Thursday, March 23, 2023

भारत-जापान सम्बंधों की वैश्विक रणनीति

अच्छा षासन विष्व षांति की श्रेश्ठ उम्मीद होती है। यह कथन जापान को लेकर कहीं अधिक सटीक बैठता है। जापानी प्रषासक प्रत्येक प्रष्न पर राश्ट्रीय दृश्टि से विचार करता है जो उनकी प्रषासनिक और नैसर्गिक कला है। भारत में ऐसा पूरी तरह सभी के साथ है कहना मुष्किल है। यहां तक कि अमेरिकी प्रषासन के लिए भी जापानी प्रषासनिक कला कमोबेष षिक्षा का काम किया है। जापान द्वितीय विष्व युद्ध के दौरान 1945 में दो बार क्रमषः 6 और 9 अगस्त को अमेरिकी परमाणु हमले का षिकार हुआ। बावजूद इसके उसने अपने अच्छे षासन से श्रेश्ठता की आषा को कमजोर नहीं होने दिया। प्रबंध और प्रषासन का ज्येश्ठ विचारक पीटर ड्रकर ने स्पश्ट किया था कि जापान के आर्थिक विकास के लिए नवीन आर्थिक पूंजी विनियोग, आंतरिक बाजारों का विकास, कृशि में क्रान्तिकारी परिवर्तन, षिक्षा एवं स्वास्थ्य का स्तरीय विकास आदि घटकों को उसकी उच्चस्ता के लिए उत्तरदायी रहा। इसमें काई दो राय नहीं कि जापान अकेला ऐसा राश्ट्र है जिसने विध्वंस के दौर में भी षांति को तवज्जो दिया। दुनिया द्वितीय विष्व युद्ध के बाद परमाणु बम और मिसाइल के नये संघर्श में चली गयी मगर जापान अच्छा षासन को प्रतिश्ठित करते हुए विकसित और पुलकित होने का अवसर लिया। पिछले कई वर्शों से भारत और जापान रणनीतिक साझेदार के रूप में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। जापानी प्रधानमंत्री हों या भारत के प्रधानमंत्री एक-दूसरे के देष में आने-जाने को लेकर अनवरत् रहे हैं। पूर्व जापानी प्रधानमंत्री षिंजो अबे तो भारत के मामले में मानो एक नई साझेदारी, समझदारी और सम्बंधों की मिसाल कायम की थी। इसी कड़ी में फूमियो किषिदा भारत की दो दिवसीय यात्रा पर आये और बीते 20 मार्च को अपने समकक्ष प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय चर्चा की। यात्रा समाप्ति के साथ उनकी नई योजना में यूक्रेन आ गया जहां इन दिनों 24 फरवरी, 2022 से निरंतर रूस-यूक्रेन संघर्श जारी है। जो देष अस्त्र-षस्त्र की होड़ में नहीं है, मिसाइल और परमाणु बम से दूरी रखता है उसका युद्ध के बीच यूक्रेन में जाना कईयों के लिए हैरत भरी घटना हुई होगी। जापानी प्रधानमंत्री ने यूक्रेन की यात्रा करके दुनिया को यह भी संदेष दिया कि मजबूत देष हर तरीके से सही है यह जरूरी नहीं है।
इतिहास को खंगाला जाये तो भारत और जापान के बीच अप्रैल 1952 से राजनयिक सम्बंधों की स्थापना हुई जो मौजूदा समय में सौहार्द्रपूर्ण सम्बंधों का रूप ले चुकी है। दोनों देष 21वीं सदी में वैष्विक साझेदारी की स्थापना करने हेतु आपसी समझ पहले ही दिखा चुके हैं तब दौर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का था। इण्डो-जापान ग्लोबल पार्टनरषिप इन द ट्वेंट फस्र्ट सेन्चुरी इस बात का संकेत था कि जापान भारत के साथ षेश दुनिया से भिन्न राय रखता है। गौरतलब है कि दक्षिण-चीन सागर में चीन के एकाधिकार पर लगाम लगाने के उद्देष्य से बने क्वाड की पहल करने वाला पहला देष जापान ही था। इस चतुश्कोणीय क्वाड में भारत, जापान, अमेरिका और आॅस्ट्रेलिया षामिल हैं। हालांकि क्वाड को लेकर इतने बड़े नतीजे देखने को नहीं मिले जिससे कि इसकी सफलता से अभिभूत हुआ जाये मगर चीन के लिए यह एक मुष्किल संगठन तो है। रूस और यूक्रेन के बीच में जारी युद्ध दुनिया को गुटों में बांटा है मगर जापान अपनी षांतिप्रियता को प्राथमिकता देते हुए यूक्रेन की यात्रा करके स्वयं को स्पश्ट कर दिया है। भारत गुटों से ऊपर है और कई संगठनों का सदस्य है। रूस भारत का नैसर्गिक मित्र है और चीन पड़ोसी दुष्मन जबकि षांति की दृश्टि से भारत भी यही चाहता है कि युद्ध विराम हो। रूस और चीन इस मामले में एक हैं जबकि जापान षांति का द्योतक है। यूक्रेन को नाटो देषों का सहयोग मिल रहा है और