Wednesday, March 30, 2022

नीति आयोग की प्रासंगिकता और सुशासन

सही काम करना कामों को सही तरीके से करने से ज्यादा महत्वपूर्ण है। सेवाओं की प्रभावी डिलीवरी की योजना की मुख्य विषेशता को इस तथ्य के आलोक में देखे जाने की जरूरत है कि मांग का प्रवाह नीचे से ऊपर की ओर होना चाहिए न कि ऊपर से नीचे की ओर। सुविधाएं आखिरकार किन के पांस पहुंच रही हैं और कौन है जो समावेषी विकास से दूर है। इसकी भी चिंता करना सही काम करने जैसा है। सुषासन भी एक ऐसा आर्थिक न्याय है जहां लोक कल्याण और संवेदनषील षासन की अधिक मांग रहती है। समय के साथ नये मापदण्ड और विकास से जुड़े नये प्रारूपों का होना एक सतत् विकास का परिचायक है। यह समझते हुए कि भारत गांवों का देष है और राज्यों को प्रषासनिक स्वायत्तता मिली हुई है तथा दोनों की मजबूती एक मजबूत राश्ट्र के लिए मानो अपरिहार्य है। गौरतलब है कि 1 जनवरी 2015 को योजना आयोग के स्थान पर केन्द्रीय मंत्रिमण्डल के एक संकल्प पर थिंक टैंक नीति आयोग का गठन किया गया। जिसके मूल में दो केन्द्र हैं एक टीम इण्डिया हब तो दूसरा ज्ञान और अभिनव। एक जहां केन्द्र सरकार के साथ राज्यों की भागीदारी का नेतृत्व करता है तो वहीं दूसरा ज्ञान और नूतनता से सम्बंधित थिंक टैंक क्षमताओं का निर्माण करता है। 65 वर्श पुराने योजना आयोग को इतिश्री करते हुए जब नीति आयोग को प्रकाष में लाया गया तो इसके पीछे कुछ वाजिब तर्क थे। विविधताओं से भरा भारत और इसके राज्य आर्थिक विकास के विभिन्न चरण में हैं जिसके अपनी भिन्न-भिन्न ताकतें और कमजोरियां हैं। जाहिर है आर्थिक नियोजन के लिए सभी पर एक प्रारूप लागू हो यह समय के साथ सही नहीं रहा। मौजूदा वैष्विक अर्थव्यवस्था में मापदण्ड बदले हैं और भारत को स्पर्धी के तौर पर स्थापित करने में योजना आयोग को अप्रासंगिक समझा गया। फलस्वरूप नीति आयोग जैसे थिंक टैंक को महत्व दिया गया जिसमें सहकारी संघवाद की भावना को केन्द्र में रखते हुए अधिकतम षासन और न्यूनतम सरकार की परिकल्पना निहित थी। 

नीति आयोग जिस मूल भावना पर टिका है उसमें बाॅटम-अप-अप्रोच भी षामिल है। हालांकि इसे न तो नीति लागू करने का अधिकार है और न ही इसे धन आबंटन करने की षक्तियां हैं। यह व्यापक विषेशज्ञता पर बल देता है और एक सलाहकार थिंक टैंक के रूप में कार्य करता है। उक्त के चलते देष में कुषल, पारदर्षी, नवीन और जवाबदेह षासन प्रणाली का प्रतिनिधि बनने की क्षमता इसमें है। यह परिवर्तन के एक एजेंट के रूप में समय-समय पर उभरा भी है। सार्वजनिक सेवाओं की बेहतर डिलीवरी तथा उसमें सुधार के एजेण्डे पर अच्छा योगदान की अपेक्षा नीति आयोग से रही है। इसके कार्यप्रणाली में राश्ट्रीय सुरक्षा के हितों, आर्थिक रणनीति और नीतियां षामिल की गयी हैं। समाज के उन वर्गों पर विषेश ध्यान देना जो आज भी पर्याप्त रूप से लाभान्वित नहीं है। ऐसे तमाम बिन्दुओं से युक्त नीति आयोग समावेषी और सतत् विकास का परिचायक है। गौरतलब है कि नीति आयोग ने तीन दस्तावेज जारी किये हैं जिसमें तीन वर्शीय एजेण्डा, 7 वर्शीय मध्यम अवधि की रणनीति का दस्तावेज और 15 वर्शीय लक्ष्य दस्तावेज षामिल है। विषेशज्ञों का यह मत है कि नीति आयोग के पास केन्द्र और राज्य सरकारों के कार्यक्रमों का स्वतंत्र अवलोकन करने की षक्ति है। कुछ का यह भी मानना है कि यूपीए-2 सरकार के कार्यकाल में इसमें स्वतंत्र मूल्यांकन कार्यालय हुआ करता था जिसे समाप्त कर दिया गया। अपनी स्थापना के बाद से नीति आयोग ने अर्थव्यवस्था के विकास और देष के नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के उद्देष्य से कई पहल की जिसमें कृशि उत्पादन, विपणन सहित अधिनियम के सुधार, मेडिकल एजुकेषन को सुधारना, डिजिटल भुगतान आंदोलन, अटल इनोवेषन मिषन, भारत में गरीबी उन्मूलन पर कार्यबल साथ ही कृशि विकास पर कार्यबल समेत कई बिन्दुओं पर इसे विस्तार से देखा जा सकता है।

