Monday, September 17, 2018

एनपीए पर यूपीए बनाम एनडीए

सरकारी बैंकों के एनपीए को लेकर भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर रहे राघुराम राजन की ओर से आयी हालिया जानकारी से एक बात स्पश्ट है कि काफी हद तक मोदी सरकार को क्लीन चिट मिल गयी है और विपक्ष मुख्यतः कांग्रेस का सरकार पर दागे जाने वाले सवाल भी कुछ हद तक कुंद पड़ जायेंगे। गौरतलब है कि रघुराम राजन की ओर से संसदीय समिति को जो विवरण उपलब्ध कराया गया है उसके हिसाब से साल 2006 से 2008 के बीच यूपीए सरकार के समय मनमाने ढंग से कर्ज बांटे गये फलस्वरूप वही आज एनपीए में तब्दील हो गया है। एनपीए का तात्पर्य नाॅन परफाॅर्मिंग असेट है जिसका तात्पर्य ऐसा असेट जो अब किसी काम का नहीं है और बैंक उसको वापस लेने में सक्षम नहीं है परन्तु यह भी समझने वाली बात है कि बैंक तो पैसा देता है ऋण के रूप में तो यह असेट कैसे परिभाशित हो गया। स्पश्ट कर दें कि पैसा लोन के रूप में ब्याज पर बैंक से लिया जाता है तो बैंकिंग टर्म में उस पैसे को असेट की संज्ञा दी जाती है। बैंकों से जितना लोन लिया गया और लोन का जितना हिसाब होता है जब लम्बे समय तक वापस नहीं किया जाता तो वही नाॅन परफाॅर्मिंग असेट हो जाता है। एनपीए को लेकर जिस प्रकार का हालिया परिप्रेक्ष्य दिख रहा है उससे साफ है कि उन दिनों कर्ज की बटाई नहीं बल्कि लुटाई हुई थी। रघुराम राजन का कथन कि वह दौर बुरे कर्ज देने की षुरूआत थी इस बात को और पुख्ता करती है। अब सवाल है कि क्या एक दषक बीतने के बाद साढ़े दस लाख करोड़ हो चुका एनपीए इन आरोप-प्रत्यारोपों से उबर पायेगा। क्या उस समय सत्ता पर रहे लोग अपनी जवाबदेही से बच पायेंगे। इतना ही नहीं क्या इस आरोप से कि ये मामला यूपीए के समय का है मोदी सरकार बच जायेगी। सच्चाई तो यह है कि मोदी कार्यकाल में भी एनपीए बढ़ा है। 
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले पीएम मोदी ने बैंकिंग क्षेत्र में डूबे कर्ज की भारी समस्या के लिये यूपीए सरकार के समय फोन पर कर्ज के रूप में हुए घोटाले को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था कि नामदारों के इषारे पर बांटे गये कर्ज की एक-एक पायी वसूली जायेगी। उनका यह भी कहना था कि चार-पांच सालों तक बैंकों की अधिकांष पूंजी केवल एक परिवार के लिये आरक्षित रहती थी। मोदी का यह भी कहना था कि आजादी से 2008 तक कुल 18 लाख करोड़ रूपए के कर्ज दिये गये जबकि इसके आगे के 6 वर्शों में यह आंकड़ा 52 लाख करोड़ रूपये तक पहुंच गया। भले ही कर्ज की अदायगी यूपीए के षासनकाल में अधिक रही हो मगर एनपीए के मसले में मोदी सरकार भी कम जिम्मेदार नहीं है। इन्हीं के समय विजय माल्या से लेकर नीरव मोदी, मेहुल चैकसी समेत कई और बैंक के कर्ज लेने वाले इन्हीं के षासनकाल में देष छोड़ा है जिसकी रिकवरी के लिये भारत में उनकी संस्थाओं की बोली लगायी गयी। अरबों की सम्पत्ति एनपीए होने के चलते कई और पर असर डाल रहा है। डूबी हुई रकम कैसे मिलेगी और कितनी मिलेगी इस असमंजस से भी सरकार बाहर नहीं निकल पायी। एनपीए को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने हैं मगर मामला बयानबाजी से ऊपर नहीं बढ़ पा रहा है। एनपीए की समस्या के लिये वित्त मंत्री ने यूपीए सरकार को दोशी ठहराया। बात चाहे जैसी बिगड़ी हो पर दो टूक सच्चाई यह है कि कर्ज देने की वजह से बैंकिंग प्रणाली में एनपीए 12 प्रतिषत पहुंच गया। बैंकिंग सेक्टर एनपीए के चलते बिगड़ी हालत को देखते हुए अपने नियमों में भी बड़ा फेरबदल कर लिया है। कई ऐसे छुपे एजेण्डे बैंकों में निहित हो गये हैं जिसके कारण खाताधारक के पैसे उड़ाये जा रहे हैं। भारतीय स्टेट बैंक चैक बाउंस के मामले में तीन से चार गुना की वसूली बढ़ा दी है। बैंकों से पैसा ट्रंासफर करने के मामले में भी ठीकठाक राषि काटी जा रही है, एटीएम ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। तकनीकी गड़बड़ियां बरकरार हैं, पैसा एटीएम उगलने के बजाय कट जाने की पर्ची दे रहे हैं और ग्राहक बैंकों के अपने पैसे बचाने की फिराक में बैंकों का चक्कर लगा रहे हैं। 
