Tuesday, September 6, 2016

नतीजे वाले एजेंडे की ज़रूरत

आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन को लेकर प्रधानमंत्री मोदी का एजेंडा बिल्कुल स्पश्ट रहता है और जब मंच अन्तर्राश्ट्रीय होता है तो वे इसकी गति और बढ़ा लेते हैं। मोदी ने ब्रिक्स नेताओं की बैठक में आतंक को लेकर बिना नाम लिए पाकिस्तान पर कड़ा प्रहार किया उन्होंने कहा कि आतंकवाद, इसके प्रयोजकों और समर्थकों पर समूह के देष सख्त कार्यवाही करें ताकि इन्हें अलग-थलग किया जा सके। ठीक दूसरे दिन सोमवार को जी-20 के सम्मेलन में उन्होंने यहां तक कहा कि दक्षिण एषिया में सिर्फ एक देष आतंक के एजेंट फैला रहा है। जाहिर है दोनों बार निषाना पाकिस्तान पर ही था। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी पहले भी आतंकवाद को लेकर चिंता जता चुके हैं परन्तु विष्व समुदाय आतंक पर रोक लगाने के मामले में न तो उतना प्रतिबद्ध दिखाई दिया और न ही इस मामले में लिये गये संकल्प में मजबूती दिखाई देती है। दक्षिण एषिया या किसी अन्य क्षेत्र में आतंकियों के पास न तो बैंक हैं और न ही हथियारों का कारखाना। इससे साफ है कि कोई न कोई उन्हें पैसा और हथियार दे रहा है। ब्रिक्स की अवधारणा को एक समुच्च रूप देने में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका को देखा जा सकता है। भारत इस संगठन का अध्यक्ष होने के चलते आगामी 15-16 अक्टूबर को होने वाले 8वें ब्रिक्स षिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। हालांकि मोदी ने बिना नाम लिये आतंक को लेकर कार्यवाही करने की जो बात कही है उससे भी यह स्पश्ट कर दिया है कि वैष्विक मंच पर भारत आतंकवाद की चर्चा किये बिना चैन से तो नहीं बैठने वाला साथ ही पाकिस्तान जैसे देष जब तक आतंक की पाठषालाओं पर लगाम नहीं लगायेंगे तब तक वे आड़े हाथ लिये जाते रहेंगे। जाहिर है कि वर्तमान में आतंकवाद वैष्विक फलक पर हिंसा, उत्पात तथा अस्थिरता का मुख्य कारण बना हुआ है साथ ही किसी भी देष और समाज के लिए सबसे बड़ा खतरा भी। ऐसे में यह चिंता अकेले भारत की ही नहीं हो सकती। 
बीते रविवार को चीन के होंगझोऊ में जी-20 का 11वां षिखर सम्मेलन आयोजित हुआ। इस षिखर सम्मेलन में कई नई समावेषी और वैचारिक प्रभावषीलता का परिदृष्य भी उभरता दिखाई देता है। नवम्बर, 2008 से वांषिंगटन डीसी से प्रारम्भ इस मंच की यात्रा में कई समसमायिक आयाम भी जुडे़ हैं। असल में जी-20 षिखर सम्मेलन वैसे तो वैष्विक-आर्थिक समस्याओं पर विमर्ष करने का एक साझा मंच है परन्तु वर्तमान में अब यह देषों के बीच समरसता और आर्थिक उदारता का भाव भी समेटे हुए है। प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 सम्मेलन में आर्थिक नरमी से निपटने के लिए 10 खास बातें बताते हुए कहा कि गूढ़ बातचीत करना ही काफी नहीं है बल्कि जी-20 के सदस्य देषों की ओर से सम्मिलित, समन्वित और लक्षित कार्यवाही करने की भी जरूरत है। मोदी जताना चाहते हैं कि जी-20 दुनिया में जिस दृश्टि से देखा जाता है उस कसौटी पर उसे षब्दांषतः खरा उतरना चाहिए साथ ही, साथ होने का दावा ही न करें बल्कि हम साथ-साथ हैं की अवधारणा पर भी चलें। चर्चा-परिचर्चा का वैष्विक परिप्रेक्ष्य चाहे जैसा हो पर नतीजे तो जी-20 के भी बेहतर नहीं रहे हैं। यही कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी ने नतीजे वाले एजेण्डे की जरूरत बताई। मोदी का यह कहना कि हम ऐसे समय में मिल रहे हैं जब दुनिया जटिल राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही है। इससे भी साफ है कि वे हालिया वैष्विक विकास की अवधारणा और तत्काल में मचे उथल-पुथल से संतुश्ट नहीं है तभी तो उन्होंने वित्तीय प्रणाली में भी सुधार की जरूरत बताई। इतना ही नहीं घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन, बुनियादी ढांचे के विकास के लिए निवेष बढ़ाने से लेकर मानव पूंजी का सृजन करने जैसों पर मोदी का जोर था। हाल ही में डिजिटल क्रान्ति को समाज के सबसे निचले तबके तक पहुंचाने का उनका आह्वान भी इससे जोड़कर देखा जा सकता है।
