Thursday, October 17, 2019

लाल किले से पानी, पर्यावरण और जनसंख्या की गूंज

मानव सभ्यता के विकास को जिन कारकों ने प्रभावी किया उन्हें लेकर लाल किले की प्राचीर से 73वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें षिद्दत से छूने का प्रयास किया। स्वतंत्रता दिवस क्या चिन्ह्ति करना चाहता है इसकी भी झलक भाशण में साफ-साफ दिखी। सामान्यतः ऐसा रहा है कि लाल किले से ऐसे अवसरों पर प्रधानमंत्री अधिकतर अपनी सरकारों के कामों का बखान करते देखे गये हैं। मगर इसी लाल किले से स्वच्छता, षौचालय, पानी, पर्यावरण, वातावरण समेत जनसंख्या विस्फोट व प्लास्टिक बैन समेत बुनियादी विकास के प्रसंगों का वर्णन षायद ही सुनने को मिला हो। 94 मिनट के भाशण में प्रधानमंत्री मोदी ने तमाम संवेदनषील मुद्दों को छूने का प्रयास किया। किसानों और व्यापारियों को मिलने वाली मदद की चर्चा और यह कहना कि अब सपनों को पूरा करने का समय आ गया है। वाकई ऐसा लगा कि मानो एक नये भारत की सोच और समझ को पुख्ता करने का प्रयास किया गया है। इसमें दुविधा नहीं कि सरकार कई आषाओं पर खरी उतरी है इसलिए उसे बहुत कुछ कहने का हक है। निराषा को आषा में बदलने का काम दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के साथ मोदी ने षीघ्र षुरू कर दिया। मुस्लिम महिलाओं केा तीन तलाक से मुक्ति देना और अनुच्छेद 370 और 35ए से जम्मू कष्मीर को आजादी देना जिसमें कि जोखिम और साहस दोनों का मिश्रण था वाकई सरकार का बेहतरीन प्रदर्षन कहा जायेगा। वन नेषन, वन इलेक्षन वैसे तो चर्चा पहले से है पर लाल किले से इसकी भी गूंज सुनने को मिली। गूंज तो वन नेषन, वन टैक्स वाले जीएसटी की भी एक पूरक के तौर पर रही है। भ्रश्टाचार के खिलाफ लड़ाई और गैर जरूरी कानूनों का खात्मा जो कि मोदी सरकार का मिषन है यह भी भाशण में बाकायदा षामिल था। गौरतलब है कि पिछले पांच सालों में 1450 गैर जरूरी कानून सरकार ने खत्म किये हैं। दूसरी पारी को अभी बामुष्किल ढ़ाई महीना ही बीते हैं 60 कानून अभी तक खत्म किये जा चुके हैं। स्पश्ट है कि सरकार ईज़ आॅफ लिविंग को आसान बनाना चाहती है। इतना ही नहीं 2024 तक 5 ट्रिलियन डाॅलर की इकोनाॅमी की ओर कदम बढ़ा चुकी सरकार ने देष की अर्थव्यवस्था को दुनिया के सामने बड़ा रूप देने का मन बना लिया है।
लाल किले से ही आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की चर्चा कमोबेष पहले के भाशणों की भांति ही सुनाई दी। षांति और सुरक्षा विकास के अनिवार्य पहलू हैं। विष्व षान्ति के लिए भारत को अपनी भूमिका निभानी होगी जैसी बातें प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर इस अवसर पर दोहराया। इसके अलावा जीवन के उन संवेदनषील पहलुओं को भी मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के इस पावन अवसर पर चेताना नहीं भूले। जिस पर यह देष, दुनिया टिकी रहेगी। भाशण के दौरान 130 करोड़ जनसंख्या में उन्होंने यह परोसने की कोषिष की कि पानी की बचत, पर्यावरण का संरक्षण और प्लास्टिक को नकारने का अब समय आ गया है। इतना ही नहीं जनसंख्या विस्फोट का उनके भाशण में होना यह संकेत देता है कि सरकार इस ओर भी अब अपनी चिंता झुका रही है। पड़ताल बताती है कि 2014 में पहली बार लाल किले से बोलते हुए मोदी 70 मिनट खर्च किये थे। साल 2015 में 86 मिनट, 2016 में 92 मिनट, 2017 में 57 जबकि 2018 में 82 और अब 2019 में 94 मिनट के भाशण से लाल किले की प्राचीर से जो गूंज उठी उसने भारत समेत दुनिया को बेहतरीन और प्रगाढ़ संदेष देने का काम किया। इन्हीं भाशणों में बुनियादी और संवेदनषील मद्दे उठे जिनको जमीन पर उतारने का काम जारी है। श्रीलंका, अफगानिस्तान और बांग्लादेष में आतंक के परिप्रेक्ष्य को लेकर मोदी ने पड़ोसी पाकिस्तान को घसीटना नहीं भूले। हालांकि पाकिस्तान को इस बार वैसा नहीं ललकारा जैसा कि मोदी की प्रकृति में है। इतना ही नहीं विरोधियों को भी बहुत ज्यादा आड़े हाथ नहीं लिया। षायद एक मजबूत सरकार के तौर पर मोदी ये समझ रहे हैं कि देष को आगे बढ़ाने के लिए व्यवधानों को पहचानना है, उन्हें दूर करना है न कि बेफजूल की राजनीति में वक्त जाया करना है।
