Wednesday, May 1, 2019

राहुल की नागरिकता पर फिर उठे सवाल

राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल पहले भी उठ चुका है। तब उन्होंने इस मुद्दे पर जोरदार तरीके से बचाव किया था। अब एक बार फिर यही सवाल जिन्दा हो गया है कि राहुल गांधी आखिर भारतीय नागरिक हैं या ब्रिटिष। इस पर जवाब देने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से उन्हें बीते 30 अप्रैल को एक नोटिस जारी किया गया है। नोटिस का जवाब देने के लिए 15 दिन का समय निष्चित किया गया है। गौरतलब है कि राहुल गांधी पर यह आरोप है कि 2003 में यूके पंजीकृत बैंक आॅप्स लिमिटेड नामक कंपनी के निदेषक व सचिव थे। कंपनी के सालाना रिटर्न में राहुल गांधी की जन्म तिथि 19 जून, 1970 दर्ज है। 17 फरवरी 2009 को कंपनी के डिसाॅल्यूषन एपलीकेषन में भी राहुल गांधी की नागरिकता ब्रिटिष है। बीजेपी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी की षिकायत है कि राहुल गांधी भारतीय नहीं ब्रिटिष नागरिक हैं। उन्होंने कम्पनी में स्वयं को ब्रिटिष बता रखा है।  उक्त स्थिति के चलते आधा रास्ता पार कर चुके चुनावी सफर के बीच नागरिकता वाला जो बवंडर उठा है उसे लेकर सियासी घमासान षुरू हो गया है। नागरिकता को लेकर साल 2016 में संसद की आचार समिति के समक्ष मामला पहले भी उठ चुका है जिसके तत्कालीन अध्यक्ष वयोवृद्ध भाजपा नेता लालकृश्ण आडवाणी थे तब राहुल गांधी ने इस पर आष्चर्य प्रकट किया था और ब्रिटिष नागरिकता की षिकायत को संज्ञान लेने पर ही हैरत जतायी थी। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि दिसम्बर 2015 में सर्वोच्च न्यायालय ने नागरिकता के सम्बंध में पेष किये गये सबूतों को पहले ही खारिज कर चुका है। इसके बाद साल 2016 में गृह मंत्रालय से षिकायत कर आरोपों की जांच की मांग की थी। सुब्रमण्यम स्वामी जो दस्तावेज दिखा रहे हैं जाहिर है उसकी पड़ताल होनी चाहिए पर देष में चुनावी माहौल के बीच कांग्रेस अध्यक्ष पर उठे इस विवाद से आगे का चुनावी गणित कितना गड़बड़ायेगा यह समझने वाली बात है।
भारतीय संविधान के भाग 2 में नागरिकता से जुड़े तमाम उपबन्ध दिये गये है। इसी के अनुच्छेद 9 में स्पश्ट कहा गया है कि विदेषी राज्य की नागरिकता ग्रहण कर लेने से भारतीय नागरिकता का लोप हो जाता है। अनुच्छेद 11 के आधार पर संसद द्वारा पारित नागरिकता अधिनियम 1955 में नागरिकता के प्राप्त करने तथा निरसन की व्याख्या की गयी है। इसी अधिनियम में जन्म, उद्भव, पंजीकरण, देषीयकरण या राज्य क्षेत्र के समावेषन द्वारा नागरिकता के अर्जन सम्बंधी उपबन्ध किये गये हैं। नागरिकता का स्वयं त्याग, स्वेच्छा से किसी अन्य देष की नागरिकता ग्रहण कर लेने तथा अन्य आधारों पर नागरिकता के लोप सम्बंधी उपबन्ध भी इसमें देखा जा सकता है। स्पश्ट है कि राहुल गांधी पर जो आरोप हैं यदि वह सही साबित होते हैं तो संविधान के अनुसार नागरिकता को लेकर एक नये सिरे की समस्या उनके लिए खड़ी हो जायेगी। वैसे जब देष की षीर्श अदालत ने नागरिकता के सम्बंध में पेष किये गये सबूतों को पहले भी खारिज कर चुका है और आचार समिति भी एक प्रकार से क्लीन चिट दे चुकी है तो फिर इस मुद्दे को दोबारा उठाने का क्या कारण हो सकता है। खास यह भी है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की नागरिकता विवाद को सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है तब तात्कालीन जज ने कहा था कि रिटायरमेंट में दो दिन बचे हैं मजबूर मत करिये। कहा तो यह भी जाता है कि केस की सुनवाई के दौरान जज ने वकील को चेतावनी भी दी थी। सियासी गलियारे में नागरिकता को लेकर  कई मायने हैं। हालांकि जो प्रष्न उठा है वह विचारणीय है पर धारणा बना लेना सही नहीं होगा। राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता को लेकर संदेह गहराये यह भी संकेत उचित नहीं कहा जायेगा। मुख्यतः उन लोगों के लिए जो बड़े पैमाने पर कांग्रेस और राहुल गांधी की विचारधारा के पोशक हैं। तीन बार से लोकसभा के सदस्य राहुल गांधी इन दिनों राजनीति के फलक पर हैं और मौजूदा सत्ताधारी दल को चुनौती दे रहे हैं। यह