इसमें कोई दुविधा नहीं कि अमेरिकी राश्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा से भारत के साथ-साथ अमेरिका ने भी कई अपेक्षाएं पाल रखी थी। इसमें भी कोई षक नहीं कि इस दो दिवसीय यात्रा के चलते दोनों देषों के बीच दोस्ती प्रगाढ़ हुई है और जिस प्रकार मोदी और ट्रम्प ने आपस में इरादे जताये हैं उसमें नैसर्गिक मित्रता की झलक भी दिखती है। हालांकि भारत का नैसर्गिक मित्र रूस है ऐसे में अमेरिका पर यही बात लागू होती है अभी कहना जल्दबाजी होगी और ऐसी स्थिति में तो बिल्कुल नहीं कि जब अमेरिका और रूस आमने-सामने हो। फिलहाल इस दो दिवसीय यात्रा के पूरे मर्म का विष्लेशण तीन इषारा करता है पहला यह संदेष कि दोनों देष अपना भविश्य पहले से कहीं अधिक उज्जवल बनायेंगे, दूसरा संकेत यह कि भारत को धरती पर सबसे अच्छे सैन्य उपकरण देने के लिए अमेरिका तत्पर है। जैसा कि 25 फरवरी को सैन्य उपकरण पर हुए समझौते से संकेत मिलता है। डोनाल्ड ट्रम्प ने इस मामले में कहा है कि हम सबसे बेहतरीन हथियार बनाते हैं और भारत को रक्षा उपकरण देंगे जिससे भारतीय सेना और मजबूत होगी। तीसरा संकेत यह दिखता है कि अमेरिकी राश्ट्रपति ने इण्डिया और प्रधानमंत्री मोदी की जमकर तारीफ की, कहा कि, भारत दुनिया का सबसे नायाब देष है और मोदी बेहतरीन नेता। इसी तर्ज पर मोदी ने भी ट्रम्प के लिए सराहनीय बातें कही। बीते 24 फरवरी को अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में ट्रम्प ने जो बातें कहीं उसमें संदेष, संकेत और सराहना तीनों का समागम दिखाई देता है।
डोनाल्ड ट्रम्प के पूरे भाशण में यदि 5 और बिन्दुओं को उकेरे तो यह भी स्पश्ट होता है कि भारत मौजूदा समय में एक नई ताकत के साथ दुनिया में न केवल उभरा है बल्कि अमेरिका भी उससे द्विपक्षीय सम्बंध प्रगाढ़ करने के लिए लालायित है। हालांकि इसके पीछे रक्षा सौदा और भारत का बाजार एक प्रमुख कारण हो सकता है। फिलहाल ट्रम्प की कही वे पांच बातें इस प्रकार हैं, भारत और अमेरिका 21वीं षताब्दी के पूरे विष्व की दिषा निर्धारित करेंगे, बड़े लक्ष्य रखना और हासिल करना न्यू इण्डिया की पहचान बनना समेत दोनों की सबसे बड़ी ताकत आपसी समझ और विष्वास के अलावा अन्तरिक्ष में साथी बनने और भारत की एकता दुनिया के लिए प्रेरणा है आदि षामिल है। पाकिस्तान में पनपे आतंकवाद पर भी डोनाल्ड ट्रम्प ने यह संकेत दिया है कि पाकिस्तान को इस मामले में सुधरना ही होगा साथ ही यह भी प्रतिबद्धता जतायी कि अमेरिका भारत के साथ मिलकर इस्लामिक आतंकवाद को खत्म करेगा। इसे देखते हुए दुनिया को यह संदेष जाता है कि आतंकवाद के खात्मे को लेकर भारत की मुहिम परवान चढ़ चुकी है। इतना ही नहीं पाकिस्तान समेत यह संकेत कमोबेष चीन को भी मिल चुका होगा कि आतंकवाद पर कोई समझौता नहीं। जाहिर है आतंक को पनाह देने वाले पाकिस्तान और उसका समर्थन करने वाले चीन को भारत की ताकत का एहसास हो रहा होगा। गौरतलब है कि इन दिनों चीन कोरोना वायरस से जकड़ा हुआ है और कई वर्शों से अमेरिका के साथ ट्रेड वाॅर में उलझा हुआ है। फिलहाल बीते 8 महीने में मोदी और ट्रम्प की यह 5वीं मुलाकात दोस्ती को एक नई उड़ान दे रहा है। जाहिर है डोनाल्ड ट्रम्प का भारत में इस प्रगाढ़ता के साथ होना दक्षिण एषिया सहित दुनिया के मानस पटल पर भारत की बढ़ी हुई ताकत का अंदाजा हो रहा होगा।
प्रधानमंत्री मोदी द्विपक्षीय सम्बंध को काॅम्प्रिहेंसिव ग्लोबल स्ट्रेटेजिक पार्टनरषिप के स्तर पर ले जाने का निर्णय लिया है। उन्होंने स्पश्ट संकेत दिया है कि ड्रग तस्करी नार्को-आतंकवाद और संगठित आतंकवाद जैसी गम्भीर समस्याओं के लिए दोनों की सहमति है। स्ट्रैटेजिक एनर्जी पार्टनरषिप की सुदृढ़ता को भी इस मुलाकात में बल मिलता दिखाई देता है। इतना ही नहीं कुछ समय से इस क्षेत्र में आपसी निवेष भी बढ़ा है जिसके चलते तेल और गैस के लिए अमेरिका भारत का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है। गौरतलब है कि इस मामले में भारत की निर्भरता मध्य-एषियाई देषों पर अधिक रही है। ट्रम्प के इस दौरे में दोनों देषों के बीच एक बड़ी ट्रेड डील पर मोहर