Friday, August 12, 2016

भारत की चिंता का कोई मोल नहीं

जम्मू-कष्मीर में जो कुछ हो रहा है वह सब पाकिस्तान प्रायोजित है। यह बात तब और पुख्ता हो जाती है जब सुरक्षा एजेंसियों के हत्थे चढ़ा आतंकी बहादुर अली घाटी में फैली हिंसा को लेकर पाकिस्तान को बेनकाब करता है। जाहिर है कि आतंकी बहादुर अली को खाद-पानी पाकिस्तान के आतंकी संगठनों से भरपूर मिला है। वैसे तो जिंदा आतंकियों का पकड़ा जाना अब नई बात नहीं रही। आधा दर्जन से अधिक आतंकी भारत की सीमा में पकड़े जा चुके हैं और पाकिस्तान के झूठ का पर्दाफाष भी कर चुके हैं। बावजूद इसके पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आता साथ ही इन्हें अपना नागरिक मानने से इंकार भी करता रहा है। जिस राह पर इन दिनों पाकिस्तान है उसे देखते हुए साफ है कि उससे कुछ भी उम्मीद करना बेमानी है। ऐसे में भारत की ओर से सख्त कदम उठाने की जो पहल हो सकती है वह की जा रही है। बीते 4 अगस्त को इस्लामाबाद में गृहमंत्रियों की सार्क बैठक में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को जो तेवर दिखाये वह उसकी जगह बताने के लिए जरूरी था। बीते 10 अगस्त को केन्द्र सरकार ने कष्मीर में हिंसा और अषान्ति के लिए सीधे तौर पर पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराना भी भारत की ओर से उठाया गया एक रसूखदार कदम कहा जायेगा। एक बार फिर गृहमंत्री का यह कहना कि अब सिर्फ पीओके पर ही बात की जायेगी, बिल्कुल वाजिब प्रतीत होती है। हालिया परिप्रेक्ष्य से जो वातावरण इन दिनों दोनों देषों के बीच व्याप्त हो गया है उससे भी संकेत मिलता है कि पाकिस्तान के मामले में मोदी सरकार द्वारा पिछले दो वर्शों से जो सकारात्मक भूमिका निभाई जा रही थी उसकी कोई कीमत उसकी दृश्टि में नहीं है। ऐसे में सरकार का कड़ा रवैया न केवल प्रासंगिक है बल्कि यही एक अन्तिम विकल्प भी है। बार-बार संयुक्त राश्ट्र संघ में कष्मीर मुद्दे को उठाने वाला पाकिस्तान द्विपक्षीय मामले में निहायत फिसड्डी सिद्ध हुआ है और यह क्रम अभी भी टूटा नहीं है।
भारत के गृहमंत्री के हालिया बयान को सुनने और पढ़ने के बाद यह धारणा विकसित हुई कि गुलाम कष्मीर को लेकर उनका रवैया काफी सख्त है हालांकि उसी कष्मीर को पाकिस्तान आजाद बताता है। कष्मीर कार्ड खेल रहा पाकिस्तान भी यदि ऐसा ही कुछ समझ रहा है तो भारत उसे आईना दिखाने में कुछ कदम आगे बढ़ा दिखाई देता है। गृहमंत्री का यह बयान कि गुलाम कष्मीर को पाकिस्तान जल्द खाली करे। पाक अधिकृत कष्मीर पर गृहमंत्री के इस ताजे बयान से एक आयाम यह खुलता है कि क्यों न कष्मीर से ही कष्मीर की जंग लड़ी जाय। पाकिस्तान का हमेषा से यह आरोप रहा है कि भारत अधिकृत कष्मीर उसका है और कब्जा भारत का है जबकि ऐसा षायद ही हुआ हो कि पाक अधिकृत कष्मीर पर भारत इतना तल्ख हुआ हो पर इस बार की सरकार और उसकी समझ कुछ और समझाने की कोषिष में लगी है। इन्हीं कोषिषों के बीच एक पथ यह बनता है कि कष्मीर का जवाब कष्मीर से क्यों न दिया जाय। क्यों न गृहमंत्री के उस कथन को कष्मीर समस्या का हल बना लिया जाय जिसे उन्होंने बीते 21 जुलाई को लोकसभा में कष्मीर मुद्दे पर चर्चा के दौरान कहा। राजनाथ सिंह का वक्तव्य पाकिस्तान के लिए उसी के हथियार से उसी पर वार के काम आ सकता है। देखा जाय तो द्विपक्षीय समझौते की हिमायत करने वाला भारत षान्ति और अहिंसा के दायरे में अपने कृत्यों का अंजाम देता रहा पर पाकिस्तान अपनी हिमाकत के चलते इससे बहुत दूर जा चुका है। आतंकी बुरहान वानी की मौत पर उसे सदमा पहुंचता है। उसे षहीद घोशित करता है अब तो उसके फोटो छपी रेलगाड़ी पाकिस्तान में रफ्तार ले रही है। कष्मीर को सुलगाने वाला पाकिस्तान ‘ब्लैक डे‘ मनाता है। गैर-संवेदनषील पाकिस्तान को यह समझ नहीं है कि पाक अधिकृत कष्मीर पर भी उसकी बपौती स्थाई नहीं है। ऐसे में भारत के अन्दर मचे उथल-पुथल पर उसे हर्शोल्लास मनाने के बजाय समाधान के लिए रास्ता खोजना चाहिए या फिर चुप रहने में ही भलाई समझना चाहिए पर वह घाटी के अमन को निगलने में लगा हुआ है।
