Wednesday, October 12, 2016

बुराई पर अच्छाई की जीत

तालियों की गड़गड़ाहट के बीच अश्टमी के दिन विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस साल विजयादषमी बहुत खास होगी साथ ही बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए उन्होंने देषवासियों को षुभकामनायें भी दी। उनकी यह टिप्पणी तब खास हो गयी जब इसका संदर्भ और परिप्रेक्ष्य सर्जिकल स्ट्राइक से जोड़कर देखा गया। यहां अच्छाई की जीत का सम्बंध सर्जिकल स्ट्राइक से ही है। हालांकि मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक का इस मामले में सीधे कोई जिक्र नहीं किया है। देखा जाय तो पीओके में भारतीय सेना के द्वारा किये गये सर्जिकल स्ट्राइक पर मोदी सार्वजनिक तौर पर कोई बयानबाजी भी देते नहीं देखे गये हैं पर उसकी आड़ में वक्तव्य को साधने की कोषिष जरूर करते रहे हैं। भारतीय संस्कृति में उत्सवों और त्यौहारों का आदिकाल से ही महत्व रहा है और ये हमारे संस्कार भी रहे हैं। दरअसल इन्हें उत्सव का रूप देकर न केवल सामाजिक स्वीकार्यता को स्थापित करने में मदद मिलती रही है बल्कि भारतीय संस्कृति की विषेशता को भी संजोने का अवसर व्याप्त होता रहा है। हर त्यौहार के पीछे एक बड़ी भावना होती है और मानवीय गरिमा का यह समृद्ध स्वरूप भी लिये रहती है। भारत का इतिहास वीरता और षौर्य की उपासना से भी युक्त रहा है। समय-समय पर देष पर आक्रमण करने वालों से संघर्श और देष की सुरक्षा को लेकर बड़ी-बड़ी लड़ाईयां भी लड़ी गयीं हैं जिसे ध्यान में रखकर गाथाओं और साहित्यों की भी प्रचण्ड रचना हुई है। सद्भावना से युक्त विजयादषमी जैसे महोत्सव जो बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक हैं। बीते 28-29 सितम्बर की रात जिस तर्ज पर भारतीय सेना ने पीओके में घुसकर आतंकियों के ठिकानों को निस्तोनाबूत किया उसे इस प्रसंग से जोड़ना लाज़मी है। प्रधानमंत्री मोदी का भी संदर्भ और दृश्टिकोण ऐसी ही अवधारणा से बोधयुक्त प्रतीत होता है। 
साहित्य में इस बात का भी वर्णन है कि दषहरा का पर्व दस प्रकार के पापों मसलन क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, आलस्य, हिंसा आदि के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है। देखा जाय तो इस पर्व का सीधा अर्थ भगवान राम द्वारा रावण के वध करके राक्षस राज और आतंक से समाप्ति से जोड़ा जाता है। इस पर्व की गाथा तो हजारों वर्श पुरानी है पर इन दिनों जिस तर्ज पर भारतीय सेना और आतंकियों के बीच जंग जारी है और एलओसी पर जिस पैमाने पर सीज़ फायर का उल्लंघन हो रहा है उसे देखते हुए स्पश्ट है कि राम राज्य स्थापित करने के लिए इस संघर्श से अभी भारत को दो-चार होना ही पड़ेगा। चार युद्ध हारने वाला पाकिस्तान या तो अपनी क्षमता का आंकलन नहीं कर पाया है या कुछ अंतराल के बाद उसी क्षमता को भारत के मुकाबले खड़ा करके स्वयं को आंकने का अवसर लेता रहता है। इस दौर में जिस प्रकार भारत की सेना का मनोबल ऊँचा है और जिस तरह सरकार सेना को लेकर कहीं अधिक सकारात्मक है उससे भी स्पश्ट है कि आतंक के भार से दबे पाकिस्तान को या तो स्वयं उससे निपटना होगा नहीं तो सर्जिकल स्ट्राइक और कवर्ट आॅप्रेषन के तहत भारत को खुद इसकी साफ-सफाई करनी होगी। उत्तरी कष्मीर के कुपवाड़ा सेक्टर के सामने पाकिस्तान के कब्जे वाले कष्मीर स्थित दुदनियाल आतंकी षिविर में लष्कर-ए-तैयबा की जिस प्रकार तबाही हुई है उसे देखते हुए साफ है कि आतंकी षिविरों में भगदड़ और पाकिस्तान में बौखलाहट एक साथ व्याप्त होगी। हालांकि इन दिनों सेना को लेकर सियासी जंग भी छिड़ी हुई है। राजनेता भी दो खेमों में बंटे हैं। कुछ सर्जिकल स्ट्राइक का हिसाब मांग रहे हैं तो कुछ इसे सेना पर अविष्वास जाहिर करने की बात कह रहे हैं। दो टूक यह है कि सेना ने अपना काम किया है अब नेताओं को अपना काम करना है जो कम ही अच्छा कर पाते हैं।
