Monday, April 24, 2023

ताकि विकास की लकीर गाढ़ी हो सके

जहां विकास में ‘क्या और किसके लिए‘ जैसे प्रष्न प्राथमिक तौर पर राजनीतिक सवाल है वहीं इस प्रक्रिया में ‘कैसे‘ तथा ‘किस प्रकार‘ एक प्रषासनिक समस्या है। राजनीतिक सवाल और प्रषासनिक समस्या को एक सूत्र में पिरोकर अन्तिम व्यक्ति तक विकास को पहुंचाने का काम सदियों से होता आया है। प्रषासन के दो क्रियाकलाप हैं एक नीतियों के निर्माण में योगदान तो दूसरा उन नीतियों को क्रियान्वयन के माध्यम से नागरिकों को सषक्त बनाना। “विकसित भारत - नागरिकों को सषक्त करना और अन्तिम व्यक्ति तक पहुंचना।“ साल 2023 के सिविल सेवा दिवस की थीम है। इस दिन सिविल सेवक नागरिकों के लिए खुद को समर्पित करते हैं और कार्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व उत्कृश्टता को नवीन स्वरूप देते हैं। सिविल सेवा दिवस मनाने हेतु इस दिन को चुनने की भी एक बड़ी वजह यह रही है कि स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने इसी दिन दिल्ली के मेटकाॅफ हाउस में 1947 में प्रषासनिक सेवा के परिवीक्षाधीन अधिकारियों को सम्बोधित किया था। गौरतलब है कि भारत सरकार ने वर्श 2006 से प्रत्येक 21 अप्रैल को सिविल सेवा दिवस के रूप में इसे मनाने का निर्णय लिया। विदित हो कि केन्द्र सरकार ने इसी वर्श केन्द्र तथा राज्य सरकारों के संगठनों द्वारा लिये गये असाधारण और नवोन्मेशों कार्य को पहचान तथा उसे पुरस्कृत करने हेतु लोक प्रषासन में उत्कृश्टता के लिए प्रधानमंत्री परस्कार की योजना षुरू की गयी थी। इस बार भी देष के 748 जिलों से आये हजारों नामांकन में से 16 सिविल सेवकों को यह सम्मान दिया जायेगा। साल 2022 में लोक प्रषासन में उत्कृश्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार उद्देष्य ‘हर घर जल योजना‘ के जरिये स्वच्छ जल तथा स्वास्थ्य केन्द्रों के द्वारा स्वस्थ भारत, समग्र षिक्षा द्वारा कक्षा का न्याय संगत और समावेषी माहौल समेत समग्र विकास को बढ़ावा देने में लोक सेवकों के योगदान को पहचानना था। गौरतलब है कि इसके अन्तर्गत विधायिका, न्यायपालिका और सैन्यकर्मी षामिल नहीं है।
वर्श 1965 में मनो-सामाजिक व प्रषासनिक चिंतक वारेन बेनिस ने कहा था कि आगामी 30 वर्शों में नौकरषाही समाप्त हो जायेगी। बेषक नौकरषाही समाप्त हुई है और 1991 के उदारीकरण के बाद यह सिविल सेवक की भूमिका में आयी जो विष्व बैंक की 1992 में दी गयी अवधारणा सुषासन की परिपाटी को सुसज्जित करने को लेकर स्वयं को परिमार्जित किया है। यह वही सिविल सेवा है जिसे 1947 में सम्बोधन के दौरान सरदार पटेल ने ‘भारत का स्टील फ्रेम‘ कहा था। द्वितीय प्रषासनिक सुधार आयोग की 21वीं सदी में आये रिपोर्ट में भी लोक सेवकों को लेकर अच्छे खासे सुधार सुझाये गये। गौरतलब है कि संविधान का अनुच्छेद 311 इन्हें सुरक्षा देने का काम करता है। यदि इसकी समाप्ति होती है तो उत्कृश्टता इनकी मजबूरी हो सकती है। हालांकि यह सुझाव माना नहीं गया। इसके पहले प्रथम प्रषासनिक सुधार आयोग (1966-1970) की रिपोर्ट में भी सिविल सेवकों के कायाकल्प की बात देखी जा सकती है। इसमें कोई दो राय नहीं कि सिविल सेवकों को कई मोर्चे पर तैयार रहना होता है। बदलते वैष्विक परिदृष्य में उत्कृश्टता एक ऐसा पैमाना है जहां से देष को चुनौतियों के अनुरूप बनाना इनकी जिम्मेदारी है। हालांकि राजनीतिक इच्छाषक्ति के बगैर यह सम्भव नहीं है। उदारीकरण के बाद प्रषासनिक सेवा में षनैः षनैः परिवर्तन निहित होता गया और मौजूदा समय में तो यह सिविल सर्वेंट की भूमिका में है। साल 2005 में सूचना का अधिकार लोक सेवकों में लगाम लगाने वाला और जनविकास के प्रति जिम्मेदारी बढ़ाने वाला मानो एक हथियार जनता को मिल गया। प्रषासनिक अध्येता भी यह मानते हैं कि सूचना के अधिकार में षासन-प्रषासन के कार्यों में झाकने की जो षक्ति दी उससे लोक सेवकों में एक नई अवधारणा का सृजन हुआ और जनता के प्रति जवाबदेही बढ़ी। साल 2006 में ई-षासन योजना के चलते इसमें और वृद्धि हुई। वर्तमान में डिजिटल गवर्नेंस को बढ़ावा मिलने से यह नई लोक सेवा के रूप में परिलक्षित होता है।
