Wednesday, April 6, 2016

काले धन के मामले में सफ़ेद खुलासा

अमेरिकी महाद्वीप का एक छोटा सा देश पनामा इन दिनों काले धन के मामले में हुए खुलासे के चलते वैष्विक फलक पर है। इस खुलासे में दुनिया के कई दिग्गजों का नाम शामिल है। नामी-गिरामी हस्तियों का पनामा के जरिये विदेश में पैसा छिपाने के सनसनीखेज खुलासे से केन्द्र सरकार न केवल सचेत हुई है बल्कि सरकारी मशीनरी भी मामले की गम्भीरता को देखते हुए हरकत में आ गयी है। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा है कि गैर-कानूनी ढंग से विदेशोंमें पैसा रखने वाले हर किसी पर कार्यवाही होगी। पनामा पेपर्स के नाम से सामने आये वित्तीय सौदों से यह जाहिर होता है कि इसमें षामिल दिग्गजों ने कर चोरी के लिए टैक्स हैवन देष पनामा में न केवल अपनी कम्पनी खुलवाई बल्कि गैर-कानूनी वित्तीय लेन-देन को भी अंजाम दिया। पनामा पेपर्स लीक से यह पता चला है कि भारत के फिल्म सुपरस्टार अमिताभ बच्चन और उन्हीं की बहू अभिनेत्री ऐष्वर्या राय बच्चन का नाम भी इसमें षामिल है। विष्व के कई राश्ट्राध्यक्षों समेत उनके सगे-सम्बंधी भी इस लिस्ट में देखे जा सकते हैं। रूसी राश्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के नजदीकी लोगों से लेकर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ षरीफ की तीन संतान तथा चीनी राश्ट्रपति षी जिनपिंग के रिष्तेदार सहित कई रसूकदार लोग धन के इस काले-गोरे खेल में षामिल है। माना जा रहा है कि दुनिया भर से कुल 140 हस्तियों सहित 500 भारतीयों के नाम इसमें षामिल हैं। यूक्रेन के राश्ट्रपति, सऊदी अरब के षाह, अभिनेता जैकी चेन, फुटबाॅलर मैसी, अपोलो टायर और इंडिया बुल्स के प्रमोटर सहित अडाणी ग्रुप के मालिक के भाई का भी नाम इसमें षुमार है। जिस प्रकार पनामा पेपर्स लीक के खुलासे से दुनिया के दिग्गज एक कतार में खड़े हुए दिखाई दे रहे हैं उसे देखते हुए तो यही लगता है कि विदेष में पैसा छुपाने वाले लोगों की तादाद भारत समेत दुनिया के हर कोने से है।
दुनिया भर में पनामा पेपर्स से मची खलबली और उससे जुड़े खुलासों के चलते अब असर भी दिखने को मिल रहा है। सिने स्टार अमिताभ बच्चन ने टैक्स चोरी के आरोप को सरासर गलत बताया है। उन्होंने अपनी सफाई में कहा है कि मीडिया रिर्पोटों में जिन कम्पनियों का एमडी उन्हें बताया जा रहा है उन्हें वे जानते तक नहीं हैं। इसके अलावा उनका मानना है कि उनके नाम का गलत इस्तेमाल किया गया है। सफाई के दौरान ही अमिताभ बच्चन ने यह भी कहा है कि उन्होंने पूरा टैक्स चुकाया है। ऐसे में उन्हें बेवजह बदनाम किये जाने की कोषिष की जा रही है जबकि ऐष्वर्या राय पहले ही आरोपों को गलत करार दे चुकी हैं। लाज़मी है कि नाम खुलासे के बाद सूचीबद्ध लोग अपनी सुरक्षा और बचाव को लेकर प्रतिक्रिया करने के लिए सामने जरूर आयेंगे परन्तु पूरी सच्चाई तो जांच के बाद ही पता चलेगी। बरसों से भारत विदेषों में जमा काले धन को लेकर वापसी की राय षुमारी बनाता रहा है। वैष्विक मंचों पर भी इस मामले में आम सहमति बनाने के प्रयास भी देखे जा सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी 2014 के सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में काले धन की वापसी को अपना एजेण्डा घोशित किया था। लगभग दो वर्श के कार्यकाल में उनका षुरूआती दिनों में इस पर एक्षन भी दिखा था परन्तु अभी मामला खटाई में ही है। नवम्बर, 2014 में आॅस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन में जी-20 की बैठक के दौरान अमेरिका समेत मंचासीन सभी देषों के साथ यह आम राय बनी थी कि काले धन के मामले में वे एक-दूसरे का सहयोग करेंगे जबकि ऐसी पहल भारतीय प्रधानमंत्री ने की थी। उस दौर की यह सबसे बड़ी सफलता थी बावजूद इसके काले धन को लेकर जितनी चर्चा-परिचर्चा हुई वो सिर्फ समाचार पत्रों एवं टीवी चैनलों की सुर्खियां मात्र ही होकर रह गयी।