यह पहली बार हुआ है कि एनआईए ने किसी आतंकी से पूछताछ का वीडियो जारी किया है। इससे पहले पाकिस्तान, ब्लूचिस्तान में पकड़े भारतीय नागरिक कुलभूशण यादव के बयान का वीडियो भी जारी कर चुका है। हाफिज सईद का संगठन जमात-उद-दावा में 14 वर्श की उम्र से भर्ती किया गया बहादुर अली को जिस पैमाने पर प्रषिक्षित करने के साथ आतंकवादी बनने के लिए उकसाया गया उससे भी साफ है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ षरीफ के नाक के नीचे सारा खेल चल रहा है और हाफिज़ सईद जैसे आतंकी भारत की तबाही के सामान निर्मित कर रहे हैं पर षरीफ उन्हें षहरी नागरिक की संज्ञा देने में तुले हुए हैं। सवाल तो यह है कि क्या बहादुर अली के बयान के बाद पाकिस्तान के रवैये में कोई फर्क आयेगा इसकी गुंजाइष न के बराबर ही है। इसके पहले भी आधा दर्जन से अधिक सबूत भारत पाकिस्तान को दे चुका है जिसके नतीजे ढाक के तीन पात ही रहे। भले ही दुनिया यह मान ले कि ताजा प्रकरण में एनआईए के हत्थे चढ़ा आतंकी बहादुर अली पाकिस्तान का ही नागरिक है पर पाकिस्तान इसे नकारेगा जरूर ऐसी उसकी फितरत रही है। गौरतलब है कि बीते 2 जनवरी को पठानकोट में जब आतंकी हमला हुआ तब भी भारत ने पाकिस्तान को सारे सबूत दिये थे पर नतीजे जस के तस रहे। 15 जनवरी को होने वाली विदेष सचिव स्तर की वार्ता को विराम लगाया गया था परन्तु षरीफ की हरकत का कोई फायदा भारत को नहीं मिला। पाकिस्तान की जांच एजेंसी मार्च के अन्तिम सप्ताह में सप्ताह भर से अधिक समय तक पठानकोट में अपने आतंकियों की करतूतों की पड़ताल करती रही और जब भारत की जांच एजेंसी को पाकिस्तान जाने की बात आई तो कष्मीर के नाम पर पल्टी मार गया और कहा कि कष्मीर में षान्ति बहाली के बाद ही ऐसा हो सकता है। कभी-कभी यह भी प्रतीत होता है कि क्या पाकिस्तान जैसा मुल्क इस धरातल पर दूसरा कोई होगा। जितना भूगोल जानता हूं उसके अनुपात में पाकिस्तान जैसा दूसरा देष केवल पाकिस्तान ही हो सकता है। 
मोदी सरकार को दो वर्श से अधिक हो गया है इस बात के लिए उनकी सराहना की जा सकती है कि 26 मई, 2014 को षपथ के दिन से ही पाकिस्तान से जुड़ाव रखने वाले मोदी ने सम्बंध सुधारने की हर सम्भव कोषिष की परन्तु विक्षिप्त लोकतंत्र वाले देष के प्रधानमंत्री नवाज़ षरीफ अपनी धूर्तता से कभी बाज नहीं आये। कभी भी भारत से सम्बंध सुधारने को लेकर बेहतरीन एक्षन मोड नहीं दिखाया। सार्क बैठकों से लेकर रूस के उफा में किये गये वायदे से पल्टी मारने वाला पाकिस्तान अमेरिका से खरी-खोटी सुनने के बावजूद जस का तस बना रहा। कष्मीर मुद्दे को त्रिपक्षीय बनाने के इरादे से ग्रस्त षरीफ निहायत क्षुद्र किस्म के कृत्यों पर विष्वास करते रहे। आतंकियों के सहारे छद्म युद्ध से भारत को छलनी करने का काम करते रहे। दूसरे षब्दों में कहा जाय तो भारत की ओर से पाकिस्तान को भरपूर अवसर दिया जा चुका है पर पाकिस्तान है कि समझता नहीं। इसमें भी कोई दो राय नहीं कि जब तक पाकिस्तान में आतंकी पाठषालायें बन्द नहीं होंगी तब तक षरीफ जैसे लोग लोकतांत्रिक सरकार होने का दावा तो कर सकते हैं पर असल में अन्दर से खोखले रहेंगे और पाकिस्तान जैसे लकीर से हटे देष आईएसआई और आतंकियों के निषाने पर रहेंगे। ऐसे में पाकिस्तान के प्रति भारत का रवैया सख्त होना चाहिए जो इन दिनों देखा जा रहा है। 

सुशील कुमार सिंह

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