Monday, May 6, 2019

चिंता का सबब बना कच्चा तेल

पिछले वर्ष की शुरूआत में जब अमेरिकी राश्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर नये सिरे से प्रतिबंध लगाने का काम किया था तभी से भारत व ईरान के बीच तेल व्यापार को बनाये रखने के लिए वैकल्पिक रास्ते खोजे जा रहे थे। ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध के चलते बीते 2 मई से तेल का खेल बिगड़ गया है। कच्चे तेल की कीमतों के साथ उसका बढ़ता आयात सरकार के लिए फिलहाल चिंता का सबब बन गया है। पड़ताल बताती है कि घरेलू उत्पाद में कमी की वजह से पिछले तीन वर्शों में कच्चे तेल का आयात 80 से 84 फीसदी तक पहुंच गया है जिसमें से करीब 12 फीसदी तेल ईरान से भारत आयात करता था। चूंकि अब ईरान से आयात पर रोक लग गयी है ऐसे में भारत को नये देषों से आयात का करार करना होगा जो महंगा सौदा साबित हो सकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने 2015 में एक सम्मेलन के दौरान तेल आयात को तब के 77 फीसदी से 2022 तक 67 प्रतिषत पर लाने का लक्ष्य तय किया था और 2030 तक कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता को घटाकर 50 प्रतिषत पर लाने का भी लक्ष्य रखा था पर जिस गति से देष में तेल की खपत बढ़ी है उससे यही लगता है कि लक्ष्य कागजी ही सिद्ध होंगे। उपभोग तेजी से बढ़ने और उत्पादन एक ही स्तर पर टिके रहने की वजह से देष के कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता 2018-19 में बढ़कर लगभग 84 फीसदी हो गयी है जो साल 2017-18 की तुलना में एक फीसदी अधिक है। रिपोर्ट भी यह इषारा करती है कि घरेलू उत्पाद बढ़ाने के कदम के साथ सरकार जैव ईंधन और सौर बिजली चलित वाहनों को बढ़ावा देने की दिषा में कदम उठा रही है। ऐसा करने से आयात कम किया जा सकेगा पर अभी यह दूर की कौड़ी है। 
अमेरिका ने ईरान को प्रतिबंधित करके तेल के मामले में भारत के सामने एक नई मुसीबत खड़ी कर दी है। रियायतें 2 मई से खत्म हो चुकी हैं जाहिर है भारत को ईरान से तेल का आयात पूरी तरह रोकना पड़ा। अब भारत को नई षर्तों पर दूसरे देषों से तेल मंगाना होगा। जाहिर है इस पाबंदी से उथल-पुथल मचेगा और अंतर्राश्ट्रीय स्तर पर तेल के दाम में भी बढ़त हो सकती है जिसका सीधा असर भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमत पर पड़ेगा और उसका सीधा असर महंगाई पर पड़ेगा। गौरतलब है कि 8 देषों को ईरान से कच्चा तेल खरीदने से मिली छूट को खत्म करने के बाद कच्चे तेल की कीमत में 3 फीसदी का उछाल आया है। इसका सबसे अधिक असर भारत और चीन पर पड़ने वाला है। अनुमान है कि भारत के लिए कच्चे तेल की लागत 3 से 5 फीसदी बढ़ सकती है। जाहिर है महंगाई बढ़ना लाज़मी है और रूपए में भी गिरावट आ सकती है। माना तो यह भी जा रहा है कि यदि सऊदी अरब और उसके सहयोगी देष तेल आपूर्ति बढ़ाते है तभी तेल की कीमतें स्थिर हो पायेंगी। देखा जाय तो इराक ने लगातार दूसरे साल भारत को सबसे ज्यादा कच्चे तेल की आपूर्ति की है जो 2018-19 में कुल जरूरतों का पांचवां हिस्सा है। गौरतलब है कि अमेरिका ने भी 2017 में भारत को कच्चे तेल बेचना षुरू किया था। 2017-18 में जहां भारत ने अमेरिका से 14 लाख टन तेल आयात किया था वहीं यह आंकड़ा वित्त वर्श 2018-19 में चार गुने की बढ़त के साथ 64 लाख टन हो गया था। सऊदी अरब पारंपरिक तौर पर भारत को तेल की आपूर्ति करने वाला षीर्शस्थ देष रहा है मगर 2017-18 में पहली बार इराक ने यह दर्जा उससे छीन लिया। ईरान भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देष है जो अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते अब इस चित्र से गायब हो गया है। संयुक्त अरब अमीरात भारत को तेल आपूर्ति के मामले में चैथे नम्बर पर है। हालांकि तेल तो भारत वेनेजुएला से भी लेता रहा है। नाइजीरिया, कुवैत, मैक्सिको आदि से भी भारत में तेल की आपूर्ति होती है।
