Thursday, February 17, 2022

भारत एट दि रेट 75 और नौकरशाही

भारतीय संविधान सभा में अखिल भारतीय सेवाओं के बारे में चर्चा के दौरान सरदार पटेल ने कहा था कि प्रषासनिक प्रणाली का कोई विकल्प नहीं है। इसके अलावा भी उन्होंने प्रषासनिक सेवा को लेकर कई बातें कही थी। गौरतलब है कि वर्तमान में भारतीय प्रषासनिक सेवा (आईएएस), पुलिस सेवा (आईपीएस) व वन सेवा (आईएफएस) समेत तीन अखिल भारतीय सेवाएं हैं। अखिल भारतीय का तात्पर्य ऐसी सेवा जिसमें कैडर और अवधि प्रणाली पायी जाती है व भर्ती संघ लोक सेवा आयोग द्वारा की जाती है। लोक सेवा जैसी व्यवस्था में नीति नियोजन से लेकर क्रियान्वयन तक के सारे पक्ष निहित होते हैं। यह अधिकार से परिपूर्ण ऐसी सेवा है जिसमें नये भारत ही नहीं बल्कि पूरे भारत की कायाकल्प करने की ताकत होती है। हालांकि बिना राजनीतिक इच्छाषक्ति के इसकी जोर-आज़माइष फलित नहीं हो सकती। ब्रिटिष काल में प्रषासनिक सेवा (नौकरषाही) की प्रवृत्ति भारतीय दृश्टि से लोक कल्याण से मानो परे रही है। मैक्स वेबर ने अपनी पुस्तक सामाजिक-आर्थिक प्रषासन में इस बात को उद्घाटित किया था कि नौकरषाही प्रभुत्व स्थापित करने से जुड़ी एक व्यवस्था है जबकि अन्य विचारकों की यह राय रही है कि यह सेवा की भावना से युक्त एक संगठन है। इतिहास के पन्नो को पलटा जाये तो स्पश्ट है कि मौजूदा अखिल भारतीय सेवा अर्थात् आईएएस और आईपीएस सरदार पटेल की ही देन है जिसका उद्भव 1946 में हुआ था जबकि आईएफएस 1966 में विकसित हुई। समय, काल और परिस्थिति के अनुपात में नौकरषाही से भरी ऐसी सेवाएं मौजूदा समय में सिविल सर्वेंट के रूप में कायाकल्प कर चुकी हैं। ब्रिटिष काल की यह इस्पाती सेवा अब प्लास्टिक फ्रेम को ग्रहण कर चुकी है। जनता के प्रति लोचषील हो गयी है और सरकार की नीतियों के प्रति जवाबदेह पर इसकी हकीकत इससे परे भी है। सरकार पुराने भारत की भ्रांति से बाहर आकर न्यू इण्डिया की क्रान्ति लाना चाहती है जो बिना लोक सेवकों के मानस पटल को बदले पूरी तरह सम्भव नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी लोक सेवकों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने को लेकर बीते कुछ वर्शों से प्रयास करते दिखते हैं। कुछ हद तक कह सकते हैं कि भ्रश्ट अधिकारियों के खिलाफ सरकार ने बड़े और कड़े कदम उठाये हैं मगर सामाजिक बदलाव को पूरा पाने के लिए प्रषासन में काफी कुछ परिवर्तन करना होगा। इस दिषा में हालिया परिप्रेक्ष्य यह है कि जनवरी 2022 में सरकार ने आईएएस कैडर नियम 1954 में संषोधन का एक प्रस्ताव दिया है जिसमें यह संदर्भ स्पश्ट है कि राज्य सरकार और सम्बंधित लोक सेवक की सहमति के बिना केन्द्र सरकार को एक आईएएस अधिकारी की सेवा को केन्द्र में संचालित करने की मंजूरी मिल जायेगी जबकि मौजूदा नियम में ऐसा कर पाना सम्भव नहीं है। 

