पूरी दुनिया में इन दिनों कोरोना का टीकाकरण जारी है। हालांकि इसी दुनिया में कई ऐसे देष हैं जिन्हें यहे टीका मयस्सर होने में अभी साल लग जायेंगे। पिछले साल इन्हीं दिनों दुनिया के आसमान में कोविड-19 की गूंज थी। वक्त तेजी से आगे बढ़ गया मगर कोरोना को पीछे नहीं धकेल पाया। एक बार फिर कोरोना की नई लहर कहर बनकर टूटी है। कोरोना की उफनती लहर के पीछे बड़ा कारण क्या हैं यह पड़ताल का विशय है मगर प्रतिबंध घटने और लोगों की लापरवाही ने मामले में इजाफा जरूर किया है। दुनिया पहले भी कोरोना को लेकर तैयार नहीं थी और अब इसके प्रति उदासीनता के चलते भंवर जाल में उलझती जा रही है। भारत में लगभग तीन महीने बाद बीते 24 घण्टे में 25 हजार से अधिक नये मामले सामने आये और 161 मौत दर्ज की गयी जिसमें सर्वाधिक महाराश्ट्र में देखी जा सकती है। ऐसे में अतिरिक्त एहतियाती कदम उठाना जरूरी हो गया है। स्वास्थ मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 24 घण्टे में जो नये मामले आये हैं उनमें 77 फीसदी तो केवल महाराश्ट्र, केरल और पंजाब से हैं। इसके अलावा आधा दर्जन ऐसे राज्य हैं जहां कोरोना लक्ष्मण रेखा पार कर चुका है। कर्नाटक, गुजरात, तमिलनाडु, मध्य प्रदेष, दिल्ली और हरियाणा इसमें षामिल हैं। मौजूदा समय में दुनिया में 12 करोड़ से अधिक लोग कोविड-19 से संक्रमित हैं और लाखों की तादाद में मौतें हो चुकी हैं। एक बार फिर कोरोना कदम ताल कर चुका है। खास यह भी है जिन राज्यों में कोरोना के मामले सर्वाधिक हैं उनमें अधिकतर ऐसे हैं जो पहली और दूसरी लहर का सामना कर चुके हैं जाहिर है वे तीसरी लहर में उलझ रहे हैं। गौरतलब है कि इस समय देष में आवाजाही को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है ऐसे में एक बार फिर कोरोना बढ़ सकता है क्योंकि कोरोना क्षेत्र विषेश से दूसरे क्षेत्र में आसानी से लाया जा सकता है।
पिछले साल देष में दिवाली के बाद कोरोना एक बार तेजी से बड़ा था अब इस साल होली से पहले फिर तेजी लिए हुए है हालांकि स्थिति को देखते हुए कुछ राज्य पाबंदी लगा रहे हैं मगर मुष्किलें कम नहीं हो रही हैं। भारत इन दिनों यूरोप की भांति दूसरी लहर से घिरा है ऐसे में केन्द्र सरकार कभी भी ठोस कदम भी उठा सकती है। गौरतलब है कि सितम्बर 2020 में संक्रमण चरम पर था उसके बाद कई राज्यों में हार्ड इम्यूनिटी पैदा हो गयी थी अब यह षायद खत्म हो रही है तो कोरोना बढ़ रहा है। ताजा आंकड़े यह बता रहे हैं कि भारत के 11 राज्य में कुल 93 प्रतिषत केस हैं। पहले की तुलना में स्वस्थ होने की दर में मामूली ही सही पर गिरावट दर्ज हुई है। उक्त तमाम बातें चिंता को बढ़ा रही हैं। सवाल यह भी है कि कोरोना वैक्सीनेषन का काम जोरों पर है और भारत में भी ढ़ाई करोड़ से अधिक लोगों का टीकाकरण हो चुका है मगर हालत फिर एक बार बेकाबू हो रहे हैं। आखिरकार इसका हल कहां है और किस पैमाने पर है। मुंह पर मास्क और दो गज की दूरी का यह फाॅर्मूला कब का टूट चुका है। एक खास बात यह भी है कि टीका लगवाते समय भी इस फाॅर्मूले का निर्वहन नहीं होते देखा जा रहा है। देखा जाये तो टीकाकरण मानो एक सैल्फी का खूबसूरत लम्हा बन गया है। वैसे सच यह भी है कि कोरोना जब से आया है वापस नहीं गया है। इसकी दर में गिरावट जरूर आयी पर इसका उन्मूलन बिल्कुल नहीं हुआ था। पिछले वर्श इसी माह देष लाॅकडाउन में चला गया था उस दौर में चुनौतियां अनेकों खड़ी हो गयीं। कोरोना से बचने के अलावा जीवन संघर्श भी कदमताल कर रहा था। तमाम कोषिषों के बावजूद देष ने भी कोरोना की भीशण लपटों को देखा जिसमें अर्थव्यवस्था से लेकर जीवन व्यवस्था जमींदोज हो गयी। अब यह दूसरी लहर किस राह पर खड़ा करेगी इसका अंदाजा लगाना कठिन नहीं है।
