Monday, October 22, 2018

अवसर इतिहास का, सियासत आज का

बीते 21 अक्टूबर को आजाद हिन्द सरकार के गठन के 75 साल पूरा होने पर लाल किले से प्रधानमंत्री मोदी ने तिरंगा फहराया। ऐसा देश की आजादी के अब तक के इतिहास में पहली बार है जब किसी प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त के बाद ऐसा किया हो। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर एक ही परिवार को आगे बढ़ाने का आरोप लगाते हुआ कहा कि नेताजी सुभाश चन्द्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल और बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर की अनदेखी और उनके योगदानों को भुलाने के प्रयास किये गये। फिलहाल लाल किले में 15 अगस्त के बाद 21 अक्टूबर को तिरंगा फहरा कर मोदी इतिहास रच चुके हैं और ऐसा करने वाले वे इकलौते प्रधानमंत्री हैं। इस तर्क से सभी वाकिफ है कि हजारों बरस पुराने और कई युगों के प्रतिनिधित्व करने वाले भारत के इतिहास के भीतर एक दो नहीं बल्कि अनेकों इतिहास समाये हुए हैं। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक के ऐतिहासिक यात्रा में कई ऐसे मोड़ निहित हैं जो आज भी मील के पत्थर माने जाते हैं। इसी इतिहास के भीतर 200 बरस अंग्रेजों की गुलामी की दास्ता भी है तो इसी के भीतर भारतीय राश्ट्रीय आंदोलन के लगभग 100 बरस का इतिहास भी समाहित है और इसके अंतिम छोर पर आजादी का वो विहंगम दृष्य भी है जिसे भारत छोड़ो आंदोलन की संज्ञा दी जाती है जो अगस्त 1942 में प्रस्फुटित हुआ था। गौरतलब है कि इन्हीं क्रान्तियों की वजह से अंग्रेजों की चूल्हें हिल गयी थीं और भारतीय स्वतंत्रता की दरकार और सरोकार को ऐसे आंदोलनों ने पूरा किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के इतिहास मे आजाद हिन्द फौज का उल्लेख किये बगैर आजादी की बात अधूरी रहेगी। गौरतलब है कि 21 अक्टूबर 1943 को नेताजी सुभाश चन्द्र बोस ने आजाद हिन्द फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से सिंगापुर में स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार की स्थापना की। यहीं दिल्ली चलो और तुम मुझ खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा दिया। जाहिर है वे स्वयं इस सरकार के प्रधानमंत्री तथा मुख्य सेनापति बन गये। पद की षपथ ग्रहण की, जिसमें स्वतंत्रता के लिए अपनी अंतिम सांस तक युद्ध करता रहूंगा का संकल्प निहित था। उन दिनों इस सरकार के रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत की आजादी की राह में एक और नया रास्ता बनाने वाला आजाद हिन्द फौज की पूरी दुनिया ने लोहा माना। संसार की नौ षक्तियों ने जिसमें जापान, जर्मनी, बर्मा, फिलिपीन्स, कोरिया, इटली, चीन, मान्चुको और आयरलैण्ड षामिल थे आदि ने इस सरकार को मान्यता दी। 
इस अवसर पर मोदी ने कहा कि अगर सम्प्रभुता को चुनौती मिली तो वे दुगुनी ताकत से पलटवार करेंगे। सम्भव है कि अप्रत्यक्ष तौर पर ये भारत और पाकिस्तान को दी गयी चेतावनी है। इस अवसर पर स्वतंत्रता आंदोलन में आजाद हिन्द फौज के योगदान और पराक्रम को याद करते हुए मोदी ने कहा कि दूसरे के भू-भाग पर नजर डालना भारत की परम्परा नहीं है। उन दिनों नेताजी के सहयोगी रहे लालती राम की तरफ से भेंट आजाद हिन्द फौज की टोपी पहने मोदी देष के भीतर और बाहर की ऐसी ताकतों को आगाह किया जो देष और संवैधानिक मूल्यों को निषाना बना कर इसके खिलाफ काम कर रहे हैं। गौरतलब है कि 1943 का आजाद हिन्द फौज के ज्यादातर सहयोगी अब इस दुनिया में नहीं हैं। लालती राम आजाद हिन्द फौज के जीवित बचे गिने-चुने सदस्यों में से एक हैं। यह बात भी गैर वाजिब नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी अवसरों को निर्मित करने की कला रखते हैं फिर चाहे इतिहास हो या इतिहास के भीतर का वह पक्ष जो मौजूदा सियासत में बाकायदा उतर सकती हो उसका लाभ लेने से नहीं चुकते हैं। बोस, पटेल और अम्बेडकर को दरकिनार करने के लिए नेहरू-गांधी परिवार पर हमला बोला। इषारे को समझते हुए कांग्रेस की ओर से भी कहा गया कि राश्ट्रीय आंदोलन की विरासत भाजपा