Wednesday, March 10, 2021

कोरोना वैक्सीन का अंतर्राष्ट्रीय फलक

दौर ने दो फलक देखे एक कोविड-19 के चलते जमींदोज होती मानव सभ्यता तो दूसरा इससे बचाव के लिए वैक्सीन की खोज और इसका विस्तार। कोरोना ने दुनिया के लगभग हर कोने को स्पर्ष किया पर अभी वैक्सीन की पहुंच सभी जगह नहीं है। मौजूदा वक्त में जब धरती के कई हिस्सों से कोरोना वापसी कर रहा है तो कई हिस्से इसके नये प्रारूप से ग्रस्त भी हो रहे हैं। भारत में भी कोरोना अभी पूरी तरह गया नहीं है बल्कि महाराश्ट्र, केरल और पंजाब समेत कई राज्यों में यह बढ़त बनाये हुए है। इतना ही नहीं इसके नये स्ट्रेन का पर्दापण ब्रिटेन, साउथ अफ्रीका, ब्राजील, जापान, फिनलैंड व भारत समेत कई देषों में लगातार देखा जा सकता है। मानव सभ्यता को कई आयामों में छिन्न-भिन्न करने वाले कोविड-19 को लेकर अभी भी भय और डर का माहौल व्याप्त है। टीकाकरण के बावजूद सावधानी इसका अनिवार्य पक्ष है। देष चाहे पूर्वी हो या पष्चिमी सभी अभी भी इस अदृष्य बीमारी के खौफ से भरे हैं। इससे पूरी तरह निजात कब मिलेगी यह कह पाने की स्थिति में कोई देष नहीं है। सभी इसके बचाव की कोषिष में हैं पर मुक्ति की तारीख किसी के पास नहीं है। इसी दिषा में भारत ने भी अपने हिस्से की सफलता अर्जित की और वैक्सीन का निर्माण किया और इस वैक्सीन से भारत अपने साथ दुनिया को भी सुरक्षा दे रहा है। कोविडषील्ड को सीरम इंस्टीट्यूट आॅफ इण्डिया ने बनाया है जबकि कोवैक्सीन को हैदराबाद स्थित भारत बायोटैक कम्पनी न इण्डियन काउंसिल आॅफ मेडिकल रिसर्च के साथ मिलकर बनाया। भारत में वैक्सीन का दूसरा चरण 1 मार्च, 2021 को षुरू हो चुका है जिसमें 60 वर्श से अधिक उम्र के लोग और गम्भीर रूप से बीमार 45 वर्श से अधिक आयु के लोग षामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी को भी इसी चरण में वैक्सीन की पहली डोज़ दी गयी उन्हें इसकी दूसरी डोज़ 28 दिन बाद लगेगी। गौरतलब है कि 16 जनवरी 2021 को टीकाकरण का पहला अभियान देष में षुरू हुआ था जिसमें स्वास्थकर्मी समेत विषिश्ट वर्ग षामिल थे। 

पूरी दुनिया में 87 देषों में कोरोना वैक्सीनेषन का काम जोरों पर है और अब तक 20 करोड़ लोगों को इसकी डोज दी जा चुकी है। स्पश्ट है कि 7.5 अरब से अधिक की दुनिया में यह मामूली है मगर प्रयास सराहनीय है। एक सच यह भी है कि अभी वैक्सीन की पहुंच से कई देष दूर हैं। 130 से अधिक देष ऐसे हैं जहां वैक्सीन की एक भी डोज नहीं पहुंची है। इतना ही नहीं टीकाकरण के लिए मंजूर वैक्सीन की 75 फीसद डोज पर मात्र 10 देषों का कब्जा है। जिसमें सबसे अधिक अमेरिका है जहां लगभग 6 करोड़ से अधिक लोगों को यह डोज़ दिया जा चुका है। इसके बाद चीन तत्पष्चात् यूरोपीय संघ के देष षामिल हैं। देखा जाय तो पूरी दुनिया में कोविड-19 के संक्रमण के 11 करोड़ से अधिक मामले सामने आ चुके हैं और करीब 200 देषों में 24 लाख से अधिक लोग इसके चलते मर चुके हैं। अमेरिका, भारत और ब्राजील में संक्रमण के मामले सर्वाधिक देखे गये चैथे पर ब्रिटेन और पाचवें नम्बर पर रूस आता है। इसके बाद कई यूरोपीय देष हैं। जिन देषों में वैक्सीन का कार्यक्रम चल रहा है उसमें दो-तिहाई उच्च आय वाले देष हैं जबकि बचे हुए देष मध्यम आय के हैं। जाहिर है इनमें से कोई भी निम्न आय वाला देष नहीं है। गरीब देषों को वैक्सीन कब और कैसे मिलेगी इसमें भी पेंच कम नहीं है। आबादी और आर्थिक हालत पर काम करने वाली संस्था वन के अनुसार अमीर देषों ने अपनी आबादी की जरूरतों से भी कई गुना अधिक वैक्सीन बुक करा रखा है। ऐसे में पहले उनकी पूर्ति फिर इनकी खोज-खबर ली जायेगी। गौरतलब है कि अफ्रीकी महाद्वीप के 45 देषों में 17 देष रेड जोन में है और कोरोना की दूसरी लहर को लेकर दुनिया चिंता में है। ऐसे में वैक्सीन तक पहुंच नहीं होना दूसरे देषों के लिए भी खतरा साबित हो सकती है। लेकिन किसी दूसरे देष के लिए वैक्सीन की आपूर्ति में अभी कई महीनों का फासला है। लेकिन यह इंतजार संकट को बढ़ा सकता है। 

