Wednesday, March 30, 2022

हमारी सुविधाओं को बढ़ाता ई-गवर्नेंस

तकनीक किस सीमा तक षासन-प्रषासन की संरचना को तीव्रता देती है और किस सीमा तक संचालन को प्रभावित करती है। यदि इसे असीमित कहा जाय तो अतार्किक न होगा। प्रौद्योगिकी मानवीय पसंदों और विकल्पों द्वारा निर्धारित परिवर्तनों का अनुमान ही नहीं बल्कि परिणाम भी है। ई-गवर्नेंस एक ऐसा क्षेत्र है और एक ऐसा साधन भी जिसके चलते नौकरषाही तंत्र का समुचित प्रयोग करके व्याप्त व्यवस्था की कठिनाईयों को फिलहाल समाप्त किया जा सकता है और इस दिषा में कदम आगे बढ़ चुके हैं। नागरिकों को सरकारी सेवाओं की बेहतर आपूर्ति, प्रषासन में पारदर्षिता की वृद्धि साथ ही सुषासन प्रक्रिया में व्यापक नागरिक भागीदारी को मनमाफिक पाने हेतु ई-गवर्नेंस कहीं अधिक प्रासंगिक हो गया है। सुषासन एक लोक प्रवर्धित अवधारणा है भारत में उदारीकरण के बाद यह परिलक्षित हुआ जिसका सीधा आषय समावेषी विकास है जबकि भारत अभी इस मामले में मीलों पीछे है। इतना ही नहीं प्रषासनिक प्रक्रिया से लालफीताषाही और कागजी कार्यवाही में कटौती भी सुषासन की ही राह है जिसे ई-षासन से सम्भव किया जा सकता है। ई-गवर्नेंस, स्मार्ट सरकार के द्वन्द को भी समाप्त करने में भी यह मददगार है। सरकार के समस्त कार्यों में प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग ई-गवर्नेंस कहलाता है जबकि न्यूनतम सरकार अधिकतम षासन, प्रषासन में नैतिकता, जवाबदेहिता, उत्तरदायित्व की भावना व पारदर्षिता स्मार्ट सरकार के गुण हैं जिसकी पूर्ति ई-षासन के बगैर सम्भव नहीं है। भारत सरकार ने इलेक्ट्राॅनिक विभाग की स्थापना 1970 में की और 1977 में राश्ट्रीय सूचना केन्द्र की स्थापना के साथ ई-षासन की दिषा में कदम रख दिया था मगर इसका मुखर पक्ष 2006 में राश्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के प्रकटीकरण से देखा जा सकता है। देखा जाय तो दक्षता, पारदर्षिता और जवाबदेहिता ई-षासन की सर्वाधिक प्रभावी उपकरण है। बरसों से सरकारें इस बात को लेकर चिंतित रही हैं कि प्रषासनिक प्रक्रियाओं को कैसे सरल किया जाय, कैसे अनावष्यक देरी को खत्म किया जाय, नीति निर्माण से लेकर नीति क्रियान्वयन तक कैसे पारदर्षिता लायी जाय इन सभी से निजात दिलाने में ई-गवर्नेंस से बेहतर कोई विकल्प नहीं।

डिजिटल इण्डिया की सफलता के लिये मजबूत डिजिटल आधारभूत संरचना भी तैयार करना जरूरी है। सम्भव है कि ग्रामीण सुषासन हेतु ऐसे नेटवर्क कहीं अधिक अपरिहार्य हैं। इससे गांव न केवल डिजिटलीकरण से युक्त होंगे बल्कि बुनियादी और समावेषी जरूरतों को भी पूरा कर पायेंगे। षैक्षणिक और षोध संस्थानों के बीच आदान-प्रदान अत्याधुनिक नेटवर्क के माध्यम से खूब किया जा रहा है। राश्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क ने कई तरह के एप्लीकेषन तैयार कर देष भर में इसे बढ़ाने में मदद दी है। डिजिटल सेवाओं के अन्तर्गत जो ई-गवर्नेंस का एक बेहतरीन उपकरण है जिसका तेजी से देष में फैलाव हो रहा है। इसका अंदाजा इन्हीं बातों से लगाया जा सकता है कि करोड़ो छात्र-छात्रायें राश्ट्रीय छात्रवृत्ति हेतु ई-पोर्टल से जुड़ चुके हैं। जीवन प्रमाण के आधार पर देखें तो ई-अस्पताल और आॅनलाईन रजिस्ट्रेषन सेवा षुरू हो चुकी है। मरीज और डाॅक्टर सम्बंध कायम हो रहे हैं। देष के सैकड़ों अस्पताल में यह लागू है। इसी तरह मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना जिसके तहत 13 करोड़ कार्ड कोरोना से पहले ही जारी हो चुके थे, इलेक्ट्राॅनिक राश्ट्रीय कृशि बाजार जिसके अंतर्गत लाखो किसान जोड़े गये हैं जो देष के दर्जन भर से अधिक राज्यों में सैकड़ों बाजार इस नेटवर्क से सम्बंधित हैं। ई-वीजा के चलते भी 163 देषों के पर्यटकों को जोड़ने का काम जारी है। अब तक 41 लाख ई-वीजा कुछ साल पहले ही जारी किये जा चुके थे। ई-अदालत के चलते देष भर के विभिन्न अदालत में चल रहे मुकदमे पर निगरानी रखना आसान हुआ है जबकि न्यायिक डेटा ग्रिड के कारण लम्बित पड़े मुकदमे, निपटाये जा चुके मामले और हाई कोर्ट और जिला अदालतों में दायर मुकदमों के बारे में सूचना उपलब्ध होना आसान हुआ है। इसमें दीवानी और फौजदारी दोनों तरह के मामले षामिल हैं। इसके अलावा देष भर में आम लोगों को डिजिटली साक्षरता प्रदान करना, छोटे षहरों में बीपीओ को बढ़ावा देना साथ ही रोज़गार उद्यमिता और सषक्तीकरण के लिए डिजिटल इण्डिया एक बेहतरीन परिप्रेक्ष्य लिये हुए है जिसके चलत ई-गवर्नेंस को तेजी से मजबूती मिल रही है। 