लोक सेवा सरकार के काम-काज के संचालन के लिए आवष्यक है। सरकार ने अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए सोच-समझ कर लोक सेवा में सुधार किया ताकि नीतियों को प्रभावी और कुषलतापूर्वक क्रियान्वित किया जा सके। हाल के समय में प्रौद्योगिकी उन्नयन से लेकर अधिक विकेन्द्रीकरण के साथ सामाजिक सक्रियता के चलते वैष्विक स्तर एक बड़े बदलाव की ओर झुका है ऐसे में भारत की प्रषासनिक व्यवस्था में दक्षता और समावेषी दृश्टिकोण का अनुपालन अपरिहार्य हो जाता है। मिषन कर्मयोगी इस दिषा में एक बेहतरीन कदम तो है मगर यह जमीन पर अभी उतरी नहीं है। गौरतलब है कि सरकार ने लोगों तक बेहतर सेवाएं पहुंचाने के उद्देष्य से एक नये व्यापक लोक सेवक सुधार कार्यक्रम की घोशणा की है। देखा जाये तो मोदी अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी लोक सेवाओं में सुधार करते दिखते हैं। दरअसल देष में नौकरषाही हठ्धर्मिता को बढ़ावा देने का काम करती रही है साथ ही लालफीताषाही की जकड़न से विकास को भी कमोबेष बंधक बनाये हुए थी। जिस नौकरषाही को नीतियों के क्रियान्वयन और जनता की खुषहाली का जिम्मा था तो वही षोशणकारी और अर्कमण्य हो जाये तो न तो अच्छी सरकार रहेगी और न ही जनता की भलाई होगी। इसी मर्म को समझते हुए लालफीताषाही पर प्रहार करने के साथ लाल बत्ती को भी पीछे छोड़ना जरूरी समझा गया और देष में 1 मई 2017 से लालबत्ती गायब है। नीति आयोग के पास 2018 के ऐतिहासिक रिपोर्ट में लोक सेवा में सुधार को लेकर निहित अध्याय में नये भारत एट दि रेट 75 हेतु रणनीति रिपोर्ट में जनसेवाओं को और अधिक प्रभावी और कुषलतापूर्वक पहुंचाने के लिए लोक सेवकों की भर्ती, प्रषिक्षण सहित कार्य निश्पादन के मूल्यांकन में सुधार करने जैसे तंत्र को स्थापित करने पर जोर दिया गया ताकि न्यू इण्डिया 2022 के लिए परिकल्पित और संदर्भित विकास को हासिल किया जाना आसान हो। यहां बताते चलें कि 2 सितम्बर 2020 से मिषन कर्मयोगी कार्यक्रम के अंतर्गत सृजनात्मक, रचनात्मक, कल्पनाषील, नव प्रवर्तनषील, प्रगतिषील और सक्रिय तथा पेषेवर सार्मथ्यवान लोक सेवक को विकसित करने के लिए एक घोशणा दिखाई देती है। जाहिर है न्यू इण्डिया के लिए यह एक और नया आगाज था पर वक्त के साथ परिवर्तन कितना हुआ यह प्रष्न कहीं गया नहीं है। लोक सेवा की प्रभावषीलता और सक्रियता की अलग-अलग परिभाशा है। मौजूदा दौर प्रतिस्पर्धा का है जिसमें प्रभुत्व और वर्चस्व को कम करते हुए लोक सेवा को कहीं अधिक खुला और पारदर्षी बनाने की आवष्यकता है और इस दिषा में उठाया गया कदम कहीं अधिक सुषासनिक होगा जिसके लिए कमोबेष प्रयास होते रहे हैं। 

लोक सेवा में सुधार का मूलभूत उद्देष्य जन केन्द्रित लोक सेवा का निर्माण करना है। चुनौतियों से भरे देष और उम्मीदों से अटे लोग तथा वृहद् जवाबदेही के चलते सरकार के लिए विकास और सुषासन की राह पर चलने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। भूमण्डलीकरण के इस दौर में लोकसेवा का परिदृष्य भी नया करना होगा ताकि न्यू इण्डिया में नये कवच के साथ नई लोक सेवा नई चुनौतियों को हल दे। आर्थिक वृद्धि और जन कल्याण के लिए हितकारी सेवाओं का विकास और डिलीवरी करने में सार्मथ्यवान सिविल सेवा नये भारत की बड़ी आवष्यकता है। कोरोना महामारी के बीच चुनौतियों का अम्बार विकास की दृश्टि से तो लगा ही है। अच्छी नीति तत्पष्चात् उसका क्रियान्वयन ऐसे दौर में कहीं अधिक बढ़त लिए हुए है। राश्ट्रीय लोक सेवा क्षमता निर्माण कार्यक्रम इस तरह से बनाया गया है कि यह भारतीय संस्कृति और संवदेनाओं की परिधि में रहने के साथ-साथ दुनिया भर की सर्वश्रेश्ठ कार्य पद्धतियों एवं संस्थानों से अध्ययन संसाधन प्राप्त कर सकें। सरकार न्यू इण्डिया का सपना दिखा कर नागरिकों में नया जोष भरने का काम तो कर रही है और 2024 तक 5 ट्रिलियन डाॅलर की अर्थव्यवस्था की चाहत भी सरकार रखती है मगर यह तभी सम्भव है जब लोक सेवा एक बेहतरीन और बड़ी सर्जरी की जायेगी जहां भ्रश्टाचार पर पूरी तरह लगाम हो और जनता का बकाया विकास उन तक पहुंचाया जाये। यह एक बड़े ढांचागत सुधार से ही सम्भव है। अन्ततः इस कथन से लोक सेवा के मूल्य को और समझा जा सकता है एक प्रषासनिक चिन्तक डाॅनहम ने कहा है कि “यदि हमारी सभ्यता नश्ट होती है तो ऐसा प्रषासन के कारण होगा।” जाहिर है न्यू इण्डिया की जिस महत्वाकांक्षा ने नई उड़ान लिया है वह उसे धरातल पर नई लोकसेवा से ही उतारा जा सकता है। 

 दिनांक : 17/02/2022


डाॅ0 सुशील कुमार सिंह

(वरिष्ठ  स्तम्भकार एवं प्रशासनिक चिंतक)

निदेशक

वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन ऑफ  पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 

लेन नं.12, इन्द्रप्रस्थ एन्क्लेव, अपर नत्थनपुर

देहरादून-248005 (उत्तराखण्ड)

मो0: 9456120502

ई-मेल: sushilksingh589@gmail.com

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