हथियाना चाहती है। प्रधानमंत्री मोदी के आरोपों को खारिज करते हुए कांग्रेस ने उसी दिन पलटवार करते हुए कहा कि राश्ट्रीय आंदोलन में भाजपा और राश्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा वाले लोगों का योगदान नहीं रहा है बल्कि कई अवसरों पर उन्होंने ब्रिटिष षासन का साथ दिया है। आरोप तो यह भी है कि मोदी बोस, पटेल व अन्य राश्ट्रीय नेताओं का गलत संदर्भ देकर उन पर सियासत करते हुए इसका लाभ उठा रहे हैं। कांग्रेस के नेता मनु सिंघवी ने तो यहां तक कहा कि नेताजी के नारे तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा को मोदी ने बदलकर तुम मुझे खून-पसीना दो मैं तुम्हें भाशण दूंगा कर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी को प्रत्येक अवसर पर गांधी-नेहरू परिवार समेत कांग्रेस को कोसते हुए आसानी से देखा जा सकता है। लगभग 5 साल की सत्ता चला चुके मोदी अपने कामकाज के लिए तो अपनी पीठ थपथपाते ही हैं साथ ही अब तक के सत्ताधारकों की बखिया भी उधेड़ते रहते हैं। कांग्रेस काल को तो वे देष के विकास में कहीं से योगदान मानते ही नहीं और यही बात कांग्रेस को बहुत खलती है। 
आगामी 2022 को भारत की आजादी के भी 75 साल हो जायेंगे। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने भाशण में पीएम मोदी ने भारतीयों को 2022 में अन्तरिक्ष में उतारने की घोशणा की थी। बता दें कि उन्होंने यह भी कहा कि एक बेटा या बेटी गगनयान पर राश्ट्रीय ध्वज लेकर प्रस्थान करेंगे। गौारतलब है गगनयान को अंतरिक्ष में भेजने का यह मिषन 2004 से ही चल रहा है जिसमें यूपीए सरकार का 10 साल इसमें षामिल है। हालांकि यह अवसर मोदी को तभी मिलेगा जब 2019 के लोकसभा में सत्ता हथियाने में वे कामयाब रहेंगे। इसी तरह मोदी का सपना यह भी है कि 2022 को हर भारतीय के पास अपना घर होगा। पीएम मोदी सबके लिए लगातार 24 घण्टे बिजली देने का लक्ष्य भी इसी वर्श को चुना है पर संकेत यह मिला है कि यह लक्ष्य 2019 में ही पूरा कर लेंगे। उनका संकल्प 2022 तक नये भारत का निर्माण भी है। स्पश्ट है कि 2022 भारत और वहां के निवासियों के लिए बहुत कुछ बदलाव ला सकता है बषर्ते कि कथनी और करनी में अंतर न आए। फिलहाल सियासत के धुरी पर चल रहे सब कुछ के निषाने पर यदि कुछ है तो वह 2019 का लोकसभा चुनाव है। आजाद हिन्द सरकार के गठन के 75 साल पूरे होने पर कई खास बातों का उल्लेख करते हुए मोदी जवानों की षहादत का जिक्र करते हुए कहीं अधिक भावुक भी दिखे। राश्ट्रीय पुलिस स्मारक बनाने में 70 वर्श का लम्बा समय लग जाने को लेकर पहले की सरकारों की इच्छाषक्ति पर भी सवाल उठाया। गौरतलब है कि राश्ट्रीय पुलिस स्मारक का भी उन्होंने उद्घाटन किया है। देष के नक्सल प्रभावी जिलों में काम कर रहे जवानों की सराहना की, पूर्वोत्तर में डटे जवानों के षौर्य और बलिदान को याद किया। यह बात काफी सषक्त है कि आजाद हिन्द फौज के लिए जर्मनी ने डाक टिकट जारी किये थे उस दौर में आजाद हिन्द सरकार ने औपनिवेषिक सत्ता के विरूद्ध जिस प्रकार साहस दिखाया ऐसा इतिहास के भीतर कम ही देखने को मिलता है। यदि सरकारों को नेताजी पर कुछ करने का इरादा है तो उनके सपनों को साकार करें न कि सियासत। नेताजी सुभाश चन्द्र बोस के बारे में आज भी कोई जानकारी नहीं है और समय-समय पर सरकारों ने इनकी खोजबीन की पर कुछ खास हाथ नहीं लगा। नेताजी स्वयं एक भारी-भरकम इतिहास थे, विजन, विजय और विकास के परिचायक थे। दुनिया को लोहा मनवाया और चुनौतियों के सामने कभी पिघले नहीं। नया भारत ऐसे विचारों की स्वीकार्यता से बनेगा। फिलहाल आज के राजनेता इस बात को भी षिद्दत से समझ लंे कि कहानी किसने अधूरी छोड़ी के बजाय, कैसे पूरी होगी इस पर जोर देना होगा।


सुशील कुमार सिंह
निदेशक
वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन आॅफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 
डी-25, नेहरू काॅलोनी,
सेन्ट्रल एक्साइज आॅफिस के सामने,
देहरादून-248001 (उत्तराखण्ड)
फोन: 0135-2668933, मो0: 9456120502
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