भारत में भी 1 करोड़ से अधिक आबादी को कोरोना वैक्सीन की डोज़ लग चुकी है बावजूद इसके केस एक बार फिर बढ़ते दिख रहे हैं। महाराश्ट्र, केरल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेष, कर्नाटक आदि कई स्थानों में कोरोना कहर बनकर फिर वापसी किया है। सब कुछ सकारात्मक सोच और क्रियाकलाप के बावजूद अभी भी दुनिया में 2 करोड़ एक्टिव केस हैं और 4 लाख रोज़ाना की दर से नये केस आ रहे हैं और मौत का आंकड़ा भी हजारों की तादाद में है। जाहिर है अन्तर्राश्ट्रीय फलक पर कोरोना का काला बादल छंटा नहीं है जबकि कोरोना वैक्सीन भी अन्तर्राश्ट्रीय फलक पर देखी जा सकती है। भारत में इस महामारी के बीच जनवरी से मध्य फरवरी 2021 के बीच 229 लाख कोरोना वायरस के टीक उपलब्ध कराये। दुनिया के देषों को भारत द्वारा अनुदान सहायता और वाणिज्यिक आपूर्ति के तहत टीका उपलब्ध कराने के अभियान को टीका मैत्री का नाम  दिया गया जिसे टीका कूटनीति भी कहना तार्किक होगा। इसमें 64 लाख खुराक अनुदान सहायता से तो बचा हुआ बहुत बड़ा हिस्सा वाणिज्यिक आपूर्ति के तहत भेजी गयी। इतना ही नहीं अफ्रीकी देषों, लैटिन अमेरिका और प्रषान्त द्वीपीय देषों को भी भारत टीका उपलब्ध कराने का इरादा रखता है। देखा जाय तो भारत सद्भावना और सकारात्मकता को हर परिस्थिति में बनाये रखना अपनी जिम्मेदारी समझता है और इसी का नतीजा है कि भेंट के तौर पर टीके की 64 लाख खुराक पड़ोसी देषों को उपलब्ध करायी जिसमें बंग्लादेष को 20 लाख, म्यांमार को 17 लाख और नेपाल को 10 लाख समेत, भूटान, मालदीव, माॅरीषस, श्रीलंका, बहरीन, अफगानिस्तान, ओमान आदि अन्य देष षामिल हैं। इतना ही नहीं वाणिज्यिक आधार पर टीके को ब्राजील, मोरक्को, मिस्र, अल्जीरिया, दक्षिण अफ्रीका और कुवैत समेत अनेक देषों को खुराक की आपूर्ति की है। किसान आंदोलन को लेकर कनाडाई प्रधानमंत्री ट्रूडो के बयान से भारत और कनाडा के रिष्ते में थोड़ी खटास आयी थी हालांकि इसको दरकिनार रखते हुए भारत कनाडा को भी टीका दे रहा है। इस हेतु ट्रूडो ने मोदी से बात की थी। 

दो टूक यह है कि अन्तर्राश्ट्रीय फलक पर भारतीय वैक्सीन ने दमदारी के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है और दुनिया के देषों का वैक्सीन ने भरोसा भी जीता है। हालांकि वैक्सीन तो चीन ने भी बनाया मगर भरोसे में वह खोखला सिद्ध हुआ और भारत की वैक्सीन की तुलना में वह बेहतरीन सुरक्षा कवच भी नहीं है। कई अन्य देषों ने भी इस दिषा में बड़ी कोषिषें की और सुरक्षा की दृश्टि से कमोबेष उनका भी यह अभियान जारी है मगर जिस तरह भारत दुनिया में अपनी उपस्थिति वैक्सीन के माध्यम से दर्ज करायी है वह काबिल-ए-तारीफ है। इससे न केवल द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सम्बंधों को ऊंचाई मिल रही है बल्कि टीका कूटनीति के चलते चीन और पाकिस्तान जैसे देष दबाव भी महसूस कर रहे हैं। फिलहाल कोरोना के भंवर जाल में फंसे एक साल का लम्बा वक्त बीत गया और अब बाहर निकलने के लिए टीकाकरण जारी है। भारत स्वयं के साथ दुनिया को भी इस मुसीबत से बाहर निकालने का जो काम किया है उससे वैष्विक फलक पर भारत की चमक बढ़ना लाज़मी है।

डाॅ0 सुशील कुमार सिंह

निदेशक

वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन ऑफ़  पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 

लेन नं.12, इन्द्रप्रस्थ एन्क्लेव, अपर नत्थनपुर

देहरादून-248005 (उत्तराखण्ड)

मो0: 9456120502

ई-मेल: sushilksingh589@gmail.com


No comments:

Post a Comment