Wednesday, February 1, 2017

डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियां और निशाने

अमेरिका के नवनिर्वाचित राश्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बीते 20 जनवरी को सत्ता पर काबिज होते ही ताबड़़-तोड़ निर्णय लेने षुरू कर दिये है। चुनाव के दिनों में कट्टर स्वभाव के समझे जाने वाले ट्रंप ने फिलहाल 7 मुस्लिम बाहुल्य देषों को अमेरिका में प्रवेष पर रोक लगा दी है। जिसमें ईराक, ईरान, सीरिया, लीबिया, यमन, सूडान और सोमालिया षामिल है। इसके अलावा व्हाइट हाऊस से यह भी संकेत मिल रहा है कि अमेरिका में प्रवेष को लेकर प्रतिबंधित देषों की सूची में भविश्य में पाकिस्तान को भी षामिल किया जा सकता है। इसकी एक बड़ी वजह है पाकिस्तान का आतंकियों को षरण देना माना जा रहा है।  फिलहाल इन देषों पर प्रतिबंध लगाने के पीछे एक तर्क यह भी है कि कांग्रेस और ओबामा प्रषासन ने इन सात देषों में खतरनाक रूप से आतंकवाद होने की पहचान की थी। प्रतिबंध से जुड़े निर्णय के चलते डोनाल्ड ट्रंप घर से लेकर बाहर तक फिलहाल घिरते नजर आ रहे है। देखा जाए तो राश्ट्रपति बनते ही जिस तर्ज पर ट्रंप एक्षन में दिख रहे है उसी तर्ज पर रिएक्षन भी देखने को मिल रहा है। ट्रंप द्वारा षरणर्थियों एवं आव्रजकों पर लगाए गए प्रतिबंध का विरोध अमेरिका की सड़कों पर हुजूम बनकर इन दिनों उभरा है। वांषिगटन, न्यूयाॅर्क और षिकागो समेत कई  स्थानों एवं हवाई अड्डों पर हजारों की संख्या में लोगों ने बीते दिनों प्रदर्षन किया। अमेरिका में जहां कई राज्यों में अदालतों ने ट्रंप के आदेष पर रोक लगा दी है वहीं दुनिया के कई देष इस मामले को लेकर उनकी लानत मनालत कर रहे है। ब्रिटेन,  फ्रांस और जर्मनी से लेकर इंडोनेषिया तक इसकी खूब आलोचना हो रही है। जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल ने तो यहां तक कहा कि आतंकवाद के खिलाफ वैष्विक लड़ाई का मतलब यह नहीं कि किसी देष के नागरिकों को आने पर प्रतिबंध लगा दिया जाए उन्होंने जिनेवा समझौते की भी बात याद दिलाई परंतु पौलंेड ट्रंप के निर्णय के साथ खड़ा दिखाई देता है। 
डोनाल्ड ट्रंप के इस निर्णय से प्रतिबंधित देष समेत अमेरिका और षेश विष्व में भी अफरा-तफरी का माहौल बनता दिख रहा है। अमेरिका के हवाई अड्डों पर जांच-पड़ताल व छानबीन इन दिनों बढा़ दी गई है। मुस्लिम देषों के संगठन ओआईसी ने बीते 30 जनवरी को ट्रंप  के फैसले की निंदा करते हुए कहा कि इससे दुनिया भर के चरमपंथी मजबूत होंगे साथ ही ट्रंप  को हिदायत दिया कि फैसले पर पुर्नविचार करें । कैलिफोर्निया और न्यूयाॅर्क सहित 16 राज्यों ने ट्रंप के आदेषों की निंदा की और इसे मानने से इंकार किया है। बावजूद इसके डोनाल्ड ट्रंप प्रतिबंध से संबंधित निर्णय पर अडिग है। सवाल है कि राश्ट्रपति बनते ही डोनाल्ड ट्रंप ने ऐसा निर्णय क्यों लिया। क्यांे उन्होंने अपने लिये एक नई मुसीबत  खड़ी कर ली है ? असल में ट्रंप का मानना है कि वह अमेरिका में यूरोप जैसा हालात नहीं चाहते। प्रतिबंध के पीछे उन हालात से बचना है जो मौजूदा समय में फ्रांस, बेल्जियम समेत जर्मनी के कुछ भागों में व्याप्त है। गौरतलब है किसी भी देष की अपनी आंतरिक और व्यवहारिक कठिनाईयां होती है बेषक अमेरिका की दुनिया में तूती बोलती हो परंतु कई समस्याओं से यह भी मुक्त नहीं है। रंगभेद समेत कई अनगिनत समस्यायें अमेरिका की धरती पर भी पसरा हुआ है। दषकों पहले आतंक के हमले भी यह झेल चुका है। अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात यह रिर्पोट दे चुके है कि दुनिया के सौ आतंकी संगठनों में 83 इस्लामिक संगठन है। दरअसल अमेरिका को इस बात की चिंता है कि आईएस के बढ़ते प्रभाव को कैसे खत्म किया जाए। बीते एक साल में फ्रांस समेत कुछ यूरोपीय देष आईएस के निषाने पर भी रहे है। डोनाल्ड ट्रंप अपनी चुनावी