फिलहाल लग गयी है जो तीन अरब डाॅलर की हैसियत रखती है जिसमें रक्षा सौदा सबसे अहम है। नमस्ते ट्रम्प कार्यक्रम में ट्रम्प ने यह एलान 24 फरवरी को ही कर दिया था। रक्षा सौदे में नौसेना को 24 सी-हाॅक हैलीकाॅप्टर जो चैथी जनरेषन का है और छुपी हुई पनडुब्बियों को निषाना बना सकता है का मिलना अब तय है। इसके अलावा भारतीय सुरक्षा बलों को हैलीकाॅप्टर समेत 8 सौ मिलियन डाॅलर के 6 एएच-64ई अपाचे हैलीकाॅप्टर व अन्य इस डील के हिस्से है। मिसाइल डिफेंस षील्ड पर भी रजामन्दी है। अमेरिका भारत को ऐसी सैन्य सामग्री उपलब्ध कराकर रूस को भारत में आने से रोकने का भी इरादा रखता है। गौरतलब है कि भारत रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की सौदेबाजी साल 2018 में 5 अरब डाॅलर में कर चुका है। जिसे लेकर अमेरिका अपनी असहजता जता चुका है। फिलहाल पिछले वित्त वर्श में भारत अमेरिका के बीच व्यापार में 18 फीसदी की बढ़ोत्तरी यह संकेत देती है कि प्रगाढ़ता के और भी आधार हैं। अमेरिकी राश्ट्रपति ट्रम्प ने कहा कि जब मैंने कार्यभार संभाला तबसे अमेरिका का निर्यात बढ़ा है। गौरतलब है कि भारत के साथ 60 प्रतिषत व्यापार ट्रम्प के कार्यकाल में बढ़ा है। ट्रम्प ने जोर दिया कि नषीली दवा के कारोबार को रोकने के लिए हमने समझौता किया है। डिफेंस टेक्नोलाॅजी, ट्रेड रिलेषन, पीपल टू पीपल रिलेषन इत्यादि इस बात को स्पश्ट कर रहे हैं कि अमेरिका और भारत के बीच सम्बंध केवल दो सरकारों के बीच नहीं है बल्कि लोगों पर आधारित है।
हालांकि काउंटर सवाल यह भी है कि अमेरिका हमेषा अमेरिका फस्र्ट की नीति पर चलता है यदि ऐसा है तो भारत उसके लिए द्वितीय ही रहेगा। अब भारत को यह देखना है कि अपने राश्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए अमेरिका के साथ कितना कारोबारी हो सकता है। अमेरिका ने तरजीह देष का दर्जा छीन कर भारत को मिलने वाली टेरिफ छूट को पहले ही खत्म कर चुका है साथ ही ईरान से तेल खरीदने पर पिछले दो मई से प्रतिबंध लगा रखा है। इतना ही नहीं भारत कृशि, आॅटोमोबाइल, वाहनों के पुर्जे व इंजीनियरिंग इत्यादि से जुड़े अपने उत्पादों के लिए अमेरिका से दरवाजा खोलने की उम्मीद रखता रहा है। इस समझौते में इन उम्मीदों को भी देखा जायेगा। हालांकि अमेरिका, भारत पर कृशि मैन्यूफेक्चरिंग से लेकर डेरी उत्पाद और चिकित्सा उपकरणों के लिए बाजार की अपेक्षा रखता है जो भारत के अनुकूल नहीं है। ऐसे में दोस्ती की डील इन कड़वाहट के बीच कितनी मिठास लेगा इसे बाद के लिए छोड़ देना चाहिए। फिलहाल भारत और अमेरिका के बीच सम्बंध लगातार वृद्धि करते रहे हैं। दोनों देषों के बीच टू-प्लस-टू वार्ता समेत कई द्विपक्षीय सम्बंध इस बात को पुख्ता करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राश्ट्रपति ट्रम्प की कैमिस्ट्री पिछले साल सितम्बर में ह्यूस्टन के हाउडी मोदी में देखी गयी अब इसी तर्ज पर अहमदाबाद में केमछो ट्रम्प में यही कैमिस्ट्री देखने को मिली। फिलहाल भारत और अमेरिका रक्षा कारोबार भी इस मुलाकात की पटकथा का एक बड़ा हिस्सा था। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन यह उम्मीद पहले ही जता चुका था कि दोनों देषों का रक्षा कारोबार 18 अरब डाॅलर को पार करेगा। पड़ताल बताती है कि सबसे पहले भारत में पहला अमेरिकी राश्ट्रपति आइजनहावर 1959 में आये थे उसके बाद 1969 में निक्सन, 1978 में जिमी कार्टर का दौरा हुआ, तत्पष्चात् 22 वर्श के अंतराल के बाद मार्च 2000 में बिल क्लिंटन का भारत आगमन हुआ। गौरतलब है कि सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिका का रूख भारत की ओर नरम हो गया था। उसके एक दषक बाद लगातार अमेरिकी राश्ट्रपतियों का भारत दौरा द्विपक्षीय सम्बंधों को और मजबूती देता रहा। बिल क्लिंटन के बाद जाॅर्ज डब्ल्यू बुष, बराक ओबामा और अब डोनाल्ड ट्रम्प का भारत दौरा मित्रता और द्विपक्षीय सम्बंध को और पुख्ता कर गया।
सुशील कुमार सिंह
निदेशक
वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन
डी-25, नेहरू काॅलोनी,
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