Monday, March 4, 2019

आर्थिक बर्बादी का मिसाल है पाकिस्तान


इमरान खान को पाकिस्तान की सत्ता उस दौर में मिली जब वह अनेकों समस्याओं से घिरा था। गौरतलब है खजाना खाली था, बेषुमार कर्ज था और अप्रत्याषित व्यापार घाटा लगातार बना हुआ था। पाक की अर्थव्यवस्था में इन दिनों भी चालू खाते और बजटीय घाटे बेकाबू हैं, विदेषी कर्ज लगातार बढ़ रहा है तथा मुद्रा का अवमूल्यन भी हो रहा है साथ ही निवेषक तेजी से घट रहे हैं। गौरतलब है कि जुलाई-अगस्त 2018 में पाकिस्तान में सम्पन्न चुनाव के बाद इमरान खान के रूप में 18 अगस्त को एक नई सरकार मिली तो पाकिस्तान बेहद गरीबी की स्थिति में था। चीन जैसी विदेषी संस्थाओं पर बहुत अधिक निर्भरता ने पाकिस्तान को आर्थिक रूप से कमजोर बना दिया और यह क्रम अभी भी जारी है। नतीजन पाकिस्तान के पास अपने आयात बिलों का भुगतान करने हेतु कोई विदेषी जमा पूंजी षायद ही षेश बची हो। हैरत यह हैं कि 1971 में उसी पाकिस्तान से टूट कर बने बांग्लादेष की विदेषी मुद्रा भण्डार 32 अरब डाॅलर की तुलना में उसके पास एक चैथाई है जबकि भारत इस मामले में 400 अरब डाॅलर के पार है। इतना ही नहीं पाकिस्तान रूपए की विदेषी मुद्रा बाजार में कोई कीमत नहीं रह गयी है। ध्यानतव्य हो कि यहां अक्टूबर से रूपया बहुत तेजी से गिरा है और डाॅलर के मुकाबले यह 150 भी पार किया। बुनियादी ढांचा, नये रोज़गार और विकास जैसे संदर्भों से जुड़े बिज़नेस जब किसी देष में प्रवेष करते हैं तब वहां आर्थिक स्थिति बेहतर होती है जबकि पाकिस्तान में ये सब नहीं हो रहा है। पाकिस्तान की आर्थिक तंगहाली के लिए कौन जिम्मेदार है यह सवाल भी गैर वाजिब नहीं है। 2013 में अन्तर्राश्ट्रीय मुद्रा कोश (आईएमएफ) के साढ़े छः बिलियन डाॅलर के सबसे हालिया बेल आउट पैकेज के मात्र 5 साल बाद यानी 2018 में पाकिस्तान एक बार पुनः 12 बिलियन डाॅलर के बेल आॅउट पैकेज के लिए आईएमएफ से सम्पर्क किया। यह उसकी बदहाल स्थिति की पूरी कहानी दर्षाता है। वर्तमान आर्थिक स्थिति के मद्देनजर पाकिस्तान ऐसे स्थान पर आ खड़ा हुआ है जहां से वापसी मुमकिन दिखाई नहीं देती। देष में आतंक का कारोबार तेजी से फलता-फूलता रहा और पाकिस्तान आंख मूंद कर बैठा रहा। अमेरिका ने करोड़ों की रियायत रोक ली फिर भी आतंकियों पर लगाम नहीं लगाया। इसके उलट अमेरिका के बार-बार धौंस के बावजूद वह आतंकी संगठनों को मजबूती देता रहा साथ ही भारत पर बार-बार आतंकियों का प्रयोग करता रहा। बीते 14 फरवरी पुलवामा घटना के बाद तो पाकिस्तान न केवल वैष्विक फलक पर अलग-थलग है बल्कि आर्थिक टूटन की मात्रा भी बढ़ा लिया है। हालांकि इसी बीच 20 फरवरी को सऊदी अरब ने 20 अरब डाॅलर के निवेष की घोशणा की पर इससे सऊदी अरब को क्या मिलेगा और सऊदी के पैसे से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में कितना परिवर्तन आयेगा यह कहना कठिन है क्योंकि उसकी मौजूदा आर्थिक स्थिति से ऐसा लगता है कि उसकी राह बीते 70 सालों से आर्थिक सुधार न होकर भारत विरोध की रही है।
पाकिस्तान में एक अनुकूल, पारदर्षी और कुषल टैक्स प्रणाली की अनुपस्थिति के चलते टैक्स कलेक्षन जीडीपी का लगभग 10 फीसदी ही है। स्थिति यह है कि अमीर टैक्स से बच निकल रहे हैं और चरम पर पहुंचे भ्रश्टाचार ने भी आर्थिक संकट खड़ा किया है। आईएमएफ ने पाकिस्तान से चाईना-पाकिस्तान इकोनोमिक डोर में चीनी खर्च का हिसाब मांगा पर चीन इसे सार्वजनिक करने के पक्षधर नहीं है। ब्लूम बर्ग की रिपोर्ट कहती है कि पाकिस्तान पर विदेषी कर्ज लगभग 92 अरब डाॅलर हो गया है। पांच साल पहले यह इससे आधे पर थी। पाकिस्तान पर कर्ज और उसकी जीडीपी का अनुपात 70 फीसदी पर पहुंच गया है। चीन का दो-तिहाई कर्ज 7 फीसदी के उच्च ब्याज दर पर है जिससे पाकिस्तान की आर्थिक कमर लगातार टूट रही है। इस कर्ज को पाकिस्तान को 2030 से लौटाना भी है जो मौजूदा स्थिति में कहीं से मुमकिन नहीं है। पाकिस्तान 22 करोड़ लोगों का देष है परन्तु अनुपात में आय कर देने वालों की संख्या कहीं अधिक सीमित है। साल 2007 में आय कर भरने वालों की संख्या यहां मात्र 21 लाख थी जो 2017 आते-आते घटकर 12 लाख 60 हजार पर