Monday, October 30, 2017

जब भारत जुटाने में सियासत को बौना किया

जब भारत जुटाने में सियासत को बौना किया
आप अक्सर यह बात कहते और सुनते होंगे कि अगर दिमाग का सही प्रयोग किया जाय तो कुछ भी असम्भव नहीं पर जब असम्भव को सम्भव किया जाना हो तब दिल और दिमाग दोनों को कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ता है। औपनिवेषिक सत्ता से मुक्ति के साथ भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती बिखरे भारत को जुटाना था और इस असम्भव काज को करके गुजरात के बल्लभ भाई पटेल ने सरदार होने का पूरा हक अदा किया। इतिहास में रचे-बसे ऐसे युग पुरूशों का गौरव गान अवसर आने पर किया ही जाना चाहिए। वर्श 2014 में केन्द्र में पूर्ण बहुमत के साथ जब मोदी सत्ता दृष्यमान हुई तब मानो सरदार पटेल की षख्सियत को और समझने का अवसर मिला जो षायद 70 सालों के इतिहास में फलक पर कम ही थी। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 1992 में मरणोपरांत जब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को भारत रत्न दिया गया तब उन्हीं के साथ नवभारत के निर्माता सरदार पटेल जिनका देवासान 1950 में हो चुका था जो गांधी और नेहरू के समकालीन थे को भारत रत्न दिया गया। बात थोड़ी अखरने वाली है पर सियासत में सब कुछ चलता है पर यह कई भूल गये कि सरदार पटेल जैसों ने सियासत को बौना सिद्ध किया है। भारत जुटाने में सरदार पटेल ने जो भूमिका अदा की और जिस तर्ज पर देष का भूगोल तैयार हुआ आज उस पर गौरव सभी को है। इतिहास और भूगोल दोनों के रचनाकार सरदार पटेल को मौजूदा सरकार जिस बुलन्दी के साथ महत्व दे रही है इससे स्वयं उसकी महत्ता भी बढ़ जाती है। इसमें कोई दो राय नहीं कि एकता के प्रतीक सरदार पटेल ने रियासतों को एकजुट कर जिस तरह असम्भव काज को सम्भव कर दिखाया उससे साफ है कि जब देष की बात हो या फिर भारत के एक-एक इंच को जुटाने की बात हो तो सियासतें रास्ता बदल देती हैं। 
इतिहास की पड़ताल सत्तर बरस पुरानी है पर धुंधली नहीं है। गौरतलब है कि उन दिनों भारतीय रियासतें छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटी थी जिनकी संख्या 565 थी। स्वतंत्रता के समय ब्रिटिष षासन ने घोशणा की कि रजवाड़े या तो भारत में या पाकिस्तान में षामिल हो सकते हैं। चाहें तो स्वतंत्र अस्तित्व भी बनाये रख सकते हैं। भारतीय इतिहास का यह समय अतिरिक्त जटिलता एवं संवेदनषीलता लिए हुए था। रियासतें कहां जायेंगी इसका निर्णय राजाओं को करना था न कि प्रजा को। साथ ही अधिकांष रियासतें स्वतंत्र अस्तित्व चाहती थी। ऐसे में देषी रियासतों का भारत में विलय तथा अखण्ड भारत का निर्माण अपने-आप में एक बड़ी चुनौती थी। इन सब के बावजूद अखण्ड भारत की परिकल्पना को भी मुरझाने नहीं देना था।  ऐसे में कठोर निर्णय लेने की आवष्यकता आन पड़ी। फलस्वरूप अन्तरिम सरकार के प्रधानमंत्री नेहरू ने सरदार पटेल की नेतृत्व प्रतिभा को देखते हुए उन्हें रियासत मंत्रालय का जिम्मा दिया। चट्टानी इरादों वाले सरदार पटेल 22 जून से 15 अगस्त 1947 के बीच अल्प समय में ही 562 रियासतों को भारत में विलय करके नेहरू के विष्वास पर  पूरी तरह खरे उतरे। इस दौर में वल्लभ भाई पटेल ने वाकई में सरदार की भूमिका निभाई थी। जूनागढ़, हैदराबाद एवं जम्मू-कष्मीर अभी भी भारत विलय से अछूते थे। विलय के दौर में जहां एक ओर सामाजिक-सांस्कृतिक समस्यायें चुनौती दे रहीं थी वहीं दूसरी ओर धार्मिक कठिनाईयां भी थीं परन्तु इससे कहीं अधिक दृढ़ सरदार पटेल के इरादे थे।
