Monday, January 17, 2022

सुरक्षा में सेंध और सियासत

प्रधानमंत्री मोदी की 5 जनवरी को पंजाब यात्रा के दौरान हुई सुरक्षा चूक के मामले की जांच फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीष की अध्यक्षता वाली कमेटी करेगी। जाहिर है इस कदम से बीते कई दिनों से इस पर हो रही सियासत न केवल धीमी पड़ेगी बल्कि सुरक्षा में हुई सेंध को लेकर मामला भी दूध का दूध, पानी का पानी हो जायेगा। गौरतलब है कि षीर्श अदालत के प्रधान न्यायाधीष व दो अन्य न्यायाधीषों की पीठ ने बीते 10 जनवरी को सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद कहा था कि मामला गम्भीर है। इसी को देखते हुए जांच कमेटी बनाने की बात कही गयी। सुरक्षा चूक के मामले की जांच के लिए उच्चत्तम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीष इंदू मल्होत्रा की अध्यक्षता में यह समिति गठित की गयी। समिति के अन्य सदस्यों में राश्ट्रीय अन्वेशण अभिकरण-एनआईए के महानिदेषक, पंजाब के सुरक्षा महानिदेषक, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के महापंजीयक षामिल हैं। मामले की पड़ताल बताती है कि प्रधानमंत्री मोदी पंजाब के फिरोज़पुर में एक रैली सम्बोधित करने जा रहे थे मगर कुछ प्रदर्षनकारियों ने सड़क जाम कर रखी थी। प्रधानमंत्री का काफिला हुसैनीवाला से 30 किमी से पहले ही एक फ्लाईओवर पर 15 से 20 मिनट फंसा रहा। यह प्रकरण सुरक्षा की दृश्टि से बड़ी चूक के तौर पर देखा जा रहा है। राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी इस मामले में कहीं अधिक मुखर रहे। केन्द्र सरकार ने जहां पंजाब राज्य की चरण सिंह चन्नी सरकार पर पीएम रूट की जानकारी लीक करने का आरोप लगाया तो वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री का कहना था कि मोदी का सड़क मार्ग से जाने का कार्यक्रम एकाएक बना था। कहा तो यह भी गया कि पहले उन्हें हेलीकाॅप्टर के जरिये फिरोज़पुर की रैली स्थल पर जाना था। हालांकि इस मामले में केन्द्र और राज्य सरकार के अपने-अपने तर्क हैं। बावजूद इसके लाख टके का सवाल यह है कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में यदि सेंध हुई है तो यह गम्भीर मामला है। 

वैसे तो प्रधानमंत्री के दौरे से पहले बहुत व्यापक स्तर पर तैयारी की जाती है और कहा यह भी जाता है कि चुनावी रैली में यही तैयारी कुछ अलग किस्म की होती है। पीएम के किसी भी दौरे से पहले एसपीजी रेकी करती है। एसपीजी के दस्ते की तैनाती की जाती है। साथ ही इंटेलीजेंस ब्यूरो राज्य की सुरक्षा एजेंसी के साथ लगातार सम्पर्क में रहती है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री के मूवमेंट की पूरी ड्रिल की जाती है और इसी के मद्देनजर सुरक्षा के इंतजाम किये जाते हैं। इतना ही नहीं हर चीज का विकल्प रखा जाता है। ठहरने का विकल्प, रूट का विकल्प और आपात स्थिति के लिए सुरक्षित ठिकाने भी तैयार रखे जाते हैं। पंजाब में जो घटा वह सुरक्षा चूक है या फिर लापरवाही इस पर अपने-अपने तर्क हैं। जहां तक रूट अचानक बदलने का है तो जाहिर है स्थिति को देखते हुए ऐसा होना स्वाभाविक है और रूट तो अचानक ही बदले जायेंगे। हां यह बात भी सही है कि प्रदर्षनकारी एकाएक नहीं आये होंगे ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों को पूरी जानकारी होनी चाहिए थी। तर्क यह भी है कि प्रदर्षनकारी प्रधानमंत्री के काफिले से कहीं अधिक दूरी पर थे। बावजूद इसके वास्तविक स्थिति क्या है यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में एसपीजी की भूमिका कहीं अधिक महत्वपूर्ण होती है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में जुटे दस्ते के विषेश समूह को एसपीजी की संज्ञा दी जाती है जिसे एसपीजी एक्ट में सषस्त्र बल के रूप में वर्णित किया गया है। यह एक्ट 1988 में अस्तित्व में आया और एक्ट में यह भी स्पश्ट है कि राज्य की सरकारें आवष्यकता पड़ने पर एसपीजी की सहायता करेंगी। इसके अलावा इसमें यह भी है कि केन्द्र सरकार या राज्य सरकार या फिर केन्द्र षासित प्रदेष के प्रत्येक मंत्रालय, विभाग, स्थानीय या अन्य अथोरिटी या फिर नागरिक का कत्र्तव्य होगा कि वह एसपीजी की सहायता करें।

