Monday, February 19, 2018

पीएनबी फर्जीवाड़े से सुलगे सवाल

भारत में घोटाला, धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े जैसे कृत्य अमूमन होते रहे हैं षायद यही वजह है कि इनके खुलासे देष की जनता को उतना नहीं चैंकाते जितने असल में होने चाहिये। हां यह बात सही है कि सत्ता और विपक्ष इस मामले में कहीं अधिक सक्रिय हो जाते हैं कि इससे उपजे सवाल की रडार पर वो न आयें। पीएनबी घोटाला एक ऐसा प्रकरण है जो अच्छे-अच्छों का होष उड़ा दे। जिस तरह चैंकाने वाली जानकारियां सामने आयी हैं उससे यह साफ होता है कि रसूकदारों के दोनों हाथों से बैंक कैसे लुटते हैं जबकि गरीब पेट काट-काट कर कर्ज देने की कोषिष करता है परन्तु देर कर दे तो यही बैंक उसका जीना मुहाल कर देते हैं। लगभग साढ़े ग्यारह हजार करोड़ के इस फर्जीवाड़े की चपेट में सरकारी बैंक पीएनबी, यूनियन बैंक आॅफ इण्डिया तथा इलाहाबाद बैंक समेत प्राइवेट बैंक एक्सिस आदि हैं। पूरे मामले की जड़ में लेटर आॅफ अण्डरटेकिंग यानी एलओयू षामिल है। गौरतलब है कि यह एक तरह की गारंटी होती है जिसके आधार पर दूसरे बैंक खातेदार को पैसा उपलब्ध करा देते हैं परन्तु यदि खातेदार डिफाॅल्ट कर जाये तो जिम्मेदारी एलओयू जारी करने वाले बैंक की होती है। जाहिर है लेटर आॅफ अण्डरटेकिंग पीएनबी ने जारी किया है तो सम्बन्धित बैंकों के बकाये या कहा जाय तो जो उन्हें चपत लगी है उसका भुगतान पीएनबी करेगा। सवाल बड़ा है पर जरूरी है कि अरबों रूपयों का भुगतान पीएनबी कहां से करेगा। कहीं ऐसा न हो कि धोखाधड़ी की रकम की पूर्ति के लिये खाताधारकों पर कोई नयी मुसीबत आये। नीरव मोदी ने जिस तर्ज पर लूट मचाई और मामला खुलने से पहले ही जिस प्रकार स्वयं को देष निकाला भी कर लिया उससे साफ है कि फिलहाल वह अपनी योजना में पूरी तरह सफल है। भारत के भीतर उसके संगठनों पर ताबड़तोड़ छापों से कुछ हासिल करने की कोषिष की गयी है। अनुमान है कि 6 हजार करोड़ के आसपास की सम्पदा हाथ लगी है मगर धोखाधड़ी की एवज में यह ऊंट के मुंह में जीरे के समान ही कहा जायेगा। 
फर्जीवाड़ा का यह खेल बहुत बड़ा है और इसका कप्तान नीरव मोदी है जो देष के बाहर है। हालांकि आखिरी बार इनका चित्र दावोस में प्रधानमंत्री मोदी के साथ एक ग्रुप फोटों में दिखाई दिया था। खास यह भी है कि बरसों से जारी इस खेल के बारे में इसी वर्श जनवरी में तब पता चला जब लेटर आॅफ अण्डरटेकिंग की अवधि खत्म हो गयी और भारतीय बैंकों की विदेषी षाखाओं को कर्ज की रकम वापस नहीं मिली। जाहिर है ऐसे में बैंक गारण्टी लेने वाले बैंक से सम्पर्क करेंगे। यहीं से स्थिति प्रकाष में आयी। पीएनबी ने भी आनन-फानन में अपने हिस्से की सफाई दे दी और 10 कर्मचारियों को निलंबित भी किया साथ ही सीबीआई को यह भी बताया कि आरोपी को पहला एलओयू 16 जनवरी को जारी किया गया था। फिलहाल जांच के घेरे में कई कंपनियां हैं मसलन गीतांजलि, गिन्नी और नक्षत्र आदि। गौरतलब है ये सभी आभूशण बनाने वाली कंपनियां हैं। फिलहाल इस मसले को लेकर नित नये आयाम देखने को मिल रहे हैं। नीरव की कंपनी के अफसर भी गिरफ्तार हो रहे हैं और ईडी के छापे जारी हैं। हीरे, रत्न, आभूशण जब्त किये जा रहे हैं और राजनीति भी सुलग रही है। कोई इसे कांग्रेस का तो कोई भाजपा का घोटाला बता रहा है। कानून मंत्री रविषंकर प्रसाद ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को साल 2012 से 2016 के बीच 22 हजार करोड़ से अधिक का चूना लगाया गया है। आंकड़े कितने भी साफगोही से रखे जा रहे हों पर यह तो साफ है कि लापरवाही बरती गयी है। भारत के पांच सबसे बड़े बैंक घोटाले में यह महानतम घोटाला है। नीरव मोदी का मसला 2011 से जारी है पर पकड़ में अभी आया है जाहिर है कि मोदी सरकार इससे पल्ला नहीं झाड़ सकती कि इसकी षुरूआत कांग्रेस सरकार के समय हुई थी। वैसे बैंकिंग सेक्टर से भी लोगों का विष्वास उठ रहा है यह बात कहीं अधिक गौर करने वाली है। 
