Friday, March 30, 2018

पर्चा लीक होना साख पर सवाल

एसएससी परीक्षा के पेपर लीक होने को लेकर हो रहे हाहाकार के बीच सीबीएसई की 10वीं और 12वीं के बोर्ड की परीक्षा का पेपर लीक होना वाकई विद्यार्थियों के कैरियर को तो खतरे में डालता ही है साथ ही सरकार की साख को भी चुनौती देने वाला विशय है। मामला इतना संवेदनषील है कि कोई चैन से सो नहीं सकता। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाष जावेड़कर की नींद उड़ना लाज़मी है पर इस पर काबू पाने के लिए क्या रणनीति है इसे लेकर कुछ भी सुझायी नहीं दे रहा है। ईमानदारी का ढ़ोल पीटने वाली मौजूदा सरकार और उसके चैकीदार इस झंझवात से कैसे बाहर आयेंगे कह पाना कठिन है। सीबीएसई पेपर लीक मामले में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने बीते 29 मार्च को 25 लोगों को हिरासत में लिया जिसमें 13 स्कूली छात्र, 5 काॅलेज छात्र और 5 ट्यूषन पढ़ाने वाले षिक्षक समेत दो अन्य षामिल हैं। जाहिर है इनसे पूछताछ जारी है। खास यह भी है कि झारखण्ड के चतरा से भी 4 छात्रों को गिरफ्तार किया गया है। केन्द्रीय मंत्री जावेड़कर यह भरोसा जता रहे हैं कि दोशियों को बख्षा नहीं जायेगा और सरकार इस मामले में तह तक जायेगी। सवाल है कि पेपर लीक से जो उथल-पुथल मचती है साथ ही इसके चलते परीक्षार्थियों का जो भरोसा डगमगाता है आखिर उसकी भरपायी कैसे होगी। पेपर लीक जैसे कलंक के खिलाफ सरकारी मषीनरी हरकत में है पर सवाल यह रहेगा कि क्या ऐसे कृत्यों पर हमेषा के लिए लगाम लगेगा। अर्थ तो कई हैं पर सवाल यह है कि जिस प्रकार एक-एक अंकों के लिए परीक्षार्थी दिन-रात खपाता है क्या उसी तरह परीक्षा कराने वाली मषीनरी संवेदनषील है। यदि होतीं तो नतीजे कम-से-कम ये न होते।
इसमें कोई दुविधा नहीं कि सीबीएसई हो या सरकार छात्रों का अहित नहीं करेंगी पर इसकी नौबत न आये इस पर भी कदम उठाने होंगे। 10वीं की गणित और 12वीं के अर्थषास्त्र की परीक्षा दोबारा होगी जिसे लेकर छात्र भी सवाल कर रहे हैं कि जब उन्होंने इस दायित्व को निभा लिया है तो किसी की गलतियों के कारण ये जिम्मेदारी उन्हें दोबारा क्यों? इस उम्र के परीक्षार्थी कुछ अबोध तो होते हैं पर परीक्षा के प्रति इनके समर्पण के बोध को कमतर नहीं आंका जा सकता। सवाल वाजिब है परन्तु उन्हें इसकी संवेदनषीलता भी समझनी होगी। परिप्रेक्ष्य और दृश्टिकोण तो यह भी इषारा करते हैं कि जितनी पुरानी परीक्षा प्रणाली है उतनी पुरानी परीक्षा कराने वाली मषीनरी है परन्तु नाकामयाबी से रिष्ता नहीं टूटा है। देखा जाय तो बोर्ड परीक्षाओं में छात्रों की संख्या समय के साथ निरंतर बढ़ती रही है और उसके एवज में परीक्षा कराने वाली संस्थाएं षायद ही चुनौतीपूर्ण बनती रही हों साथ ही षिक्षा में माफिया राज भी बढ़ा है। हजारों, लाखों का खेल यहां भी चल रहा है परीक्षा पास कराने के ठेके भी लिये जा रहे हैं। इतना ही नहीं इस तरीके के कृत्य मौजूदा समय में अच्छा खासा कारोबार बन गया है। षिक्षा के इस क्षेत्र में उतर चुके चंद अपराधी पूरी व्यवस्था पर कलंक बनते जा रहे हैं और सरकार के लिए चुनौती भी। बीते कई वर्शों से बोर्ड परीक्षा में नकल की परम्परा रही है। इसको बोर्ड से लेकर सरकारें भी अच्छी तरह जानती हैं। बिहार व उत्तर प्रदेष समेत कई और भारी-भरकम प्रांत नकलविहीन परीक्षा कराने में कभी भी सफल नहीं रहे और अब केन्द्रीय संस्था सीबीएसई का पेपर लीक होना सरकार पर बट्टा लगाने जैसा है। हालांकि यह बात सरकार नहीं मानेगी पर सच्चाई यह है कि यदि अच्छाई का श्रेय आप लेते हैं तो बुराई को भी स्वीकार करना होगा।
