Monday, February 7, 2022

डिजिटल छलांग और बजट

मौजूदा वैष्विक महामारी के दौर में संचार, नेतृत्व और नीति निर्माताओं, प्रषासन व समाज के बीच तालमेल के जरूरी तत्व के रूप में डिजिटल व्यवस्था की केन्द्रीय भूमिका हो गयी है। डिजिटल दायरा कोविड-19 से सम्बंधित योजनाओं के ज्यादा पारदर्षी, सुरक्षित और अन्तर-प्रचालनीय ढंग से प्रसार हेतु महत्वपूर्ण औजार बनते देखा जा सकता है। कोरोना काल में लगभग पूरी षिक्षा व्यवस्था बेपटरी हुई जाहिर है डिजिटल के माध्यम से इसे बचाये रखना काफी हद तक सम्भव रहा। षायद यही वजह है कि बीते 1 फरवरी को प्रस्तुत बजट में डिजिटल दृश्टिकोण को एक आयाम देने का प्रयास हुआ है। सरकार ने वित्त वर्श 2022-23 के इस बजट में बड़ी पहल के तहत डिजिटल विष्वविद्यालय खोलने का एलान किया है। जाहिर है यह षिक्षा की दिषा में एक भरपाई के साथ विष्वस्तरीय गुणवत्ता और घर बैठे पढ़ाई का विकल्प उपलब्ध करायेगा। गौरतलब है कि इसी डिजिटलीकरण के चलते ज्ञान के आदान-प्रदान सहयोगात्मक अनुसंधान को बढ़ावा देने, नागरिकों को पारदर्षी दिषा-निर्देष मुहैया कराने का मार्ग भी सहज हुआ है। मौजूदा बजट में बच्चों की पढ़ाई के लिए टीवी चैनलों की संख्या दो सौ करने की बात कही गयी है इसका सीधा लाभ 25 करोड़ स्कूली छात्रों को होगा। बषर्ते मोबाइल, लैपटाॅप या कम्प्यूटर की उपलब्धता के साथ इंटरनेट कनेक्टीविटी और उससे जुड़ने की सक्षमता भी छात्रों के अभिभावक में सम्भव हो सके। बेरोज़गारी और घटती कमाई ने कई प्रकार के चोट से आम जीवन को प्रभावित किया है। जहां स्वास्थ्य को लेकर चिंता प्राथमिकता लिए हुए है वहीं षिक्षा के मामले में भी चिंतन कमतर तो नहीं है पर षीघ्र बेहतरी की गुंजाइष हालात को देखते हुए कम दिखती है। हालांकि डिजिटलीकरण को बढ़ावा मिलने से इस दिषा में आने वाले दिनों में समस्याएं कमोबेष दूर हो सकेंगी।

भारत जनसंख्या के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा देष है और यहां की सबसे बड़ी आबादी युवाओं की है जिसका सही ढंग से उपयोग किया जाये जो किसी गेम चेंजर से कम नहीं होंगे। इन्हीं से स्टार्टअप संस्कृति को ताकत मिल सकती है और डिजिटल तकनीक को प्रमुखता भी। ई-काॅर्मस का क्षेत्र हो या आर्थिक समृद्धि या रोज़गार को लेकर तमाम कवायदें सबके दायरे में युवा ही है। डिजिटल दृश्टिकोण सभी को सबल बना सकता है। स्किल इण्डिया का भी डिजिटल इण्डिया से सघन सम्बंध है। डिजिटल इण्डिया कार्यक्रम की षुरूआत 2015 में की गयी। इसके तहत डिजिटल अवसंरचना में निवेष और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देकर व आॅनलाइन सेवाओं के विस्तार के जरिये षहरी और ग्रामीण के बीच की खाई पाटने की कोषिष की जा रही है। हालांकि इस मामले में प्रयास और बढ़ाने की आवष्यकता है। षहर की तरह गांव में भी सभी प्रकार की ई-सेवाएं उपलब्ध कराने हेतु अब निजी-सरकारी सहभागी अर्थात् पीपीपी मोड के आधार पर ब्राॅडबैण्ड कनेक्टिविटी की जायेगी और 2025 तक सभी गांव इंटरनेट से जोड़ने का लक्ष्य है। बजट में की गयी घोशणा को देखें तो इसी वर्श तक सभी गांवों को ब्राॅडबैण्ड पहुंचाने का काम पूरा होगा। देखा जाये तो 15 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि अगले एक हजार दिन में सभी गांव आप्टिकल फाइबर के माध्यम से इंटरनेट कनेक्टिविटी से जुड़ जायेंगे। यह डिजिटल स्वरूप का बड़ा चित्र होगा और देष के साढ़े छः लाख गांव और ढ़ाई लाख पंचायतों के लिए बदलाव की एक बहुत बड़ी बयार होगी।

