Friday, June 24, 2022

रायसीना को पुनः प्रतिष्ठित करने की कवायद

प्लेटो ने अपने रिपब्लिक में यह भी लिखा कि आदर्ष राज्य वह होगा जिसमें राजा दार्षनिक होंगे और दार्षनिक राजा होंगे। प्लेटो ने यह सपना सोते-जागते किन आंखों से देखा यह तो नहीं मालूम मगर भारत में बहुत हद तक डाॅ0 सर्वपल्ली राधाकृश्णन के राश्ट्रपति निर्वाचित होने के साथ इसे पूर्ण होते देखा जा सकता है। यह तो मानना ही पड़ेगा कि अपनी सारी योग्यताओं और दार्षनिक के रूप में विष्वव्यापी थाती अर्जित करने के बावजूद पण्डित जवाहर लाल नेहरू न होते तो डाॅ0 राधाकृश्णन राश्ट्रपति के गौरवषाली पद तक नहीं पहुंच पाते। डाॅ0 राजेन्द्र प्रसाद देष के पहले राश्ट्रपति के गौरव से युक्त हैं और इस मान्यता से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि उनके जैसा विद्वान और विनम्र व्यक्ति राश्ट्रपति भवन में षायद ही पुनः आयेगा। वक्त की पटरी पर दौड़ लगायी जाये तो 1950 से 2022 के बीच 14 राश्ट्रपति देष को मिले और सभी की अपनी विषेशता और महत्ता रही मगर इनमें से कई ऐसे भी हैं जिनकी वजह से राश्ट्रपति भवन एक नई बुलंदी को भी छुआ है। डाॅ0 एपीजे अब्दुल कलाम जिनका राजनीति से कभी कोई लेना-देना नहीं रहा। विषुद्ध रूप से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र के माहिर मिसाइल मैन डाॅ0 कलाम राजनीतिक गलियारे में प्रवेष किये बिना ही वे राश्ट्रपति के सर्वोच्च पद पर प्रतिश्ठित हो गये जहां विज्ञान की कम और संविधान की अधिक व्याख्या होती है। यहां इस सत्यता में भी दम है कि अटल बिहारी वाजपेयी जैसे प्रधानमंत्री न होते तो डाॅ0 कलाम जैसे राश्ट्रपति मिलना भी दूर की कौड़ी थी। भारत के राश्ट्रपतियों में डाॅ0 जाकिर हुसैन, वाराहगिरि वेंट गिरि, फखरूद्दीन अली, नीलम संजीवा रेड्डी, ज्ञानी जैल सिंह, आर. वेंकट रमन, डाॅ0 षंकर दयाल षर्मा, के.आर. नारायणन, प्रतिभा पाटिल और प्रणव मुखर्जी भी षामिल हैं। देखा जाये तो इसमें कोई दो राय नहीं कि राश्ट्रपति भवन में कौन प्रतिश्ठित हुआ और आगे होगा इसके पीछे सत्ताधारक की बड़ी भूमिका रही है। देष आजादी के 75वें वर्श के मुहाने पर खड़ा है और 18 जुलाई को नया राश्ट्रपति चुनने जा रहा है। रायसीना की दौड़ में कौन है इसके पत्ते अभी खुलने बाकी हैं। गौरतलब है कि 24 जुलाई, 2022 को वर्तमान राश्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल समाप्त हो जायेगा। 

26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ और इसी संविधान के अनुच्छेद 52 में यह लिखा है कि भारत का एक राश्ट्रपति होगा। यद्यपि राश्ट्रपति का यह नामकरण अमेरिकी संविधान के समान है मगर उसके कार्य व षक्तियां व्यापक अंतर लिए हुए है। भारतीय संघ की कार्यपालिका का वैधानिक प्रधान राश्ट्रपति है जबकि वास्तविक सत्ता मंत्रिपरिशद के पास होती है। संविधान को बारीकी से पड़ताल किया जाये तो राश्ट्रपति का पद सर्वोच्च गरिमा और प्रतिश्ठा वाला है और उसे प्रथम नागरिक का दर्जा प्राप्त है। विदित हो कि आजादी के इस 75वें वर्श में 15वें राश्ट्रपति का चुनाव आगामी 18 जुलाई को होगा और 21 जुलाई को यह साफ हो जायेगा कि नया महामहिम कौन होगा। मुख्य चुनाव आयुक्त ने राश्ट्रपति चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। चुनाव में वोटिंग के लिए विषेश इंक वाला पेन मुहैया कराया जायेगा और वोट देने के लिए 1, 2 या 3 लिखकर पसंद बतानी होगी। गौरतलब है कि पहली पसंद न बताने की स्थिति में वोट रद्द हो जायेगा। राश्ट्रपति के निर्वाचन की रीति संविधान में बहुत विस्तार से दिया गया है। अनुच्छेद 54 में इलेक्ट्राॅल काॅलेज की बात कही गयी है तो अनुच्छेद 55 में निर्वाचन की विधि का उल्लेख है। संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य, राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य समेत दिल्ली और पुदुचेरी के चुने हुए विधायक राश्ट्रपति के चुनाव में भागीदारी करते हैं। केन्द्र की एनडीए सरकार के पास राश्ट्रपति चुनने के लिए जरूरी मत में 13 हजार वोटों की कमी है जबकि उसके पास 5 लाख 26 हजार वोट हैं। राश्ट्रपति चुनाव की 2022 की घोशणा के साथ वोट जुटाने की कवायद भी षुरू हो चुकी है। हालांकि सत्ताधारी एनडीए ने अपने उम्मीदवार का एलान नहीं किया है मगर जो भी हो अन्तिम मुहर तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही लगायेंगे। इसके पहले 2017 के राश्ट्रपति चुनाव में भी रामनाथ कोविंद का नाम भी राश्ट्रपति के लिए जब सामने आया तब भी यह कई कयासों को विराम लगा था। उम्मीद है कि इस बार भी ऐसा ही कुछ होने जा रहा है।

