि यह चुनाव से पहले का वक्तव्य है। नतीजे पक्ष में आने से सुर को देखते हुए यह भी समझा जा सकता है कि अब जो भी बोलेंगे वे जिम्मेदारी से भरा होगा। विष्व के कई देष जिसमें रूस और कुछ हद तक भारत का खेमा भी ट्रंप को जीतते हुए देखना चाहता था। भारत की नाजुक समस्या यह है कि उसे पाकिस्तान और चीन दोनों को संतुलित करना होता है और अमेरिका से आंख से आंख मिलाकर संवाद करने की चाहत रखता है। ट्रंप को लेकर कट्टर होने की बात भी कही जाती रही है जबकि सच्चाई यह है कि बदलते वैष्विक अर्थव्यवस्था और उससे जुड़े सम्बंधों को देखते हुए कट्टरता गौण होनी चाहिए। संदर्भ और परिप्रेक्ष्य तो यह भी है  कि चाहे नतीजे में ट्रंप होते या हिलेरी पर भारत को तो अपना भाग्य बदलने के लिए स्वयं एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ता। यदि ट्रंप के होते आतंकवाद पर काबू पा लिया जाता है और पाकिस्तान को जिस नजरों से ट्रंप देखते हैं यदि उसमें हेरफेर नहीं होता है तो भारत न केवल चीन के साथ संतुलन बिठाने में कामयाब होगा बल्कि कोरोबारी डोनाल्ड ट्रंप से राश्ट्रपति बने ट्रंप के साथ लम्बे रिष्तों की तुरपाई भी करना आसान होगा।

सुशील कुमार सिंह


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