मानचित्र पर दो सौ से अधिक देषों की जमावट देखी जा सकती है जिसमें सभी एक जैसे सम्पन्न नहीं हैं। आज भी एषिया, मध्य अफ्रीका तथा दक्षिण अमेरिका के कई देष बुनियादी विकास के लिए तरस रहे हैं और षेश दुनिया मालामाल तो है परन्तु आतंक के अन्तर्राश्ट्रीय स्वरूप और जलवायु परिवर्तन की चिंताओं से वे भी मुक्त नहीं हैं। भारत, अमेरिका, फ्रांस, इंग्लैण्ड तथा आॅस्ट्रेलिया समेत कई देष आतंक की जद् में फंसे हैं साथ ही जलवायु परिवर्तन की चिंता में पूरा विष्व घुला जा रहा है। भले ही आर्थिक उच्चस्थता कोई कितनी ही कायम कर ले और जीवन में तमाम सहूलियतों को स्थान दे दे पर बिना इन समस्याओं से निपटे सजग विष्व का निर्माण सम्भव नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी का यह तीसरा जी-20 सम्मेलन है। जब उन्होंने पहली बार 9वें षिखर सम्मेलन में आॅस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन में षामिल हुए थे तब उन्होंने काले धन और आतंकवाद को लेकर अतिरिक्त संवेदनषीलता दिखाई थी जिसमें सफल भी रहे। जी-20 का षिखर सम्मेलन नवम्बर, 2015 मेु तुर्की में हुआ तब भी मोदी ने आतंकवाद से मुकाबला जी-20 की बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए कहा था। उन्होंने यह भी कहा था कि हमारी बैठक आतंकवाद के खौफनाक साये में हो रही है। इसके अलावा उन्होंने जलवायु परिवर्तन से मुकाबले के लिए सात सूत्रीय एजेंडे का प्रस्ताव किया पर आतंकी गतिविधियां बेलगाम जारी हैं बल्कि कहा जाय तो तुलनात्मक बढ़ी भी हैं जबकि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्बन क्रेडिट से ग्रीन क्रेडिट की ओर जाने की जरूरत से लेकर ईंधन की खपत घटाने तक का विचार अभी भी खटाई में है। मुष्किल यह भी है कि जो परिवर्तन कर सकते हैं उनमें भी एकाकीपन की कमी है। षायद यही कारण है कि बड़े मंच और बड़े सम्मेलन की थ्योरी आती-जाती रहती है पर समस्याएं ठहरी रहती हैं। यदि इसकी भी पड़ताल की जाये कि इस मामले में सर्वाधिक चिंतिंत कौन है तो बेषक भारत ही आगे दिखाई देगा।
पड़ताल भी यह बताती है कि दुनिया की 43 फीसदी आबादी ब्रिक्स के पांच देषों में रहती है जो उभरती हुई अर्थव्यवस्थायें हैं। वैष्विक सकल घरेलू उत्पाद में इनका 37 फीसदी हिस्सा है जबकि वैष्विक कारोबार में हिस्सेदारी 17 प्रतिषत है। इस आंकड़े से बाहर निकलकर देखा जाये तो जी-20 के षामिल सदस्यों का वैष्विक सकल घरेलू उत्पाद 85 फीसदी मिलता है। साफ है कि जी-20 और ब्रिक्स जैसे देषों की वैष्विक फलक पर बड़ी एहमियत है और यहां से निकले नतीजे प्रभावषाली भी होते हैं पर धरातल पर कितने साबित होंगे अभी कहना कठिन है। जी-20 के इसी सम्मेलन में चीनी राश्ट्रपति षी जिनपिंग से भी मोदी की मुलाकात हुई। बताते चलें कि यहां पहुंचने से पहले मोदी वियतनाम गये थे जहां दोनों देषों के बीच 12 अहम समझौते भी हुए हैं। 15 वर्श बाद किसी प्रधानमंत्री का वियतनाम के करीब होना चीन पर कूटनीतिक दबाव के काम भी आ रहा है। गौरतलब है कि दक्षिण चीन सागर के विवादित क्षेत्र में चीन अपना दबदबा बढ़ाने की कोषिष कर रहा है। हालांकि हाल ही में भारत, अमेरिका और जापान मिलकर यहां पर सैन्य अभ्यास के जरिये उसे घेरने की कोषिष कर चुके हैं। यह बात दुरूस्त है कि मोदी वैष्विक मंचों पर जो मषविरा देते हैं उसे बाकी देषों को स्वीकार करने में षायद ही कोई आपत्ति हुई हो। सम्मेलन में षिरकत कर रहे अमेरिकी राश्ट्रपति बराक ओबामा ने एक बार फिर कर सुधारों को लेकर मोदी की सराहना की है। गौरतलब है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री षरीफ की रणनीति का जवाब और पाक को छोड़कर पड़ोसी देषों को ब्रिक्स सम्मेलन में न्यौता देकर मोदी ने आतंक फैलाने वाले देष को अलग-थलग करने का इरादा जता दिया है। अब इस पर चलने की बारी षेश विष्व की है।
सुशील कुमार सिंह


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