चुनौतियों से भरे देष, उम्मीदों से अटे लोग तथा वृहद् जवाबदेही के चलते मौजूदा मोदी सरकार के लिए विकास और सुषासन की राह पर चलने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। भूमण्डलीकरण का दौर है लोक सेवा का परिदृष्य भी नया करना होगा जो कमोबेष हुआ भी है। ऐसा करने से न्यू इण्डिया में नये कवच से युक्त नई लोक सेवा, नई चुनौतियों को समाधान दे सकेगी। विकास की क्षमता पैदा करना, राजनीति का अपराधीकरण रोकना, प्रषासन को भ्रश्टाचार से मुक्त रखना और जनता का बकाया विकास उन तक पहुंचाना सही मायने में सिविल सेवकों की जिम्मेदारी है। सिविल सेवा दिवस तभी पूरी तरह सघन और समुचित करार दिया जा सकता है जब इसमें जनहित पोशण के सिद्धांत के साथ सर्वोदय का बाकायदा मिश्रण हो। प्रधानमंत्री मोदी से कई अपेक्षाएं हैं पूरी कितनी होंगी कहना मुष्किल है पर कोषिष भी न करें यह उचित नहीं है। देष का विकास नागरिकों के विकास के साथ समावेषी ढांचे और अन्तर्राश्ट्रीय चुनौतियों को हल करने से सम्बंधित है। न्यू इण्डिया फायदे का सौदा तभी है जब सिविल सेवा दिवस पर यह संकल्प बड़ा हो जाये कि साल 2023 की थीम कि नागरिकों को सषक्त करना और अन्तिम व्यक्ति तक पहुंचना सम्भव हो जायेगा। हालांकि ऐसा करने के लिए सषक्त लोकनीति और सजग लोक सेवकों की आवष्यकता पड़ेगी। पूर्व अमेरिकी राश्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने कार्यकाल के दौरान भारत की नौकरषाही की तारीफ की थी। देष के प्रषासनिक तंत्र की रीढ़ सिविल सेवा प्रणाली है। यह भारत गणराज्य की एक ऐसी कार्यकारी षाखा है जो सरकार की नीतियों को क्रियान्वित करके सर्वोदय को उदयीमान बनाती है। गौरतलब है सरकार योजनाएं और नीतियां बनाती है जबकि प्रषासक सरकारी सेवक के तौर पर इसको कार्य रूप देते हैं। सिविल सेवा दिवस जब पहली बार नई दिल्ली के विज्ञान भवन में मनाया गया था तब षायद इस दिवस की प्रभावषीलता से लोग इतने वाकिफ नहीं थे जितने की मौजूदा समय में। वैसे देखा जाये जिस भी देष की सिविल सेवा समावेषी दृश्टिकोण से युक्त और जनसेवा से अभिभूत होती है वहां कश्टों का निवारण तय है।
हालांकि भारत एक ऐसा विकासषील देष है जहां गरीबी, बीमारी, बेरोजगारी, अषिक्षा व भुखमरी समेत सड़क, सुरक्षा, बिजली, पानी, षिक्षा, चिकित्सा आदि तमाम चुनौतियां कमोबेष बरकरार हैं। इतना ही नहीं लोक सेवकों में भ्रश्टाचार, लालफीताषाही, असंवेदनषीलता की समस्या के साथ नागरिक प्रथम को लेकर भी पूरा समर्पण नहीं दिखता है। महज विनिवेष, निजीकरण, पष्चिमीकरण, आधुनिकीकरण व वैष्विकरण से ही सब कुछ हासिल नहीं होगा। सिविल सेवक जन केन्द्रित, लोक कल्याणकारी, संवेदनषील और जनता के प्रति खुला दृश्टिकोण से युक्त होने से विकास की राह समतल करना सम्भव होगा। सिविल सेवा दिवस की अपनी एक अनूठी परम्परा है जिसमें नागरिकों की भलाई के लिए खुद को पुर्नसमर्पित करने के रूप में देखा और समझा जा सकता है। यह जितनी मात्रा में बढ़त बनायेगा अन्तिम व्यक्ति तक पहुंच उतनी ही सरल होती जायेगी। फलस्वरूप सुषासन जो एक लोक प्रवर्धित अवधारणा जहां जन सषक्तिकरण ही इसका अन्तिम उद्देष्य है की लकीर भी और गाढ़ी हो जायेगी।

दिनांक : 20/04/2023


डॉ0 सुशील कुमार सिंह
निदेशक
वाईएस रिसर्च फाउंडेशन ऑफ पॉलिसी एंड एडमिनिस्ट्रेशन
लेन नं.12, इन्द्रप्रस्थ एन्क्लेव, अपर नत्थनपुर
देहरादून-248005 (उत्तराखण्ड)
मो0: 9456120502

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