विचारणीय मुद्दा यह भी है कि लगातार बढ़ती तेल की खपत न केवल तेल के मामले में नये बाजार की खोज को लेकर चुनौती खड़ा किये हुए है बल्कि बड़े हुए आयात षुल्क से और बढ़ती कच्चे तेल की कीमत में व्यापार घाटा को भी असंतुलित किया है। जिस अनुपात में भारत डीजल और पेट्रोल की खपत बढ़ा रहा है उसे देखते हुए वैकल्पिक उपाय खोजने ही पड़ेंगे। ईरान से तेल नहीं खरीद पाने का असर भी भारत पर साफ-साफ दिखेगा। ईरान जैसे विष्वसनीय तेल कारोबारी को जहां उसे खोना पड़ा वहीं महंगा क्रूड आॅयल खरीदने से देष के तेल आयात बिल में भी भारी बढ़ोत्तरी हो जायेगी। वित्त वर्श 2018-19 में भारत ने 112 अरब डाॅलर का तेल आयात किया था जो 2017-18 की तुलना में 40 फीसदी अधिक है। 2019-20 में यह अनुमान है कि करीब 113 अरब डाॅलर का तेल इस वित्त वर्श में खर्च होगा। आंकड़े को मोदी सरकार के कार्यकाल के भीतर देखें तो जहां 2015-16 में 64 अरब डाॅलर व्यय किया गया था वहीं तीन साल में यह आंकड़ा लगभग दो गुने की बढ़त ले लिया। कुल तेल का 84 फीसदी आयात जो 4 साल पहले 77 फीसदी और 6 साल पहले 74 फीसदी था। इस आंकड़े से यह भी स्पश्ट है कि बीते 4 वर्शों में घरेलू तेल उत्पादन जो 20 फीसदी था वह घटकर 16 फीसदी पर आ गया है। तेल को लेकर बिगड़ा खेल और इसे लेकर नये देष की खोज तेल के दाम के साथ-साथ आयात में भी बढ़ोत्तरी करेगा और तुलनात्मक व्यापार घाटा भी बढ़ सकता है। गौरतलब है कि ईरान से तेल खरीदना भारत के लिए कई लिहाज़ से अच्छा था। पहला यहां प्रीमियम नहीं चुकाना पड़ता था, दूसरा अन्य देषों की तुलना में तेल भी सस्ता मिलता था, तीसरा बीमा से भी छूट मिली हुई थी और सबसे बड़ी बात पैसा चुकाने के लिए समय भी मिलता था। यही बातें अन्य देषों के साथ नहीं हैं। 
चुनावी माहौल में राजनीतिक दल भी अपने ढंग के वक्तव्य दे रहे हैं। कांग्रेस ने ईरान से तेल की खरीद पर भारत समेत अन्य देषों के प्रतिबंधों से मिली छूट हटाने के अमेरिकी निर्णय को लेकर सरकार पर सवाल खड़े किये। इसे मोदी सरकार की कूटनीतिक एवं आर्थिक असफलता करार दिया गया। आरोप तो यह भी है कि प्रधानमंत्री मोदी तेल कंपनियों को 23 मई तक पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं बढ़ाने के निर्देष दिये हैं ताकि चुनावी समय में वोट बटोर सकें। आगे आरोप यह भी है कि इस तारीख के बाद कीमतें 5 से 10 रूपए प्रति लीटर बढ़ा दी जायेंगी जो जनता के साथ छलावा होगा। गौरतलब है कि भारत में तेल की किल्लत तो है और कंपनियों को उत्खनन क्षेत्र में आजादी भी दी गयी है परन्तु तेल खोजने, उत्खनन और उत्पादन में निजी कंपनियों ने ज्यादा रूचि नहीं दिखाई है। यथा 2018-19 में देष की सबसे बड़ी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ओएनजीसी का कच्चा तेल उत्पादन घटकर 2 करोड़ टन से नीचे आ गया जो ठीक एक साल पहले इससे ऊपर था। 2015-16 से लगातार ओएनजीसी का तेल उत्पादन दर नीचे जा रहा है। सवाल है कि सार्वजनिक कंपनियां तेल उत्पादन में गिरावट पर है और निजी कंपनियां रूचि नहीं दिखा रही हैं। जाहिर है विदेष पर तेल की निर्भरता स्वाभाविक रूप से बढ़ेगी। डाॅलर के मुकाबले रूपया कभी भी असमान छूने लगता है। जो कच्चे तेल की अदायगी में खरीदारी महंगी पड़ जाती है। भारत को तेल की किल्लत से चैतरफा समस्या खड़ी होते दिखती है। इसका हल या तो ईंधन का विकल्प है या फिर कच्चे तेल का घरेलू उत्पादन बढ़े जो कि सम्भव नहीं होता। यदि इस पर काबू नहीं पाया गया तो कई समस्याएं देष के भीतर बेकाबू हो जायेंगी।



सुशील कुमार सिंह
निदेशक
वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन ऑफ  पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 
डी-25, नेहरू काॅलोनी,
सेन्ट्रल एक्साइज ऑफिस के सामने,
देहरादून-248001 (उत्तराखण्ड)
फोन: 0135-2668933, मो0: 9456120502
ई-मेल: sushilksingh589@gmail.com

No comments:

Post a Comment