कौषल विकास के लिए डिजिटल प्लेटफाॅर्म का तैयार किया जाना जिससे घर बैठे हुनर सीखने का प्रबंध होना, ई-पासपोर्ट जारी करने की घोशणा व एक ही पोर्टल से एमएसएमई को कई सुविधाएं उपलब्ध कराने समेत कई ऐसे डिजिटल छलांग इस बजट में देखे जा सकते हैं साथ ही 75 जिलों में डिजिटल बैंक और रिज़र्व बैंक द्वारा डिजिटल करेंसी निर्गत करने का संदर्भ भी डिजिटलीकरण का बड़ा आयाम है। उक्त के अलावा मिषन षक्ति, मिषन वात्सल्य, सक्षम आंगनबाड़ी और पोशण 2.0 आगे बढ़ाने का प्रस्ताव इसकी खासियत है। गौरतलब है कि देष में षिक्षा और स्वास्थ्य के बजट को लेकर अक्सर गम्भीर चिंता होती रही है। वित्तीय वर्श 2022-23 के लिए षिक्षा में एक लाख करोड़ रूपए से अधिक आबंटित किये गये जो जीडीपी का 3 फीसद है। हालांकि कुछ देषों से तुलना करें तो भारत में षिक्षा का यह बजट कम है मसलन नाॅर्वे षिक्षा पर सबसे अधिक खर्च करने वाला देष है जो जीडीपी का 6.7 फीसद है, अमेरिका 6.1 प्रतिषत, जापान और जर्मनी 4 प्रतिषत से अधिक जबकि रूस जीडीपी का 3.4 प्रतिषत खर्च करता है। वित्तीय वर्श 2022-23 में विज्ञान और गणित से जुड़े 750 वर्चुअल लैब भी स्थापित हुए। डिजिटल व्यवस्था, बैंकिंग, केन्द्रीय उत्पाद और आयात षुल्क, आयकर, बीमा, पासपोर्ट, आव्रजन वीजा, विदेषी पंजीकरण और ट्रैकिंग, पेंषन, ई-कार्यालय, डाक ऐसे तमाम पहलुओं से पहले ही जुड़े हैं। इसी तरह राज्यों में भी कृशि, वाणिज्य कर, ई-जिला, ई-पंचायत, पुलिस, सड़क, परिवहन, कोशागार, कम्प्यूटरीकरण, षिक्षा और स्वास्थ समेत सार्वजनिक वितरण प्रणाली भी डिजिटल प्लेटफाॅर्म पर कमोबेष हैं। इसके अलावा समेकित दृश्टिकोण से देखें तो ई-अदालत, ई-खरीद, ई-व्यापार, राश्ट्रीय ई-षासन सेवा, डिलीवरी गेटवे और भारत पोर्टल आदि को देखा जा सकता है।

डिजिटल दृश्टि और बजट का ताना-बाना यह इषारा कर रहा है कि ई-षासन अवसंरचना को इससे मजबूती मिलेगी, समावेषी ई-षासन ढांचे का विकास सम्भव होगा। सूचनाओं को गति मिलेगी और दुरूपयोग पर अंकुष लगेगा। सेवा डिलिवरी में सुधार सम्भव होगा और आम जनमानस को यह डिजिटल छलांग सरकारी नीतियों से जोड़ेगा साथ ही प्रषासन द्वारा क्रियान्वित नीतियों का सीधा लाभ भी जनता को मिलेगा। सब्सिडी हो या फिर सम्मान निधि या फिर न्यूनतम समर्थन मूल्य का सीधे खाते में भेजने की बात हो सब में यह प्रभावषाली रहेगा। रोज़गार का रास्ता खुलेगा जैसा कि मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में 60 लाख रोज़गार की बात हो रही है। पीएम ई-विद्या को बढ़ावा देने में यह सफल रहेगा। बषर्ते नवाचारी ई-अवसंरचना के मामले में सरकार और प्रषासन ढीला न पड़े। दो टूक यह कि सुरक्षित, प्रभावषाली, विष्वसनीय और पारदर्षी विचार और संदर्भ से सरकार स्वयं को और देष को आगे बढ़ाना चाहती है तो डिजिटल दृश्टि एक कारगर दृश्टिकोण है जिसका मौजूदा बजट में संकेत साफ-साफ दिखता है। नई षिक्षा नीति हो या स्वास्थ्य की चुनौतियों से निपटने का संदर्भ हो या फिर षासन को सारगर्भित ई-षासन में बदलना हो तो डिजिटल एक बेहतर उपाय है। 

  दिनांक : 3/02/2022


डाॅ0 सुशील कुमार सिंह

(वरिष्ठ  स्तम्भकार एवं प्रशासनिक चिंतक)

निदेशक

वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन ऑफ  पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 

लेन नं.12, इन्द्रप्रस्थ एन्क्लेव, अपर नत्थनपुर

देहरादून-248005 (उत्तराखण्ड)

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