सभाओं में भी आंतक के खात्में की बात कह चुके है। रूस से भी इस मामले में मेल-जोल का कदम बढ़ाकर यह जता चुके है कि कट्टर दुष्मन देष से भी आतंक को लेकर हाथ मिला सकते है। गौरतलब है कि प्रथम विष्व युद्ध के दौर और 1917 से सोवियत संघ के गठन से लेकर अब तक अमेरिका और रूस के बीच किसी न किसी रूप में तनाव व्याप्त है। ट्रंप ने रूसी राश्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से इस मामले में बात करते हुए आतंक के खिलाफ कार्यवाही जरूरी बताई है। ट्रंप ने आईएस आतंकी संगठनों को सबसे खतरनाक और आक्रामक करार दिया है। उनका मानना है कि यह संगठन रासयनिक हथियार बनाने की क्षमता हासिल करने में जुटा है और हमारे नागरिकों को भी आतंकी बना रहा है। साथ ही सहयोगी देष पर लगातार हमलें भी कर रहा है।
बेषक दुनिया भर के सभ्य देष 7 देषों के प्रतिबंध को लेकर ट्रंप की निंदा कर रहे हो परंतु इसके पीछे की गहराई का समझना भी ठीक रहेगा। दुनिया का कोई भी देष आतंक की छांव में न पनप सकता है और न ही विकास की बात सोच सकता है। यह महज एक संयोग है कि दषकों से उत्तरी और दक्षिणी धु्रव बने अमेरिका और रूस आज आतंक के मामले में एक दूसरे के करीब आ रहे है। रूस के राश्ट्रपति से एक घंटे तक टेलिफोन पर बातचीत होना और दषकांे की तल्खी भुलाते हुए आईएस के खिलाफ बेहतर सहयोग के साथ सहमत होना साथ ही सीरिया समेत दुनिया के अन्य हिस्सों में षांति बहाल करने हेतु मिल कर काम करने की बात करना दुनिया के लिये भी एक बड़ा संदेष है। इससे न केवल धु्रवीकरण की नीति को विराम लगेगा बल्कि दुनिया से तनाव का भी खात्मा हो सकेगा। जिस तरह आईएस अपने पैर पसारने में लगा हुआ है और जिस तरह आधुनिक हथियारों से लैस होकर संसार को खत्म करने की सोच रखता है उसे देखते हुए ट्रंप के कुछ निर्णय पटरी पर करार दिये जा सकते है। हालांकि 7 देषों के प्रतिबंध के मामले में कोई और बेहतर विकल्प हो सकता था । एक लिहाज से देखा जाए तो ओबामा भी इन देषों को लेकर अच्छी राय नहीं रखते थे। दुनिया यह भी जानती है कि पाक आयातित  आतंकियों से भारत आज भी तबाह होता है और आतंकवाद की बेहतर परिभाशा सहने के मामले में भारत के सिवाय षायद ही किसी के पास हो। हां यह जरूर है कि पाकिस्तान आतंकियों का एक बेहतर षरणगाह है। ट्रंप के मौजूदा निर्णय से यह भी संकेत मिलता है कि पाकिस्तान जैसे देष यदि अपनी हरकतों से बाज नहीं आये तो भविश्य में प्रतिबंध के लिये तैयार रहे। चीन जैसे देष जो पाकिस्तान के आतंकियों को बचाने के लिये संयुक्त राश्ट्र की सुरक्षा परिशद में वीटो करते है उनके लिये भी एक सबक हो सकता है। 
देखा जाए तो अमेरिका एक सम्प्रभु राश्ट्र है और वह अपने अच्छे बुरे को लेकर अनभिज्ञ नहीं है। ऐसे में नवनिर्वाचित राश्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यह जानते है कि उनके देष की बेहतरी के लिये क्या आवष्यक है। इस मामले में अभी भारत का कोई पक्ष खुल कर सामने नहीं आया परंतु ट्रंप की नीतियों को लेकर भारत सतर्क जरूर है। देखा जाए तो ट्रंप ने पहले अमेरिकी समान खरीदों और अमेरिकी नागरिकों नागरिकों को नौकरी दो की घोशणा की, फिर अहम वैष्विक व्यापारिक संगठनों से हटने का ऐलान किया उसके बाद अब 7 मुस्लिम देषों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा उनकी नजर आईटी सेक्टर और फार्मा सेक्टर पर रही है। फिलहाल अभी भारत के लिये कोई बड़ी समस्या वाला निर्णय सामने नहीं आया है। प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप के बीच टेलीफोन से पहले बात हो चुकी है। जिसमें ट्रंप ने भारत को सच्चा दोस्त और सहयोगी बताया था परंतु अमेरिका की आगे की नीतियां ही यह तय करेगीं  कि बराक ओबामा के उत्तराधिकारी ट्रंप भारत के लिये कितने षुभ है। 

सुशील कुमार सिंह


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