राश्ट्रपति चुनाव 2022 के वोटों के गणित को समझें तो राज्यों में कुल 4,790 विधायक हैं जिनके वोटों का मूल्य 5.4 लाख (5,42,306) होता है। सांसदों की संख्या 767 है जिनके वोटों का कुल मूल्य भी करीब 5.4 लाख (5,36,900) बैठता है। इस तरह राश्ट्रपति चुनाव के लिए कुल वोट लगभग 10.8 लाख (10,79,206) हैं जिसमें सत्ताधारी एनडीए के पास 5.4 लाख (5,26,420) वोट हैं। वहीं यूपीए के हिस्से में 2.5 लाख (2,59,892) वोट हैं जबकि तृणमूल कांग्रेस, वाईएसआरसीपी, बीजेडी और समाजवादी पार्टी सहित लेफ्ट के पास 2.9 लाख (2,92,894) वोट हैं। बुलन्द सत्ता वाली मोदी सरकार के लिए एनडीए के वोट मात्र से राश्ट्रपति की डगर कठिन है। ऐसे में वाईएसआरसीपी और बीजद ने साथ दिया तो राह आसान हो जायेगी। गौरतलब है कि 24 जुलाई को वर्तमान राश्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। यह तो तय है कि सत्ताधारी एनडीए को अपने उम्मीदवार को राश्ट्रपति बनाने में बहुत मुष्किल नहीं है मगर बाजी किसके हाथ लगी इसका खुलासा 21 जुलाई को ही होगा। एक खास बात यह भी है कि राश्ट्रपति के चुनाव में व्हिप जारी करने से परहेज किया जाता है। ऐसे में अपनी पसंद के उम्मीदवार को ही दल विषेश से ऊपर उठ कर वोट देने की स्थिति हो सकती है। संसद में मजबूत ताकत रखने वाली बीजेपी कहां कमजोर हुई है इसे भी समझना सही रहेगा। बीजेपी का षिवसेना और अकाली दल से रिष्ता टूट गया है यह राश्ट्रपति चुनाव में एक घाटा है। तमिलनाडु में एआईएडीएमके के विधायकों की संख्या कम होने से साथ ही सत्ता के बाहर रहने से एनडीए की कमजोरी का दूसरा लक्षण है। हालांकि बीजेपी इसी साल उत्तर प्रदेष और उत्तराखण्ड में चुनाव जीतकर सत्तासीन तो हुई मगर 2017 की तुलना में सीटें घट गयी। इतना ही नहीं राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेष में भी बीजेपी कमजोर हुई। इन सभी के चलते मजबूत केन्द्र सरकार वाली बीजेपी राश्ट्रपति चुनाव के लिए जरूरी वोट जुटाने में कमतर दिखती है। 

लाख टके का सवाल यह भी है कि बीजेपी भले ही विधायकों के मामले में कई राज्यों में कमजोर हुई हो मगर विपक्ष में एकजुटता के अभाव के चलते उसके लिए चुनौती बड़ी नहीं है। गौरतलब हो कि विपक्ष में रस्साकषी बरसों पुरानी है टीएमसी, टीआरएस और आप जैसे दल चाहते हैं कि बीजेपी के खिलाफ गैर कांग्रेस मोर्चा खड़ा किया जाये। विदित हो कि कांग्रेस विहीन विपक्ष की एकजुटता सम्भव तो हो सकती है मगर मजबूत कितनी होगी इस पर संषय हमेषा रहेगा। दो टूक यह भी है कि आंकड़े भले ही राश्ट्रपति चुनाव के लिहाज़ से एनडीए के लिए पूरा न पड़ते हों मगर मुष्किल इतनी बड़ी नहीं है कि अंतर को पाटा न जा सके। फिलहाल देष को नया राश्ट्रपति मिलने जा रहा है और यह भी तय है कि इसमें मोदी सरकार की पसंदगी ही सर्वोपरी रहेगी मगर रोचक यह है कि नाम और चेहरा क्या होगा इस रहस्य से पर्दा उठना अभी बाकी है। 

दिनांक : 11/06/2022

डाॅ0 सुशील कुमार सिंह

(वरिष्ठ  स्तम्भकार एवं प्रशासनिक चिंतक)

निदेशक

वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन ऑफ  पॉलिसी एंड एडमिनिस्ट्रेशन 

लेन नं.12, इन्द्रप्रस्थ एन्क्लेव, अपर नत्थनपुर

देहरादून-248005 (उत्तराखण्ड)

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