Thursday, December 30, 2021

गति-शक्ति योजना और रोज़गार के मौके

रअसल राजनीति का क्रियात्मक रूप लोकनीति व योजना के माध्यम से ही परिलक्षित होता है। जिस तरह की राजनीतिक ताकतें सत्ता में रहेंगी लोकनीति का स्वरूप भी उसी तरह का होगा और जिस तरह की लोकनीति होगी उसी तरह से समस्याओं से निपटने में हम उपकरण युक्त होंगे। इसी परिप्रेक्ष्य और दृश्टिकोण को संजोते हुए 13 अक्टूबर 2021 को एक नई योजना गति-षक्ति का प्रधानमंत्री मोदी ने षुभारम्भ किया। जिसमें यह सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि भारत के आधारभूत विकास के लिये सौ लाख करोड़ रूपए की इस योजना से देष में लाखों युवाओं को रोज़गार के मौके उपलब्ध होंगे। 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से देष में रोज़गार पैदा करने के मकसद से इस मेगा गति-षक्ति योजना का ऐलान तत्पष्चात् अब षुभारम्भ से उम्मीद और आषा की किरण उत्पन्न होना लाज़मी है। सौ लाख करोड़ की इस योजना से रोज़गार की सम्भावना को गति नहीं मिलेगी ऐसा कोई कारण दिखता नहीं है मगर योजनाएं तो इसके पहले भी और आयी-गयी पर जमीन पर कितनी खरी उतरी हैं इसकी भी पड़ताल समय-समय पर होती रही है। गौरतलब है कि बेरोज़गारी इन दिनों चरम पर है और 5 दषक के रिकाॅर्ड स्तर को भी ध्वस्त कर दिया है। कोरोना के चलते एक ओर जहां रोज़गार पर गाज गिरा है तो वहीं विकास दर भी धूल चाट रही है। ऐसे में मेगा प्लान का प्रकटीकरण उम्मीद जगाता है मगर जमीनी स्तर पर गति-षक्ति मेगा प्लान का असर तब अच्छा महसूस किया जायेगा जब उसी ताकत से कूबत रोजगार सृजन में भी झोकी जायेगी। जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी इस विषेश योजना को आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दृश्टि से भी महत्वपूर्ण मान रहे हैं उस लिहाज़ से इसकी भूमिका और बड़ी हो जाती है।

इस योजना का लक्ष्य डेढ़ ट्रिलियन डाॅलर की राश्ट्रीय आधारभूत पाइपलाइन के तहत परियोजना को अधिक षक्ति व गति देना है। यह योजना रेल और सड़क सहित 16 मंत्रालयों को जोड़ने वाला एक डिजिटल मंच है जिसमें रेलवे, सड़क परिवहन, पोत, आईटी, टेक्सटाइल, पेट्रोलियम, ऊर्जा, उड्यन जैसे मंत्रालय षामिल हैं। गौरतलब है कि इन मंत्रालयों के जो प्रोजेक्ट चल रहे हैं या साल 2024-25 तक जिन योजनाओं को पूरा करना है उन सभी को गति-षक्ति योजना के तहत डाल दिया गया है। पीएम मोदी ने कहा है कि 21वीं सदी का भारत सरकारी व्यवस्था की इस पुरानी सोच को पीछे छोड़कर आगे बढ़ रहा है और आज का मंत्र है प्रगति के लिये इच्छा, प्रगति के लिये कार्य, प्रगति के लिये धन, प्रगति की योजना और प्रगति के लिये वरीयता। उक्त संदर्भ लाख टके का है। मगर लाख टके का ही सवाल यह है कि योजनाओं को धरातल पर समुचित रूप देने के लिये प्रक्रिया का आसान करना साथ ही आधारभूत ढांचे के अनुकूल होना आवष्यक है। सुषासन को भी इसी प्रसंग से जोड़ा जा सकता है जहां खुला वातावरण, पारदर्षिता और विनौकरषाहीकरण के साथ प्रगति के सभी प्रारूपों में उपकरणों की सुचिता निहित है। गौरतलब है यह योजना देष के लाखों युवाओं को रोज़गार के मौके उपलब्ध कराने में मदद देगी पर बिना भरपूर कौषल के सभी के लिये अवसर सम्भव नहीं है। स्किल इण्डिया कार्यक्रम का उद्देष्य साल 2022 तक कम से कम 30 करोड़ लोगों को कौषल प्रदान करना है मगर बीते डेढ़ साल में कोरोना के चलते इसका क्या हाल है षायद ही इस पर कोई बात करने के लिये तैयार हो। देष के 25 हजार कौषल केन्द्र में हजारों की तादाद में तो कोरोना की भेंट भी चढ़ गये और प्रषिक्षण के नाम पर कई तो सिर्फ खाना पूर्ति में लगे रहते हैं।

