Wednesday, March 30, 2022

समस्याओं के समुद्र में श्रीलंका

इन दिनों श्रीलंका बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा है। हालात को देखते हुए यदि 2022 में श्रीलंका अपने को दिवालिया घोशित कर दे तो भारत समेत विष्व के षायद ही किसी देष को हैरानी हो। गौरतलब है कि श्रीलंका दो सगे भाई चला रहे हैं। जिसमें महिन्द्रा राजपक्षे प्रधानमंत्री तो गोटबाया राजपक्षे राश्ट्रपति की कुर्सी सम्भाले हुए है और यह दोनों का झुकाव चीन की ओर माना जाता रहा है। आर्थिक हालात वहां इस कदर बिगड़े हैं कि सरकारी पेट्रोल पंपों पर सेना तैनात कर दी गयी है। असल में यहां पेट्रोल और डीजल की भारी किल्लत की वजह से पेट्रोल पम्पों की लम्बी-लम्बी लाइनें लग रही हैं। भीड़ किसी प्रकार का हंगामा न करे और लोग हिंसक न हों इसी को ध्यान में रखते हुए सेना की तैनात की गयी है। पेट्रोल, डीजल की किल्लत के पीछे भी आर्थिकी ही है। श्रीलंका का विदेषी मुद्रा भंडार काफी घट गया है। जिसके चलते पेट्रोल, डीजल का आयात उसके लिए मुष्किल हो गया है। इतना ही नहीं महंगाई भी चरम पर है। हालात जिस स्वरूप को ले चुके हैं उसे देखते हुए किसी देष का यूं समस्याग्रस्त होना यह जताता है कि अगर देष साधने और चलाने को लेकर चैकन्ने नहीं है और किसी के चंगुल में फंस रहे हो तो अंजाम बुरा होगा। वैसे श्रीलंका में इस हालात के लिए कोरोना और चीन दोनों बराबर के हिस्सेदार हैं। चीन एक ऐसा देष है जो षुभचिंतक की आड़ में उस देष को ही कंगाल कर देता है क्योंकि चीन का कर्ज और उस देष की कंगाली दिन दूनी और रात चैगुनी की तर्ज पर वट वृक्ष का रूप लेती है जिसमें पाकिस्तान पर लगा कर्जा भी इस बात को पुख्ता करता है और इन दिनों कंगाली की राह पर श्रीलंका भी इस बात को तस्तीक करता है। 

श्रीलंका में अनाज, चीनी, सब्जियों से लेकर दवाओं की कमी हो रही है। महंगाई के चलते लोगों का खर्चा चार गुना तक बढ़ गया है। विदेषी मुद्रा में कमी के कारण श्रीलंका पड़ोसी देषों से इन चीजों को खरीद भी नहीं पा रहा है। इतना ही नहीं हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि देष में स्कूल छात्रों की परीक्षा का पेपर छापने के लिए कागज और सियाही तक के पैसे नहीं है जिसके चलते परीक्षा को भी रद्द करना पड़ा। गौरतलब है कि श्रीलंका के मुष्किल दौर में भारत कई अवसरों पर मदद कर रहा है। जनवरी 2022 में श्रीलंका स्थित भारतीय उच्चायोग ने 90 करोड़ डाॅलर की मदद की घोशणा की थी। आवष्यकता के अनुपात में यह मदद कम कही जायेगी जाहिर है श्रीलंका का इतने से काम नहीं चलेगा। स्थिति को देखते हुए भारत ने जनवरी में ही 50 करोड़ डाॅलर की एक और मदद दी ताकि श्रीलंका पेट्रोलियम उत्पाद खरीद सके। तब श्रीलंका के अखबारों में भारत की इस मदद को बहुत तवज्जो दिया गया। वहां के एक अखबार डेली मिरर में यह छपा था कि तेल के प्यासे श्रीलंका को भारत ने दी लाइफ लाइन। वैसे श्रीलंका को इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि वह इतनी बड़ी आर्थिक तकलीफ का निपटारा भारत के भरोसे कर लेगा। जिस आर्थिकी के खराब दौर से श्रीलंका गुजर रहा है उसे यह नसीहत देना ठीक रहेगा कि इसके लिए एक स्थायी समाधान की ओर कदम बढ़ाये। जिस हेतु अन्तर्राश्ट्रीय मुद्रा कोश से बात करनी चाहिए। हालांकि वह इस पर पहल कर चुका है। गौरतलब है कि वर्शों पहले ग्रीस आर्थिक कठिनाईयों से जूझ रहा था और डिफाॅल्टर के कगार पर खड़ा था तब उसने भी तमाम कोषिषों के बाद स्वयं को मुक्त करने का रास्ता बना लिया था। उस दौरान भी ग्रीस अन्तर्राश्ट्रीय मुद्रा कोश से बेल आउट पैकेज की मांग की थी। हालांकि श्रीलंका और ग्रीस की स्थिति बहुत अलग है। ग्रीस यूरोपीय संघ का हिस्सा है ऐसे में उसके खराब आर्थिक स्थिति के समय कई और षुभचिंतक थे। श्रीलंका में इन दिनों अनाज, तेल ओर दवाओं की खरीद के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है। भारत ने एक अरब डाॅलर का कर्ज देने का वादा किया है। चीन भी श्रीलंका को ढ़ाई अरब डाॅलर का कर्ज दे सकता है। स्पश्ट कर दें कि 1948 में स्वतंत्र होने के बाद श्रीलंका सबसे भयावह आर्थिक संकट का सामना वर्तमान में कर रहा है। 