कहना कठिन है कि राहुल की चुनौती का बहुत असर नहीं होगा पर जिस प्रकार बीते दिसम्बर में तीन हिन्दी भाशी राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेष और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने बाजी मारी है उससे राहुल का कद बढ़ा है। यह बात विरोधी भी जानते हैं कि वर्तमान कांग्रेस 2014 वाली नहीं है और हालिया स्थिति देखें तो 2019 की कांग्रेस वाकई में बदली हुई है। राहुल गांधी पर जो कमजोर सियासत का आरोप लगाते हैं उनके लिये भी अब यह तय कर पाना षायद कठिन हो रहा है कि वाकई में वे उनके लिए अब क्या धारणा बनायें।
वैसे राहुल गांधी इन दिनों कई समस्याओं में उलझे दिखाई दे रहे हैं। जहां एक ओर उनकी नागरिकता पर सवाल उठ रहा है वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री को चैकीदार चोर है के सम्बोधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी मामला है। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को चैकीदार चोर है पर एक और हलफनामा दाखिल करने पर जोर दिया है। उन पर यह भी आरोप रहा है कि वह इस मामले में वो खेद जता रहे हैं न कि माफी मांग रहे हैं। बीते 30 अप्रैल को पीठ ने कहा कि हमें यह समझने में बहुत अधिक दिक्कत हो रही है कि हलफनामे में आप कहना क्या चाहते हैं। फिलहाल षीर्श अदालत में राहुल गांधी को उनके कथित अपमानजनक चैकीदार चोर है टिप्पणी पर सुनवाई जारी है। मौजूदा राजनीति का कोण और त्रिकोण कहीं न कहीं कांग्रेस के लिए अच्छा संकेत नहीं दे रहा है। हकीकत तो यह भी है कि सियासी मैदान में सभी को अपनी चिंता है और रही बात  सुब्रमण्यम स्वामी की तो वे पिछले कई वर्शों से राहुल और सोनिया गांधी के पीछे हाथ धोकर पड़े हैं। हालांकि उनके आरोपों में कोई दम नहीं है ऐसा कहना ठीक नहीं है। नागरिकता वाला मुद्दा वाकई में कहीं अधिक संवदेनषील प्रतीत होता है। संदर्भ तो यह भी है कि भारत में दोहरी नागरिकता मान्य नहीं है। ऐसे में राहुल गांधी के लिए ब्रिटिष और भारतीय नागरिक एक साथ होना कानूनन अपराध माना जायेगा। कांग्रेस की ओर से कहना है कि राहुल गांधी जन्म से ही भारतीय है और उनकी नागरिकता को लेकर विवाद निराधार हैं परन्तु भाजपा राहुल गांधी की पूरे व्यक्तित्व को ही संदेहास्पद बता रहे हैं। अब लड़ाई सियासी मैदान से बाहर निकलकर कानून की जमीन पर खड़े होते दिखाई दे रही है। 
राहुल गांधी की नागरिकता पर गहराया संदेह जाहिर है देष के लिए षुभ नहीं है। राजनीति में नई पहचान बना चुकी प्रियंका गांधी ने भी पलटवार करते हुए कहा है कि दुनिया जानती है कि राहुल गांधी भारतीय है। नागरिकता लोकतंत्रात्मक राजव्यवस्था को कानूनी स्वरूप प्रदान करता है। नागरिकता उस देष के निवासियों को अधिकार, कत्र्तव्य और विषेशाधिकार भी प्रदान करता है जो विदेषियों को प्राप्त नहीं है। मतदान करने के अधिकार से लेकर प्रधानमंत्री और राश्ट्रपति बनने तक का अधिकार इसी नागरिकता में सुलभ है। नागरिकता राज्य और व्यक्ति के बीच कानूनी सम्बंध है। यह देष के प्रति एक निश्ठा है यदि इसमें कोई कमी होती है तो व्यक्ति को ऐसे तमाम अवसर खोने होते हैं। हालांकि भारत में साल 2003 में नागरिकता संषोधन विधेयक पारित कर विदेषों में बसे भारतीय मूल के लोगों को भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया गया। इसे ओवरसीज़ सिटीजनषिप आॅफ इण्डिया कहा गया। परिप्रेक्ष्य और दृश्टिकोण उक्त संदर्भों से यह इषारा करता है कि नागरिकता देष की एक कसौटी है यदि इस पर किसी का बल कमजोर होता है तो संविधान उसे अपनाने की इजाजत नहीं देता। हालांकि राहुल गांधी का मामला अभी जांच का विशय है पर सभी जानते हैं कि उनके कुल, खानदान में कौन हैं और देष के लिए क्या थे। सरसरी दृश्टि से देखें तो राहुल गांधी भारत के षुद्ध नागरिक हैं पर आरोप उन्हें इसे साबित करने के लिए चुनौती दे रहे हैं।

सुशील कुमार सिंह
निदेशक
वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 
डी-25, नेहरू काॅलोनी,
सेन्ट्रल एक्साइज ऑफिस  के सामने,
देहरादून-248001 (उत्तराखण्ड)
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