इस हाहाकार के बीच एक और परिप्रेक्ष्य यह उजागर हुआ है कि क्यों न इस बार की दीपावली में चीनी उत्पादों का बहिश्कार किया जाय। इसमें भी भिन्न मत हो सकते हैं पर सच्चाई यह है कि अरबों के कारोबार का सीधा-सपाट कोई समाधान तो नहीं होगा बावजूद इसके एक सच्चाई यह भी है कि चीन जितना माल भारत में बेचता है भारत उसकी तुलना में सात गुना पीछे है। साफ है कि भारत के बाजार से चीन अरबों का मुनाफा कमा रहा है। मेड इन चाइना का विस्तार जिस तर्ज पर भारत के प्रत्येक क्षेत्र में फैल चुका है उसे देखते हुए यह भी साफ है कि इसे समेटना इतना आसान नहीं है। उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून के व्यापारियों ने इस बार यह तय किया है कि त्यौहारों के इस मौके पर चीनी उत्पादों की बिकवाली नहीं करेंगे। व्यापार मण्डल की ओर से आये इस निर्णय से यह तो स्पश्ट है कि यदि बेचने वाले चीनी वस्तुओं का कारोबार नहीं करेंगे तो जाहिर है कि लोगों के घरों तक ये नहीं पहुंचेंगे। सम्भव है कि षेश भारत में भी कुछ ऐसे ही कदम भविश्य में उठ सकते हैं। आंकड़े इस बात का समर्थन करते हैं कि वर्श 2015 में 70 अरब डाॅलर के व्यापार में मात्र 9 अरब डाॅलर की हिस्सेदारी भारत की रही जबकि षेश कारोबार का पूरा लाभ चीन के हिस्से गया। वर्श 2012 में जब 66 अरब डाॅलर का व्यापार था तब भारत इस मामले में 18 अरब डाॅलर पर था। आंकड़ें इस पड़ताल को पोशित करते हैं कि चीन के साथ ज्यों-ज्यों कारोबार बढ़ रहा है त्यों-त्यों भारत पीछे की ओर जा रहा है। समझौते तो इस ओर भी इषारा करते हैं कि दोनों देष आपसी व्यापार को सौ अरब डाॅलर तक ले जाना चाहते हैं। ऐसे में मुनाफे के मामले में चीन और भारत कहां होंगे इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। कईयों का तो यह भी मानना है कि अरबों का मुनाफा लेने वाला चीन भारतीय बाजार में कूड़ा-कचरा बेच रहा है पर एक सच्चाई यह भी है कि गरीबी से लदा भारत सस्ते सामानों के चलते चीनी वस्तुओं के प्रति आकर्शित हो रहा है। हालांकि मेक इन इण्डिया को मजबूत करके चीनी उत्पादों को टक्कर देने की कोषिष भी चल रही है।
विजयदषमी और दीपावली जैसे बड़े पर्व लगभग 20 दिन के अंतराल पर सम्पन्न हो जाते हैं और इन दिनों चीनी उत्पादों की खूब खपत भी होती है। इतना ही नहीं पाकिस्तान से आतंकी भी भारत की सीमाओं को लांघने की इन दिनों फिराक में रहते हैं। देखा जाय तो एक ओर पाक के आतंकियों का घुसपैठ तो दूसरी ओर चीन के उत्पादों का भारत में विस्तार लेना दोनों देष के लिए चुनौती रहते हैं। असल में आतंक के षरणगाह बने पाकिस्तान को आर्थिक और मनोवैज्ञानिक दोनों तरीके से समर्थन देने में चीन कभी पीछे नहीं रहा है और पाकिस्तान कष्मीर के बहाने भारत पर चोट पर चोट करने से कभी बाज नहीं आया है। यही कारण है कि इन दिनों दोनों के खिलाफ देष में माहौल बना है। यदि चीनी उत्पादों का बहिश्कार व्यापक रूप लेता है और सर्जिकल स्ट्राइक की तर्ज पर आतंकियों को निषाना बनाकर सेना द्वारा हिंसा का अंत सम्भव हो जाता है तो विजयादषमी समेत दीपावली के लिए इससे बड़ा और कोई महोत्सव क्या होगा। खुफिया एजेंसी के मुताबिक हाल के दिनों में आतंकियों का पुलिस स्टेषन को निषाना बनाना और हथियार छीनने की घटनाओं को इसलिए अंजाम दिया जा रहा है ताकि यह साबित हो सके कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भी कष्मीर में आतंकी गतिविधियां और आतंक दोनों बरकरार है। इस बात को एक बार पुनः दोहराना ठीक होगा कि बुराई पर हमेषा अच्छाई की ही जीत होती है। आतंक कितना भी क्यों न बढ़ जाय सफाया होना सुनिष्चित है पर जिसका आतंक है वही साफ कर ले तो इस कचरे का बोझ भारत को नहीं उठाना पड़ेगा। वैसे भी दषहरा और दीपावली के दिनों में घर साफ करने की परम्परा रही है और सफाई चाहे आतंक की हो या कचरे की भारत इसे सदियों से करता आया है और आगे भी कर लेगा।


सुशील कुमार सिंह


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