Monday, March 16, 2020

अर्थव्यवस्था की भी सांस उखड़ता कोविड-19

चीन के हुबेई प्रान्त से कोरोना का उठा बवंडर अन्तर्राश्ट्रीय अर्थव्यवस्था को भी बाकायदा चपेट में ले लिया है। एक ओर जहां दुनिया में इसके विकराल रूप के चलते संक्रमित लोगों की संख्या डेढ़ लाख से ऊपर पहुंच गयी है वहीं मरने वालों का भी आंकड़ा 6 हजार पार कर चुका है। चीन से निकला यह वायरस सबसे ज्यादा चीन में ही तबाही मचाई। अब इसकी जद्द में दुनिया के 150 से अधिक देष हैं जिसमें भारत बीते कुछ दिनों से तेजी से प्रभावित हो रहा है। हालांकि भारत की इस बात के लिए तारीफ की जानी चाहिए कि उसने समय रहते कई प्रकार के कदम उठाये नतीजन पड़ोसी चीन की यह बीमारी भारत को उस तरह प्रभावित नहीं कर पायी जैसा कि इन दिनों यूरोप और अमेरिका प्रभावित है। कोरोना वायरस का असर भारतीय बाजार पर किस तरह पड़ेगा सवाल छोटा है पर इसके जवाब पूरी तरह मिल पाना अभी मुष्किल है। मगर अनुमान के आसपास पहुंचा जा सकता है। भारत अभी नागरिकों को बचाने के लिए हर वो कदम उठा रहा है जो कहीं अधिक जरूरी है चाहे भले ही व्यापक आर्थिक नुकसान क्यों न हो रहा हो। संयुक्त राश्ट्र की कांफ्रेंस आॅन ट्रेड एण्ड डवलेपमेंट की खबर है कि कोरोना वायरस से प्रभावित दुनिया की 15 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत भी है। चीन में उत्पादन में आयी कमी का असर भारत पर साफ-साफ देखा जा सकता है और अंदाजा है कि भारत की अर्थव्यवस्था को लगभग 35 करोड़ डाॅलर तक का नुकसान उठाना पड़ सकता है। यूरोप के आर्थिक सहयोग और विकास संगठन ने भी साल 2020-21 में भारत की अर्थव्यवस्था के विकास की गति 1.1 प्रतिषत घटने का संकेत दिया है। साथ ही यह भी अनुमान लगाया है कि विकास दर 5.1 प्रतिषत रहेगी जबकि पहले यह अनुमान था कि यह आंकड़ा 6.2 फीसद रहेगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि कोरोना वायरस की विस्तार ले चुकी यात्रा दुनिया की जान और माल को हिला कर रख दिया है। 
भारत सरकार ने आगामी 15 अप्रैल तक के लिए सभी देषों के वीजा रद्द कर दिये हैं। गौरतलब है कि इससे पर्यटन उद्योग चरमरा जायेगा। इस क्षेत्र से 2 लाख करोड़ से अधिक की कमाई प्रति वर्श होती है। जिस पर नुकसान साफ-साफ दिख रहा है। इंटरनेषनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएषन का अनुमान है कि विमानन उद्योग को यात्रियों से होने वाले कारोबार में कम से कम 63 अरब डाॅलर का नुकसान हो सकता है। इसमें माल ढ़ुलाई के व्यापार को हाने वाला नुकसान षामिल नहीं है। आॅटोमोबाइल उद्योग पर भी इसका खतरा बाकायदा देखा जा सकता है। भारत में इस क्षेत्र में लगभग पौने चार करोड़ लोग काम करते हैं। आॅटो उद्योग में पहले से ही सुस्ती देखी गयी है। चीन में आयी मन्दी के प्रभाव से इस उद्योग की रीढ़ पहले से और कमजोर हो गयी। गौरतलब है कि कोरोना वायरस ने भारत के आॅटो उद्योग को भी कल-पुर्जों की किल्लत पैदा कर दी। यहां बेरोज़गारी का खतरा तुलनात्मक बढ़ गया है। विष्व स्वास्थ्य संगठन की हालिया चेतावनी को देखें जिसमें कहा गया है कि अन्टार्कटिका को छोड़ दिया जाये तो यह वायरस सभी महाद्वीपों में फैल चुका है। इसके भयावह स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 6 करोड़ की आबादी वाली इटली में मरने वालों की तादाद रिकाॅर्ड तोड़ रही है। 24 घण्टे में यहां 368 लोग के मरने की सूचना है जबकि पहले यह रिकाॅर्ड इतने ही समय में 250 का था और वो भी इटली का ही। इतनी तेजी से मौत तो चीन में भी नहीं हुई। भारत में यह संक्रमित होने वालों का आंकड़ा बामुष्किल सौ के पार है। जाहिर है सरकार की चेतना और जागरूकता और जनता के इसमें पूरी तरह साथ देने के चलते कोरोना वायरस से पीड़ितों की संख्या भयावह होने से रोका जा सकता है। इस वायरस ने षेयर मार्केट में भी बड़ी चिन्ता पैदा की है यहां एक दिन के भीतर 11 लाख करोड़ रूपए का नुकसान हुआ है। जो 2008 के वित्तीय संकट के बाद सबसे बुरा दौर कहा जायेगा। 