जूनागढ़ में मुस्लिम नवाब और हिन्दू बाहुल्य प्रजा थी। नवाब पाकिस्तान में षामिल होना चाहता था। यहां स्थानीय जनता ने विरोध किया। अन्ततः फरवरी 1948 में जूनागढ़ का भारत में विलय हुआ। हैदराबाद एक बड़ी देषी रियासत थी। पाकिस्तान की सहायता से यहां का नवाब स्वतंत्र राश्ट्र बनाने की योजना में था। सितम्बर, 1948 में भारतीय सैन्य कार्यवाही के चलते हैदराबाद का विलय सम्भव हुआ। जहां तक सवाल जम्मू-कष्मीर का है यहां के षासक हिन्दू और प्रजा मुस्लिम थी। षुरूआती दिनों में षासक हरि सिंह स्वतंत्र अस्तित्व चाहते जरूर थे परन्तु जब अक्टूबर, 1947 में पाकिस्तानी सेना ने कबिलाइयों के भेश में कष्मीर पर आक्रमण किया तब हरि सिंह ने भारत से मदद की अपील की। सरदार पटेल ने कूटनीतिक कदम उठाते हुए पहले विलय पत्र पर हस्ताक्षर कराये तत्पष्चात् भारतीय सेना ने कष्मीर में हस्तक्षेप किया। ऐसे में अखण्ड भारत निर्माण के चलते इतिहास में सरदार पटेल एकता के प्रतीक बन गये। 31 अक्टूबर को मोदी सरकार ने राश्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने की प्रथा षुरू की। इन दिनों 30 अक्टूबर से 4 नवम्बर के बीच सतर्कता जागरूकता सप्ताह भी मनाया जा रहा है। कईयों का यह मानना है कि इतिहास में पटेल की भूमिका अत्यंत अद्वितीय है पर इसके अनुपात में कांग्रेस समेत अन्य सरकारों ने उन्हें वह सम्मान नहीं दिया जो लौह पुरूश को मिलना चाहिए था जिसकी भरपाई मोदी अपने षासनकाल में निरंतर कर रहे हैं। 
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने लोकसभा के चुनावी अभियानों के दौरान सरदार पटेल को महत्व देते हुए अमेरिका के ‘स्टैचू आॅफ लिबर्टी‘ से भी ऊँची सरदार पटेल की मूर्ति ‘स्टैचू आॅफ यूनिटी‘ के रूप में निर्माण करने की बात कही थी। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा था कि मूर्ति निर्माण हेतु देष के किसानों से लोहा इकट्ठा किया जायेगा। दरअसल मोदी, सरदार पटेल द्वारा किये गये ऐतिहासिक कृत्यों को नये रूप में यादगार बनाना चाहते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि सरदार पटेल जमीनी नेता थे। किसानों के पोशण के प्रति अंग्रेजों से लोहे लेते थे। साथ ही उनकी छवि सख्त नेतृत्व के तौर पर पहचानी जाती थी। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी गुजरात के वल्लभ भाई पटेल को जो देष के सरदार हैं उन्हें सम्मान देना नहीं भूले और पिछले वर्श 2014 से 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती को एकता दिवस के रूप में मनाने की घोशणा की। इससे यह परिलक्षित होता है कि मोदी सरदार उन इतिहास पुरूशों को कहीं अधिक तवज्जो देने की कोषिष में हैं जिनके बगैर भारत की परिकल्पना संभव नहीं थी। इससे पहले वे सर्वपल्ली राधाकृश्णन जयन्ती को टीवी एवं रेडियो के माध्यम से षिक्षक दिवस को अतिरिक्त प्रभावषाली बना चुके हैं। 2 अक्टूबर गांधी जयन्ती के दिन को स्वच्छता अभियान कार्यक्रम के नाम कर चुके हैं। इसके अलावा 14 नवम्बर नेहरू जयन्ती जो बाल दिवस के रूप में प्रतिश्ठित है उसे भी नया रूप देने की भी कोषिष कर चुके हैं। 
सरदार पटेल इतिहास के छुपे हुए पन्नों की तस्वीर नहीं है और न ही कोई रहस्य हैं बल्कि भारत के एकीकरण के वे दूत हैं जहां पर वर्तमान भारत बसता है। इस सच को भी पूरे मन से मान लेना चाहिए कि ऐसे इतिहास पुरूशों को यदि सम्मान बढ़ता है तो इससे देष का ही गौरव बढ़ेगा। 31 अक्टूबर को पटेल जयन्ती के परिप्रेक्ष्य में प्रधानमंत्री का एकता के प्रतीक का यह दिवस भारत में असीम ताकत को जन्म देने के काम आ रहा है। इतना ही नहीं ऐसे लोगों की गौरवगाथा से आने वाली पीढ़ियां भी अनभिज्ञ नहीं रह सकेंगी साथ ही देष के किसानों में भी ऐसी विभूतियों को लेकर एक अलग विमर्ष तैयार होगा। फिलहाल सात दषक पहले जिस इतिहास और भूगोल को सरदार पटेल ने जमीन पर उतारा है उन्हें याद करने का जन्मदिन से बेहतर षायद ही कोई अवसर हो।

सुशील कुमार सिंह
निदेशक
वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन आॅफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन
डी-25, नेहरू काॅलोनी,
सेन्ट्रल एक्साइज आॅफिस के सामने,
देहरादून-248001 (उत्तराखण्ड)
फोन: 0135-2668933, मो0: 9456120502
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