ब्राजील में एक बार फिर कोरोना वायरास के मामले में तेजी से इजाफा हो रहा है। यहां तो रोजाना 70 हजार से अधिक मरीज और 2 हजार से अधिक मौतें हो रही हैं। पहले अमेरिका के बाद सर्वाधिक संक्रमित लोगों की संख्या भारत में थी अब यह रिकाॅर्ड ब्राजील में दर्ज हो गया है। वहीं कोरोना संक्रमितों के मरीजों के आंकड़ों में अमेरिका अब भी पहले स्थान पर है। यहां लगभग 3 करोड़ इसकी चपेट में आ चुके हैं जबकि तीसरे नम्बर पर खड़ा भारत में यह आंकड़ा एक करोड़ 14 लाख के आसपास है। इन दिनों 3 देषों में दुनिया के आधे से ज्यादा कोरोना मरीज हैं। इसके बाद रूस, इंग्लैण्ड आते हैं। फ्रांस, स्पेन, इटली, तुर्की, जर्मनी आदि में भी ज्यादा केस मिल चुके हैं। कोविड-19 के टीकाकरण को लेकर 12 मार्च 2021 को हुए क्वाॅड सम्मेलन में भी एकजुटता दिखाई गयी। गौरतलब है कि क्वाॅड मतलब क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलाॅग अभी हाल ही में उभरा एक अन्तर्राश्ट्रीय संगठन है जिसमें भारत के अलावा अमेरिका जापान और आॅस्ट्रेलिया हैं जिसे चतुश्कोणीय संगठन के तौर पर भी देखा जा रहा है। यह संगठन कोविड-19 से न केवल निपटने बल्कि जलवायु परिवर्तन से लेकर आतंकवाद एवं साइबर आतंक आदि पर भी एकजुट है। क्वाॅड के चलते भारत चीन को संतुलित करने में भी अहम भूमिका निभा सकता है। हालांकि चीन हाल ही में हुई बैठक से काफी चिंतित है क्योंकि यह दक्षिण चीन सागर में चीन के एकाधिकार को तोड़ने के लिए ही बनाया गया है। हालांकि कोरोना के लिए चीन ही जिम्मेदार रहा है। मगर यहां मुख्य वजह इण्डो-पेसिफिक से है।
भारत दो वैक्सीनों का निर्माण किया जिसमें एक कोविडषील्ड तो दूसरी कोवैक्सीन है। जिसका असर भी 80 फीसद से अधिक माना जा रहा है। मगर 130 करोड़ से अधिक की जनसंख्या में सभी तक पहुंच में अच्छा खासा वक्त लग रहा है। फिलहाल ढ़ाई करोड़ से अधिक टीकाकरण हो चुका है। यही अमेरिका में आंकड़ा 6 करोड़ से अधिक का है। अफ्रीकी महाद्वीप के 45 देषों में 17 देष रेड जोन में हैं और यहां भी कोरोना की दूसरी लहर चपेट में लिए हुए है। भारत पड़ोसी समेत दुनिया के तमाम देषों को वैक्सीन बांट भी रहा है और बेच भी रहा है। सम्भव है कि क्वाॅड के चलते इसमें और तेजी आयेगी। जिस राह पर मानव सभ्यता खड़ी है अब वहां से सिर्फ स्वास्थ का ही रास्ता होना चाहिए। यदि समय रहते कोविड-19 पर काबू नहीं पाया गया तो मानव सभ्यता को बचाना न केवल चुनौती होगी बल्कि अबूझ पहेली हो सकती है। पहले कहा जाता था कि टीका आने पर सब ठीक हो जायेगा अब तो टीका भी आ गया। यह बात और है कि टीकाकरण सभी तक नहीं पहुंचा। जिस तरह कोरोना अपना स्वरूप बदल रहा है और नया स्ट्रेन जो पहले से ज्यादा खतरनाक है ऐसे में सजगता का बढ़ाना जरूरी हो जाता है। फिलहाल देष में नये मामलों की बाढ़ तो आ गयी है कोई भी मौसम हो वायरस पर असर तो नहीं है। सारे मौसम को धता बताने वाला कोविड-19 मानव सभ्यता के लिए एक ऐसी चुनौती बन गया है जिससे पार पाना इतना आसान नहीं लगता। फिलहाल यह उम्मीद लाज़मी है कि एक दिन तो इससे निपट लेंगे पर इस सच्चाई से तो इंकार नहीं कर सकते कि मौका भी हम लोग ही दे रहे हैं।
डाॅ0 सुशील कुमार सिंह
निदेशक
वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन
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