Thursday, September 15, 2016

मोल-तोल वाले बाज़ार में रिलायंस जियो

आज से एक दषक पहले जब मोबाइल की दुनिया में क्रान्ति पुख्ता हो रही थी तब रिलायंस ने महंगे मोबाइल फोन और महंगी काॅल दर की होड़ के बीच अपना सिम सहित मोबाइल सस्ते दर पर बाजार में उतारा था जिसकी खरीदारी को लेकर उपभोक्ताओं में होड़ मची थी। तब संचार के क्षेत्र में रसूख की नई होड़ से युक्त रिलायंस ने इस कदर एंट्री मारी थी कि बाकी कम्पनियों को भी अपना होमवर्क ठीक करना पड़ा था। अब मुकेष अंबानी ने एक बार फिर रिलायंस जियो के माध्यम से डेढ़ लाख करोड़ रूपए का दुस्साहस से भरा दांव खेलकर प्रतिद्वन्दी कम्पनियों के बीच एक बार फिर बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। हालांकि इससे आम उपभोक्ता काफी सहज महसूस कर रहा है। सस्ती दरों पर बेहतर सेवायें मिलने की जो सम्भावना जियो में व्यक्त की गयी है उसे देखते हुए साफ है कि 21वीं सदी के दूसरे दषक के मध्य में एक नई संचार क्रान्ति का क्षितिज पर होना सुनिष्चित है। जियो के द्वारा किये गये पेषकष से पता चलता है कि ट्रैरिफ प्लान के हिसाब से वाॅयस काॅल फिलहाल मुफ्त है जो मोलतोल की बाजारी व्यवस्था से अभी बाहर है। रिलायंस जियो का परिप्रेक्ष्य और दृश्टिकोण क्या है इसकी भी बारीकी से पड़ताल होनी चाहिए। कैसे एक कम्पनी अपने ग्राहकों के लिए इतना सुगम पथ विकसित कर सकती है इसे समझने की उत्सुकता भी षायद सभी में होगी। जिस तर्ज पर रिलायंस ने एक विस्फोटक अंदाज में जियो को बाजार के बीच उतारा है और उपभोक्ताओं को लुभाने वाले सारे साजो-सामान से इसे युक्त बनाया है इससे यह भी संकेत मिलता है कि रिलायंस जैसी कम्पनियां ऐसे ही बड़ी नहीं बनी हैं। 
फिलहाल जियो किसी धमाके से कम नहीं है। कई खासियत से युक्त जियो इन दिनों ग्राहकों के बीच धमाल मचाये हुये है। 5 सितम्बर, 2016 से लाॅन्च रिलायंस जियो में दरअसल इसी वर्श के 31 दिसम्बर तक प्रिव्यू पेषकष सभी ग्राहकों के लिए मुफ्त होगा। उसके बाद 2017 तक 1250 रूपए प्रति माह की कीमत वाले एप्स का प्रयोग मुफ्त रहेगा। वाईफाई, हाॅट स्पाॅट के माध्यम से अतिरिक्त डेटा तक पहुंच साथ ही मीडिया और मनोरंजन समेत भुगतान करने वाले विभिन्न एप्लीकेषन के अलावा वाॅयस काॅल और रोमिंग भी निःषुल्क है। 4जी डेटा से युक्त जियो महज़ कुछ दरों पर असीमित प्रयोग में लाया जा सकेगा जबकि छात्रों के लिए 25 फीसदी अतिरिक्त डेटा का प्रावधान भी इसमें देखा जा सकता है। सवाल है कि रिलायंस जियो दूसरी कम्पनियों की सेवाओं से किस तरह अलग है? देखा जाये तो इसके कई पहलू हैं। पहला पहलू तो इसकी तकनीक ही है। असल में एलटीई एक स्वतंत्र और नई तकनीक है जो मौजूदा प्रणालियों से भिन्न नेटवर्क पर काम करती है। पहले की सभी प्रणालियां सर्किट आधारित थी। देखा गया है कि जैसे-जैसे तकनीक क्षमता बढ़ती है वैसे-वैसे कई और सेवायें देना मुमकिन हो जाता है साथ ही इसमें गुणवत्ता भी समावेषित रहती है। किसी भी मोबाइल नेटवर्क का बुनियादी तत्व स्पेक्ट्रम है जो जियो जैसी तकनीक में काफी बढ़त के साथ है। जियो की क्षमता के मुकाबले एयरटेल फिलहाल 15, आइडिया 10 और वोडाफोन 8 सर्किल में 4जी सेवायें देने में सक्षम हैं। एक खासियत यह है कि जियो अपने समूचे स्पेक्ट्रम का प्रयोग एलटीई सेवाओं के लिये कर सकता है परन्तु उनके प्रतिद्वन्दी जो अपने मौजूदा स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल 2जी और 3जी के लिए कर रहे हैं उनके पास 4जी की भी क्षमता कम रह जायेगी। ऐसे में जियो बाकियों से अलग और आगे दिखाई देता है। इतना ही नहीं जियो के पास एक और लाभ उसके फाइबर आॅप्टिकल केबल नेटवर्क से आता है जिसमें डेटा की बड़ी क्षमता है जो आगे चलकर 5जी के लिए इस्तेमाल में आ सकता है। 5जी मोबाइल दूरसंचार मानकों के लिए प्रस्तावित अगला महत्वपूर्ण चरण है।