सिमट गयी है। पाकिस्तान के ही सरकारी आंकड़े कहते हैं कि वित्त वर्श 2018 में चीन से पाकिस्तान का व्यापार घाटा 10 अरब डाॅलर का था जो बीते पांच सालों में पांच गुना बढ़ा है। आर्थिक संकट से जूझ रहे पाक को चीन लगातार कर्ज देता रहा और मात्रा भी अरबों डाॅलर में रही। पाकिस्तान के खजाने में विदेषी मुद्रा भण्डार लगातार कम हो रहा है और कर्ज बढ़ रहा है। फाइनेन्षियल टाइम्स की रिपोर्ट को देखें तो पाकिस्तान 1998 से अब तक 13 बार आईएमएफ की षरण में जा चुका है। दो टूक यह भी है कि चीन के कर्ज से निरंतर पाक आर्थिक गुलामी की ओर बढ़ रहा है। स्टाॅकहोम इंटरनेषनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट देखें तो साल 2017 में पाकिस्तान ने 52 करोड़ डाॅलर के हथियार चीन से आयात किये जबकि अमेरिका से महज 2 करोड़ डाॅलर का ही हथियार सौदा हुआ है। यह आंकड़े न केवल चीन से आर्थिक और व्यापारिक सम्बंध को बताते हैं बल्कि पाकिस्तान की दिषा और दषा को भी जताते हैं कि उसके पैसे विकास के बजाय भारत से होड़ लेने में खर्च हो रहे हैं। हालांकि पुलवामा के बाद पाकिस्तान को चीन की ओर से थोड़ी निराषा मिली है।
पुलवामा घटना के बाद भारत ने 1996 से जारी मोस्ट फेवर्ड नेषन का न केवल पाकिस्तान से दर्जा वापस लिया बल्कि वहां से आयात होने वाली वस्तुओं पर सीमा षुल्क 200 फीसदी कर दिया। जाहिर है इससे भी उसकी अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है। गौरतलब है कि तीन हजार करोड़ से ज्यादा का निर्यात इससे प्रभावित हुआ है जिसमें ताजे फल, सीमेंट, पेट्रोलियम प्रोडक्टस और खनिज सहित चमड़ा आदि षामिल है। भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार साल 2017-18 में करीब ढ़ाई अरब डाॅलर का था जो 2016-17 की तुलना में थोड़ा अधिक है जिसमें 1.92 अरब डाॅलर का निर्यात भारत ने किया और करीब 49 अरब डाॅलर का सामान पाकिस्तान से आयात किया गया था। जब पाकिस्तान मित्र ही नहीं तो सिंधु जल समझौता भी खत्म किया जा सकता है और इस राह पर भारत चल पड़ा है। जाहिर है आने वाले दिनों में सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का पानी जो भारत का है पाकिस्तान जाता है उस पर रोक लगेगी तो वहां की आधे से अधिक कृशि खतरे में पड़ जायेगी इससे भी उसकी अर्थव्यवस्था चोटिल होगी। पाकिस्तान का व्यापार घाटा भी लगातार बढ़ रहा है। इसका सीधा मतलब है कि आयात बढ़ रहा है और निर्यात घट रहा है। 33 अरब डाॅलर के व्यापार घाटे से वो ऊपर जा चुका है। दुनिया में उसके सामानों की मांग घट रही है। भारत फ्रांस को पछाड़कर छठवीं अर्थव्यवस्था का तमगा ले लिया और ब्रिटेन को पछाड़ दे तो दुनिया का पांचवीं अर्थव्यवस्था हो जायेगा जबकि पाकिस्तान आतंकियों को षरण देने में अभी भी अव्वल बना हुआ है और उन्हीं के सहारे पुलवामा की घटना को अंजाम देकर एक नई मुसीबत भी इन दिनों मोल ले ली है। पाकिस्तान के दुस्साहस ने उसे कई और झंझटों में डाल दिया है। एफ-16 का भारत के विरूद्ध किया गया दुरूपयोग और उससे जुड़े नियमों के उल्लंघन के चलते अमेरिका ने उसे तलब किया है साथ ही 500 करोड़ के इस फाइटर विमान का नुकसान भी उसे हुआ है। गौरतलब है कि अमेरिका से खरीदा गया इस विमान में यह षर्त थी कि यह आतंकियों के विरूद्ध इस्तेमाल होगा जबकि यह भारत के विरूद्ध हमले के रूप में पाकिस्तान ने उपयोग किया था जिसे विंग कमाण्डर अभिनंदन ने मिग-21 से मार गिराया था जो स्वयं में एक अद्भुत घटना थी। फिलहाल पाकिस्तान की बिगड़ती आर्थिक स्थिति, खाली होता विदेषी मुद्रा भण्डार और बढ़ता विदेषी कर्ज समेत भीतर की गरीबी, बीमारी और बेरोज़गारी कई सवाल खड़े करती है और इन सभी सवालों का जवाब केवल पाकिस्तान को ही ढूंढना क्योंकि इसके लिए जिम्मेदार भी वही है।



सुशील कुमार सिंह
निदेशक
वाईएस रिसर्च फाॅउन्डेशन ऑफ  पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 
डी-25, नेहरू काॅलोनी,
सेन्ट्रल एक्साइज आॅफिस के सामने,
देहरादून-248001 (उत्तराखण्ड)
फोन: 0135-2668933, मो0: 9456120502
ई-मेल:sushilksingh589@gmail.com

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