पनामा पेपर्स का यह मामला कईयों के लिए मुसीबत का सबब बनकर आया है। आइसलैण्ड के प्रधानमंत्री की पत्नी पर भी कुछ इसी प्रकार के संगीन आरोप हैं कि उन्होंने विदेषी कम्पनी में करोड़ों डाॅलर निवेष छुपाये हैं। मामला खुलते ही वहां प्रदर्षन षुरू हो गया तथा संसद को भी घेरने का प्रयास किया गया। आखिरकार प्रधानमंत्री सिंग मुंडुर को इस्तीफा देना पड़ा। टैक्स हैवन होने वाले देष पनामा की लाॅ फर्म मोसैक कोनसेका के खुफिया दस्तावेज लीक होने से दुनिया भर में यह आग लगी है। नेता, अभिनेता, कारोबारी और खिलाड़ी समेत कई दिग्गज जिन्होंने बेषुमार दौलत छुपाई है उनके लिए यह मुसीबत बढ़ाने वाला खुलासा है। इसके लपेटे में 70 देषों के पूर्व और वर्तमान राश्ट्राध्यक्ष भी देखे जा सकते हैं। काले धन के मामले में पिछले वर्श स्विस सरकार ने भी यह स्पश्ट किया था कि भारत को 2018 तक सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए इंतजार करना पड़ेगा, तब अरूण जेटली ने कहा था कि दुनिया आदान-प्रदान की दिषा में आगे बढ़ रही है। जाहिर है पनामा पेपर लीक के चलते काले धन के मामले में कोई सकारात्मक रूख धन वापसी का भी बन सकता है और षायद आने वाले दिनों में इस फहरिष्त में और लोगों के नाम भी देखे जा सकें। जिन 500 भारतीयों के नाम सामने आये हैं उनके खिलाफ काले धन को लेकर पिछले साल बने नये कड़े कानून के तहत जांच की जायेगी और यह जांच केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की जांच षाखा द्वारा होगा। देखा जाए तो पनामा के अलावा सेषल्स, वर्जिन और आइलैण्ड जैसे कई देष जो अपने यहां कम्पनी स्थापित करने या यहां से संचालन पर कोई टैक्स नहीं लेते। जमा पैसों को लेकर के भी कोई पूछताछ नहीं होती। यही कारण है कि इन देषों को टैक्स हैवन के नाम से जाना जाता है।
सब कुछ के बाद सवाल यह है कि क्या ऐसे खुलासों से देष में जो काले धन वापसी की उम्मीद बंधी थी उसका रास्ता चिकना होगा। देखा जाए तो काले धन की वापसी का मामला कहीं-न-कहीं एक बेहतर सफेद नीति पर निर्भर करेगा। ऐसे में एक सफल जांच और एक बेहतर प्रयास ही गुंजाइषों को जिन्दा रखने में मदद कर सकती है। इसमें आर्थिक कूटनीति की कहीं अधिक आवष्यकता भी हो सकती है। काले धन के मामले में पूरी तरह पक्के अनुमान तो नहीं है परन्तु कुछ तथ्यों पर जाया जाए तो माना जाता है कि विष्व के कई द्वीप ऐसे हैं जिसे ‘टैक्स स्वर्ग‘ कहा जाता है जिसमें पनामा का नाम भी षामिल है। इसके अलावा बहामा और क्रियान जैसे तमाम छोटे द्वीपों पर तीन से चार कमरों के एक-दो मंजिला मकानों में अन्तर्राश्ट्रीय बैंक खुले हैं जैसे फस्र्ट सिटी काॅरपोरेषन आदि। आंकड़े इस बात का समर्थन करते हैं कि काली कमाई विदेष भेजने के मामले में भी भारत अव्वल नम्बर पर है। अनुमान तो यह भी है कि 70 लाख करोड़ रूपए का काला धन केवल स्विस बैंक में जमा है जो 2018 तक जानकारी आदान-प्रदान करने से गुरेज कर रहा है। दुनिया भर के तमाम देषों में इसी धन को आंकड़ों के मुताबिक समझा जाए तो यह 300 अरब डाॅलर के पार है। ग्लोबल फाइनेंषियल इन्टीग्रिटी संस्था की रिपोर्ट के अनुसार वर्श 2000 से लेकर 2008 तक 4680 अरब रूपए अरब भेजे गये। कई देषों के बैंकिंग नियम ऐसे हैं कि मानो वह जान बूझकर काले धन को आमंत्रित करते हों। बारबडोस, आइसलैण्ड, दुबई, मलेषिया, मालदीव, माॅरिषस, फिलीपीन्स आदि दर्जनों देष जो काले धन के षरणगाह के रूप में जाने और समझे जाते हैं। भारत की तकलीफ यह है कि लाख जुगत लगाने के बावजूद इसकी वापसी के मामले में अब कुछ खास हासिल नहीं हुआ है।

सुशील कुमार सिंह


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