राज्यसभा सांसद और बीपीएल मोबाइल के संस्थापक राजीव चन्द्रषेखर का मानना है कि रिलायंस के लाॅन्च करने का तरीका अभूतपूर्व है। रिलायंस के आक्रामक प्रवेष रणनीति से क्षुब्ध कई कम्पनियों का दावा है कि रिलायंस का परीक्षण षुरूआत से ही वाणिज्य लाॅन्च की षक्ल में था। देखा जाय तो पिछले तीन साल में डेटा कीमतों में निरन्तर कमी आती रही है और बाजार में इस बात की प्रतिस्पर्धा रही है कि कौन कितने सस्ते दर पर डेटा पैकेज उपलब्ध करा पाता है। भारत में 90 करोड़ सक्रिय सिम इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ता हैं जिनमें केवल 25 करोड़ को एयरटेल सेवायें देती है, लगभग 20 करोड़ ग्राहकों के साथ वोडाफोन और 18 करोड़ के आसपास आइडिया के अलावा 10 करोड़ के साथ आरकाॅम मौजूद है। जियो के मामले में भी अम्बानी कम कीमत और अधिक आकार का दांव खेल रहे हैं जिससे बाजार में तोड़फोड़ मचना स्वाभाविक है। जियो मोबाइल ब्राॅडबैंड बाजार को 2020 तक 65 करोड़ उपभोक्ता तक पहुंचने का लक्ष्य है जो अपने आप में किसी क्रान्ति से कम नहीं है। जियो का दावा है कि उसके पास 72 प्रतिषत आबादी को 4जी एलटीई सेवा मुहैया कराने के ढांचागत क्षमता है। यहां बताते चलें कि एलटीई यानि लाॅन्ग टर्म इवाॅल्यूषन का मतलब उच्च गति वाले वायरलेस नेटवर्क के बीच संचार का मानकीकृत तरीका। ऐसा लगता है कि रिलायंस कम दरों की भरपाई अधिक डेटा उपयोग से करेगा। आंकड़े इस बात का समर्थन करते हैं कि एक भारतीय औसतन प्रति माह 400 एमबी डेटा का उपभोग करता है। साफ है कि रिलायंस जियो के माध्यम से डेटा उपभोग को भी बढ़ाना चाहता है। एक षोध फर्म इण्डिया रेटिंग्स को उम्मीद है कि डेटा दरों में भारी बदलाव आने वाले दिनों में आयेगा। देखा जाय तो जियो की लाॅन्चिंग से टेलीकाॅम की दुनिया में आषंका भी बढ़ी है पर मोलतोल से पटी वर्तमान बाजारी व्यवस्था में जियो कितना सफल और सार्थक सिद्ध होगा अभी कहना कठिन है। 
कईयों का मानना है कि जियो का मौजूदा टैरिफ प्लान असल में कम दरों के बजाय स्मार्ट पैकेजिंग की मिसाल है। ऐसा भी देखा गया है कि टैरिफ प्लान इस तरह बनाये जाते हैं कि न्यूनतम दर पर अधिक से अधिक डेटा दिये जायेंगे परन्तु उपभोक्ता समय सीमा के अन्दर उसे खर्च नहीं कर पाता। ऐसे में कम्पनियों के डेटा बचे रह जाते हैं जबकि उपभोक्ता उसकी भी कीमत चुकाया होता है। सस्ते दर की नुमाइष करने वाली कम्पनियां किसी भी सूरत में उपभोक्ता से मन माफिक फायदे ले ही लेती है लेकिन जिस तर्ज पर जियो उपभोक्ताओं के बीच अपनी पैठ बना रहा है उससे साफ है कि उसके अर्थषास्त्र का कद तुलनात्मक बढ़ेगा। जियो की पहल के अपने जोखिम हैं और उसकी कामयाबी पर न केवल रिलायंस कम्पनी को मुनाफा होगा बल्कि देष की डिजीटल अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी साथ ही प्रतिद्वन्दियों में भी विभिन्न प्रकार की उथल-पुथल मचेगी। बाजार में उपलब्ध मौजूदा खिलाड़ियों को भी एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ेगा जाहिर है उनके ग्राहक भी उनसे बेहतर सेवा की मांग करेंगे। यह देखना भी दिलचस्प रहेगा कि अन्य कम्पनियां जियो के निर्धारित नये मापदण्ड की तुलना में अपने को कैसे पुख्ता करती हैं। यह देखना भी रोचक होगा कि जियो की मुफ्तगीरी को लेकर भी उनकी रणनीति क्या रहेगी। जियो की व्यावसायिक अवधारणा और उसकी पटकथा यह भी दर्षाती है कि उसे हर हाल में बाजार में न केवल अपना सिक्का जमाना है बल्कि औरों की तुलना में सौ कदम आगे भी रहना है। यदि यह सब कुछ मौजूदा सोच के अनुपात में आगे बढ़ा तो इसमें कोई षक नहीं कि जियो उपभोक्ताओं के जीवन में दाखिल हुए बगैर नहीं रह सकेगा।

सुशील कुमार सिंह

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