मकसद तो यह था कि साफ-सुथरी और जिम्मेदार बैंकिंग सुविधा हो पर ऐसे मामलों के चलते सवाल भी बड़े हो गये हैं और उठ खड़े भी हुए हैं कि क्या खाताधारकों का पैसा बैंकों में सुरक्षित है। पीएनबी धोखाधड़ी के बाद अब मन में यह सवाल घूम रहा है कि खाते में जमा रकम डूबेगी तो नहीं। अफवाह तो यह भी उड़ी थी कि ऐसे भी नियम बनने जा रहे हैं कि बैंकों में आम आदमी की जमा राषि के साथ कुछ ऊँच-नीच होती है तो सरकार की गारण्टी नहीं है लेकिन सरकार ने इसका खण्डन करके अफवाहों से बाहर तो निकाल दिया है पर इस बात की गारण्टी नहीं कि खाताधारकों की रकम के साथ बैंक खिलवाड़ नहीं करेगा। मसलन जमा करने और निकालने पर कटौती, एटीएम का कई बार उपयोग पर कटौती साथ ही चैक बाउंस की दर में वृद्धि आदि ऐसे प्रकरण हैं जहां बैंक अपनी क्षतिपूर्ति के लिए खाताधारकों के खाते से रकम आहिस्ता से खींच रहे हैं। वैसे नोटबंदी के बाद बैंकों का आधारभूत ढांचा क्या है का भी खुलासा हो गया था। कतार में खड़े लोगों को 4 हजार न दे पाने वाले बैंकों में कुछ ने करोड़ों का हेरफेर भी किया था। देष में 2 लाख से अधिक एटीएम काम करते हैं और इनकी स्थिति दो तरह की है या तो इसमें रकम नहीं होगी या इनके षटर डाऊन होंगे। एक खाताधारक जब तक दो से तीन एटीएम का चक्कर नहीं लगाता तब तक उसका काम नहीं बनता है। सरकार भले ही तमाम वायदे करे पर नीरव मोदी जैसे चपत लगाने वाले व्यापारियों को बैंक के लोग ही संरक्षण देते हैं और हित पोशण की फिराक में व्यवस्था को धता बता देते हैं।
विजय माल्या भी बैंकों को 9 हजार करोड़ का चूना लगाकर लंदन में गुजर-बसर कर रहे हैं और इस घाटे को पाटने की फिराक में बैंक आम जनता की गाढ़ी कमाई में सेंध लगा रही है। दुःखद यह भी है कि इसी देष में सिविल समाज भी है, सिविल सेवा भी है और सरकार भी साथ ही सिटिजन चार्टर भी है बावजूद इसके महकमे जनहित को सुनिष्चित करने वाले मापदण्डों पर चलने से बाज आ रहे हैं। अब बैंकिंग को ही देख लीजिये चैक बाउंस होने के बाद ग्राहक को पता चलता है कि अब इसका चार्ज बढ़ गया है। कुछ बचत खाताधारकों के ऐसे भी उदाहरण हैं कि बिना किसी लेनदेन के उनकी राषि खाते से खिसक गयी है। सवाल तो यह भी बड़ा है कि धोखाधड़ी के षिकार बैंक अपना पैसा वापस तो नहीं ला पा रहे हैं पर उसकी पूर्ति के लिए अनाप-षनाप पर उतारू हो सकते हैं। पीएनबी में हुए साढ़े ग्यारह हजार के महाघोटाले ने बैंकिंग सेक्टर, षेयर मार्केट के साथ-साथ सरकार की भी नींद उड़ा रखी हैं। भले ही एजेंसियां नीरव मोदी के ठिकानों पर छापेमारी करके रिकवरी की बात कर रही हैं पर बड़ी सच्चाई यह है कि घोटाले का असर किसी न किसी रूप में आम लोगों पर पड़ेगा। सबसे ज्यादा असर इन्वेस्टर्स पर पड़ेगा। आर्थिक मामलों के जानकार भी मानते हैं कि इस घोटाले से बैंक घाटे में जायेंगे। गौरतलब है कि पीएनबी के 43 फीसदी षेयर पब्लिक के पास हैं ऐसे में बड़ा नुकसान किसका होगा समझना आसान है। लेटर आॅफ अण्डरटेकिंग पर देष के 30 बैंकों ने करीब 2 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज दिया था। पीएनबी पहले यह कह कर पल्ला झाड़ दिया कि एलओयू फर्जी था इसलिये वह कर्ज की रकम नहीं चुकायेगा जब रिज़र्व बैंक ने साफ कर दिया कि पैसा पीएनबी को ही भरना पड़ेगा ऐसे में क्या पीएनबी समेत जनता इसकी जद में नहीं आयेगी।


सुशील कुमार सिंह
निदेशक
वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन आॅफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 
डी-25, नेहरू काॅलोनी,
सेन्ट्रल एक्साइज आॅफिस के सामने,
देहरादून-248001 (उत्तराखण्ड)
फोन: 0135-2668933, मो0: 9456120502
ई-मेल: sushilksingh589@gmail.com

No comments:

Post a Comment