समग्र बुनियादी ढांचे की नींव जब तक देष में नहीं पड़ेगी विकास और प्रगति का पहिया रूक-रूक कर ही चलेगा। गति षक्ति योजना भारी-भरकम धनराषि से भरी है जो समग्र बुनियादी ढांचे की नींव को रखेगा भी और मजबूत भी कर सकता है बषर्ते पारदर्षिता और दूरदर्षिता दोनों का इसमें अनुप्रयोग किया जाये। अलग-अलग विभाग के बुनियादी विकास के बीच समन्वय की कमी समस्या को बड़ा करता रहा है। उम्मीद है कि इस योजना से बाधायें दूर होंगी। यदि गति-षक्ति मेगा योजना के उद्देष्य पर दृश्टि डालें तो पता चलता है कि यह उद्योगों की कार्यक्षमता बढ़ाने में मदद करेगा, स्थानीय निर्माताओं को बढ़ावा मिलेगा, उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता को भी बढ़त मिलेगी और भविश्य के आर्थिक क्षेत्रों के निर्माण के लिये नई सम्भावनाओं को विकसित करने में भी मदद करेगा। ऐसे विचार प्रधानमंत्री मोदी के हैं। इस प्लान से सबसे बड़ी उम्मीद यही है कि जो परियोजनाएं अधिक जरूरी है जिनमें रोजगार पैदा होने की ज्यादा गुंजाइष है उनमें पहले खर्च करना ठीक रहेगा। वैसे भी ठीक उसी प्रकार जैसे षून्य आधारित बजट के अंतर्गत परफाॅर्मेंस को प्रेफरेंस में रखा जाता है। नव लोकप्रबंध की दृश्टि से देखें तो मितव्ययिता के साथ लोक नीति को सही राह देना गति-षक्ति योजना के लिये कहीं अधिक जरूरी होगा। जमीनी स्तर पर इस प्लान का असर तब कहीं अधिक महसूस किया जायेगा जब सड़कों पर बिना समन्वय के विभागों की एक के बाद एक की होती खुदाई पर लगाम लगेगा। सवाल है कि यह योजना अमल में कैसे लायी जायेगी। दरअसल सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत भास्कराचार्य अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना विज्ञान संस्थान ने गति-षक्ति योजना की निगरानी के लिये प्लेटफाॅर्म विकसित किया है। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग सभी योजनाओं की निगरानी और कार्यान्वयन के लिये नोडल मंत्रालय बनाया गया। इंफ्रा परियोजनाओं का जायजा लेने के लिये एक राश्ट्रीय योजना समूह भी नियमित रूप से बैठक करेगा और किसी भी नई आवष्यकता को पूरा करने के लिये मास्टर प्लान में किसी परिवर्तन को कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली समिति मंजूरी देगी। जाहिर है गति षक्ति योजना का मूल मंत्र बुनियादी ढांचा सम्पर्क परियोजनाओं की एकीकृत योजना बनाना और समन्वित कार्यान्वयन को बढ़ावा देना है। 

इस राश्ट्रीय मास्टर प्लान के जरिये वास्तविक समय के आधार पर सूचना और आंकड़े की उपलब्धता आसान होगी। सुषासन एक ऐसी लोक प्रवर्धित अवधारणा है जहां पर न्यायोचित दृश्टिकोण और समुचित अवधारणा और जनहित में सुयोग्य कदम अपरिहार्य होते हैं और ऐसा बार-बार करना होता है।  बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का काम बेहतर तरीके से होने की तो उम्मीद है ही क्योंकि अब एक दूसरे विभाग पर दोश लगाने का विकल्प समाप्त हो जायेगा। इतना ही नहीं समस्या पैदा होने पर उसके निवारण के प्रति कैसा रूख होगा इसे भी देखा और समझा जा सकेगा साथ ही मंत्रालयों के बीच सूचना को लेकर कम विशमता होगी। उक्त संदर्भ गति षक्ति योजना को एक नई प्रगति देने का काम करेंगे। अकेले काम करने की स्थिति में कमी और सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय का अभाव से होने वाली देरी से निपटने में भी सहायता मिलेगी। गौरतलब है कि ऐसी तमाम कसौटियां पहले से जहां विद्यमान हैं या लालफीताषाही और असंवेदनषीलता के साथ अकर्मण्यता का खात्मा हो चुका है वहां वास्तविक उद्देष्य जमीन पर उतरे हैं। फिलहाल बीते सात दषकों में नित नई योजनाएं देष में आती रही हैं मगर अच्छी योजना वही रही जो धरातल पर उतरी है। उम्मीद कर सकते हैं कि बेरोजगारी के इस दौर में गति-षक्ति योजना रोजगार को गति देने में मेगा प्लान सिद्ध होगी। 

दिनांक :16 अक्टूबर, 2021



डाॅ0 सुशील कुमार सिंह

निदेशक

वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन ऑफ  पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 

लेन नं.12, इन्द्रप्रस्थ एन्क्लेव, अपर नत्थनपुर

देहरादून-248005 (उत्तराखण्ड)

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