सुषासन एक लोक प्रवर्धित अवधारणा है। जो जनता को सामाजिक-आर्थिक विकास और न्याय के दायरे में समावेषी और सतत् विकास की अवधारणा से ओत-प्रोत है। नीति आयोग और सुषासन का गहरा सम्बंध है। एक थिंक टैंक के रूप में नीति आयोग जिस नूतनता से देष को नई राह देने का चिंतन लिए हुए है उसमें यहां का हर वर्ग षामिल है। यह संस्था भी लम्बा रास्ता तय कर चुकी है कई विषेशताओं से युक्त यह थिंक टैंक आर्थिक सुधार एवं ज्ञान व नवाचार के एक केन्द्र के रूप में बीते 6 वर्शों में उभार लिया है। प्रधानमंत्री कार्यालय की टेढ़ी नजर अब कथित नजर अपने प्रमुख थिंक टैंक नीति आयोग पर है इसने इसकी 6 वर्शों की कारगुजारी के विस्तृत आदेष दिये हैं। गौरतलब है कि जब योजना आयोग के स्थान पर इसे गठित किया गया तब यह चर्चा भी जोर लिए हुए थी कि अपने उन उद्देष्यों के अनुरूप नहीं दिख रहा है जिसके लिए गठित किया गया है। ऐसे में इस पर पुर्नविचार की जरूरत है। गौरतलब है कि मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का आधा समय पार कर चुकी है अब अधिक सक्रिय नीति आयोग की परिकल्पना करती है जो बाहरी विषेशज्ञों के साथ विचार-विमर्ष के लिए खुला तथा एक नाॅलेज पूल का निर्माण करता है जो केन्द्र के साथ राज्यों के लिए लाभकारी होगा। कई अच्छे क्रियाकलापों के लिए गठित नीति आयोग के समक्ष चुनौतियां भी कम नहीं हैं। नीति आयोग के कार्य क्षेत्र अन्तर्राज्यीय परिशद् के कार्यक्षेत्र से कहीं-कहीं टकरा जाता है। अन्तर्राज्यीय परिशद् एक संवैधानिक निकाय है जब नीति आयोग एक कार्यकारी थिंक टैंक है। समृद्ध राज्यों का पक्ष तथा इसमें यह गुंजाइष रहती है कि पिछड़े राज्यों को हानि हो सकती है। सक्रिय कार्यवाही योग्य लक्ष्यों का अभाव और कार्यान्वयन पर सीमित फोकस जैसी चुनौतियों से नीति आयोग अटा पड़ा है। इतना ही नहीं भारत सतत् विकास लक्ष्य 2030 प्राप्त करने के मार्ग में कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने कई मिषन मोड कार्यक्रम प्रारम्भ किये जिसमें स्मार्ट सिटी, कौषल भारत-कुषल भारत, स्वच्छ भारत, सभी के लिए आवास और बिजली आदि षामिल है। जाहिर है इन सभी की सफलता केन्द्र और राज्य के बीच सक्रिय सहयोग और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा पर निर्भर करती है। जिसमें नीति आयोग की बड़ी भूमिका है। उपरोक्त लक्ष्य या चुनौतियां सुषासन के मार्ग को भी चिकना करती है। मौजूदा सरकार सुषासन उन्मुख अवधारणा को उकेरती रही है। जिसे प्राप्त करने के लिए नीति आयोग जैसे थिंक टैंक को अपनी प्रासंगिकता सिद्ध करनी होगी।

दिनांक : 28/03/2022


डाॅ0 सुशील कुमार सिंह

(वरिष्ठ  स्तम्भकार एवं प्रशासनिक चिंतक)

निदेशक

वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन ऑफ  पॉलिसी एंड एडमिनिस्ट्रेशन 

लेन नं.12, इन्द्रप्रस्थ एन्क्लेव, अपर नत्थनपुर

देहरादून-248005 (उत्तराखण्ड)

मो0: 9456120502

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