स्पश्ट है कि एसपीजी प्रधानमंत्री की सुरक्षा की दृश्टि से एक ऐसा दस्ता है जहां सुरक्षा में चूक या लापरवाही को कोई अवसर नहीं मिल सकता। सड़क, रेल, वायुयान या जलयान या पैदल या परिवहन के किसी अन्य साधन से यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री या पूर्व प्रधानमंत्रियों के सामने से सुरक्षा दी जाती है जो एक से अधिक स्तर में की जाती हैं। इनमें राउंड टीमें और आइसोलेषन कार्डन जैसी टीमें षामिल होती हैं। पंजाब में जब खराब मौसम के चलते प्रधानमंत्री का हेलीकाॅप्टर नहीं उड़ सका तो रूट में बदलाव किया गया और सड़क मार्ग से गंतव्य तक पहुंचने का प्रयास जारी हुआ। एसपीजी एक्ट के अनुसार प्रधानमंत्री के साथ रिंग राउंड टीम, आइसोलेषन कार्डन और एक्सल कंट्रोल टीमें मौजूद रहीं। दो टूक यह है कि ऐसा रक्षा कवच है जिसे भेदना नामुमकिन है और एसपीजी के पास उपलब्ध हथियार एक मिनट के भीतर नौ सौ राउंड का फायर कर सकते हैं जो किसी भी दुस्साहस  को सेकंडों में नेस्तोनाबूत कर सकते हैं।

पड़ताल से यह भी पता चलता है कि प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा में चूक पहले भी हुई है और कई बार तो सुरक्षा प्रोटोकाॅल को उन्होंने स्वयं तोड़ा है। मई 2018 में पष्चिम बंगाल के विष्व भारती विष्वविद्यालय में जब एसपीजी का घेरा तोड़ते हुए एक युवक मोदी का पैर छू लिया था। तब स्थिति असहज हो गयी थी जो एक प्रकार से सुरक्षा में चूक ही थी। दिसम्बर 2017 में पीएम का काफिला नोएडा के महामाया फ्लाईओवर पर दो मिनट तक ट्रैफिक जाम में फंस गया था। यहां भी सुरक्षा में लापरवाही बरती गयी थी। मोदी से पहले सुरक्षा चूक की घटनाएं कई प्रधानमंत्री और कुछ महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत लोगों के साथ भी हो चुका है। सुरक्षा चूक का ही कारण है कि प्रधानमंत्री रहते हुए इन्दिरा गांधी की 1984 में हत्या हुई और जबकि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के मामले में सुरक्षा एजेंसियां यह भापने में असफल रहीं कि उनकी हत्या की योजना बनायी जा रही है। साल 2007 में रूस के दौरे के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का विमान दुर्घटनाग्रस्त होने से बाल-बाल बचा था। हालांकि यहां पायलेटों की गलती थी। दरअसल विमान के पायलेटों ने लैण्डिंग के लिए जरूरी लैण्डिंग गियर को नीचे नहीं किया था बाद में इस तकनीकी गड़बड़ी को ठीक कर लिया गया था जो एक प्रकार से भारी चूक ही कही जायेगी। नवम्बर 2021 में राश्ट्रपति रामनाथ कोविंद की सुरक्षा चूक का मामला भी सामने आया था तब वह उत्तर प्रदेष के कानपुर दौरे पर थे और इससे जुड़ी पूरे दिन के काम की जानकारी सोषल मीडिया पर लीक हो गयी थी। उक्त घटना यह दर्षाता है कि सुरक्षा में चूक का मामला पहले भी कई बार हो चुका है जिसमें प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए इन्दिरा गांधी की 1984 में हत्या भी हो चुकी है जबकि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी मई 1991 में चुनाव प्रचार के दौरान ही मानव बम से उड़ा दिये गये थे। सुरक्षा में चूक कोई सामान्य घटना नहीं है यह न केवल हमारी सुरक्षा एजेंसियों पर सवाल खड़ा करती है बल्कि दुनिया में बढ़ती भारत की ताकत को भी कमतर दर्षाती है। सुरक्षा से सम्बंधित मामले को सियासी तौर पर यदि दो सरकारों ने टकराव का रूख लेती है तो यह सही नहीं कहा जायेगा। सही तो यह है कि इस मामले को स्पश्टता मिले कि आखिर असलियत क्या है?

दिनांक : 13/01/2022 


 सुशील कुमार सिंह

निदेशक

वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 

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