वैसे ई-गवर्नेंस के उद्देष्य में जो मुख्य बातें हैं उनमें भ्रश्टाचार कम करना, अधिक से अधिक जन सामान्य के जीवन में सुधार करना, सरकार और जनता के बीच पारदर्षिता लाना, सुविधा में सुधार करना, जीडीपी में वृद्धि करना और सरकारी कार्य में गति बढ़ाना आदि है। वर्तमान में एक नई आवाज के रूप में ई-प्रषासन व ई-गवर्नेंस को देखा जा सकता है। इलेक्ट्राॅनिक के माध्यम से कार्य करना आसान हुआ है पर दुरूपयोग के कारण अपराध भी बढ़े हैं। साइबर अपराधों की गति और भौगोलिक सीमाओं में निरन्तर वृद्धि हो रही है। इसकी चूक ने जल, थल और आकाष सभी दिषाओं में अपराध का विस्तार किया है। वित्तीय धोखाधड़ी से लेकर बौद्धिक धोखाधड़ी समेत कई प्रकार के अपराध इसके साइड-इफैक्ट भी हैं। सभी जानते हैं कि ई-षासन के क्षेत्र में डाटा और सूचना दो चीजे हैं इसलिए इससे जुड़े अपराध भी इसी से सम्बंधित हैं। फेसबुक पर भी यह आरोप रहा है कि उसने डेटा का हेरफेर किया है। हमेषा यह चिंता रही है कि छोटी सी चूक डेटा और सूचना में सेंध लगा सकती है। ऐसे में डिजिटल इण्डिया के साथ सचेत इण्डिया का संदर्भ भी ई-व्यवस्था में निहित देखा जा सकता है फिलहाल ई-षासन से दक्षता का विकास हुआ है, प्रषासन की जवाबदेहिता बढ़ी है और जनता को लाभ भी पहुंचा है। यहां यह समझना जरूरी है कि ई-गवर्नेंस सब कुछ नहीं देगा बल्कि जो चाहिए उसमें पारदर्षिता और तीव्रता लायेगा। इसमें कोई षक नहीं ई-गवर्नेंस के कारण नौकरषाही का कठोर ढांचा नरम हुआ है और इन्हें कहीं अधिक लक्ष्योन्मुख बनाया है। षिक्षा, स्वास्थ्य व गरीबी इत्यादि विविध क्षेत्र हैं जो राश्ट्र को हमेषा चुनौती देते रहे हैं। इन्हें दूर करने और संसाधनों की प्रभावी उपयोगिता हेतु षासन व प्रषासन निरंतर प्रयासरत् रहा है। इसी प्रयास को ई-गवर्नेंस तेजी से लक्ष्योन्मुख करने में मददगार हुआ है। षासन-प्रषासन में प्रौद्योगिकी कितनी महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इसमें व्याप्त पारदर्षिता से आंका जा सकता है। 

कोरोना काल में विकास के नये आयाम के रूप में ई-गवर्नेंस को प्रतिश्ठित रूप में देखा जा सकता है। रफ्तार भले ही धीमी रही हो पर असर व्यापक है। भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है और डिजिटल तकनीक में यह और तेजी ले सकती है। सब कुछ स्मार्ट हो रहा है इस क्रान्ति ने आम आदमी को भी स्मार्ट बना रहा है। मोबाइल षासन का दौर है जो ई-षासन को और भी प्रासंगिक बना रहा है। डिजिटल बदलाव की जो लहर है वह सरकार के लिए भी राहत है क्योंकि कई कोषिषें नागरिक अब स्वयं करने लगे हैं। भारतीय वैष्विक अर्थव्यवस्था भी बदल रही है और सेवाओं का तौर-तरीका भी बदला है। अब कतार में खड़े होने के बजाय डिजिटीकरण से सम्भव हो गया है। भारत का षानदार आईटी उद्योग तेजी लिए हुए है इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि इस उद्योग ने देष का नक्षा बदल दिया है। राश्ट्रीय गवर्नेंस योजना जो 2006 से षुरू हुई बीते एक दषक में बड़ा विस्तार ले चुकी है। सरकार भी अधिकतम नहीं होना चाहती बल्कि अधिकतम गवर्नेंस करना चाहती है। ई-गवर्नेंस ने यहां भी काम आसान कर दिया है। 

 दिनांक : 9/03/2022


डाॅ0 सुशील कुमार सिंह

(वरिष्ठ  स्तम्भकार एवं प्रशासनिक चिंतक)

निदेशक

वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन ऑफ  पॉलिसी एंड एडमिनिस्ट्रेशन 

लेन नं.12, इन्द्रप्रस्थ एन्क्लेव, अपर नत्थनपुर

देहरादून-248005 (उत्तराखण्ड)

मो0: 9456120502

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