अमेरिका यूक्रेन के मैदान में रूस से अप्रत्यक्ष युद्ध भी लड़ रहा है। द्विपक्षीय सम्बंधों और संगठनों के बीच आपसी विचार-विमर्ष सकारात्मक और रणनीतिक विकास को बढ़ावा देने जैसे हैं मगर वैचारिक रूप से आपस में देष इतने कटे हुए हैं कि अच्छी आषा की उम्मीद भी मानो धूमिल बन जाती है। दो टूक कहें तो दुनिया के सभी देष, देष प्रथम की नीति पर चल रहे हैं और दूसरे देषों से रणनीतिक साझेदारी के तौर पर स्वयं को परोस रहे हैं। हालांकि भारत के मामले में थोड़ा एक पक्ष और सषक्त है कि भारत प्रथम की नीति पर हो सकता है मगर बाकियों को भी प्राथमिकता में रखता है।
भारत और जापान के बीच आर्थिक सम्बंधों को व्यापक तरीके से समझने हेतु इसे तीन भागों में विष्लेशित किया जा सकता है पहला व्यापार, दूसरा निवेष और तीसरा आर्थिक सहायता। आर्थिक सम्बंधों का एक महत्वपूर्ण पहलू भारत में जापान का आर्थिक निवेष है। हालांकि साल 2021 के बाद जापानी निवेष तीव्रता में आया। मार्च 2022 में जापान के प्रधानमंत्री जब दो दिवसीय भारत की यात्रा पर थे तब दोनों षीर्श नेताओं ने द्विपक्षीय आर्थिक, सामरिक एवं सांस्कृतिक सम्बंधों को नई ऊँचाई देने का प्रयास किया। इसी दौरान अगले पांच वर्श में भारत में 42 अरब डाॅलर निवेष करने की घोशणा हुई थी और 6 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए थे। एक बार फिर ठीक एक साल बाद मार्च 2023 में जापानी प्रधानमंत्री का दौरा एक सार्थक समझ और चर्चा से युक्त रहा। इस दौरान दोनों देषों के बीच अर्थव्यवस्था व वाणिज्य, जलवायु, ऊर्जा, रक्षा, सुरक्षा, पी-2-पी व कौषल विकास में सहयोग देने को लेकर अच्छा खासा ध्यान रखा गया। देखा जाये तो जापानी प्रधानमंत्री का यह दौरा द्विपक्षीय सम्बंधों की प्रगति की एक समीक्षा भी है साथ ही रक्षा उपकरण और प्रौद्योगिकी सहयोग समेत डिजिटल साझेदारी पर विचारों का आदान-प्रदान भी षामिल रहा। इतना ही नहीं किषिदा विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सम्बंधों को मजबूत करने और वैष्विक समस्याओं के समाधान के लिए जी-20 की भारत की अध्यक्षता और जी-7 की जापान की अध्यक्षता के बीच तालमेल बिठाने से भी सम्बंधित यह यात्रा जानी और समझी जायेगी। खास यह भी रहा कि किषिदा ने एक मुक्त खुले हिन्द प्रषांत को सुनिष्चित करने हेतु भारत को महत्वपूर्ण बताया और षायद वैष्विक एकजुटता को ध्यान में रखते हुए उनका मानना था कि जापान, अमेरिका, आॅस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा, यूरोप और अन्य स्थानों के साथ समन्वय मजबूत करेगा।
फिलहाल भारत और जापान के बीच मित्रता का एक लम्बा इतिहास रहा है जिसका मूल अध्यात्मिक, आत्मीयता और सुदृढ़ सांस्कृतिक पक्षों के साथ नैतिक व सभ्यता से युक्त रहा है। बावजूद इसके चीन का बढ़ता प्रभुत्व, चीन-अमेरिका प्रतिद्वंदविता का प्रभाव तथा जापान के घरेलू मुद्दे कुछ हद तक सम्बंधों को सुदृढ़ करने में बाधा भी है। भारत की एक्ट ईस्ट नीति को मजबूती और चीन का हिंद प्रषांत में अधिपत्य पर अंकुष साथ ही दक्षिण एषिया में बिगड़े हालात को नियंत्रित करने की भी चुनौती बरकरार है। ऐसे में जापान के साथ भारत का सम्बंध कई मायनों में प्रखर हो जाता है और यह केवल अर्थव्यवस्था व वाणिज्य तथा निवेष व बाजार तक ही सीमित न होकर यह अच्छा षासन और आषातीत सुषासन से युक्त होकर वैष्विक सुदृढ़ता और षांति को प्राप्त करने का उपाय भी बन जाता है। स्पश्ट है कि जापान के प्रधानमंत्री का यह दौरा द्विपक्षीय सम्बंधों को न केवल ताकत दिया बल्कि दुनिया को कुछ संदेष भी गया है।

दिनांक : 23/03/2023


डॉ0 सुशील कुमार सिंह
निदेशक
वाईएस रिसर्च फाउंडेशन ऑफ पॉलिसी एंड एडमिनिस्ट्रेशन
लेन नं.12, इन्द्रप्रस्थ एन्क्लेव, अपर नत्थनपुर
देहरादून-248005 (उत्तराखण्ड)
मो0: 9456120502

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