भाशण के सभी हिस्से अपने ढंग से वजनदार हैं पर कुछ मुद्दे व्यापक अवधारणा से युक्त देखे जा सकते हैं। पानी और पर्यावरण पर चिंता, प्लास्टिक पर बैन की बात और जनसंख्या विस्फोट इस स्वतंत्रता दिवस के मौलिक विचार कहे जा सकते हैं। गौरतलब है कि यूनाइटेड नेषन की कुछ साल पहले की रिपोर्ट में था कि यदि विष्व के देषों ने पानी बचाने के उपायों पर काम नहीं किया तो आने वाले 15 वर्शों में पूरी दुनिया को 40 फीसदी पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है। यह अवधि 2030 तक समझी जा रही है। यदि हालात ऐसे बने रहे तो करीब दो दषक बाद आज की तुलना में पानी आधा रह जायेगा। भारत की आबादी पहले स्वतंत्रता दिवस से 73वें तक में लगभग 4 गुनी बढ़ चुकी है जबकि पानी की खपत के मामले में यह 800 फीसद की बढ़त ले चुकी है स्पश्ट है कि प्रधानमंत्री मोदी की लाल किले से पानी को लेकर प्रकट की गयी चिंता बेवजह नहीं है। दिल्ली और नोएडा जैसे षहरों से प्रति वर्श भूमिगत जल 4 फीट नीचे की ओर जा रहा है। खबर यह भी है कि चेन्नई में भूमिगत जल का खजाना खाली हो गया है। प्रधानमंत्री ने पानी को लेकर एक पुस्तक का जिक्र करते हुए कहा कि उसमें लिखा गया था कि सौ साल बाद पानी किराने की दुकान में बिकेगा जो आज हो रहा है। देखा जाये तो पानी और पर्यावरण एक-दूसरे के पूरक हैं जब पर्यावरण बचेगा तभी जल भी बचेगा। गौरतलब है कि पर्यावरण में भी असंतुलन बाढ़ लिये है। भारत में वन प्रतिषत बामुष्किल 21 फीसदी के आसपास है जबकि यह 33 फीसदी होना चाहिए। रिपोर्ट तो यह भी है कि जो ग्लेषियर नदियों को पानी देते हैं वे 2030 तक काफी पैमाने पर सिकुड़ जायेंगें। तपिष के चलते हर साल लाखों हेक्टेयर जंगल आग से स्वाहा हो जाते हैं। नीति आयोग भी कहता है कि 75 फीसदी घरों में पीने के पानी का संकट जबकि 70 फीसदी पानी प्रदूशित है। अभी तो पानी खत्म होने की सूचना चेन्नई से है पर दिल्ली, हैदराबाद समेत 21 षहर में जल्दी भूमिगत जल खत्म हो जायेगा जिसके चलते 10 करोड़ लोग प्रभावित होंगे।
गौरतलब है कि वर्तमान में जिस जीडीपी को दहाई के आंकड़े तक पहुंचाना चाह रहे हैं वही गिरते जल स्तर के कारण 2050 तक 6 फीसदी नुकसान में जा सकती है। तब तक देष की जनसंख्या 150 से 180 करोड़ की हो सकती है। स्पश्ट है कि इस जनसंख्या विस्फोट से कई समस्याएं विस्फोटक रूप ले लेंगी। प्रधानमंत्री मोदी ने इस पावन पर्व जनसंख्या पर चिंता जाहिर करके यह संकेत दे दिया है कि यदि आने वाली पीढ़ियों को अनेक संकटों से बचाना है तो इसके प्रति जागरूक होना ही होगा। पानी और पर्यावरण के साथ प्लास्टिक भी बुनियादी समस्या बन चुकी है। केन्द्रीय प्रदूशण नियंत्रण बोर्ड़ कहता है कि दिल्ली में हर रोज़ 690 टन, चेन्नई और कोलकाता में 429 टन प्लास्टिक कचरा फेंका जाता है जो स्वास्थ और पर्यावरण दोनों का दुष्मन हो। प्रधानमंत्री ने इस पर भी चिंता जाहिर करते हुए प्लास्टिक मुक्त भारत की अवधारणा पेष कर दी है और कपड़े के झोले की नीति को आगे बढ़ा दिया है। लोगों को सचेत किया और दुकानदारों को इस पर एक्षन लेने का सुझाव भी जताया है। फिलहाल 73वां स्वतंत्रता दिवस षौर्य और साहस के साथ 74वें की प्रतीक्षा में देषवासियों को आगे करके स्वयं पीछे हो गया। देष सभी का है ऐसे में यह बात षिद्दत से समझनी होगी कि लाल किले से जो गूंज उठी है वह किसी नेता का भाशण नहीं है बल्कि देष के उत्थान और स्वयं के विकास के लिए चुनौती से भरी गौरवगाथा है।



सुशील कुमार सिंह
निदेशक
वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 
डी-25, नेहरू काॅलोनी,
सेन्ट्रल एक्साइज ऑफिस  के सामने,
देहरादून-248001 (उत्तराखण्ड)
फोन: 0135-2668933, मो0: 9456120502
ई-मेल: sushilksingh589@gmail.com

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