श्रीलंका में वस्तुओं की खरीदारी को लेकर स्थिति इतनी खराब है कि पेट्रोल और केरोसिन की लाइन में खड़े लोगों में से कई मर चुके हैं। रसोई गैस के लिए भी लम्बी-लम्बी लाइनें लगी हुई हैं। भारी बिजली संकट का सामना भी हिन्द महासागर का यह द्वीप कर रहा है। मार्च के षुरूआत में सरकार ने अधिकतम साढ़े सात घण्टे तक बिजली कटौती का एलान भी किया था। आंकड़े बताते हैं कि श्रीलंका का विदेषी मुद्रा भण्डार जो जनवरी 2022 में करीब 25 फीसद घट कर 2.36 अरब डाॅलर रह गया था। अनुमान यह भी है कि 24 फरवरी से षुरू रूस और यूक्रेन की लड़ाई के चलते श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था की हालत बदतर हो सकती है। दरअसल रूस श्रीलंका की चाय का सबसे बड़ा आयातक है जो युद्ध के चलते इस पर भी व्यवधान हो गया है। सवाल यह उठता है कि जो श्रीलंका 7 दषक से अधिक समय से कमोबेष अपनी आर्थिक स्थिति को संजोते हुए संयमित रूप से आगे बढ़ रहा था आखिर उस पर किसकी नजर लग गयी। श्रीलंका की इस स्थिति के लिए आखिरकार कौन जिम्मेदार है। गौरतलब है कि यहां की अर्थव्यवस्था काफी हद तक पर्यटन उद्योग पर निर्भर है और जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी 10 फीसद है। मगर कोरोना ने पर्यटन की इस धार को कुंद कर दिया। एक प्रकार से श्रीलंका में पर्यटकों का आना बंद हो गया और 10 फीसद की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गयी। इसका प्रभाव विदेषी मुद्रा भण्डार पर पड़ा जिसके चलते कनाडा जैसे तमाम देष श्रीलंका में निवेष बंद कर दिया। उक्त से स्पश्ट है कि पहली मार इस पर कोरोना की पड़ी है।

सरकार के गलत फैसले भी इस हालात में लाने के लिए जिम्मेदार हैं। नवम्बर 2019 में राश्ट्रपति गोटबाया की ताजपोषी हुई और महिन्द्रा राजपक्षे प्रधानमंत्री बने। नव निर्वाचित सरकार ने लोगों पर खर्च करने की क्षमता को बढ़ाने के चलते टैक्स कम कर दिया। जाहिर है इससे राजस्व पर प्रभाव पड़ा। इतना ही नहीं रासायनिक उर्वरक से खेती बंद करने का आदेष भी घातक सिद्ध हुआ। इससे फसल उत्पादन में गिरावट आयी और कर्ज की मात्रा बढ़ गयी। स्पश्ट है कि चीन से श्रीलंका ने 5 अरब डाॅलर का कर्ज लिया है इसके अलावा भारत और जापान जैसे देषों का भी इस पर काफी कर्ज है। 2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार श्रीलंका को 7 अरब डाॅलर का कर्ज चुकाना है और मौजूदा हालात में यह डिफाल्टर की कतार में है। हालांकि श्रीलंकाई सरकार अन्तर्राश्ट्रीय मुद्रा कोश से बेल आउट पैकेज की गुहार भी लगायी है। यदि यहां से निराषा मिली तो श्रीलंका छिन्न-भिन्न हो सकता है। उक्त से यह साफ है कि श्रीलंका का खजाना खाली हो चुका है। पहले कोविड महामारी, पर्यटन उद्योग की तबाही, बढ़ते सरकारी कर्ज और टैक्स में जारी कटौती के चलते खजाना खाली हुआ और साथ ही कर्ज के भुगतान का दबाव लगातार बढ़ते रहना साथ ही विदेषी मुद्रा भण्डार ऐतिहासिक गिरावट के स्तर तक पहुंचना इसकी बर्बादी के कारण हैं। वैसे श्रीलंका के लिए चीन की गोद का पसंद आना घातक रहा जबकि भारत पड़ोसी धर्म निभाता रहा। अब उसे खामियाजा भुगतना पड़ रहा है यदि वह दिवालिया होता है तो इसका कसूरवार चीन को ही कहा जायेगा। 

 दिनांक : 24/03/2022


डाॅ0 सुशील कुमार सिंह

(वरिष्ठ  स्तम्भकार एवं प्रशासनिक चिंतक)

निदेशक

वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन ऑफ  पॉलिसी एंड एडमिनिस्ट्रेशन 

लेन नं.12, इन्द्रप्रस्थ एन्क्लेव, अपर नत्थनपुर

देहरादून-248005 (उत्तराखण्ड)

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