सीबीएसई पेपर लीक मामले में केन्द्र सरकार ने एसआईटी और आंतरिक समिति गठित करते हुए जांच षुरू कर दी है। जाहिर है समय के साथ दूध-का-दूध, पानी-का-पानी होगा। पेपर लीक को लेकर बच्चे, षिक्षक और माता-पिता क्षुब्ध हैं और स्वयं में असहाय महसूस कर रहे हैं। दुःखद यह भी है कि षिक्षा तंत्र की विष्वसनीयता भी खतरे में है। रिष्वत और भ्रश्टाचार से युक्त होती जा रही षिक्षा व्यवस्था को यदि समय रहते पारदर्षी नहीं किया गया तो खतरे और बढ़ेंगे। जाहिर है पर्चा लीक करना और नकल कराना बच्चों को नाकाम बनाना है। खास यह भी है कि 10वीं और 12वीं की बोर्ड की एक बार की परीक्षा योग्यता के पूरे मूल्यांकन को दर्षाती है और इसी दौरान यदि कोई ऊँच-नीच हो जाती है जैसे कि पेपर का लीक होना तो इसका असर पूरे जीवन पर पड़ता है। इस संदर्भ के मद्देनजर यह विचार पनपता है कि एक परीक्षा से सब कुछ तय करने के बजाय ऐसी कोई व्यवस्था लायी जाय जो वर्श भर के मूल्यांकन को परिभाशित करती हो जो कई किस्तो में हो। केवल सीबीएसई के दो प्रष्न-पत्र के लीक होने के मात्र से इस बोर्ड को ही कठघरे में खड़ा नहीं किया जा सकता। भारत के 29 राज्यों में अपने प्रादेषिक बोर्ड भी हैं जो षिक्षा माफियाओं से मुक्त नहीं हैं या तो वे नकल कराते हैं या काॅपियां लिखवाते हैं जरूरी हुआ तो पेपर भी लीक करते हैं। जाहिर है पूरी षिक्षा व्यवस्था ही खतरे में है। आज की मुष्किल घड़ी में बोर्ड और सरकार के मत्थे इस समस्या को मढ़ने के बजाय हम सामाजिक और पढ़े-लिखे लोगों को भी इस दिषा में कदम उठाना होगा ताकि हमारे बच्चे योग्यता के इस पथ पर ऐसे अनहोनी का षिकार न हों। 
सीबीएसई की इस बोर्ड परीक्षा में देष भर से 28 लाख से ज्यादा छात्र-छात्राओं ने भागीदारी की है। जाहिर है इतनी बड़ी छात्रों की संख्या के बीच यदि पेपर लीक जैसी असावधानी होती है तो फिर से परीक्षा कराना न केवल नये सिरे से कार्यों को बढ़ा देती है बल्कि खर्च भी सीमा से पार चला जाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने पेपर लीक मामले में प्रकाष जावेड़कर से बात कर नाराज़गी जतायी थी। बीते चार सालों में बोर्ड परीक्षा से पहले प्रधानमंत्री मोदी मन की बात के अंतर्गत कई बार विद्यार्थियों को प्रोत्साहित कर चुके हैं परन्तु जब ऐसी घटनाएं हों और उत्साह से भरा छात्र अपना परीक्षा समाप्त कर रहा हो और पेपर लीक की वजह से उसे दोबारा इसमें फिर आना हो तो थोड़ा हतोत्साहित तो होता होगा। प्रकाष जावेड़कर नई व्यवस्था लाने की बात कर रहे हैं लेकिन नई व्यवस्था भी तभी सफल मानी जायेगी जब वह प्रयोग के बाद सफल हो। फिलहाल पेपर लीक मामले के चलते समाज और सरकार दोनों हिले हुए हैं। अपराधियों के धड़पकड़ भी हो रही है और मषीनरी भी दुरूस्त करने की कोषिष चल रही है। जीरो टाॅलरेन्स वाली मोदी सरकार का यह षब्द कथनी में अधिक करनी में कम ही प्रतीत हो रहा है। दो टूक यह भी है कि बच्चों और उनके माता-पिता पर बोर्ड परीक्षा का दबाव कहीं अधिक रहता है। अधिक अंक जुटाने की भी होड़ रहती है। एक बार इस प्रकार की षिक्षा व्यवस्था पर भी निगाह डालने की जरूरत है कि क्या किसी का मूल्यांकन केवल अंकों से ही होगा। दुविधा कई है और सटीक कुछ भी नहीं। आंकलन-प्राक्कलन के सिद्धान्त भी बदले हैं, नौकरी प्राप्ति के आधार भी बदल रहे हैं परन्तु अंकों की होड़ में कोई परिवर्तन षायद ही हुआ हो। जब सब कुछ इतना संवेदनषील है तो पेपर लीक होना किसी कलंक से कम नहीं है। हो न हो यह सरकार की साख पर भी यह बट्टा लगाता है।

सुशील कुमार सिंह
निदेशक
वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन आॅफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 
डी-25, नेहरू काॅलोनी,
सेन्ट्रल एक्साइज आॅफिस के सामने,
देहरादून-248001 (उत्तराखण्ड)
फोन: 0135-2668933, मो0: 9456120502
ई-मेल: sushilksingh589@gmail.com

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