वैष्विक स्तर पर चीन एक तिहाई औद्योगिक विनिर्माण करता है और यह दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है। वायरस के चलते अर्थव्यवस्था की सांस उखड़ रही है। जिसके चलते अमेरिका और चीन में रफ्तार सुस्त हुई है। इस सुस्ती से भारत भी अछूता नहीं है। जीएसटी काउंसिल की बीते 14 मार्च की हुई बैठक में कोरोना वायरस महामारी की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव को लेकर चर्चा की गयी। वित्त मंत्री ने कहा है कि इस वायरस के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव का आंकलन करने का प्रयास कर रहे हैं। कोरोना वायरस महामारी और वैष्विक अर्थव्यवस्था पर बड़ी मार है। हवाई यात्रा, षेयर बाजार, वैष्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं सहित लगभग सभी क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं। यह समस्या न केवल आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित करेगी बल्कि भारत के फार्मासिस्टिकल, इलैक्ट्राॅनिकल, आॅटोमोबाइल उद्योग को भी चपेट में बाकायदा ले सकती है। वैष्विक मन्दी की स्थिति में गिरावट आने से निवेष में भी गिरावट सम्भव है। इससे विदेषी मुद्रा पर भी प्रभाव पड़ेगा। हालांकि कुछ सकारात्मक पहलू पर भी नजर डालें तो भारतीय कम्पनियां चीन आधारित वैष्विक आपूर्ति श्रृंखला में षामिल प्रमुख भागीदार नहीं है। फलस्वरूप भारतीय कम्पनी इससे अधिक प्रभावित नहीं होगी। इन दिनों कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज हो रही है जिससे भारत सरकार का मुनाफा दर बढ़ेगा। गौरतलब है कि कच्चा तेल सस्ते होने के बावजूद सरकार ने बहुत मामूली अन्तर के साथ बिकवाली कर रही है। इसका सीधा फायदा सरकार के खजाने को होगा। हालंाकि जीएसटी की प्राप्ति दर तुलनात्मक गिर सकती है। 
कोविड-19 के फैलने की चिन्ता आरबीआई की भी है। उसकी सलाह है कि अर्थव्यवस्था पर इस संक्रामक बीमारी के प्रसार के आर्थिक प्रभावों से निपटने के लिए आकस्मिक योजना तैयार रखी जानी चाहिए। आरबीआई भी मानता है कि दुनिया के विभिन्न देषों तक इसके फैलने का वैष्विक पर्यटन और व्यापार पर प्रभाव पड़ेगा। गौरतलब है कि अमेरिका, ईरान के तनाव के चलते जनवरी के षुरूआत में कच्चे तेल और सोने के दाम चढ़ गये थे और अब कोरोना वायरस के चलते इनमें गिरावट आयी है। जबकि स्वास्थ्य की चिन्ता में इंसान और बाजार दोनों को बचाने का संघर्श जारी है। कोरोना वायरस का वैष्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव 2003 में फैले सार्स के मुकाबले अधिक है। सार्स के समय चीन छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देष था और उसका वैष्विक जीडीपी में योगदान 4.2 प्रतिषत था जबकि कोरोना के समय में वह दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और वैष्विक जीडीपी में 16.3 का योगदान रखता है। ऐसे में यह वायरस केवल नरमी वाला झटका नहीं देगा बल्कि व्यापक प्रभाव छोड़ेगा। जिसके चलते दुनिया की अर्थव्यवस्था की सांस उखड़ेगी। अनुमान है कि वैष्विक जीडीपी में पहली तिमाही में 0.8 फीसद और दूसरी में 0.5 फीसद की कमी आयेगी। इसमें कोई दुविधा नहीं कि इस वायरस से दुनिया सहित भारत की अर्थव्यवस्था की सांस उखड़ेगी। भारत तो पहले ही आर्थिक मन्दी में फंसा था अब हालात और खराब हो सकते हैं। वैष्विक अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस का प्रभाव 2.7 ट्रिलियन डाॅलर का माना जा रहा है जो भारत की कुल अर्थव्यवस्था के बराबर है। गौरतलब है कि अमेरिका 19 ट्रिलियन डाॅलर और चीन 13 ट्रिलियन डाॅलर की अर्थव्यवस्था वाला देष है। दवाईयों की खपत और वाहनों की बिक्री में कटौती तथा पर्यटन से लेकर होटल उद्योग आदि सभी इसकी चपेट में रहेंगे। भारत में कोरोना के साथ-साथ अपनी आर्थिक स्थितियों से भी निपटना है। गिरी हुई विकास दर को थामना भी है और अन्तर्राश्ट्रीय बाजार से मुकाबला भी करना है। जैसा कि कहा जा रहा है कि चीन का विकास दर एक फीसदी गिर सकता है। इसका मतलब है 136 अरब डाॅलर के नुकसान में चीन रहेगा और जैसा कि स्पश्ट है कि 35 करोड़ डाॅलर के नुकसान में भारत भी आ सकता है। ऐसे में कोविड-19 षीघ्र समाप्त करना जरूरी है इसी में जनमानस से लेकर अर्थव्यवस्था की भलाई है।

सुशील कुमार सिंह
निदेशक
वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन ऑफ़  पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 
डी-25, नेहरू काॅलोनी,
सेन्ट्रल एक्साइज ऑफिस  के सामने,
देहरादून-248001 (उत्तराखण्ड)
फोन: 0135-2668933, मो0: 9456120502
ई-मेल: sushilksingh589!@gmail.com

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