इसमें कोई दुविधा नहीं कि नोटबंदी के चलते समस्या काफी गहरी हुई है और अभी भी मामला पटरी पर नहीं आया। तथ्य तो यह भी है कि बैंक नकदी के मामले में भी अभी बुरे दौर से गुजर ही रहे हैं। एनपीए 10 लाख करोड़ से अधिक हो चुका है मगर यह 2014 में 4 लाख करोड़ के आसपास था। बीते कुछ वर्शों में कई आर्थिक परिवर्तन के चलते स्थिति चिंताजनक हुई। अलबत्ता मोदी सरकार यह न मानी कि नोटबंदी का इस पर कोई असर नहीं पर सच्चाई यह है कि नोटबंदी से रोज़गार गये, असुरक्षा बढ़ी और जीएसटी लागू होने के बाद दोहरी आर्थिक कठिनाई खड़ी हो गयी। फलस्वरूप उद्योग धंधे से लेकर जीवनचर्या कई कठिनाईयों से जूझ रहे हैं उसकी एक वजह एनपीए भी हो सकती है। अगर फंसे कर्ज वसूलने के लिये समय रहते कदम नहीं उठाया गया हालांकि इसमें देरी हो चुकी है तो अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में जा सकती है। देखा जाय तो रिज़र्व बैंक के साथ-साथ मोदी सरकार भी एनपीए संकट का समाधान करने के लिये कई कदम उठा रहे हैं लेकिन अभी बात कुछ भी बनती नहीं दिख रही है। कई कर्ज लौटाने में नाकाम हैं, कई दिवालिया हो चुके हैं। षीर्श अदालत के हाल के आदेष के बाद कुछ हद तक उन कम्पनियों को राहत मिली है जो एनपीए के चलते बिक्री के कगार पर खड़ी थी। अदालत ने कहा कि एक निष्चित अवधि तक कर्ज न चुका पाने वाली कम्पनियों के खिलाफ दिवालिया कानून के तहत कार्यवाही करने पर जो रोक लगायी उससे बिजली और टैक्सटाइल क्षेत्र की कम्पनियों को फौरी राहत मिली है। देखा जाय तो सुप्रीम कोर्ट एनपीए की गम्भीरता से परिचित है ऐसे में बेहतर होगा कि सब कुछ सही से सामने हो। 
अर्थव्यवस्था का प्रबंधन ठीक रखने के लिये राजकोश का भी प्रबंधन सही रखना पड़ता है। इतना ही नहीं आर्थिक विकास को भी गति देते रहना होता है। मौजूदा समय में विकास दर 8.2 फीसदी कहा जा रहा है जो कि ठीक 1 साल पहले 5.7 के आसपास थी। दुविधा यह है कि जिस दर से आंकड़े दिखते हैं आम जीवन में बदलाव का दर वही नहीं होता है। एनपीए ने सरकार के अंदर और बाहर साथ ही यूपीए और एनडीए दोनों में हलचल का काम किया है मगर रघुराम राजन के बयान से इसके राजनीतिक निहितार्थ भी निकाले जायेंगे। हालांकि यह मामला आर्थिक है। कर्ज देने में जो जोखिम है वह इस दौर में पता चल रहा है साल 2017 में 7 हजार करोड़पतियों ने भारत की नागरिकता त्याग दी और कई अरबपतियों ने कर्ज अदायगी से बचने के लिये देष से भाग गये जिसमें विजय माल्या से लेकर नीरव मोदी तक षामिल हैं। बैंक के अधिकारियों पर भी भ्रश्टाचार का आरोप लगता रहा। कांग्रेस कहती है कि जब हम सत्ता छोड़े तब एनपीए 2 लाख करोड़ था अब यह दस लाख करोड़ के आसपास है। बात इससे नहीं बनेगी मगर मौजूदा सरकार यदि ठीकरा केवल पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर ही फोड़ेगी तो यह भी न्यायोचित नहीं है। इस बात को भी सझना सही होगा कि गलत को ठीक करने के लिये दूसरा गलत ठीक नहीं है। यूपीए की गलती एनडीए को दोहराना कहीं से षोभा नहीं देता ऐसे में पटरी से हट चुकी और कर्ज में डूबे बैंकों को बचाने के लिये ऋणों की वसूली जरूरी है मगर बैंकों को भी यह ध्यान रखना होगा कि अपने हित पोशण के लिये खाताधारकों का पैसा भी न लूटें।


सुशील कुमार सिंह
निदेशक
वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन आॅफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 
डी-25, नेहरू काॅलोनी,
सेन्ट्रल एक्साइज आॅफिस के सामने,
देहरादून-248001 (उत्तराखण्ड)
फोन: 0135-2668933, मो0: 9456120502
ई-मेल: sushilksingh589@gmail.com

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